Thursday, June 24, 2021

सोयाबीन की खेती से किसानों का हो रहा मोहभंग

  •  मध्य प्रदेश सोयाबीन उत्पादन के मामले में रहा है अग्रणी 
  •  पन्ना जिले के किसानों का रुझान धान व उड़द की ओर बढ़ा 

मध्यप्रदेश में "पीले सोने" के रूप में मशहूर सोयाबीन की फसल जिससे अब हो रहा मोहभंग। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। प्रदेश के अधिकांश जिलों में सोयाबीन की खेती से किसानों का मोहभंग हो रहा है। उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज न मिलने तथा खेती की लागत अधिक होने के चलते किसानों का रुझान अब सोयाबीन के बजाय धान व उड़द की फसलों की ओर बढ़ा है। इस वर्ष ज्यादातर किसानों ने सोयाबीन की जगह धान व उड़द की फसल लेने का मन बना लिया है। किसानों के इस रुझान से राज्य में "पीले सोने" के रूप में मशहूर इस नकदी फसल के उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है।

 मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने भी सोयाबीन को घाटे का सौदा करार देते हुए किसानों को सलाह दी है कि वे अपनी आय बढ़ाने के लिए खरीफ सीजन में दूसरी फसलें लें। कृषि मंत्री श्री पटेल ने पिछले दिनों एक समाचार एजेंसी से कहा है कि पिछले तीन खरीफ सत्रों के दौरान सोयाबीन की फसल को भारी बारिश और कीटों के प्रकोप से काफी नुकसान हुआ है। इस कारण इसके बीज की कमी उत्पन्न हो गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यह कमी दूर करने का प्रयास कर रही है, लेकिन वक्त का तकाजा है कि किसान खरीफ सत्र में बुवाई के लिए अन्य फसलों को तरजीह दे। 


खरीफ सीजन में फसलों के चयन को लेकर किसानों की बदल रही इस मानसिकता का असर प्रदेश के अन्य दूसरे जिलों की तरह पन्ना जिले के किसानों में भी देखने को मिल रहा है। उप संचालक कृषि ए.पी. सुमन ने जानकारी देते हुए बताया कि जिले में गुनौर, पवई व पन्ना ब्लॉक के देवेन्द्रनगर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल बड़े पैमाने पर ली जाती रही है। वर्ष 2015 में सोयाबीन का रकबा 28000 हेक्टेयर हो गया था। लेकिन पीला मोजेक के प्रकोप, उत्पादन लागत बढऩे तथा अनियमित बारिश के कारण सोयाबीन की खेती घाटे का सौदा हो गया। उप संचालक श्री सुमन ने बताया कि यही वजह है कि पन्ना जिले में खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान व उड़द हो रही है।

 उप संचालक कृषि ने कहा कि पूरे प्रदेश में सोयाबीन के बीज की किल्लत है लेकिन पन्ना जिले में नहीं है। जिले के किसान सोयाबीन बीज की डिमांड ही नहीं कर रहे। जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है वे धान की ओर जा रहा है। आपने बताया कि धान के रकबे में  हर साल इजाफा हो रहा है। इस वर्ष 115.20 हजार हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उप संचालक श्री सुमन ने बताया कि जिले के शाहनगर, अजयगढ़ व देवेंद्रनगर क्षेत्र में धान की सर्वाधिक खेती होती है।

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