- कुल्हाड़ी और लाठियों से हुए हमले में 3 वन कर्मी घायल, एक की हालत गंभीर
- बेसुध होकर गिर जाने तक हमलावरों ने वनकर्मियों को बेरहमी के साथ मारा
हमले में बुरी तरह से घायल वनकर्मी जिला अस्पताल में इलाज कराते हुए। |
अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में वन विभाग के निहत्थे गश्ती दल पर सागौन तस्करों ने प्राणघातक हमला किया है, जिसमें तीन वनकर्मी घायल हुए हैं। घायलों को देर रात जिला चिकित्सालय पन्ना में भर्ती कराया गया है जिनमें एक की हालत गंभीर बताई जा रही है। मामला पन्ना जिले के उत्तर वन मंडल अंतर्गत विश्रामगंज रेंज के कौवा सेहा बीट का है। वनकर्मी शनिवार 13 फरवरी की शाम जंगल में जब गस्ती कर रहे थे, उसी समय लगभग एक दर्जन सागौन तस्करों ने कुल्हाड़ी और लाठियों से हमला कर दिया। हमलावरों ने वनकर्मियों को पकड़कर बेरहमी के साथ मारा, जान बचाकर वनकर्मी जब भागे तो हमलावर तस्करों ने उनको दौड़ा - दौड़ाकर तब तक मारा जब तक वे बेसुध होकर गिर नहीं गये।
वन परिक्षेत्राधिकारी विश्रामगंज अजय बाजपेयी ने जानकारी देते हुए बताया कि सुरक्षा समिति के सुरक्षाकर्मी गोविंद सिंह यादव ने किसी तरह छिपकर रात्रि लगभग 9 बजे घटना की सूचना दी, तब घायल वनकर्मियों को जंगल से ढूंढकर उन्हें रात्रि 11 बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। रेंजर श्री बाजपेयी ने बताया कि छत्रपाल सिंह वनरक्षक को कुल्हाड़ी और डंडों की घातक चोटें आई हैं। हमले में स्वामीदीन कुशवाहा स्थाई वनकर्मी एवं गोविंद सिंह यादव वन सुरक्षा समिति के सुरक्षाकर्मी भी घायल हुए हैं। सभी हमलावर खजरी गांव के बताये जा रहे हैं, जिनमें से तीन आरोपियों को पन्ना पुलिस ने रात्रि तक़रीबन 3 बजे गिरफ्तार किया है। अन्य आरोपियों की पुलिस द्वारा तलाश की जा रही है।
घटना के बाद से दहशत में हैं वनकर्मी
घायल वनकर्मियों का हाल जानने अस्पताल पहुंचे वन अधिकारी। |
घटना के संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार 13 फरवरी 2021 को शाम लगभग 5:30 बजे उत्तर वन मंडल के वन परिक्षेत्र विश्रामगंज का यह गश्ती दल कौवा सेहा के पास पटार चौकी क्षेत्र में गस्त कर रहा था। उसी समय इन्हें सागौन के पेड़ कटने की आहट मिली, तब गश्ती दल मौके पर पहुंचकर जब उन्हें रोकने की कोशिश की तो अचानक दर्जनभर कुल्हाड़ी और लाठियों से लैस सागौन तस्करों द्वारा जानलेवा हमला कर दिया गया। यह सब इतना अप्रत्याशित और अचानक हुआ कि वन कर्मी संभल भी नहीं पाये। हमलावरों ने उनको बुरी तरह से घेरकर मारा जिससे वनकर्मी लहूलुहान हो गये। किसी तरह जान बचाकर एक सुरक्षा श्रमिक ने भागकर इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों को दी, सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारियों ने वन कर्मियों के साथ मौके पर पहुंचकर घायलों को जिला अस्पताल पहुंचाया जहां उपचार जारी है। उत्तर वन मंडल के डीएफओ गौरव शर्मा, एसडीओ विश्रामगंज दिनेश गौर, परिक्षेत्र अधिकारी विश्रामगंज अजय वाजपेई, डिप्टी रेंजर काशी प्रसाद अहिरवार सहित वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी घायलों का हाल जानने जिला अस्पताल पहुंच गये। घटना के बाद से घायल वनकर्मी बुरी तरह से डरे और सहमे हुए हैं।
घायल वनरक्षक को ढूंढने में लगे दो घंटे
हमले में बुरी तरह से लहूलुहान हो चुके वनरक्षक छत्रपाल सिंह लोधी को ढूंढने में वन कर्मचारियों को तकरीबन डेढ़ से दो घंटे लग गये। वनरक्षक के पैर में गंभीर चोटें होने के कारण वह चलने में असमर्थ था। उसके जेहन में हमलावरों का खौफ इस कदर बैठा हुआ था कि वह सांस रोके जंगल में छुपा पड़ा रहा। हमले की यह घटना शाम की है और इसकी जानकारी वन अधिकारियों को रात लगभग 9:00 बजे लगी। पूरे 2 घंटे तक तलाशी अभियान के बाद वनरक्षक तब मिला जब उसे भरोसा हो गया कि यह लोग हमलावर नहीं बल्कि वन विभाग के ही कर्मचारी हैं। इस तरह से घायल बन रक्षक को रात्रि 11:00 बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया जा सका।
इस वनक्षेत्र में होती है सर्वाधिक अवैध कटाई
उत्तर वन मंडल पन्ना का वन परिक्षेत्र विश्रामगंज अवैध कटाई व उत्खनन को लेकर हमेशा चर्चा में रहता है। कौआ सेहा बीट में तो सागौन तस्करों की ही हुकूमत चलती है। यही वजह है कि इस पूरे क्षेत्र के जंगल में सागौन के पुराने एक भी पेड़ नहीं बचे। सागौन तस्कर अब सागौन की कटाई के लिए झिन्ना तक दविश दे रहे हैं जिन पर अंकुश लगा पाने में वन महकमा नाकाम साबित हो रहा है। लाठी डंडा लेकर जंगल की सुरक्षा करने वाले वनकर्मी यदि अवैध कटाई रोकने का प्रयास करते भी हैं तो उनका यह हश्र होता है। इन परिस्थितियों में जंगल की सुरक्षा कैसे हो यह सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है। शासन स्तर से यदि प्रभावी और कठोर कदम नहीं उठाये जाते तथा सागौन तस्करों व अवैध उत्खनन में लिप्त लोगों की पहचान कर उनके विरूद्ध कड़ी कार्यवाही नहीं होती तो जंगलों का बच पाना बहुत मुश्किल है।
वनकर्मी धरने पर थे और उसी दिन हो गया हमला
वनकर्मियों पर हमले की घटनाएं सिर्फ पन्ना जिले में ही नहीं अपितु पूरे प्रदेश में हो रही हैं। हमले का यह सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा। मालुम हो कि गत 13 फरवरी 2021 को सुबह 10 बजे से वन कर्मियों द्वारा सुरक्षा की मांग को लेकर एवं लगातार वन कर्मियों पर हो रहे हमले एवं हत्याओं के विरोध में उपवास धरना देकर ज्ञापन सौंपा गया था। उपवास धरना लगभग 5:00 बजे समाप्त हुआ और 5:30 बजे वन विभाग के गश्ती दल पर हमला हो गया। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि निहत्थे वन विभाग के गश्ती दल पर जब लगातार हमले हो रहे हैं तो ऐसी विकट परिस्थितियों में वे जंगलों की सुरक्षा भला कैसे करें ? सुनसान जंगलों में गश्त करने वाले दल को बंदूक तो दूर लाठी भी नसीब नहीं हो रही है। वहीं सागौन तस्कर, खनन माफिया और वन्य प्राणियों के शिकारी हथियारों से लैस होकर वन कर्मियों पर हमला कर रहे हैं। इस चुनौतीपूर्ण समस्या के स्थाई समाधान हेतु शासन को अतिशीघ्र कारगर कदम उठाने होंगे ताकि जंगल सुरक्षित बच सकें।
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