Tuesday, February 22, 2022

रत्नगर्भा पन्ना की धरती में मिला नायाब हीरा, युवक की चमकी किस्मत

  • पलक झपकते ही रंक से राजा बनने का चमत्कार यदि कहीं घटित होता है तो वह मध्यप्रदेश में रत्न गर्भा पन्ना जिले की धरती है। बेशकीमती रत्न हीरा की खदानों के लिए देश और दुनिया में प्रसिद्ध पन्ना की उथली खदान से एक युवक को नायाब हीरा मिला है, जिससे उसकी किस्मत चमक गई है।

पन्ना निवासी सुशील शुक्ला को उथली खदान से मिला वह हीरा जिसकी कीमत 1 करोड़ से अधिक है। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना (मध्यप्रदेश)। जिसके पास अपना खुद का घर भी नहीं है, पांच भाइयों और एक विधवा बहन के साथ मामा के घर में रहकर परिवार का भरण पोषण करता है, उस युवक की किस्मत यकायक चमक गई है। किस्मत के धनी इस युवक को रत्नगर्भा पन्ना की धरती ने एक ऐसा नायाब तोहफा दिया है कि अब उसकी दुनिया ही बदल गई है। पन्ना शहर के किशोरगंज मोहल्ला निवासी 47 वर्षीय सुशील शुक्ला को जेम क्वालिटी का 26.11 कैरेट वजन वाला बेशकीमती हीरा मिला है, जिसकी अनुमानित कीमत एक करोड़ रुपये से भी अधिक है।

हीरा मिलने के बाद घर के उत्सवी माहौल में  चर्चा करते हुए सुशील शुक्ला 47 वर्ष ने बताया कि उनका संयुक्त परिवार है जो मामा के घर में रहता है। पांच भाइयों के संयुक्त परिवार में दो भाइयों के परिवार तथा बहन का भरण पोषण वे करते हैं। सिर्फ एक भाई नौकरी करता है जो एसडीएम की गाड़ी में ड्राईवर है। वे बताते हैं कि उन्होंने सिर्फ 10वीं तक पढ़ाई की है, फिर ईट भट्ठा लगाने के साथ-साथ हीरा खदान में भी किस्मत आजमाते रहे। सुशील शुक्ला का कहना है कि पूरे 20 साल तक पन्ना के विभिन्न हीरा खदानों में उन्होंने हीरों की तलाश की लेकिन कभी हीरा नहीं मिला। लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और हीरों की तलाश को जारी रखा। अंतत: ऊपरवाला मेहरबान हुआ और 21 फरवरी सोमवार को उसे कृष्णा कल्याणपुर स्थित हीरा खदान में 26.11 कैरेट वजन का यह हीरा मिला है, जिससे पूरा परिवार खुश है।

पन्ना शहर के किशोरगंज स्थित घर के दरवाजे पर खड़े सुशील शुक्ला जो हीरा मिलने पर अब करोड़पति बन गए हैं। 

सुशील शुक्ला बताते हैं कि फरवरी में ही उन्होंने खदान का पट्टा बनवाया था और काम शुरू किया। अभी पूरी खदान खुदी भी नहीं और उन्हें इतना बड़ा हीरा मिल गया। अपनी खुशी का इजहार करते हुए सुशील शुक्ला ने बताया कि वर्षों से मेरी यह ख्वाहिश रही है कि उनके पास अपना घर हो, अब यह ख्वाहिश पूरी हो सकेगी। वे आगे बताते हैं कि हम शिक्षा नहीं हासिल कर सके लेकिन अपने इकलौते 10 वर्षीय पुत्र व बड़े भाई के दो पुत्रों को अच्छी शिक्षा दिलाएंगे। अब ईट भट्ठा के बजाय कोई दूसरा व्यवसाय शुरू करेंगे ताकि सम्मान की जिंदगी जी सकें।

बड़े नायाब हीरों की लिस्ट में यह हीरा भी हुआ शामिल 


 हीरा कार्यालय में हीरा जमा करने के बाद  कलेक्टर पन्ना संजय कुमार मिश्रा से रसीद प्राप्त करते सुशील शुक्ला। 

मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती में सैकड़ों सालों से हीरों की तलाश लोग करते आ रहे हैं लेकिन ऐसे किस्मत के धनी कम ही लोग होते हैं जिन्हे हीरा मिलता है। यहाँ की उथली हीरा खदानों से अब तक अनगिनत हीरे निकले होंगे लेकिन बड़े नायाब और बेशकीमती हीरे उँगलियों में गिने जा सकें उतने हैं। इन नायाब हीरों की लिस्ट में सुशील शुक्ला को मिला हीरा भी शामिल हो चुका है। हीरा अधिकारी पन्ना रवि पटेल ने गांव कनेक्शन को बताया कि हीरा कार्यालय में दर्ज रिकॉर्ड के मुताबिक 61 वर्ष पूर्व सबसे बड़ा 44.33 कैरेट वजन का हीरा वर्ष 1961 में रसूल मुहम्मद को मिला था। यह रिकॉर्ड अभी भी कायम है। पटेल बताते हैं कि 25 कैरेट से अधिक वजन वाले जेम क्वालिटी के हीरों को बेशकीमती और नायाब श्रेणी में रखा जाता है उस लिहाज से यह ग्यारवां बड़ा हीरा है जो हीरा कार्यालय में विधिवत जमा किया गया है। 

हीरा अधिकारी पन्ना रवि पटेल बताते हैं कि बीते तीन वर्ष के दौरान मिले हीरों में यह चौथा बड़ा हीरा है। इसके पूर्व पन्ना के ही गरीब मजदूर मोतीलाल को वर्ष 2018 में 42 कैरेट 59 सेंट वजन का बेशकीमती नायाब हीरा मिला था। यह 42.59 कैरेट वजन वाला नायाब हीरा खुली नीलामी में 6 लाख रू. प्रति कैरेट की दर से 2 करोड़ 55 लाख रू. में बिका था, जिसे झांसी उ.प्र. के निवासी राहुल अग्रवाल ने खरीदा था। इसी तरह वर्ष 2019 में पन्ना शहर के बड़ा बाजार निवासी बृजेश उपाध्याय को 29.46 कैरेट वजन का बेशकीमती हीरा मिला। इन तीन वर्षों के दौरान 21 फरवरी सोमवार को पन्ना की कृष्णकल्याणपुर उथली हीरा खदान क्षेत्र में मिला 26.11 कैरेट वजन का चौथा बड़ा हीरा है जो उज्जवल किस्म का हीरा है। हीरा अधिकारी श्री पटेल ने बताया कि इस बड़े हीरे को 24 फरवरी से शुरू होने वाली नीलामी में रखा जायेगा। नीलामी में हीरे की बिक्री होने पर शासन की रायल्टी काटने के बाद शेष राशि हीरा धारक को प्रदान की जाएगी।

एक लिपिक व हीरा पारखी के सहारे चल रहा हीरा कार्यालय

बेशकीमती हीरों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में स्थित देश के इकलौते हीरा कार्यालय पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहाँ की रत्नगर्भा धरती से भले ही बेशकीमती हीरे निकलते हैं लेकिन लेकिन इन हीरों की चमक यहाँ कहीं नजर नहीं आती। शासन की अनदेखी और उपेक्षा के चलते पन्ना स्थित हीरा कार्यालय भी अब बंद होने की कगार में जा पहुंचा है। पिछले कई वर्षों से इस कार्यालय में कर्मचारियों के रिटायर होने पर उनकी जगह किसी की पदस्थापना नहीं हुई, फलस्वरूप इस कार्यालय के ज्यादातर पद खाली पड़े हैं। आलम यह है कि देश का यह इकलौता हीरा कार्यालय एक लिपिक व एक हीरा पारखी के सहारे संचालित हो रहा है। 

पूर्व में पन्ना स्थित हीरा कार्यालय में जहाँ हीरा अधिकारी की पदस्थापना होती थी वहीं अब खनिज अधिकारी के पास हीरा कार्यालय का प्रभार है। नवीन कलेक्ट्रेट भवन में हीरा अधिकारी का चेंबर तक नहीं है, हीरा कार्यालय एक छोटे से कमरे में संचालित हो रहा है। हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि पहले पन्ना जिला मुख्यालय के साथ-साथ इटवांखास व पहाड़ीखेरा में उप कार्यालय हुआ करते थे जो अब बंद हो चुके हैं। उस समय उथली हीरा खदानों की निगरानी व खदानों से प्राप्त होने वाले हीरों को जमा कराने के लिए तीन दर्जन से भी अधिक सिपाही और हीरा इंस्पेक्टर पदस्थ थे। लेकिन अब सिर्फ दो सिपाही बचे हैं जो अपने रिटायरमेंट की राह देख रहे हैं।

पन्ना जिले में हीरा धारित पट्टी का विस्तार लगभग 70 किलोमीटर क्षेत्र में है, जो मझगवां से लेकर पहाड़ीखेरा तक फैली हुई है। हीरे के प्राथमिक स्रोतों में मझगवां किंबरलाइट पाइप एवं हिनौता किंबरलाइट पाइप पन्ना जिले में ही स्थित है। यह हीरा उत्पादन का प्राथमिक स्रोत है जो पन्ना शहर के दक्षिण-पश्चिम में 20 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां अत्याधुनिक संयंत्र के माध्यम से हीरों के उत्खनन का कार्य सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) द्वारा संचालित किया जाता रहा है। मौजूदा समय उत्खनन हेतु पर्यावरण की अनुमति अवधि समाप्त हो जाने के कारण यह खदान 1 जनवरी 21 से बंद है। एनएमडीसी हीरा खदान बंद होने से हीरों के उत्पादन का ग्राफ जहाँ नीचे जा पहुंचा है वहीं शासन को मिलने वाली रायल्टी में भी कमी आई है। यदि निकट भविष्य में एनएमडीसी हीरा खदान चालू नहीं हुई और हीरा कार्यालय की हालत नहीं सुधरी तो हीरों से जो पन्ना की पहचान थी वह भी ख़त्म हो सकती है।      

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