- बेधक कुंड के बियाबान जंगल में प्रकृति का अद्भुत नजारा
- पेट की बीमारी व चर्म रोग के लिए यह पानी रामबाण औषधि
बेधक कुण्ड का वह स्थल जहाँ वृक्ष की जड़ों से टपकता है रहस्यमय पानी। फोटो - अरुण सिंह |
पन्ना। रहस्य और रोमांच से लबरेज पन्ना जिले के जंगलों में प्रकृति के ऐसे-ऐसे अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं जो लोगों को विस्मय विमुग्ध कर देते हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 40 किलोमीटर दूर सालिकपुर सेहा के बियाबान जंगल में एक ऐसा स्थान है, जहां पेड़ की जड़ों से टपकने वाला पानी हर चीज को कठोर पत्थर में तब्दील कर देता है। इस रहस्यमय पानी के संपर्क में आने वाले वृक्ष, जड़ें व सूखी लकडय़िां कुछ समय के अंतराल में पत्थर बन जाती हैं। ऐसा क्यों होता है, सैकड़ों वर्षो से यह रहस्य बना हुआ है।
गौरतलब है कि बृजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बरहों कुदकपुर के निकट घनघोर जंगल में यह अनूठा स्थान है, जिसे बेधक कुंड के नाम से जाना जाता है। रहस्यों से परिपूर्ण इस क्षेत्र में चारों तरफ ऊंचे पहाड़ व गहरे सेहे हैं, जहां दिन के उजाले में भी जाने से लोग खौफ खाते हैं। यहां पर गहरे कुण्डों की एक पूरी श्रृंखला है, जिनमें बृहस्पति कुंड, सूरजकुंड, पतालिया कुंड व हत्यारा कुंड सहित सात ऐसे कुंड हैं जिनके बारे में अंचल के लोग जानते हैं। इन सभी कुंडों के पीछे कोई न कोई गाथा जुड़ी हुई है। इन्हीं में से एक बेधक कुंड है, जहां कठपीपल की पहाड़ से झूलती विशालकाय जड़ों से हमेशा पानी टपकता रहता है।
भीषण गर्मी के दिनों में भी इस स्थान पर गजब की शीतलता का अनुभव होता है। पहाड़ की चट्टानों पर चारों तरफ मधुमक्खियों के बड़े-बड़े छत्ते नजर आते हैं। कुंड के आसपास सुरंग नुमा कई गुफाएं भी हैं, जहां भालुओं सहित कई तरह के वन्य जीव निवास करते हैं। तराई अंचल का यह क्षेत्र साधु-सन्यासियों व तपस्वियों के अलावा डकैतों को भी अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। बेधक कुंड भी डकैतों की पसंदीदा शरण स्थली रही है। घनघोर जंगल व गहरे सेहे में स्थित बेधक कुंड तक पहुंचना आसान नहीं है। दुर्गम व खतरनाक जंगली रास्तों से होते हुए जो कोई भी इस मनोरम स्थल पर पहुंचता है, वह प्रकृति की अद्भुत कारीगरी को देख मंत्रमुग्ध हो जाता है।
आज तक नहीं सुलझ पाई रहस्य की गुत्थी
इस तरह नजर आती हैं पत्थर बन चुकीं वृक्षों की जड़ें। (फोटो - अरुण सिंह) |
हैरत की बात तो यह है कि पूरे इलाके में कहीं भी पानी की एक बूंद नजर नहीं आती। पहाड़ रूखा सूखा नजर आता है, फिर भी इस स्थान पर वृक्ष की जड़ों से रहस्यमय पानी की बूंदे अनवरत रूप से टपकती रहती हैं। यह पानी कहां से और कैसे जड़ों में पहुंचता है तमाम खोजबीन के बाद भी इसकी गुत्थी आज तक कोई नहीं सुलझा पाया है। यहां जड़ों से टपकने वाला पानी हर किसी के लिए अचरज का विषय बना हुआ है। ग्रामीणों का कहना है कि इस स्थान के बारे में उन्होंने अपने पुरखों से भी यही सुना था कि यहां पानी टपकता है। यह पानी जिस किसी चीज के भी संपर्क में आता है वह पत्थर बन जाता है। यह चमत्कार यहां पर आज भी उसी तरह घटित होता है। पानी के गुण धर्म में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं आया।
आश्चर्य चकित कर देने वाली बात यह है कि कठपीपल के जिस वृक्ष की जड़ से यह रहस्यमय पानी नीचे टपकता है, उस वृक्ष की जड़ें पत्थर की तरह कठोर हो चुकी हैं। पहाड़ से लटकने वाली लताएं व वृक्षों की जड़ें भी इस पानी के सतत संपर्क में रहने के कारण पत्थर की शक्ल अख्तियार करके अनूठी कलाकृतियों में तब्दील हो गई हैं। प्रकृति का यह सृजन अचंभित कर देने वाला है।
अंचल के ग्रामीण तथा ग्राम बरहों कुदक पुर के आदिवासी बताते हैं कि बेधक कुंड में जड़ों से टपकने वाले पानी में औषधीय गुण भी मौजूद हैं। बताया जाता है कि इस पानी का सेवन करने से पेट से संबंधित बीमारियां दूर हो जाती हैं। चर्म रोग के लिए तो बेधक कुंड के पानी को रामबाण औषधि कहा जाता है। अंचल के ग्रामीण औषधि के रूप में यहां के चमत्कारिक जल का उपयोग करते हैं और उन्हें फायदा भी होता है। ग्राम बरहों कुदकपुर के निवासी व अन्य कई लोगों ने पानी के औषधीय गुणों के बारे में पुष्टि की है। बेधक कुंड के बारे में यह भी कहा जाता है कि वर्ष में एक दो बार यहां जड़ों से पारस की बूंदे भी टपकती हैं। पारस की खूबी यह होती है कि लोहे से इसका संपर्क होने पर लोहा सोना बन जाता है।
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