- देशों की सीमाओं का बंधन मनुष्यों के लिए भले हो लेकिन परिंदे इससे मुक्त हैं। वे बिना पासपोर्ट वीजा के एक देश से दूसरे देश तक हजारों किलोमीटर का सफर तय कर लेते हैं। अभी हाल ही में मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से जीपीएस टैग किए गए हिमालयन ग्रिफिन गिद्ध 60 दिनों में 7500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करके चीन पहुंचे हैं।
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना (मध्यप्रदेश)। भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून की मदद से मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में फरवरी 2022 में 25 गिद्धों को सौर ऊर्जा चलित जीपीएस टैग लगाए गए थे। टैग किए गए गिद्धों में 13 इंडियन वल्चर, 2 रेड हेडेड वल्चर, 8 हिमालयन ग्रिफिन एवं 2 यूरेशियन ग्रिफिन वल्चर हैं। गिद्धों को टैग करने का मुख्य उद्देश उनके आवागमन एवं रहवास के संबंध में सतत जानकारी एकत्र करना है।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि टैगिंग के पश्चात जो जानकारी निरंतर प्राप्त हो रही है, वह बहुत ही रोचक एवं गिद्धों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण है। क्षेत्र संचालक ने बताया कि हाल ही में दो हिमालयन ग्रिफिन गिद्धों के आवागमन मार्ग के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई है जिससे रोचक तथ्य सामने निकल कर आए हैं।
श्री शर्मा बताते हैं पहला हिमालयन ग्रिफिन HG_ 8673 के जीपीएस टैग की प्राप्त जानकारी से पता चला है कि यह गिद्ध पन्ना टाइगर रिजर्व से अपना प्रवास समाप्त कर अभी हाल ही में चीन के तिब्बत क्षेत्र में Shigatse City के समीप पहुंच गया है। यह गिद्ध पन्ना टाइगर रिजर्व से बिहार में पटना, तत्पश्चात नेपाल देश के सागरमथा राष्ट्रीय उद्यान से एवरेस्ट के समीप से होते हुए Shigatse City की यात्रा की है। इस गिद्ध द्वारा यह यात्रा लगभग 60 दिनों में 7500 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करके की है। इसी प्रकार एक अन्य हिमालयन ग्रिफिन HG_8677 ने भी पन्ना टाइगर रिजर्व से अपनी वापसी यात्रा करते हुए नेपाल देश में प्रवेश कर लिया है, जो वर्तमान में धोरपाटन हंटिंग रिजर्व नेपाल के समीप पहुंच गया है। भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त वन अधिकारी आर. श्रीनिवास मूर्ति ने गिद्धों के आवागमन व रहवास के अध्ययन पर प्रशन्नता जाहिर करते हुए कहा है कि यह वास्तविक इकोलॉजिकल रिसर्च है , जो मैं हमेशा से चाहता था।
पन्ना में पाई जाती हैं गिद्धों की 7 प्रजातियां
मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिज़र्व राष्ट्रीय पशु बाघ सहित आसमान में ऊंची उड़ान भरने वाले गिद्धों का भी घर है। यहां पर गिद्धों की 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की निवासी प्रजातियां हैं। जबकि शेष 3 प्रजातियां प्रवासी हैं। गिद्धों के प्रवास मार्ग हमेशा से ही वन्य जीव प्रेमियों के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। गिद्ध न केवल एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश बल्कि एक देश से दूसरे देश मौसम अनुकूलता के हिसाब से प्रवास करते हैं। प्रवासी गिद्ध बड़ी संख्या में हर साल पन्ना टाइगर रिज़र्व हजारों किमी. की यात्रा तय करके यहाँ पहुंचते हैं और प्रजनन करते हैं। ठंढ में यहाँ प्रवास करने के बाद गिद्ध गर्मी शुरू होते ही फिर अपने घर वापस लौट जाते हैं। लेकिन केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट के मूर्तरूप लेने पर विलुप्तप्राय गिद्धों का यह दुर्लभ हैविटेट डूबकर नष्ट हो जायेगा, जिसकी फ़िक्र शायद जिम्मेदार राजनेताओं को नहीं है।
गिद्धों पर मंडरा रहा विलुप्त होने का खतरा
आसमान में सबसे ऊंची उड़ान भरने वाले पक्षी गिद्धों पर विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। प्रकृति के सबसे बेहतरीन इन सफाई कर्मियों की जहां भी मौजूदगी होती है वहां का पारिस्थितिकी तंत्र स्वच्छ व स्वस्थ रहता है। लेकिन प्रकृति और मानवता की सेवा में जुटे रहने वाले इन विशालकाय पक्षियों का वजूद मानवीय गलतियों के कारण संकट में है। गिद्धों के रहवास स्थलों के उजडऩे तथा मवेशियों के लिए दर्द निवारक दवा डाइक्लोफिनेक का उपयोग करने से गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है। पन्ना टाइगर रिजर्व जहां आज भी गिद्धों का नैसर्गिक रहवास है, वहां पर रेडियो टैगिंग के माध्यम से उनकी जीवन चर्या का अध्ययन निश्चित ही एक अनूठी पहल है। इससे विलुप्ति की कगार में पहुंच चुके गिद्धों की प्रजाति को बचाने में मदद मिलेगी।
00000
No comments:
Post a Comment