- आने वाले दिनों में कई जगहों पर हो सकती है बारिश
- बंगाल की खाड़ी में आए यास चक्रवात का होगा असर
नौतपा की सांकेतिक फोटो इंटरनेट से साभार। |
"यास" चक्रवात के बीच आज से नौतपा शुरू हो रहा है। नौतपा के दौरान सामान्यतौर पर पूरे 9 दिनों तक तेज गर्मी पड़ती है। चूँकि सूर्य की किरणें नौतपा के दिनों में सीधी धरती पर पड़ती हैं, इसलिए ऐसा होता है। इस दौरान वृषभ राशि में चार ग्रहों की युति होने से गर्मी का असर ज्यादा होता है और तेज गर्म हवाएं चलती हैं। लेकिन इस वर्ष चूँकि नौतपा "यास" चक्रवात के बीच आया है, इसलिए नौतपा के तपने को लेकर सवाल उठ रहे हैं। मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में आए "यास" चक्रवात की वजह से कई राज्यों में आने वाले दिनों में बारिश हो सकती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार नौतपा के समय सूर्य की किरणें पृथ्वी पर सीधी पड़ती हैं। इसके चलते पृथ्वी पर तापमान बढ़ जाता है। नौतपा के दौरान अधिक गर्मी के चलते मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है और समुद्र की लहरें आकर्षित होती हैं और इससे अच्छी बारिश होती है। इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि जब नौतपा में अच्छी गर्मी नहीं पड़ती या नौतपा के दौरान बारिश हो जाती है तो उस साल अच्छी बारिश होने के आसार कम रहते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देने के कार्य में पूरी तरह समर्पित पद्मश्री बाबूलाल जी दाहिया नौतपा का बखान अपने अंदाज में करते हैं। उनका कहना है कि वैसे यह रोहणी नृक्षत्र है जिस के नौ दिन के समय को नौतपा कहा जाता है। इन नौ दिनो में सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर होकर गुजरता है , इसलिए सबसे तेज गर्मी पड़ती है। आज हमारे पास गर्मी मापक यंत्र हैं, जिसके जरिये मालुम पड़ गया कि हमारे यहां 44 डिग्री सेल्सियस तापक्रम है। किंतु हमारे पुरखे अपने अनुभव जनित ज्ञान से ही ज्ञात कर लिए थे कि यह 9 दिन सर्बाधिक तपने वाले दिन हैं। आज हम कूलर, पंखे के बीच रह कर भी उमस महसूस करते हैं। किन्तु हमारे पुरखे इस तपन को झेल सुख की अनुभूति करते थे।
पहले अगर नौतपा 9 दिन खूब तपता तो किसान खुश होते कि इस वर्ष अच्छी बारिश होगी। पर अगर किसी साल प्री मानसून के बादल आकर एकाध दिन बूंदाबादी कर इसका मौसम बिगाड़ देते तो किसान निराश हो जाते कि,, इस वर्ष अच्छी बारिश न होगी ? क्योकि उनकी पूरी खेती वर्षा आधारित ही होती थी। नवतपा के बाद में तो प्राय: यूं ही मृगसिरा नृक्षत्र में हर साल प्री मानसून बारिस होती है । पर नौतपा नौ दिन तपे तभी किसान खुश होते थे।हमारे यहां एक और कहावत कही जाती है कि 'आधा जेठ अषाढ़ कहावै' इसलिए यह नृक्षत्र यू ही किसानों के लिए खेती की तैयारी का होता था जिसमें घर के छान्ही छप्पर, खेतो में गोबर की खाद डालना , नये बैलों को हल में चलाने के लिए दमना, बंधी - बाधो के नाट मोघे बाधना आदि बहुत सारे काम होते थे।
उधर कुम्हार समुदाय के लोग इसी पखबाड़े में घर के खपरे पाथ कर पकाते अस्तु प्रकृति से जुड़े तमाम लोगो को यह जान ही न पड़ता कि कब जेठ का यह महीना आया और बीत गया ? पर अब तो किसानों को न तो जेठ से मतलब न अषाढ़ और न ही मृगशिरा य नौतपा से। पानी नही गिरा तो ट्यूबबेल से निकाल लेंगे और घूर कताहुर की भी फिक्र नही, लाकर रसायनिक खाद डाल देंगे । बैल की तो जैसे अब जरूरत ही नही रही ? क्योकि एक ट्रैक्टर आया तो यू ही 20 बैल बूचड़ खाने भेज देता है। उसी का परिणाम है घर - घर बीमारी , पानी का संकट कुंये, तालाब, बाबड़ी, नदी सब जल हींन। कुम्हारों का खपरा उद्दोग खत्म ,पर्यावरण का विनाश, पर आदमी जानते हुए यह विनाश रूपी विकास अपनाये जा रहा है।
मौसम विभाग का क्या है अनुमान ?
- मध्य और उत्तर-पश्चिमी भारत में अगले 3 दिनों में अधिकतम तापमान 2 से 4 डिग्री बढ़ सकता है।
- पूर्वी भारत के कई हिस्सों में अगले 3 दिनों में अधिकतम तापमान में 3 से 6 डिग्री गिर सकता है। उसके बाद 4 से 6 डिग्री बढ़ेगा।
- अगले दो दिनों में गुजरात में अधिकतम तापमान में 2 से 3 डिग्री की बढ़ोतरी होगी। उसके बाद इतनी ही डिग्री की गिरावट होने की भी संभावना है।
- महाराष्ट्र में भी अगले 3-4 दिनों में अधिकतम तापमान 2 से 4 डिग्री तक बढ़ सकता है।
- देश के बाकी इलाकों में तापमान में कोई खास उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिलेगा।
- 29 से 31 मई के बीच उत्तर-पूर्वी भारत के इलाकों में तेज आंधी-तूफान के साथ बारिश हो सकती है।
- 29 से 31 मई के बीच ही पूर्वी भारत समेत पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भारत की कुछ जगहों पर हल्की बारिश हो सकती है।
00000
No comments:
Post a Comment