Thursday, April 29, 2021

जंगल से लगे ग्रामों में कोरोना की लहर का क्यों नहीं है असर ?

  •  बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना जिले में दर्जनों गांव ऐसे, जहां अब तक नहीं मिले कोरोना के एक भी मरीज 
  •  जिले के शहरी इलाकों में कोरोना का कहर जारी, अब तक मिल चुके हैं कोरोना के 4326 पुष्ट मरीज 

जरुआपुर गांव की महिलाएं रास्ता रोककर पहरेदारी करती हुई। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना जिले में जंगल से लगे ऐसे दर्जनों गांव हैं, जहां कोरोना से संक्रमित अब तक एक भी मरीज नहीं मिला। इन ग्रामों में कोरोना की लहर का कोई असर आखिर क्यों नहीं है। जबकि जिला मुख्यालय पन्ना सहित जिले के कस्बाई इलाकों में कोरोना का कहर जारी है। लोग भय और दहशत के माहौल में जीने को मजबूर हैं।

 मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी पन्ना ने गुरुवार 28 अप्रैल को जारी हेल्थ बुलेटिन में बताया कि पन्ना जिले में अब तक कोविड-19 के कुल 4326 पुष्ट मरीज पाए जा चुके हैं, जिनमें 3432 मरीज स्वस्थ हुए हैं। मौजूदा समय जिले में कोरोना के एक्टिव पुष्ट केस 875 हैं, जिनमें अकेले पन्ना शहर में 587 कोरोना संक्रमित मरीज हैं जिनका इलाज चल रहा है। पन्ना जिले में अब तक कोरोना संक्रमित 19 मरीजों की मौत हो चुकी है।  

 इसके ठीक विपरीत जिले के दूरस्थ वन क्षेत्रों के ग्रामों में कोरोना की दस्तक सुनाई नहीं दे रही। आदिवासी बहुल कल्दा पठार के ग्रामों सहित जिले के पन्ना, पवई, अजयगढ़ व शाहनगर जनपद क्षेत्र के ऐसे अनेकों गांव हैं, जहां कोरोना की लहर का कोई कहर नहीं है। इन ग्रामों के आदिवासी प्रकृति के बीच अपनी स्वाभाविक जिंदगी जी रहे हैं। उनके जेहन में कोरोना का जरा भी ख़ौफ़ नहीं है। आदिवासी कहते हैं कि यह शहर की बीमारी है, इसलिए हमें कोई डर नहीं है। हमारी जिंदगी घर से जंगल और जंगल से घर तक ही सीमित है, इसलिए यह बीमारी हम तक नहीं पहुंची।

पन्ना के इन ग्रामों में नहीं पहुंचा कोरोना 


अजयगढ़ जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायत धर्मपुर का कुडरा गांव जो कोरोना से मुक्त है। 

 कोरोना संक्रमण के इस भयावह दौर में जब ऑक्सीजन की कमी व चिकित्सा सुविधा के अभाव में प्रतिदिन हजारों लोगों की सांसें थम रही हैं, ऐसे समय पर पन्ना जिले के ये गांव इस संकट से मुक्त हैं। जंगल के आसपास बसे इन ग्रामों के लोगों ने ऑक्सीजन सिलेंडर का नाम तक नहीं सुना। वे प्रकृति प्रदत्त निशुल्क ऑक्सीजन ले रहे हैं, जिससे उनमें नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता है।

 जिला पंचायत पन्ना के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी अशोक चतुर्वेदी ने बताया कि पन्ना जिले के पवई जनपद अंतर्गत घुटेही, जुड़ा मडियान, जनपूरा, बिरवाही, सोनाई, खिलसारी, कोठी, अधराड़ी,मोहली धर्मपुर, कल्दा, महुआ डोल व गुरुजी गांव में अब तक एक भी कोरोना संक्रमित मरीज नहीं मिले। इसी तरह पन्ना जनपद के गहदरा, कूड़न,बडौर, कैमासन व मडैयन गांव कोरोना से मुक्त हैं।

 जंगल के आसपास बसे ग्राम जो अब तक कोरोना संक्रमण से पूरी तरह मुक्त हैं, उनकी जानकारी देते हुए श्री चतुर्वेदी ने बताया कि सिन्हाई, धवारी, झिन्ना, मोहारी, कुडई, सिमरा कला, भसूंडा, बिलाड़ी, आरामगंज तथा ग्राम पंचायत धर्मपुर का कुडरा गांव कोरोना संक्रमण से दूर है। इसी तरह शाहनगर जनपद क्षेत्र के ग्राम महगंवा बरजे, भोपार,  वैजाई, छतोल, मोहारी, वसोरा, मैनहा, पिपरिया, रामपुर, धौखान,  टीकुलपोड़ी, बरहा टोला, भमका, फतेहपुर, लाखन चौरी, मिलौनी, छलोनी, घुटेही, मक्के पाला, बिलपुरा, सरई खेड़ा, सोनमऊ कला तथा चुनगुना ग्राम में कोरोना अब तक दस्तक नहीं दे सका है।

जरुआपुर गांव में महिलाओं ने संभाला मोर्चा 


पन्ना जनपद की ग्राम पंचायत मनौर का जरुआपुर गांव। 

पन्ना शहर के निकटवर्ती आदिवासी बहुल गांव जरुआपुर कुछ दिन पूर्व तक कोरोना से मुक्त था। लेकिन हाल ही में पंचायत के रोजगार सहायक अमित शुक्ल के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर मिलते ही गांव के लोग सजग हो गए हैं। ग्रामीणों ने गांव में प्रवेश करने वाले मार्ग को बंद कर वहां सख्त पहरा बैठा दिया है। अब कोई भी बाहरी व्यक्ति इस गांव में प्रवेश नहीं कर सकता, क्योंकि पहरेदारी गांव की महिलाएं कर रही हैं। जरुआपुर गांव की रामकली गौड़ जो हाथ में डंडा लिए हुए थी, उसने डंडा लहराते हुए कहा कि "हमाये गांव में अब कोई बिडेगा तो एक बार रोकेंगे, फिर भी नहीं माना तो झोर के धर देंगे"। भागवती गौड़ ने कहा कि "हम शहरियों की तरह लालची नहीं हैं, जंगल से हमारा गुजारा हो जाता है, हमारा शहर से कोई नाता नहीं है"। गांव के आदिवासी सुबह जंगल चले जाते हैं और पूरे दिन महुआ, अचार और तेंदू फल का संग्रह करते हैं। इस गांव के लोग भी कोरोना से मुक्त हैं, ग्राम सहायक चूंकि पन्ना में रहता है इसलिए वह संक्रमित हुआ है।

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