- कठिन परीक्षा और चुनौतियों से परिपूर्ण रहेंगे आने वाले चार माह
- कम उम्र के शावक खुले जंगल में पल गए तो यह होगा एक चमत्कार
अनाथ बाघ शावकों में से एक चट्टान पर आराम फरमाते हुए। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। कम उम्र के बाघ शावक जो अभी अपनी सुरक्षा व भोजन की व्यवस्था करने में सक्षम नहीं हैं, उनको मां के सुरक्षा घेरे के बिना खुले जंगल में खतरों और चुनौतियों के बीच रखकर पालना निश्चित ही पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन का एक साहसिक निर्णय है। बाघिन पी 213-32 की विगत 15 मई को दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से असमय मौत होने पर उसके चार नन्हें शावक अनाथ हो गए थे। लेकिन चमत्कार जंगल में भी घटित होते हैं, जिसे देख दुनिया भर के वन्य जीव प्रेमी अचंभित हैं। बाघिन की मौत होने के बाद इन अनाथ शावकों का पिता नर बाघ पी243 मां की भूमिका निभा रहा है।
उल्लेखनीय है कि बाघ पुनर्स्थापना योजना की सफलतम कहानी के बाद पन्ना टाईगर रिजर्व में अपनी तरह का यह पहला ऐसा मामला है, जिसमें मां की असमय मौत होने पर चार नन्हें शावक अनाथ हुए हैं। लेकिन सबसे हैरतअंगेज बात तो यह है कि नर बाघ इन शावकों का सहारा बन गया है। जंगल की इस अनोखी घटना को देखकर ही पार्क प्रबंधन ने साहस दिखाते हुए अनाथ शावकों को जंगल में ही रखने का समझदारी से भरा निर्णय लिया। हालांकि इस निर्णय में जोखिम भी है, लेकिन शावकों के भविष्य, उनके प्राकृतिक जीवन तथा पार्क के हितों को देखते हुए यह जोखिम उठाने जैसा था। कम उम्र के अनाथ बाघ शावकों की खुले जंगल में परवरिश पार्क प्रबंधन को हर दिन कुछ न कुछ नया सिखा रहा है। जानकारों का कहना है कि आगामी 4-5 माह कठिन परीक्षा और चुनौतियों से परिपूर्ण रहेंगे। यदि शावक इस परीक्षा में पास हो गए तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।
नर बाघ पी-243 जो शावकों की कर रहा है परवरिश। |
पन्ना टाइगर रिजर्व क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं कि नर बाघ पी243 का व्यवहार अनाथ शावकों के प्रति अच्छा बना हुआ है। श्री शर्मा बताते हैं कि विगत 21-22 मई को बाघ पी243 ने सांभर का शिकार वहीं पर किया जहां शावक रहते हैं। बाघ द्वारा शिकार किए गए इस सांभर के मांस को शावकों ने भी खाया है। उम्मीद जगाने और उत्साह से भरने वाले यह दृश्य कैमरा ट्रैप में भी कैद हुए हैं। निगरानी करने वाले हाथियों के दल ने भी किल के पास ही नर बाघ व चारों शावकों को आराम करते देखा है, जिनकी वीडियो बनाने के साथ फोटो भी ली गई है। इससे साफ संकेत मिलता है कि बाघ पी243 न सिर्फ शावकों की देखरेख कर रहा है, अपितु अपना शिकार भी उनके साथ बांटकर खाता है।
शावकों को रेडियो कॉलर पहनाने के संबंध में पार्क प्रबंधन की सोच को साझा करते हुए क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि कम उम्र के इन शावकों को कॉलर करने में कुछ तकनीकी रुकावटें हैं। चूंकि सभी शावक एक साथ रहते हैं तथा बाघ पी-243 भी उनके आसपास ही विचरण करता है। इन परिस्थितियों में किसी शावक को अलग करना कठिन है। इसके अलावा चूंकि शावक अभी छोटे हैं तथा उनका विकास तेजी से हो रहा है। ऐसी स्थिति में रेडियो कॉलर करने पर दो-चार माह के भीतर गर्दन का आकार बढऩे पर रेडियो कॉलर निकालना जरूरी हो जाएगा। इन सब कठिनाइयों को देखते हुए फिलहाल शावकों को रेडियो कॉलर पहनाना स्थगित कर दिया गया है।
पूरे मामले पर प्रबंधन ने निकाला यह निष्कर्ष
अनाथ हुए शावकों के इस बेहद संवेदनशील मामले पर पार्क प्रबंधन द्वारा चौकस नजर रखी जा रही है। विगत 15 मई से अब तक जो भी घटनाक्रम हुआ है, उसके आधार पर क्षेत्र संचालक श्री शर्मा का कहना है कि बाघ पी243 निरंतर उसी क्षेत्र में ही विचरण करता है, जहां शावक रहते हैं। मां की मौत के बाद चारों शावक पूर्णरूपेण स्वस्थ, सक्रिय और सुरक्षित हैं। सभी शावक बाघ पी243 के सुरक्षा घेरे में हैं। शावकों के प्रति बाघ का व्यवहार ऐसा देखने को नहीं मिला जिसे गलत कहा जा सके। बाघ के साथ शावक भी सहज व निर्भय नजर आते हैं।
क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने एक अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी साझा की है। आपने बताया कि नर बाघ पी-243 के इलाके में एक बाघिन की मौजूदगी भी दर्ज हुई है। आपने बताया कि सेटलाइट कॉलर से मिले संकेतों के आधार पर पता चला है कि 25 मई को रात लगभग 2 बजे नर बाघ पी243 व बाघिन पी213-63 गहदरा बीट के जंगल में एक दूसरे के निकट थे।
अब भविष्य की क्या होगी रणनीति?
उत्तम कुमार शर्मा क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिज़र्व। |
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व श्री शर्मा का कहना है कि अभी तक सब कुछ अनुकूल रहा है। शावकों को खुले जंगल में स्वाभाविक जिंदगी जीने के लिए पार्क प्रबंधन को किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना पड़ा। लेकिन आने वाले समय में शावकों को खुले जंगल में रखना पार्क प्रबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा। जिससे निपटने की रणनीति बनाकर सजगता से कार्य करना होगा। रणनीति के अहम बिंदुओं की श्री शर्मा ने चर्चा की है -
- मौजूदा समय शावकों की उम्र सात-आठ माह के लगभग है। बाघों के संबंध में जो जानकारी उपलब्ध है उसके मुताबिक बाघ शावक सामान्यत: 12-13 माह की उम्र में शिकार करना शुरू करते हैं। इस आधार पर आगामी चार-पांच माह तक शावकों की सघन मॉनिटरिंग व सुरक्षा जरूरी है। यह भी देखना होगा कि उन्हें पर्याप्त खाना मिल रहा है या नहीं। विपरीत परिस्थितियां बनने पर जरूरी कदम उठाना होगा।
- शावकों के प्रति नर बाघ का व्यवहार कैसा है, इसकी मॉनिटरिंग चार-पांच माह तक निरंतर करना जरूरी है। यदि बाघ पी243 के व्यवहार में कोई तब्दीली दिखती है, जो शावकों की सुरक्षा व जीवन के लिए खतरनाक हो तो इस स्थिति से निपटने की हमारी तैयारी होनी चाहिए।
- यदि नर बाघ पी243 इस दौरान किसी बाघिन के संपर्क में आ जाता है तो यह जरूरी होगा कि बाघ और बाघिन दोनों पर नजर रखी जाए कि उनका शावकों के प्रति कैसा व्यवहार है। यदि इनका व्यवहार ठीक न दिखे और बाघिन के साथ जोड़ा बनाने के बाद बाघ शावकों को छोड़ दें तो ऐसी स्थिति में प्रबंधन को जरूरी कदम उठाने की तैयारी रखनी होगी।
- अंतत: यदि सब कुछ अनुकूल रहा और शावक शिकार करने में सक्षम हो गए तो भी इनकी मॉनिटरिंग करते रहनी होगी। सूत्रों के मुताबिक अनाथ शावकों में दो या फिर तीन शावक मादा हैं। यदि ये सुरक्षित रहती हैं तो आने वाले समय में प्रजनन क्षमता वाली बाघिन बनेगीं और पार्क को बाघों से आबाद रखेंगी। मालूम हो कि सिर्फ दो बाघिनों टी-1 व टी-2 ने ही पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के उजड़े संसार को आबाद किया है। इसलिए इन अनाथ शावकों का बचना पार्क के स्वर्णिम भविष्य के लिए जरूरी है।
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