- गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती को बताया जरुरी
- शून्य बजट वाली प्राकृतिक कृषि पद्धति पर राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित
- पन्ना के स्थानीय जगन्नाथ स्वामी टाउन हॉल में भी आयोजित हुई कार्यशाला
भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में प्राकृतिक कृषि पद्धति पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला। |
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आज बुधवार को 'शून्य बजट प्राकृतिक कृषि पद्धति' पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला का गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत, मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व मंत्री श्री कमल पटेन ने दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। इसी के साथ पन्ना जिले में भी जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित हुई।
पन्ना के स्थानीय जगन्नाथ स्वामी टाउन हॉल में बुधवार को आज शून्य बजट प्राकृतिक कृषि पद्धति के संबंध में जानकारियों से अवगत कराने के लिए एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला हुई। इस अवसर पर भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में शामिल गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उद्बोधन को टाउन हॉल में उपस्थितजनों द्वारा एलईडी स्क्रीन के माध्यम से देखा और सुना गया।
पन्ना में आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला को वर्चुअली सम्बोधित करते हुए मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह। |
टाउन हॉल में आयोजित कार्यशाला में दिल्ली से वर्चुअली शामिल हुए खनिज साधन एवं श्रम मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि फसल उत्पादन में डीएपी और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से फसलों की पैदावार में बढ़ोत्तरी हुई है, लेकिन जमीन की उपजाऊ क्षमता कम होने के साथ ही बीमारियों में बढ़ोत्तरी भी हुई है। उन्होंने कहा कि पुरातन कृषि पद्धति को अपनाने के साथ ही जैविक खेती के प्रोत्साहन की आवश्यकता है। लोगों का जैविक उत्पादों के प्रति रूझान बढ़ने से किसानों को जैविक उत्पादों का अच्छा दाम भी मिलले लगा है। जैविक खेती से फसल की गुणवत्तायुक्त पैदावार के साथ ही भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि गौपालन को बढ़ावा मिलने से जैविक खेती कम बजट में फायदे का सौदा साबित होगी। उन्होंने गौवंश के संरक्षण की बात भी कही और उम्मीद जताई कि यह कार्यशाला किसानों के लिए उपयोगी साबित होगी।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान प्राकृतिक खेती : राज्यपाल श्री पटेल
राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने प्रदेश के किसानों का आहवान किया कि "जब जागो-तभी सवेरा" के भाव से प्राकृतिक खेती के लिए संकल्पित हो। उन्होंने कहा कि वर्ष 1977 में राष्ट्रसंघ ने ग्लोबल वार्मिंग के संबंध में चेताया था। इसके बावजूद ग्लोबल वार्मिंग की समस्या निरंतर बढ़ती जा रही है। प्रकृति ने वर्ष में चार मौसम की व्यवस्था की है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हुए मानव जाति ने एक दिन में चार मौसम कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि आज एक ही दिन में तेज ठंड और गर्मी दोनों हो रही है। समय रहते यदि प्रयास नहीं किए गए तो भविष्य भयावह हो सकता है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी समाधान प्राकृतिक खेती है। आवश्यकता है कि यह बात हर किसान तक पहुँचाई जाए।
प्राकृतिक खेती अपनाने पर भावी पीढ़ी मानेगी आभार : आचार्य देवव्रत
गुजरात के राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती के एक काम से अनेक लाभ मिलेंगे। ग्लोबल वार्मिंग से रक्षा होगी। पर्यावरण, पानी, गाय, धरती और लोगों का स्वास्थ्य बचेगा। इससे सरकार और लोगों का धन भी बचेगा तथा भावी पीढ़ी वर्तमान पीढ़ी का आभार मानेगी। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती और जैविक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती, धरती- पर्यावरण और जीवन जगत के लिए अधिक सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती है। केवल एक से दो प्रतिशत तापमान में वृद्धि से 32 प्रतिशत उत्पादन कम होगा। अत: प्राकृतिक खेती को अपनाना आवश्यक है।
जैविक खेती का मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा रकबा : मुख्यमंत्री
'शून्य बजट प्राकृतिक कृषि पद्धति' पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला के शुभारंभ के मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में कहा- 1 लाख 65 हजार 840 रजिस्टर्ड किसान आज इस कार्यक्रम से हर स्थान से जुड़े हैं। इस कार्यशाला में भाग लेने साढ़े नौ लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। वे अपने घरों में भी इस कार्यक्रम को सुन रहे हैं। मध्यप्रदेश में आज जैविक खेती का सबसे बड़ा रकबा है। एक जमाना था जब रासायनिक खाद के उपयोग की आवश्यकता थी। लेकिन अब जब इसके दुष्परिणाम देखते हैं तो सचमुच में कांप जाते हैं। हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। अब हमें प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होना पड़ेगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे यह भी कहा कि, ''मुझे कहते हुए खुशी है मध्यप्रदेश का गेहूं हम पूरी दुनिया में भेजने का प्रयास कर रहे हैं। सरबती, कठिया गेहूं, लोकमन ये कम पानी में होने वाली खेती है। इस पर चर्चा होगी। आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश देश का नेतृत्व प्राकृतिक खेती में करेगा।''
गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा- सभी की इच्छा है कि मेरे देश का किसान खुशहाल, समृद्ध हो, हमारे प्रधानमंत्री रात-दिन लगातार मेहनत कर रहे हैं। किसानों के लिए वे लगातार काम कर रहे हैं। भारत आत्मनिर्भर हो, भारत उन्नत,समृद्ध हो और किसी की ओर ना देखे ऐसा देश वो बनाना चाहते हैं। इस प्रदेश ने पूरे देश में अन्न उत्पादन के क्षेत्र में नंबर वन स्थान हासिल किया। मध्यप्रदेश में बहुत से किसान जैविक खेती को कर रहे हैं, भारत के अलग-अलग भागों में भी जैविक खेती की जा रही है। पिछले तीस-चालीस साल से केंद्र और प्रदेश सरकारें इस पर बड़ा अनुदान देती हैं। और इसे बढ़ावा भी दिया जा रहा है।
जैविक खेती के अपने अनुभवों को साझा करते हुए आपने कहा कि मैंने 5 एकड़ में जैविक खेती शुरू की। पहले साल मुझे कुछ नहीं मिला, मुझे पता था एक दो साल दिक्कत आएगी, दूसरे साल भी जैविक खेती की और 50 प्रतिशत उत्पादन बचा,तीसरे साल 80 प्रतिशत उत्पादन मिला। नियम तोड़ोगे तो नहीं मिलेगा,पूरे मनोयोग से करोगे तो जरूर मिलेगा, जहर वाली खेती, एक समय था जब उसकी मांग थी, यूएनओ की एक रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि धरती में अगले 50 साल यूं ही यूरिया, डीएपी डालते रहे तो धरती कुछ भी पैदा नहीं कर पाएगी। साइंस की भाषा में जिस जमीन का ऑर्गेनिक कार्बन .3456 है वो लगभग बंजर हो चुकी है। भारत की यदि सारी धरती का ऑर्गेनिक कार्बन देखें तो 0.5 पर आ चुका है। अब इसमें और ज्यादा यूरिया डालना पड़ेगा, इतनी कमजोर होगी धरती कि उसमें लागत किसान की बढ़ती जाएगी, उत्पादन घटता जाएगा।
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