- एनएमडीसी कॉलोनी नया पुरवा निवासी रामप्यारे विश्वकर्मा हुआ मालामाल
- कृष्णा कल्याणपुर की पटी हीरा खदान में मिला है यह नायाब बेशकीमती हीरा
हीरा धारक रामप्यारे विश्वकर्मा प्राप्त हुए हीरे के साथ।
।।अरुण सिंह।।
पन्ना। हीरा की खदानों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की उथली खदान से आज फिर 14.09 कैरेट वजन का बेशकीमती हीरा मिला है। हल्के हरे रंग वाला यह नायाब हीरा पन्ना के एनएमडीसी कॉलोनी नया पुरवा निवासी रामप्यारे विश्वकर्मा को कृष्णा कल्याणपुर की पटी हीरा खदान में मिला है। हीरा मिलने के साथ ही आर्थिक तंगी से परेशान रहने वाला रामप्यारे मालामाल हो गया है। इस नायाब हीरे की अनुमानित कीमत 50 से 60 लाख रुपये आंकी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व गत सोमवार को ग्राम किटहा निवासी युवक को एक ही दिन में दो कीमती हीरे मिले थे। यह खबर अभी लोग भूले भी नहीं और आज बुधवार को फिर 14.09 कैरेट वजन वाला जेम क्वालिटी का हीरा मिल गया। हीरा अधिकारी रवि कुमार पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि हीरा धारक रामप्यारे विश्वकर्मा ने कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में पहुंचकर आज दोपहर में विधिवत हीरे को जमा कर दिया है। आगामी मार्च के महीने में होने वाली हीरों की नीलामी में इस हीरे को भी बिक्री के लिए रखा जाएगा। हीरा जितनी राशि में भी बिकेगा उसकी रॉयल्टी काटने के बाद शेष राशि हीरा धारक को प्रदान की जाएगी। कलेक्टर पन्ना संजय कुमार मिश्रा ने उथली हीरा खदान में 14.09 कैरेट वजन का हीरा मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की है तथा हीरा धारक रामप्यारे विश्वकर्मा को फूल माला पहना कर उसका स्वागत किया है। श्री मिश्रा ने कहा कि उथली हीरा खदान चलाने वाले लोगों को हर संभव मदद व सहूलियत प्रशासन की ओर से प्रदान की जाएगी।
नीलामी में रखा जायेगा यह नायाब हीरा
जिला मुख्यालय पन्ना स्थित हीरा कार्यालय के हीरा पारखी अनुपम सिंह के अनुसार रामप्यारे विश्वकर्मा को मिला हीरा वजन और क्वालिटी के लिहाज से बहुमूल्य हीरा है, जिसे सरकारी खजाने में जमा कर लिया गया है। हीरा पारखी ने बताया कि प्रक्रिया पूर्ण होने के पश्चात आगामी मार्च माह में आयोजित होने वाली हीरों की शासकीय नीलामी में इस हीरे को भी बिक्री के लिये रखा जायेगा। बहुमूल्य हीरा मिलने की खबर फैलने के बाद से रामप्यारे विश्वकर्मा के घर पर उत्सव जैसा माहौल है। उनके घर पर परिचितों और रिश्तेदारों का आना-जाना लगा है।
बहुत कम बची है हीरा धारित राजस्व भूमि
गौरतलब है कि वन संरक्षण अधिनियम लागू होने के बाद से अधिकांश हीरा धारित क्षेत्र वन सीमा के भीतर आ जाने के कारण वहां पर वैधानिक रूप से हीरों का उत्खनन बन्द हो गया है। शासकीय राजस्व भूमि बहुत ही कम है जहां हीरों की उपलब्धता है। ऐसी स्थिति में निजी पट्टे की भूमि व वन क्षेत्र में ही अधिकांश खदानें संचालित हो रही हैं जिनमें ज्यादातर अवैध हैं। हीरा की उपलब्धता वाले प्रमुख क्षेत्रों में सकरिया, नरेन्द्रपुर, जनकपुर, खिन्नीघाट, पटी, राधापुर, महुआ टोला, पुखरी, हर्रा चौकी, इमला डाबर, रानीपुर, गोंदी करमटिया, विजयपुर, बाबूपुर, हजारा, मडफ़ा, मरका, रमखिरिया, सेहा सालिकपुर, सिरसा, द्वारी, थाड़ी पाथर, पतालिया, चांदा, जमुनहाई, डाबरी व गऊघाट आदि हैं। इन इलाकों में सदियों से हीरों का उत्खनन हो रहा है। वन क्षेत्र में अवैध रूप से चलने वाली खदानों में हीरा मिलने पर या तो उसे चोरी छिपे बेच दिया जाता है या फिर तुआदार राजस्व भूमि में वैध पट्टा बनवाकर उस हीरे को वैध खदान में मिला बताकर जमा कर दिया जाता है। ऐसा करने से हीरा धारक को पकड़े जाने के भय से जहाँ निजात मिल जाती है वहीँ शासकीय नीलामी में हीरा की बिक्री होने पर उसे नंबर एक का पैसा मिल जाता है जिसका वह मनचाहा उपयोग कर सकता है।
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