Monday, May 31, 2021

आंवला मुरब्बा से पन्ना जिले के छोटे से गांव को मिली नई पहचान

  • यह है एक विकलांग महिला के जुनून और जज्बे की कहानी, जिसने गांव की महिलाओं को पढ़ाया स्वावलंबन का पाठ
  • दहलान चौकी गांव के मुरब्बा की दूर-दूर तक पहुंची ख्याति, महामारी के दौर में भी बिका 15 क्विंटल मुरब्बा

दहलान चौकी गांव में सड़क किनारे टेबल पर बिक्री के लिए रखे आंवला उत्पाद व भगवती यादव । 

।। अरुण सिंह ।।   

पन्ना। हीरा, मंदिर और जंगल के लिए मशहूर मध्य प्रदेश का पन्ना जिला अब यहां निर्मित होने वाले जायकेदार लजीज आंवला मुरब्बा के लिए भी जाना जाता है। छोटे से गांव दहलान चौकी की विकलांग महिला भगवती यादव ने अपने हुनर और मेहनत से गांव के साथ-साथ जिले को भी एक नई पहचान दिलाई है। इस महिला की कामयाबी से गांव की अन्य दूसरी महिलाएं भी स्वावलंबी बनने की राह पर चलने के लिए प्रेरित हुई हैं। 

जिला मुख्यालय पन्ना से महज 10 किलोमीटर दूर पन्ना-अजयगढ़ मार्ग पर सड़क के किनारे दहलान चौकी गांव स्थित है। अब यह छोटा सा गांव आंवला मुरब्बा के लिए जाना जाता है। यहां निर्मित स्वादिष्ट और जायकेदार मुरब्बा को खरीदने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। सड़क किनारे "मां दुर्गा स्व सहायता समूह का बोर्ड" लगा है, जिसकी अध्यक्ष भगवती यादव हैं। एक पैर से विकलांग होने के बावजूद काम के प्रति इनकी लगन व मेहनत देखने काबिल है।

इस समूह में 10 महिलाएं हैं, लेकिन आंवला मुरब्बा व आंवला के अन्य उत्पादों के निर्माण में गांव की अन्य महिलाएं भी लगी रहती हैं। दहलान चौकी गांव में इस समूह ने आंवला मुरब्बा बनाने का काम विगत दो दशक पूर्व शुरू किया था। समूह को मिली कामयाबी से प्रेरित होकर गांव की अन्य महिलाएं भी इस राह पर चल पड़ीं। फलस्वरुप दहलान चौकी गांव आंवला मुरब्बा के लिए जाना जाने लगा। मौजूदा समय इस गांव में 10 महिला स्व सहायता समूह हैं, जो आंवला मुरब्बा व आंवले से बनने वाले अन्य उत्पाद बनाते हैं। इन समूहों में सौ से भी अधिक महिलाएं काम करती हैं।

आंवला मुरब्बा बनाने का कार्य करती गांव की महिलाएं। 

सड़क मार्ग के किनारे टेबल पर आंवला मुरब्बा के पैक डिब्बे रखकर उनकी बिक्री करते भगवती यादव अक्सर ही नजर आ जाती हैं। यहां से गुजरने वाले यात्री अपना वाहन रोककर आंवला मुरब्बा खरीदते हैं और अपने आगे के सफर पर निकल जाते हैं। घर के पास टेबल में सजी इस छोटी दुकान से ही कई क्विंटल मुरब्बा बिक जाता है। भगवती यादव बताती हैं कि "बड़ी-बड़ी मैडमें कार से आती हैं और यहां से मुरब्बा लेकर जाती हैं"।आपने बताया कि कोरोना महामारी के इस दौर में भी आंवला मुरब्बा की मांग घटी नहीं, बल्कि बढ़ी है। लॉकडाउन के बावजूद उनके घर से 15 कुंतल मुरब्बा बिका है।

भगवती यादव के काम में हाथ बंटाने वाले उनके पति दशरथ यादव बताते हैं कि इस साल आंवले की फसल कमजोर थी। जंगल के आंवले लोग जल्दी तोड़ लेते हैं, जिनका उपयोग हम मुरब्बा बनाने में नहीं करते। किसानों के निजी आंवला बगीचों से आंवला खरीदते हैं। जिनकी तुड़ाई आंवला नवमी के बाद की जाती है।दशरथ यादव ने बताया कि अच्छे आंवला फलों की उपलब्धता पर निर्भर होता है कि कितना मुरब्बा बनेगा। हमारा समूह औसतन 30-40 क्विंटल मुरब्बा हर सीजन में तैयार करता है। मुरब्बा के अलावा आंवला  अचार, आंवला कैंडी, आंवला सुपारी, आंवला चूर्ण व आंवले का रस भी हम तैयार करते हैं। समूह ने भोपाल, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद व त्रिमूल (केरल) में आंवला उत्पाद का प्रदर्शन मेलों में किया है, जहां कई पुरस्कार भी मिले हैं। दशरथ यादव ने बताया कि आंवला मुरब्बा 150 से 160 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है।

सात समुंदर पार विदेशों में पहुंचेगा पन्ना का मुरब्बा

जिले के कलेक्टर संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि शासन की यह परिकल्पना है कि औषधीय गुण वाले आंवले से बने मुरब्बे व अन्य उत्पादों को देश के साथ-साथ सात समुंदर पार विदेशों में भी विक्रय के लिए भेजा जाये। श्री मिश्र ने कहा कि जिले में 45 प्रतिशत जंगल है, यह जंगल जिले की 11 लाख 26 हजार आबादी के लिए वरदान है। आपने कहा कि पन्ना जिले के जंगलों में आंवला बहुतायत से पाया जाता है। 

एक उत्पाद एक जिला के संबंध में कलेक्टर पन्ना का ट्वीट। 

आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश बनाने के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई है। इस योजना के तहत पन्ना जिले में आंवला उत्पाद को चुना गया है। कलेक्टर पन्ना श्री मिश्र ने कहा कि आंवला उत्पाद से पन्ना की पहचान पूरे देश में स्थापित हुई है। उन्होंने कहा कि आंवला उत्पाद की इकाइयां स्थापित करने वालों को जिला प्रशासन द्वारा हर संभव सहयोग प्रदान किया जाएगा।

किसानों को आंवला लगाने किया जा रहा प्रेरित

सहायक संचालक उद्यान महेंद्र मोहन भट्ट ने बताया कि किसानों को अपने खेतों व खाली पड़ी जगह पर आंवला के पौधे लगाने को प्रेरित किया जा रहा है। आपने बताया कि जंगल के अलावा निजी भूमि पर पांच सौ हेक्टेयर क्षेत्र में आंवला के बगीचे जिले में हैं। बड़ी संख्या में किसान अब खेतों में पौधरोपण भी कर रहे हैं। श्री भट्ट के मुताबिक आंवले से बनने वाली सामग्री का उत्पादन जिले में बड़े पैमाने पर प्रारंभ करने की योजना तैयार की गई है।     आपने बताया कि पन्ना जिले को सही अर्थों में आंवला जिला बनाने की दिशा में प्रयास शुरू किए गए हैं। श्री भट्ट ने बताया कि विभाग द्वारा महिलाओं को आंवला उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी दिलाया जा रहा है। प्रशिक्षण लेने वाली महिलाएं अपने घर में ही आंवला उत्पाद बनाकर आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सकेंगी।

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2 comments:

  1. धन्य है हमारी गांव की महिलाएं

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  2. प्रकृति से समृद्धि

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