Saturday, July 24, 2021

आदिवासी बस्ती चांदमारी में नहीं थमा बच्चों की मौत का सिलसिला

  •  हाल ही में यहां हुई थी एक हफ्ते के भीतर तीन मासूमों की मौत 
  •  कथित प्रयासों के बावजूद फिर यहाँ हुआ एक बच्चा काल कवलित 


बुनियादी सुबिधाओं से वंचित जिला मुख्यालय पन्ना से लगी आदिवासी बहुल चांदमारी बस्ती। 

पन्ना। तीन मासूमों की एक हफ्ते के भीतर हुई मौत के बाद राष्ट्रीय स्तर पर सुर्ख़ियों में आये जिला मुख्यालय पन्ना से लगी ग्राम पंचायत पुरूषोत्तमपुर की चांदमारी बस्ती में मासूमों की असमय मौत का सिलसिला अभी थमा नहीं है। इस बस्ती में रहने वाले सवा दो साल के एक और बच्चे की मौत होने का मामला प्रकाश में आया है। जिससे प्रशासनिक पहल और प्रयासों पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। यहाँ तीन बच्चों की मौत के बाद जिस तरह से प्रशासनिक व राजनैतिक सक्रियता बढ़ी थी उसे देखते हुए ऐसा लगने लगा था कि चांदमारी बस्ती के गरीब आदिवासियों को राहत मिलेगी। कुपोषण के शिकार मासूमों की चिंताजनक स्थिति में भी सुधार आयेगा। लेकिन बस्ती के हालात अभी भी बेहतर नहीं हैं। 

उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय से सटी इस आदिवासी बस्ती में तीन मासूम बच्चों की मौत के बाद सरकारी अफसरों सहित प्रदेश शासन के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह भी यहाँ पहुंचे थे। कई दिनों तक लगातार बस्ती में अधिकारियों का जमावड़ा लगता रहा, बस्ती के लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने स्कूल के सामने लगे हैण्डपम्प में मोटर डाली गई। बस्ती के आदिवासियों की समस्याओं के निराकरण हेतु जिस तरह से प्रयास शुरू हुए और दावे किये गए, उससे तो यही लग रहा था कि अब इस बस्ती के दुर्दिन ख़तम हो जायेंगे। लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ, बस्ती में कुपोषित बच्चों की असमय मौत का सिलसिला नहीं थमा। चांदमारी बस्ती में रहने वाले सवा दो साल के एक और मासूम बच्चे की मौत हो जाने से बस्ती में एक बार फिर से मातम का माहौल है, गरीब आदिवासी महिलाएं जिनके छोटे बच्चे हैं वे सहमी हुई हैं। मिली जानकारी के मुताबिक सवा दो साल के मासूम सत्यम आदिवासी पिता अब्बू आदिवासी की मौत कुपोषण के चलते हुई है। 

कुपोषण की वजह से बीमार रहता था बच्चा 

चांदमारी आदिवासी बस्ती में रहने वाले चौथे जिस मासूम बच्चे की मौत हुई है उसकी उम्र दो साल एक माह बताई जा रही है। चांदमारी बस्ती में रहने वाला यह बच्चा कुपोषण की वजह से बीमार रहता था परंतु आंगनवाड़ी केन्द्र के रिकार्ड में कुपोषित होने के बावजूद इस बच्चे की जानकारी कुपोषित बच्चे के रूप में दर्ज नहीं थी। बच्चा कुपोषित है यह तब पता चला जब चांदमारी बस्ती में रहने वाले तीन मासूम बच्चों की एक सप्ताह में मौत का मामला सामनें आया। बच्चो की मौत के बाद प्रशासन एवं सरकार की व्यवस्थाओं पर जब सवाल खड़े हुये तो स्वास्थ्य विभाग तथा महिला बाल विकास विभाग द्वारा यहां पर 4  जुलाई को बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिये शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में बच्चे सत्यम को दिखाने के लिये जब उसकी मां रेखा लेकर पहुंची तो चिकित्सक द्वारा की गई जांच में बच्चा बीमार पाया गया साथ ही गंभीर रूप से कुपोषित निकला। बालक सत्यम आदिवासी को 4 जुलाई को ही चिकित्सकों द्वारा पोषण पुर्नवास केन्द्र पन्ना में भर्ती करवाया गया। पोषण पुर्नवास केन्द्र में बालक 9 जुलाई तक भर्ती रहा। जब माता पिता को बच्चे की सेहत में सुधार दिखा तो सत्यम के पिता अब्बू आदिवासी के अनुसार वह अपने बच्चे को वहां से झाड़ फूक कराने के लिये ले आये। इसके बाद 17 जुलाई को बच्चा मां के साथ बडगड़ी के समीप हजारा गांव जो कि उसका ननिहाल है, वहां चला गया। जहां शुक्रवार की सुबह उसकी मौत हो गयी। 

 मृत बच्चे का परिवार खाद्य सुरक्षा से वंचित


अपनी झोपड़ी के सामने बैठे मृत बच्चे के माता-पिता। 

भीषण गरीबी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव और कुपोषण यहाँ की मुख्य समस्या है। यदि शासन की योजनाओं का सही तरीके से क्रियान्वयन हो तो इन समस्याओं का सहजता से निराकरण संभव है। लेकिन योजनायें जब कागजों पर चलें तो मैदानी हकीकत यही होगी जैसी चांदमारी में देखने को मिल रही है।    

मालुम हो कि कुपोषण की रोकथाम के लिये महिला बाल विकास तथा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से सरकार करोड़ो रूपये खर्च कर रही है, फिर भी हालात क्यों नहीं सुधर रहे यह एक बड़ा सवाल है। बस्ती के कुपोषित बच्चे की पहचान तब हुई जब उसकी उम्र 2 वर्ष 1 माह की हो चुकी थी। आंगनवाड़ी केन्द्र स्तर पर हुई जांच में सत्यम को कुपोषित बच्चो की सूची में शामिल क्यों नही किया गया ? चांदमारी में जिस आदिवासी बच्चे सत्यम की मौत हुई है उसके पिता अब्बू आदिवासी ने अपनी मिट्टी से बनी झोपड़ी को दिखाते हुये बताया कि वह अपने तीन बच्चों तथा पत्नि के साथ इसी झोपड़ी में रहता है। दरवाजे टूट जाने के बाद बड़े भाई जिसका भी एक कमरा है उस घर में परिवार के साथ रह रहा है। इसके बावजूद उसक राशनकार्ड नहीं बना है और कोटे से उसे गल्ला नही मिलता। खाद्य सुरक्षा से वंचित होने के चलते इस गरीब आदिवासी परिवार के बच्चे अक्सर भूखे रहते हैं जिसका परिणाम सामने है। 

इनका कहना है -

पुरूषोत्तमपुर स्थित चांदमारी बस्ती में रहने वाले सत्यम आदिवासी नामक बच्चे की मौत हुई है, उसे 4 जुलाई को पोषण पुर्नवास केन्द्र पन्ना में कुपोषित और बीमार होने की वजह से भर्ती कराया गया था। रात में उसकी मां बच्चे को घर ले आई थी जिसके बाद 5 जुलाई को फिर सुपरवाईजर तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा समझा बुझाकर एनआरसी में भेजा गया। इसके बाद 9 जुलाई को सत्यम की मां उसे फिर वहां से ले आई तथा 17 जुलाई को अपने मायके लेकर उसे चली गई थी, जहां पर बालक सत्यम की मौत हुई। बच्चा कुपोषित और बीमार था।

ऊदल सिंह जिला कार्यक्रम अधिकारी

महिला बाल विकास विभाग पन्ना

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