Saturday, February 13, 2021

अब पन्ना में घर - घर बनेगा आंवला उत्पाद

  • आंवला मुरब्बा, आचार, चटनी च्यवनप्राण बनाने का दिया गया प्रशिक्षण
  • महिलाओं को घर में रोजगार देने के साथ-साथ बनाया जायेगा स्वावलम्बी 

सहायक संचालक उद्यान कार्यालय में प्रशिक्षण के बाद आंवला च्यवनप्राश तैयार करती महिलायें। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले को सही अर्थों में आंवला जिला बनाने की दिशा में प्रयास शुरू हो गये हैं।  इसी संदर्भ में इन्दौर फल एवं सब्जी परिरक्षण केन्द्र के प्रशिक्षक ललित भटनागर ने आज इन्द्रपुरी कॉलोनी स्थित सहायक संचालक उद्यान कार्यालय में दो दिवसीय 13 एवं 14 फरवरी 2021 को च्यवनप्राश बनाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण दे रहे हैं। इस प्रशिक्षण में पन्ना जिले की सैकडों महिलाओं ने भाग लिया। श्री भटनागर ने बताया कि देश में सब्जियॉ एवं फलों की अधिकांश मात्रा नष्ट हो जाती है। फल एवं सब्जियों के समुचित उपयोग हेतु प्रसंस्करण ही एक मात्र विकल्प है, जिससे हमारी हानि को रोका जा सके। प्रायोगिक प्रशिक्षण में आज प्रशिक्षणार्थियों को इन्दौर से आये विषय विषेषज्ञों द्वारा आंवला निर्मित च्यवनप्राश का सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया गया। आंवला च्यवनप्राश में यहाँ जंगल में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली विभिन्न जडी - बूटियों का उपयोग किया गया, जो शरीर को अनेकों बीमारियों से सुरक्षित रखने के साथ पुष्ट और ताकतवर बनाती हैं। 

आँवले के इस च्यवनप्राश में प्रमुख रूप से छोटी पपील, बडी पपील, बंसलोचन, नागकेशर, नागरमौथा, अस्टमूल, दसमूल मुन्का आदि जडी बूटियों का उपयोग किया जाता है। सहायक संचालक उद्यान महेन्द्र मोहन भट्ट ने बताया कि प्रशिक्षण लेने वाली महिलाओं को घर में आंवला मुरब्बा, च्यवनप्राश, सुपाडी, कैन्डी, जैम, टमाटर सॉस, टमाटर केचअप आदि का ग्रह एवं कुटीर उद्योग खडा कर उन्हें रोजगार देने के साथ - साथ आर्थिक रूप से स्वावलम्बी भी बनाया जायेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन 14 फरवरी को कलेक्टर पन्ना द्वारा आंवला के बारे में किसान भाईयो को मार्गदर्शन दिया जायेगा।

 सहायक संचालक उद्यान श्री भट्ट ने बताया कि आंवले के उत्पाद जिले में तैयार करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे जिले में आंवला से बनने वाली सामग्री की इकाईया स्थापित कर लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। वर्तमान में जिले के किसानों द्वारा आंवले की विभिन्न प्रजातियों की खेती की जा रही है। आंवले की सामग्री का उत्पादन बडे पैमाने पर प्रारंभ किये जाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। श्री भट्ट ने बताया कि किसानों को अपने खेतों व खाली पड़ी जगह पर आंवला लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है ताकि प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं को आंवला उत्पाद के लिए पर्याप्त आंवला जिले में ही उपलब्ध हो सके। 

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