Friday, May 28, 2021

पन्ना जिले के अमानगंज क्षेत्र में प्याज की हुई बंपर पैदावार

  •  अब उद्यानिकी फसलों की ओर बढ़ रहा किसानों का रुझान 
  •   सुविधाएं व मार्गदर्शन मिले तो खेती बन सकता है लाभ का धंधा 

कृषक मंगल सिंह राजावत के खेत में लगा प्याज का ढ़ेर। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। खेती में जिन किसानों को अपनी लागत निकाल पाना भी मुश्किल होता था, इस साल प्याज की बंपर पैदावार होने तथा उपज की ठीक-ठाक कीमत मिलने से वे उत्साहित हैं। आमतौर पर रुलाने वाला प्याज इस बार किसानों के घरों में खुशियां बिखेर रहा है। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में अमानगंज क्षेत्र के किसान प्याज की अच्छी पैदावार होने से खुश हैं। अमानगंज के अलावा अजयगढ़ क्षेत्र में भी कुछ किसानों ने प्याज की खेती की थी और उनके खेतों में भी अच्छी पैदावार हुई है।

 अमानगंज क्षेत्र के ग्राम सिमरी निवासी प्रगतिशील कृषक व पूर्व सैनिक मंगल सिंह राजावत बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के चलते जब बाहर काम करने वाले मजदूर वापस गांव लौटे तो उनके पास कोई काम नहीं था। यह देख उन्होंने खेती में नवाचार कर गांव के कुछ मजदूरों को काम देकर उनकी मदद करने की सोचा। सबसे पहले उन्होंने खेतों की फेंसिंग कराई, फिर प्याज और लहसुन सहित अन्य सब्जी वाली फसलों की खेती शुरू की। इस कार्य में पूरे साल 8-10 मजदूर निरंतर लगे रहे। आपने बताया कि उन्होंने तकरीबन ढाई - तीन एकड़ में प्याज लगवाई थी, जिसमें सवा सौ कुंतल के लगभग उत्पादन हुआ है।

 

खेत में जगह - जगह रोपे गए फलदार पौधों का द्रश्य। 

मंगल सिंह ने बताया कि खेती के साथ-साथ उन्होंने इस दौरान विभिन्न प्रजाति के लगभग 300 फलदार पौधों का भी रोपण कराया है। जिनमें अधिकांश पौधे न सिर्फ जीवित हैं अपितु उनकी अच्छी ग्रोथ भी हो रही है। मौजूदा दौर में जब हर तरफ ऑक्सीजन के लिए मारामारी मची हुई है तथा पर्यावरण संरक्षण की बातें हो रही हैं, उस समय इतने पौधों का रोपण कराकर और उनकी देखभाल करके मन में सुकून और शांति की अनुभूति होती है। आने वाले 3-4 वर्षों में बड़े होकर यह पौधे जब पेड़ बनेंगे, तो रसीले और मीठे फल देने के साथ-साथ पर्यावरण को बेहतर बनाने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।

इटौरी के कृषक ने किया 15 सौ क्विंटल प्याज का उत्पादन 

सहायक संचालक उद्यान महेंद्र मोहन भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि अमानगंज क्षेत्र के ही ग्राम इटोरी के कृषक राजेश कुशवाहा ने 6 एकड़ जमीन में 1500 कुंटल प्याज की बंपर पैदावार ली है। श्री भट्ट ने बताया कि अपनी उपज बेचने के लिए किसानों को भटकना भी नहीं पड़ रहा। व्यापारी गांव में जाकर सौदा कर रहे हैं। मौजूदा समय किसानों की प्याज खेत से ही 14-15 रुपये किलो के भाव से बिक रही है। इस भाव पर प्याज बिकने से किसान संतुष्ट हैं, क्योंकि उन्हें घाटा नहीं हो रहा। यह अलग बात है कि 14-15 रुपये प्रति किलो खरीदी गई यही प्याज कुछ महीने बाद लोगों को 40 से 50 रुपये प्रति किलो के भाव में मिलेगी। जाहिर है इसका लाभ किसानों के बजाय व्यापारियों को होगा। श्री भट्ट ने बताया कि उन्होंने प्याज उत्पादक किसानों को सलाह दिया है कि अपनी उपज की अच्छी कीमत पाने के लिए वह भंडार गृह में प्याज का भंडारण करायें। आप ने बताया कि भंडारग्रह के निर्माण हेतु विभाग द्वारा किसानों को अनुदान भी दिया जाता है।

 लाभ होने से सब्जी फलों की तरफ बढ़ा रुझान

 साल दर साल खेती में घाटा उठाने तथा कर्ज के बोझ से दबने वाले किसानों का रुझान अब उद्यानिकी फसलों की तरफ बढ़ा है। जो किसान गेहूं, चना, मसूर आदि फसलें उगाते थे, वे अब खेत के कुछ हिस्से में सब्जी वाली फसलें भी उगाने लगे हैं। इतना ही नहीं ज्यादातर किसान अपने खेतों में फलदार पौधों का भी रोपण कर रहे हैं, ताकि उनसे अतिरिक्त आय अर्जित की जा सके। ग्राम सिमरी निवासी मंगल सिंह राजावत  की पहल को देख इलाके के अन्य किसान भी प्रेरित हुए हैं। किसान अब अनाज के साथ-साथ फल व सब्जी भी उगा रहे हैं। इस तरह से किसान अब सिर्फ अन्नदाता ही नहीं अपितु वह प्रकृति और पर्यावरण को समृद्ध करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है।

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