- बिजली गिरने की घटनाओं में लगातार हो रहा इजाफा
- पिछले साल के मुकाबले में 34 फीसदी की हुई बढ़ोतरी
आकाशीय बिजली की फोटो इंटरनेट से साभार। |
आकाशीय बिजली मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु देश व दुनिया में अब एक बड़ी प्राकृतिक आपदा साबित हो रही है। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में बारिश का दौर शुरू होने के साथ ही पिछले दिनों आकाशीय बिजली ने जिस तरह से कहर ढाया है, वह चिंताजनक है। जिले में महज कुछ घण्टों के दौरान अलग - अलग क्षेत्रों में आकाशीय बिजली गिरने से जहाँ 6 लोगों की मौत हुई, वहीँ 19 लोग घायल हुए हैं। इस तरह बिजली गिरने की ऐसी घटनाओं से बारिस का मौसम खौफनाक हो गया है। जलवायु संकट ने बिजली गिरने को और भी ज्यादा खौफनाक बना दिया है।
प्रकृति, पर्यावरण और वन्यजीवों पर सतत लिखने वाले "कबीर संजय" ने जंगल कथा में इस प्राकृतिक आपदा की भयावहता पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बिजली गिरने की घटनाओं का जिक्र करते हुए लिखा है कि अभी मुश्किल से पंद्रह दिन बीते होंगे जब आकाशीय बिजली गिरने से उत्तर प्रदेश में पचास से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी। जबकि, राजस्थान में आकाशीय बिजली गिरने से जान गंवाने वालों की संख्या बीस के लगभग रही। इसमें से शायद 12 लोग ऐसे रहे थे, जो आमेर के किले के किसी वॉच टॉवर पर मौजूद थे। कहा जाता है कि वे सेल्फी ले रहे थे या फिर आकाशीय बिजली की फोटो खींच रहे थे। लेकिन, क्षण भर में ही आकाशीय बिजली ने उन्हें झुलसाकर रख दिया। वे अपनी जान से हाथ गंवा बैठे। बिजली गिरने से झुलसकर कई लोग घायल भी हो गए।
जलवायु संकट ने दुनिया भर में ही आकाशीय बिजली को अब एक बड़ी प्राकृतिक आपदा की तरह स्थापित कर दिया है। खतरनाक बात यह है कि बिजली गिरने की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। दुनिया भर में इसे महसूस किया जा रहा है। पर्यावरण संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायरमेंट के एक अध्ययन के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले में बिजली गिरने की घटनाओं में 34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के दौरान आकाशीय बिजली की एक करोड़ 38 लाख घटनाएं हुई थीं। जबकि, वर्ष 2020 के मार्च से लेकर 2021 के अप्रैल महीने के बीच आकाशीय बिजली की एक करोड़ 85 लाख घटनाएं हुई हैं। यानी इसमें 34 फीसदी का इजाफा हुआ है। संस्था के मुताबिक साल भर के अंदर 1697 लोगों की मौत आकाशीय बिजली की चपेट में आने के चलते हुई है। पिछले साल की तुलना में आकाशीय बिजली से होने वाली मौत के मामलों में भी 168 फीसदी का इजाफा हुआ है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डाटा के मुताबिक वर्ष 2012 से वर्ष 2019 के बीच भारत भर में कुल 21 हजार 572 लोगों की मौत आकाशीय बिजली गिरने के चलते हुई है।
इस वज्रपात का सीधा संबंध दुनिया के तापमान में बढ़ोतरी से है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, आकाशीय बिजली गिरने के मामलों में इजाफा होता है। वर्ष 2015 में प्रकाशित अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के एक शोध के मुताबिक वैश्विक तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की औसत बढ़ोतरी के चलते आकाशीय बिजली की घटनाओं में 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह एक प्रकार का दुश्चक्र है। जैसे जंगलों की आग से ऐसे बादल बनते हैं जिनसे बिजली गिरती है। फिर बिजली गिरने से आग लग जाती है। ऑस्ट्रेलिया के जंगलों के एक बड़े हिस्से को ऐसी ही घटनाओं ने झुलसाया है।
अभी जब कनाडा बेहद असामान्य गर्मियों का सामना कर रहा था। जब उसके वायुमंडल पर गर्मी का एक गुंबद जैसा (हीट डोम) बन गया था, जब वहां के एक गांव लिटन में अधिकतम तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, उस समय केवल एक दिन में आकाशीय बिजली (लाइटनिंग) की सात लाख से ज्यादा घटनाएं हुईं। बिजली गिरना सचमुच बहुत खौफनाक है।
हमारे जीवन में बिजली गिराने या बिजली गिर जाने का मुहावरा बहुत लोकप्रिय है। कहीं किसी के किसी अदा पर बिजली गिर जाती है तो कहीं पर की बिजली गिराने के मकसद से ही निकल पड़ता है। जाहिर है कि यह बिजली किसी के दिल पर गिरती है। माशूक को देखकर आशिक के दिलों पर बिजली गिरे तो ठीक है, आशिक के बांकपन पर माशूक के दिलों पर बिजली गिरे तो फिर ठीक है, लेकिन किसी के सिर पर सचमुच की बिजली गिरना सचमुच खौफनाक है। लेकिन, क्या किया जाए, ग्लोबल वार्मिंग ने बिजली के खौफनाक जिन्न को पूरी दुनिया में ही बेहद भयावह बना दिया है।
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