- विलक्षण है यहाँ स्थापित शिव के चार मुंख वाली प्रतिमा
- इस प्रतिमा के हर मुंख से प्रकट होते है अलग-अलग भाव
चौमुखनाथ मंदिर में प्रतिष्ठित चार मुख वाली विलक्षण शिव प्रतिमा। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में धार्मिक, ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के स्थलों की भरमार है। लेकिन उनकी समुचित देखरेख, विकास और प्रचार - प्रसार न होने के कारण उन्हें वह हक़ नहीं मिल सका, जिसके कि वे हक़दार हैं। आज चूँकि शिवरात्रि का पर्व है इसलिए हम जिले के दो अति प्राचीन और अनूठे मंदिरों का जिक्र करेंगे जिनका महत्व खजुराहो के मंदिरों से कम नहीं है। बल्कि प्राचीनता की द्रष्टि से पन्ना जिले के ये मंदिर खजुराहो के मंदिरों से भी अधिक प्राचीन हैं।
पहले बात करते हैं जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 50 किमी. दूर सलेहा के निकट स्थित चौमुखनाथ मंदिर की, जो छठी शताब्दी का बताया जाता है। इस अनूठे मंदिर में स्थापित शिव प्रतिमा रहस्यों से परिपूर्ण और विलक्षण है। एक ही पत्थर पर निर्मित इस अदभुत प्रतिमा के चार चेहरे हैं। बायां चेहरा विषग्रहण को चित्रित करता है जबकि दायां चेहरा शांत भाव को प्रदर्शित करता है। सामने वाले चेहरे पर दूल्हे की छवि दिखती है और चौथे चेहरे पर अर्धनारीश्वर की छवि प्रकट होती है। यह शिवलिंग आज से कोई 1500 वर्ष से ज़्यादा पुराना है। अद्भुत, अकल्पनीय वास्तुकला और संस्कृति का अप्रतिम उदाहरण है यह मंदिर तथा इसके गर्भगृह में प्रतिष्ठित शिव प्रतिमा। एक ही मूर्ति में दूल्हा, अर्धनारीश्वर और विष पान करते व समाधि में लीन शिव के दर्शन होते हैं।
वैसे तो अपनी-अपनी जगह सभी शिव मंदिरों का महत्व है लेकिन सलेहा क्षेत्र के नचने का चौमुख नाथ महादेव मंदिर कई द्रष्टि से अनूठा है, जिसका अनुभव यहाँ पहुंचकर ही किया जा सकता है। यहां हर समय स्थानीय श्रद्धालु आते हैं, लेकिन शिवरात्रि पर्व व सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। इसी मंदिर परिसर में पार्वती मंदिर है जो दुनिया के सबसे प्राचीनतम मंदिरों में से है। यह मंदिर गुप्त कालीन पांचवीं सदी का माना जाता है। कहा जाता है कि जब इंसान मंदिरों के निर्माण की कला सीख रहा था तब इस मंदिर का निर्माण कराया गया। यह केंद्र संरक्षित स्मारक है।
गुडने नदी के किनारे स्थित पन्ना जिले का प्राचीन सिद्धनाथ मन्दिर। |
चौमुखनाथ महादेव मंदिर के आलावा इसी क्षेत्र में अति प्राचीन सिद्धनाथ मन्दिर है। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 60 किमी. दूर स्थित यह अनूठा स्थल अगस्त मुनि आश्रम के नाम से विख्यात है। इस पूरे परिक्षेत्र में प्राचीन मन्दिरों व दुर्लभ प्रतिमाओं के अवशेष जहां - तहां बिखरे पड़े हैं, जिन्हें संरक्षित करने के लिए आज तक कोई पहल नहीं हुई। पन्ना जिले के सिद्धनाथ मन्दिर की शिल्प कला देखने योग्य है, ऊंची पहाडिय़ों से घिरे गुडने नदी के किनारे स्थित इस स्थान पर कभी मन्दिरों की पूरी श्रंखला रही होगी। मन्दिरों के दूर - दूर तक बिखरे पड़े अवशेष तथा बेजोड़ नक्कासी से अलंकृत शिलायें, यहां हर तरफ दिखाई देती हैं। जिससे प्रतीत होता है कि यहां कभी विशाल मन्दिर रहे होंगे।
मौजूदा समय उस काल का यहां पर सिर्फ एक मन्दिर मौजूद है जिसे सिद्धनाथ मन्दिर के नाम से जाना जाता है। पुराविदों का कहना है कि सलेहा के आसपास लगभग 15 किमी. के दायरे वाला क्षेत्र पुरातात्विक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जानकारों का कहना है कि सिद्धनाथ मन्दिर नचने के चौमुखनाथ मन्दिर के समय का है। चौमुखनाथ मन्दिर छठवीें शताब्दी का है जो खजुराहो के मन्दिरों से तीन सौ वर्ष अधिक प्राचीन है। मन्दिर के पुजारी का कहना है कि इस परिसर के चारो ओर 108 कुटी मन्दिर बने हुए थे, जहां ऋषि - मुनि निवासकर साधना में रत रहते थे।
समुचित देखरेख न होने के कारण अधिकांश कुटी मन्दिर ढेर हो चुके हैं। आश्चर्य की बात यह है कि पुरातात्विक व धार्मिक महत्व के इस स्थल तक पहुंचना आज भी आसान नहीं है। इस प्राचीन स्थल मेें भगवान श्रीराम के वनवासी रूप की दुर्लभ पाषाण प्रतिमा मिली है. पुराविदों का यह दावा है कि देश में अब तक प्राप्त भगवान राम की पाषाण प्रतिमाओं में यह सबसे प्राचीन है।
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bahut sundar likh rahe hai ap aur ap ki mehnat ak din rang layegi
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