Monday, May 17, 2021

अनाथ हो चुके बाघ शावकों का अब क्या होगा भविष्य?

  •   पिछले दो दिनों से शावकों की जंगल में हो रही सघन सर्चिंग
  •   तलाश में जुटे हैं एक सैकड़ा से ज्यादा वनकर्मी व प्रशिक्षित हाथी 

अपने चार नन्हे शावकों के साथ बाघिन।  (सांकेतिक फाइल फोटो) 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की युवा बाघिन पी-213(32) की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई असमय मौत के बाद अब उसके चार नन्हे शावकों के भविष्य की चिंता वन्यजीव प्रेमियों को सताने लगी है। गत 15 मई को इस बाघिन का शव वन परिक्षेत्र गहरीघाट की कोनी बीट से गुजरने वाले कोनी नाले में मिला था। लेकिन इस बाघिन के चारो नन्हें शावक जो 6 से 8 माह के हैं, वे कहां और कैसे हैं इसका सुराग नहीं लग पाया। पिछले दो दिनों से एक सैकड़ा से भी अधिक वनकर्मी व प्रशिक्षित हाथियों का दल इलाके के जंगल का चप्पा चप्पा छान रहा है, फिर भी शावक 17 मई की दोपहर तक कहीं नजर नहीं आये। 

उल्लेखनीय है कि कोनी बीट के इस इलाके का जंगल अत्यधिक जटिल और दुरूह है। मैदानी क्षेत्र जैसी स्थितियां यहां नहीं हैं, जहां सुगमता से पहुंचा जा सके। यहां के जंगल में गहरे सेहा व जटिल पहाड़ी संरचनाएं हैं, जहां प्रशिक्षित हाथी भी नहीं पहुंच सकते। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि चारों शावक किसी सेहा व पहाड़ी की ओट में छुपे होंगे। यही वजह है कि सघन सर्चिंग के बावजूद अभी तक उनका सुराग नहीं मिल सका। जानकारों का यह भी कहना है कि बाघों के बच्चों में अत्यधिक अनुशासन होता है। बाघिन इन शावकों को जिस जगह पर छुपाकर गई होगी, शावक वहां तब तक बने रहेंगे जब तक उनकी मां नहीं आ जाती। बाघिन अपने शावकों को इस तरह का प्रशिक्षण शुरू से देती है, कई दिनों तक बच्चों से नहीं मिलती। आमतौर पर बाघ शावकों को प्रतिदिन दूध पिलाने के बजाय 3 से 5 दिन के अंतर में दूध पिलाती है। जाहिर है कि बाघ शावकों में बिना खाए पिए मां की गैरमौजूदगी में रहने की नैसर्गिक क्षमता होती है।


जंगल में सर्चिंग करता प्रशिक्षित हांथियों का दल।  ( फाइल फोटो ) 

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि बाघिन की मौत के बाद अब हमारी प्राथमिकता चारो शावक हैं, जिनकी तलाश के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। शावकों की कॉलिंग सुनने की कोशिश के अलावा जल श्रोतों पर भी चौकस नजर रखी जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्दी ही शावकों को खोजने में सफलता मिलेगी। जब उनसे पूछा गया कि शावकों के मिलने पर उनको प्राकृतिक रूप से बचाने के लिए क्या योजना है? इस सवाल के जवाब में श्री शर्मा ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता व चिंता उन्हें ढूंढ निकालने की है। इसके बाद दूसरा कदम रेस्क्यू करने व इसके बाद उनको कहां व कैसे रखना है इस पर निर्णय होगा। वन महकमे के उच्च अधिकारियों सहित एनटीसीए से भी मामले पर सतत मार्गदर्शन लिया जा रहा है।

बाघिन की मौत से उदास है उसका जीवनसाथी

 बाघिन पी-213(32) की असमय मौत से जहां उसके चार नन्हें शावक अनाथ हो गए हैं, वहीं इस बाघिन का जीवन साथी नर बाघ पी-243 भी अत्यधिक उदास और तनाव में है। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि नर बाघ पी-243 इलाके में असहज देखा गया है। निश्चित ही बाघिन की मौत से वह आहत हुआ है। मां की मौत होने पर क्या नर बाघ पिता की भूमिका निभाते हुए अनाथ शावकों की परवरिश कर सकता है? इस सवाल के जवाब में क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने कहा कि इसकी संभावना बहुत ही कम है। एक दो बार वह अपना किल शावकों के साथ शेयर कर सकता है, लेकिन दूसरी कोई बाघिन मिलने पर वह उसके साथ जोड़ा बनाकर चलता बनेगा। जबकि अभी कम से कम एक वर्ष होने तक शावकों को परवरिश की जरूरत पड़ेगी।

 बाघिन की मौत का रहस्य बरकरार 


कोनी नाले में इस अवस्था में मिला था बाघिन का शव। 

बाघिन पी-213 (32) की मौत कैसे हुई, इस रहस्य पर अभी भी पर्दा पड़ा हुआ है। पोस्टमार्टम में भी ऐसे कोई चिन्ह व प्रमाण नहीं मिले, जिससे मौत की वजह का अनुमान लगाया जा सके। बाघिन के सभी अंगों के सैंपल जांच हेतु लिए गए हैं, जिन्हें आज सोमवार को रवाना किया जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने पर ही मौत के कारणों की असल वजह का खुलासा हो पाएगा। मालुम हो कि कोनी नाले में जिस जगह पर बाघिन का शव मिला है, वहां ग्रामीणों की भी आवाजाही रहती है। कोनी सेहा के बारे में कहा जाता है कि यहां ग्रामीण और बाघ एक ही जगह का पानी पीते हैं। कोनी गांव यहां से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसी स्थिति में असमय काल कवलित हुई बाघिन में वायरल अटैक की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन इस रहस्य से पर्दा उठने के लिए हर किसी को जांच रिपोर्ट आने का बेसब्री से इंतजार है।

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