Tuesday, May 18, 2021

सक्षम रेन्जर को सौंपी गई गहरीघाट वन परिक्षेत्र की कमान

  •  निगरानी व्यवस्था को बेहतर बनाने पार्क प्रबंधन ने किया बदलाव 
  •  मृत बाघिन के चारों लापता शावक जंगल में अठखेलियां करते दिखे 

पन्ना टाइगर रिज़र्व के वनपरिक्षेत्र गहरीघाट का जंगल जहाँ शावक विचरण कर रहे। 

।। अरुण सिंह ।।

 पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघिन पी-213 (32) की असमय मौत के बाद गहरीघाट वन परिक्षेत्र की व्यवस्था को बेहतर बनाने तथा अनाथ बाघ शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पार्क प्रबंधन ने प्रशासनिक बदलाव किया है। गहरीघाट वन परिक्षेत्र की कमान अब सक्षम व सक्रिय वन अधिकारी अमर सिंह को सौंपी गई है। इस वन परिक्षेत्र में विगत कई वर्षों से बतौर रेन्ज ऑफिसर हबीचंद चौहान पदस्थ रहे हैं। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि इस आशय के आदेश सोमवार 17 मई को जारी कर दिए गए हैं। मालूम हो कि इस वन परिक्षेत्र में बाघिन पी-213(32) की संदिग्ध मौत हुई है। बीते कुछ सालों के दरमियान इस रेंज में विभिन्न कारणों से कई बाघों की मौत हो चुकी है। जिससे इस रेंज के प्रबंधन व निगरानी व्यवस्था को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए पार्क प्रबंधन ने यह जरूरी बदलाव किया है, ताकि व्यवस्था बेहतर हो सके। पिछले दो-तीन दिनों तक लापता रहे चारों शावक स्वस्थ और सुरक्षित हैं। उनकी तलाश में पिछले तीन दिनों से गहरीघाट वन परिक्षेत्र का चप्पा-चप्पा छानने में जुटे वन कर्मियों ने इन शावकों को अठखेलियां करते हुए देखा है। उनके सकुशल मिलने की खुशखबरी क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने दी है। अब इन नन्हे शावकों की वन अमले द्वारा सघन निगरानी की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि शनिवार 15 मई को तकरीबन 6 वर्ष की युवा बाघिन की हुई संदिग्ध मौत के बाद से उसके चारों शावक लापता हो गए थे। लगभग 6 से 8 माह के इन शावकों की तभी से वन अमले तथा प्रशिक्षित हाथियों के दल द्वारा तलाश की जा रही थी। शावकों के लापता होने से पार्क प्रबंधन जहां तनाव में था, वहीं वन्य जीव प्रेमी भी चिंतित थे। सघन तलाशी अभियान के दौरान सोमवार को सायं चारो शावक कोनी बीट के जंगल में चहलकदमी करते नजर आए हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के वन अमले ने इन शावकों को निकट से देखा है। यह खबर मिलते ही पार्क के अधिकारियों सहित वन्यजीव प्रेमियों ने राहत की सांस ली है।


नन्हे शावक को मुंह में दबाकर ले जाती बाघिन पी-213 (32) के जीवित अवस्था का द्रश्य।   ( फाइल फोटो )

 क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि चारों शावक स्वस्थ और सुरक्षित हैं। शावक जंगल में जिस तरह निश्चिंत होकर अठखेलियां करते नजर आए हैं, उससे यह प्रतीत होता है कि वह खुले जंगल की चुनौतियों और खतरों से मुकाबला करने का हुनर सीख रहे हैं। श्री शर्मा ने बताया कि शावक भूखे नहीं दिख रहे थे, जाहिर है कि उन्होंने कुछ न कुछ खाया होगा। आपने इस बात की संभावना जताई है कि हो न हो इन शावकों के पिता बाघ पी-243 ने इनका ध्यान रखा है। नर बाघ का शावकों के प्रति ऐसा बर्ताव शुभ संकेत है।

शावकों की हर गतिविधि पर रहेगी नजर 

लापता शावकों के सुरक्षित मिलने के बाद अब उनकी निगरानी चाक-चौबंद कर दी गई है। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि हम कुछ दिनों तक इन शावकों की गतिविधि और व्यवहार पर चौकस नजर रखेंगे। यदि सब कुछ सामान्य रहा और नर बाघ पी-243 का बर्ताव शावकों के प्रति सहानुभूति पूर्ण रहा तो उन्हें खुले जंगल में ही रखा जाएगा। यदि तीन-चार माह तक यह शावक खुले जंगल में चुनौतियों के बीच रहना सीख लिया, तो फिर वे इतना सक्षम हो जाएंगे कि खुद शिकार कर सकें। नर बाघ पी-243 का पुराना रिकॉर्ड भी अच्छा है, वह बच्चों को नुकसान नहीं पहुंचाता। इससे पार्क प्रबंधन आशान्वित है कि चारों शावक प्राकृतिक जीवन जीने में सक्षम हो पायेंगे।

 शावकों में दो मादा व दो नर 

सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार इन चार अनाथ शावकों में दो मादा व दो नर शावक हैं। पार्क प्रबंधन इन शावकों की सुरक्षा को लेकर इसलिए भी बेहद सजग व गंभीर है, क्योंकि मादा बाघ शावकों की सुरक्षा पन्ना टाइगर रिजर्व के बेहतर भविष्य के लिए बहुत जरूरी है। बाघिन पी-213(32) की असमय मौत से पार्क की जो अपूरणीय क्षति हुई है, उसकी भरपाई यह दोनों मादा शावक आने वाले वर्षों में बाघों की वंश वृद्धि में भूमिका निभाकर करेंगी।

 शावकों की निगरानी व सुरक्षा हेतु समय अनुकूल 

मौजूदा समय लॉकडाउन के चलते पर्यटकों के भ्रमण हेतु पार्क बंद है। पर्यटकों की आवाजाही न होने से पन्ना टाइगर रिजर्व के जंगल में मानवीय गतिविधियां थमी हुई हैं। जिससे वन्यजीव सहज और स्वाभाविक जिंदगी जी रहे हैं। चूंकि मानसून सीजन आने वाला है, फल स्वरुप आगजनी की घटनाओं का दबाव भी खत्म हो जाएगा। इन सब कार्यों में लगा रहने वाला वन अमला भी खाली रहेगा। जिनका उपयोग शावकों की चौबीसों घंटे निगरानी व उनकी सुरक्षा में की जा सकेगी। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा सहित पार्क के आला अधिकारी पिछले कुछ दिनों से जिस तरह फील्ड विजिट कर रहे हैं, उससे यह संकेत मिलता है कि शावकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं। 

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1 comment:

  1. पी 213 32 के बच्चों के लिए अनुकूल वातावरण है परंतु यह कहा जाना कि पर्यटकों का आना जाना नहीं है जिससे और सुविधा मिलेगी मैं इसमें अपनी बात शामिल करना चाहूंगा कि उपरोक्त क्षेत्र यहां यह बच्चे हैं पर्यटकों के आवागमन का क्षेत्र नहीं है इन बच्चों की सुरक्षा किया जाना नितांत आवश्यक है ऐसी स्थिति में ट्रैकिंग और महत्वपूर्ण हो जाती है 213 32 का इस तरह कॉल कल भी हो जाना बहुत सारे प्रश्नवाचक चिन्ह खड़ी करता है ऐसी माता जिसको कलर हो जिसके 4 बच्चे हो जिसमें लगातार ट्रैकिंग की टीम है बड़ी दुखद घटना है और यह एक बड़े जांच का विषय है साथ ही ट्रैकिंग टीम होने के बावजूद 2 दिन बच्चों का ना मिलना यह दर्शाता है कि उसकी मां के साथ की गई ट्रैकिंग दिया गया उपचार सुरक्षात्मक नहीं था यदि हमले का परिवर्तन किया जाना इस घटना लेकर किया जाना प्रतीत होता है तो यह कार्य बहुत पहले कर दिया जाना चाहिए मेरा मानना है पार्क प्रबंधन को ऐसा बहुत पहले कर दिया जाना चाहिए था तो होने वाली यह पी 213 32 की घटना शायद नहीं हो पाती

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