Wednesday, June 16, 2021

जंगल में स्वस्थ, सक्रिय और सहज हैं चारों अनाथ शावक

  •  मां की मौत के बाद पिता के संरक्षण में सीखा अपनी सुरक्षा करना
  •  वे अपनी एक वर्ग किलोमीटर की टेरिटरी से नहीं निकलते बाहर 

अपने रहवास स्थल में रात्रि के समय चारो शावक मस्ती करते हुए। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में चार नन्हे शावकों की मां बाघिन पी-213(32) की ठीक एक महीने पूर्व अज्ञात कारणों के चलते मौत हो गई थी। बाघिन की मौत के बाद अनाथ हुए उसके शावकों की खुले जंगल में सुरक्षा तथा उनका पालन पोषण कैसे होगा, इस बात को लेकर पार्क प्रबंधन व वन्यजीव प्रेमी चिंतित थे। लेकिन शावकों के रहवास स्थल के आसपास कुछ ऐसा अप्रत्याशित देखने को मिला, जो किसी अजूबे से कम नहीं था। दरअसल शावकों का पिता बाघ पी-243 अनाथ शावकों के न सिर्फ आसपास दिखने लगा अपितु उनको अपना किल (शिकार) भी खाने के लिए देने लगा।

 बाघिन की मौत के एक माह बाद इन अनाथ बाघ शावकों का खुले जंगल में चुनौतियों और असुरक्षा के बीच जीवन कैसा चल रहा है ? इस संबंध में पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने न्यूज़ बुलेटिन जारी कर अब तक की प्रगति का विवरण साझा किया है। श्री शर्मा बताते हैं कि चारों शावक जंगल में स्वस्थ, सक्रिय और सहज प्राकृतिक जीवन जी रहे हैं। शावकों को देखकर प्रतीत होता है कि वे पूर्णरूपेण तनावमुक्त हैं तथा उनमें बालपन की चंचलता भी दिखाई दे रही है। अपनी तकरीबन एक वर्ग किलोमीटर की टेरिटरी में चारों अनाथ शावक एक साथ रहते और घूमते टहलते हैं। यह टेरिटरी उनकी सीमा है, इसके बाहर वे नहीं निकलते।

 क्षेत्र संचालक श्री शर्मा बताते हैं कि शावकों की उम्र 8-9 माह की है, इन्हें अभी तक किसी जीवित प्राणी का शिकार करते हुए नहीं देखा गया। शावकों को भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी का निर्वहन उनका पिता नर बाघ पी-243 कर रहा है। जंगल के नियमों का पालन करते हुए अपनी सुरक्षा करना शावक सीख गए हैं। यही वजह है कि उनकी निर्धारित टेरिटरी के बाहर यदि कोई किल है, तो वह वहां नहीं जाते। शावकों के इलाके में जब बाघ पी-243 द्वारा किल किया जाता है या फिर पार्क प्रबंधन कुछ उपलब्ध कराता है, तभी सब मिलकर खाते हैं। अमूमन शावक शाम के समय खाना शुरू करते हैं और सुबह होने तक आराम से खाते रहते हैं। बीते एक माह में इन चारो शावकों का आकार तथा वजन भी बढ़ा है।

बाघ पी-243 शावकों पर रखता है नजर 


शावकों का पिता नर बाघ पी-243  

नर बाघ पी-243 का व्यवहार शावकों के प्रति अच्छा है, वह अपने इलाके में घूमते हुए इन शावकों पर भी कड़ी नजर रखता है। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा बताते हैं कि बाघिन की मौत के एक माह गुजर जाने पर भी नर बाघ ने अभी तक जोड़ा नहीं बनाया। बाघ का इलाका काफी बड़ा और फैला हुआ है, जिसकी वह सतत निगरानी करता है। लेकिन दो दिन से ज्यादा वह शावकों के रहवास स्थल से दूर नहीं रहता। नर बाघ की गतिविधि पर नजर रखने के बाद ऐसा लगता है कि वह शावकों की देखभाल करने में पूरी रुचि ले रहा है। बाघ यदि शावकों के रहवास वाले इलाके से बाहर कहीं किल करता है, तो वहां शावकों को नहीं ले जाता। पूर्व की एक घटना का जिक्र करते हुए श्री शर्मा ने बताया कि 21 मई को बाघ पी-243 ने शावकों के क्षेत्र में सांभर का शिकार किया था, जिसे उसने शावकों को खाने दिया।

 शावकों को अभी सीखना है शिकार करने का कौशल 


नर बाघ पी-243 द्वारा किये गए शिकार का भक्षण करते शावक। 

क्षेत्र संचालक बताते हैं कि बाघों में शिकार करने की स्वाभाविक व सहज प्रवृत्ति होती है। लेकिन उन्हें खुले जंगल में शिकार करने का यह कौशल सीखना होता है। आमतौर पर बाघिन अपने शावकों को शिकार करना तथा अपनी रक्षा करना सिखाती है। शावक 8 से 10 महीने की उम्र के बीच अपनी मां और भाई बहनों के साथ शिकार करना शुरू कर देते हैं। चूंकि शावक 8 माह से अधिक उम्र के हो चुके हैं, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने शिकार (किल) को खाने की कला सीख ली है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी मां के बिना जंगल में वन्य प्राणियों का शिकार करने की कला कैसे सीखते हैं ? नर बाघ पी-243 (पिता) इन शावकों को मां की तरह शिकार करने का प्रशिक्षण प्रदान करने में किस तरह की भूमिका निभाता है, यह आने वाला वक्त बताएगा। 

आगामी तीन माह शावकों के लिए बेहद महत्वपूर्ण 

शावकों के लिए आने वाले 3 माह बेहद महत्वपूर्ण होंगे। इसी दौरान इन शावकों को खुले जंगल में जीवित रहने के लिए शिकार करने में दक्षता हासिल करनी होगी। क्षेत्र संचालक बताते हैं कि कैमरा ट्रैप में कैद हुई तस्वीरों से पता चला है कि शावकों के इलाके से एक वयस्क तेंदुआ व एक भालू गुजरा है। लेकिन शावकों को इससे कोई नुकसान व खतरा उत्पन्न नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि उन्होंने खुद को बचाने की कला सीख ली है। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने बताया कि मौजूदा समय एक शावक का वजन लगभग 50 किलोग्राम है, जो एक वर्ष की आयु पूरा करने तक बढ़कर 80-90 किलोग्राम हो जाना चाहिए। आगामी तीन-चार महीनों में 30-40 किलो वजन बढ़ाने के लिए हर चौथे दिन किल (शिकार) की आवश्यकता होगी।

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