- नर बाघ टी-25 ने की थी दो अनाथ मादा शावकों की परवरिश
- दोनों बाघिन अब सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में कर रही हैं राज
अनाथ बाघ शावक जिनकी परवरिश बाघिन पी-213 (32) की मौत के बाद नर बाघ पी-243 कर रहा है। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। टाइगर स्टेट मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में चार अनाथ शावकों की परवरिश नर बाघ ( शावकों का जैविक पिता ) द्वारा किये जाने की खबर इन दिनों राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हुई है। किसी नर बाघ के ऐसे अविश्वसनीय व्यवहार की दुर्लभ वीडियो पार्क प्रबंधन ने गत दिवस जब जारी की तो वन्य जीव प्रेमियों ने प्रशन्नता का इजहार करते हुए इसका खूब स्वागत किया है। लेकिन यह बात कम लोगों को ही पता होगी कि ठीक पन्ना टाइगर रिज़र्व जैसा ही चमत्कार राजस्थान के रणथम्बौर नेशनल पार्क में विगत एक दशक पूर्व घटित हुआ था। वहां के नर बाघ टी-25 ने दो अनाथ मादा शावकों की परवरिश विल्कुल मां की तरह की थी। नर बाघ की देखरेख और परवरिश से वयस्क हुई दोनों बाघिन अब सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में राज कर रही हैं।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिज़र्व में गत 15 मई को बाघिन पी-213 (32) की अज्ञात कारणों के चलते असमय मौत हो गई थी। बाघिन की इस तरह अचानक मौत होने पर उसके चार नन्हे शावक अनाथ हो गए। इन शावकों की सुरक्षा व परवरिश को लेकर पार्क प्रबंधन से लेकर वन्य जीव प्रेमी सभी चिंतित थे। इसी बीच निगरानी के दौरान वन अमले ने शावकों के जैविक पिता नर बाघ पी-243 को शावकों के निकट देखा। नर बाघ का व्यवहार शावकों के प्रति बेहद सदभावना पूर्ण था। यह द्रश्य देख पार्क के अधिकारी हैरान हुए तथा नर बाघ के ऐसे रुख को देख एक उम्मीद भी जागी। बाघ पर सतत नजर रखने के लिए बिना देर किये उसको रेडियो कॉलर पहना दिया गया ताकि उसकी चौबीसो घण्टे निगरानी व शावकों के प्रति उसके बर्ताव पर नजर रखी जा सके।
इस बीच गत 22 मई को जो वीडियो सामने आया उससे यह सुनिश्चित हो गया कि नर बाघ पी-243 शावकों की समुचित देखरेख कर रहा है। यह अनोखा और दुर्लभ द्रश्य खूब पसंद किया गया। ऐसा माना जा रहा था कि शायद अपनी तरह की यह पहली घटना है जब कोई नर बाघ किसी बाघिन की मौत होने पर उसके अनाथ हो चुके शावकों की परवरिश कर रहा है। लेकिन जंगल और जंगली जीवों की दुनिया बहुत ही निराली व रहस्यपूर्ण है, जिसके बारे में हमारी समझ और ज्ञान आज भी बहुत कम या कहें न के बराबर है। वन्य प्राणी किन परिस्थितियों में कैसा व्यवहार करेंगे इसकी सटीक भविष्यवांणी नहीं की जा सकती।
राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा गत वर्ष किये गए ट्वीट का स्क्रीन शॉट। |
जहाँ तक पन्ना के नर बाघ पी-243 का शावकों के प्रति अच्छे व्यवहार व उनकी परवरिश किये जाने की बात है तो ठीक इसी तरह का एक अन्य उदाहरण राजस्थान के रणथम्भौर नेशनल पार्क में भी देखा गया था। पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना के मुख्य सूत्रधार पूर्व क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने पन्ना टाइगर रिज़र्व में नर बाघ पी-243 द्वारा अनाथ शावकों के प्रति जिस तरह का बर्ताव किया जा रहा है, उस पर प्रशन्नता जाहिर की है। आपने बताया कि ठीक ऐसा ही व्यवहार विगत एक दशक पूर्व राजस्थान के रणथम्बौर नेशनल पार्क में भी देखा गया था।
इस बात की पुष्टि राज्य वन्य प्राणी बोर्ड के पूर्व सदस्य हनुमंत सिंह व बाघ विशेषज्ञ और वैज्ञानिक रघुनन्दन सिंह चुण्डावत ने भी की है। हनुमंत सिंह ने बताया कि वर्ष 2011 में एक बाघिन की मौत हो गई थी, जिसके दो मादा शावक थे। मां की असमय मौत होने के बाद इन अनाथ हो चुके शावकों की परवरिश नर बाघ टी-25 ने की थी। मौजूदा समय दोनों बाघिन सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में राज कर रही हैं। मादा शावकों की परवरिश कर उन्हें नैसर्गिक जीवन जीने के लिए सक्षम बनाने वाले नर बाघ टी-25 की गत वर्ष मौत हो चुकी है। इस बाघ की मौत होने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत द्वारा बाघ की फोटो के साथ ट्वीट भी किया था।
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पी 213 32 के बच्चों के लिए बाघ 243 का समर्पण बहुत ही सुखदाई सूचना है परंतु आगे ऐसा प्रतीत होता है कि
ReplyDeleteआने वाले समय में कॉलर होने और बच्चों के साथ घूमने के कारण वीआईपी के लिए व्यूप्वाइंट ना बन जाए ऐसा होने पर उनकी सुरक्षा और देखरेख प्रभावित हो सकती है
कम से कम इन शावकों की उम्र 18 माह हो जाने की स्थिति में ही ऐसे वीआईपी व्यूप्वाइंट की अनुमति मिलनी चाहिए
यदि यह पर्यटन क्षेत्र में पहुंच जाते हैं तो भी कम से कम 6 माह की अवधि के लिए उस पर्यटन क्षेत्र को बंद कर देना चाहिए
बच्चों के स्वच्छंद विचरण और बाघ p243 के संरक्षण पर किसी तरह की दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए
मैं अपनी संस्था की ओर से स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय इंद्रपुरी कॉलोनी पन्ना की ओर से किसी एक सावक पर आने वाले खर्च को वहन करने के लिए तैयार हूं कुल 4 शावक पर आने वाले खर्च का 25% मेरे संस्था से प्राप्त किया जा सकता है बशर्ते किए जाने वाले खर्च नियमित शासकीय खर्च के अतिरिक्त हूं और मेरी जानकारी में रहे ।
डॉ अरविंद सिंह
स्वामी विवेकानंद ग्रुप आफ कॉलेज
इंद्रपुरी कॉलोनी पन्ना
94251 68440
बेहद जरुरी और गहन आलेख है अरुण जी....आपकी लेखनी जिम्मेदारी का अहसास करवाती है।
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