Saturday, April 3, 2021

केन-बेतवा लिंक परियोजना के विरोध में उतरीं राजमाता

  •   पन्ना टाइगर रिज़र्व व केन नदी को बचाने युवाओं ने संभाली कमान 
  •   मुख्यमंत्री जी के पन्ना प्रवास के समय भी युवकों ने किया था विरोध 
  •   खजुराहो सांसद श्री शर्मा के पन्ना पहुँचने पर सौंपा गया ज्ञापन 

राजमाता दिलहर कुमारी राजमंदिर पैलेश के सामने विरोध प्रकट करते हुए। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। केन नदी के नैसर्गिक प्रवाह को रोककर पर्यटन पर आधारित एक मात्र आजीविका की धरोहर पन्ना टाईगर रिजर्व के बड़े हिस्से को डुबाने वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना के विरोध का सिलसिला अब थमने का नाम नहीं ले रहा। पन्ना राजघराने की सबसे बुजुर्ग सदस्य राजमाता दिलहर कुमारी सहित भाजपा की कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले ने भी इस विवादित परियोजना का पुरजोर विरोध किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान होली के समय परिवार के साथ जब एकांतवास में पन्ना आए थे, उस समय यहां के युवकों ने कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अनूठे अंदाज में केन-बेतवा परियोजना का विरोध किया था। शनिवार को आज जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व खजुराहो सांसद बीडी शर्मा पन्ना पहुंचे, उस समय कांग्रेस के नेताओं ने इस परियोजना को पन्ना के लिए घातक बताते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपा। इस तरह से पन्ना में विरोध का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है।


सरकिट हाउस में जिले के कांग्रेस नेता सांसद व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष श्री शर्मा को ज्ञापन सौंपते हुए। 

 उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए पन्ना जिले के नागरिक केन-बेतवा लिंक परियोजना के विरोध में अपनी आवाज बुलंद करने के लिए नये-नये तरीके ईजाद कर रहे हैं। वाहनों में नारे लिखवाकर लोगों को जागरूक करने का भी प्रयास किया जा रहा है। ताकि केन नदी को बचाने के इस अभियान में अधिक से अधिक लोग जुड़ सकें। पन्ना वासियों का कहना है कि केन नदी पर पहला हक उनका है, हमें हमारे हक से वंचित नहीं किया जा सकता। मालुम हो कि पन्ना जिले में पेयजल की आपूर्ति बोर, कुंओं व तालाबों के जरिये होती है। इन जल श्रोतों में अत्यधिक कैल्शियम होने के कारण पन्ना की 90 फीसदी जनता उदर रोगों से पीडि़त है। यदि केन नदी का पानी जो पूरी तरह प्रदूषण से मुक्त है तथा जिस पर पन्नावासियों का पहला हक है, वह पेयजल के लिये उपलब्ध हो जाये तो पन्नावासियों को उदर रोगों से निजात मिल सकती है।

पन्ना जिले को नहीं मिलेगा कोई लाभ



इस परियोजना की हकीकत से जनमानस को अवगत कराने की मुहिम में सक्रिय अंकित शर्मा बताते हैं कि केन-बेतवा लिंक परियोजना से पन्ना जिले के किसी भी भू-भाग को कोई लाभ नहीं मिलेगा। जबकि 427 किमी लम्बी केन नदी का अधिकांश भाग जो केन को विशाल बनाता है, जल आपूर्ति वाला यह क्षेत्र पन्ना जिले में ही स्थित है। केन नदी से प्रति वर्ष अरबों रू. की रेत निकलती है, जो इस परियोजना के मूर्तरूप लेने पर खत्म हो जायेगी, जिससे पन्ना जिले को भारी भरकम राजस्व की हानि होगी। चूंकि पन्ना टाईगर रिजर्व के स्थापित होने में पन्नावासियों ने अत्यधिक बलिदान दिया है, और अब जब पन्ना टाईगर रिजर्व बाघों से आबाद हुआ व यहां पर्यटन के विकास की संभावनायें बढ़ीं तो टाईगर रिजर्व को ही उजाडऩे की साजिश रच दी गई जो इस जिले के साथ घोर अन्याय है।

बफर क्षेत्र में होगा पार्क का विस्तार

प्रस्तावित ढोढऩ बाँध चूंकि पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर एरिया में आता है जो बाघों का प्रिय विचरण व रहवास स्थल है। इसी जगह पर अति दुर्लभ लम्बी चोंच वाले गिद्ध भी रहते हैं। पार्क का यह अति महत्वपूर्ण हिस्सा डूब में आ जायेगा। बाँध निर्माण के बाद पार्क का बफर एरिया निश्चित ही कोर एरिया में परिवर्तित होगा जिसके परिणाम स्वरूप पन्नावासियों को फिर विस्थापन का दंश झेलना पड़ेगा। पन्ना टाईगर रिजर्व के कड़े नियमों व बफर क्षेत्र के कारण पन्ना जिले के लोगों को मौजूदा समय अनेकों मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं, यदि बाँध का निर्माण हुआ और कोर क्षेत्र को विस्तारित किया गया तो पन्नावासियों की मुसीबतें और बढ़ जायेंगी तथा रोजी-रोजगार के साधन भी खत्म हो जायेंगे।

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