Thursday, April 21, 2022

भीषण गर्मी में सेहत के लिए वरदान है बेल का शर्बत, लू से भी करता है बचाव

  • बेल का शर्बत गर्मियों में सेहत के लिए वरदान माना जाता है। तपिश भरी गर्मी में लू लग जाना एक आम समस्या है। ऐसे समय बेल का शर्बत शरीर को जहाँ ठंढक पहुंचता है, वहीं लू से भी बचाता है। 

बिल्हा गांव की मंजू सोनी बेल का शर्बत बनाते हुए। 
।। अरुण सिंह ।।

बेल हमारे देश के प्राचीन फलों में से एक है। बेल के लिए कहा जाता है- 'रोगान बिलति भिन्नति इति बिल्व" अर्थात जो रोगों का नाश करे वह बेल कहलाता है। बेल की जड़, पत्ते, छाल, शाखाएं और फल सभी का आयुर्वेद में औषधीय महत्व है। प्राचीन काल में बेल फल की उपयोगिता को स्वीकार करते हुए इसे श्रीफल की संज्ञा भी दी गयी थी। मध्यप्रदेश के जंगलों में बेल के वृक्ष प्राकृतिक रूप में बहुतायत से पाये जाते हैं। प्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व के जंगल में तो बेल के वृक्षों की तादाद हजारों में है। इस वृक्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे हर तरह की बंजर भूमि यथा-ऊसर, बीहड़, खादर, शुष्क एवं अर्द्धशुष्क में भी लगाया जा सकता है। पोषक तत्वों की बात की जाये तो बेल में विटामिन ए, बी, सी से लेकर खनिज तत्व और कार्बोहाइट्रड की भरपूर मात्रा पायी जाती है। औषधि गुणों से भरपूर होने के कारण घरों में इसका शरबत और मुरब्बा बनाकर रखा जाता है।

जैव विविधता के संवर्धन तथा जैविक खेती को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे पद्मश्री बाबूलाल दाहिया ने चर्चा करते हुए बताया कि बेल का फल अप्रैल से पकना शुरू होता है तो जून तक पके फल मिलते रहते हैं। इसके पके फल ही उपयोग में लाए जाते हैं। बेल का डंठल इतना मजबूत होता है कि पक कर भी लम्बे समय तक फल पेड़ में ही लगा रहता है, लेकिन जून में सभी पके फल झड़ जाते हैं और सूखने के बाद बरसात में फल के अन्दर बीज जम कर आवरण के बाहर आकर जमीन में उग आता है। प्रकृति ने इसे अन्य पशु पक्षियों के बजाय मात्र हाथी के खाने के लिए ही बनाया था ताकि वह पके फल को पेड़ से तोड़कर खा ले और अपने मल द्वारा दूर-दूर तक  बेल के बीज को फैलाने का काम करे। साथ ही बरसात में जमते समय पौधे के लिए खाद की भी आपूर्ति करे। बंदरों को छोड़कर बाकी पशु पक्षी इसे नहीं खा पाते। मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जिसने सभी प्रकृति प्रदत्त भोजन को अपना बना लिया है, अस्तु अप्रैल से शर्बत पीना शुरू करता है तो जून तक चलता रहता है।

पन्ना जिले के ग्राम बिल्हा निवासी मंजू सोनी के घर में बेल का पेड़ लगा है जो इस समय फलों से लदा हुआ है। वे बताती हैं कि पूरी गर्मी हम लोग बेल का शर्बत पीते हैं जिससे गर्मी से तो राहत मिलती ही है लू से भी बचाव होता है। आपने बताया कि अप्रैल के महीने से लेकर पूरे मई के महीने में जब तपिश उफान पर रहती है, पेड़ से बेल के पके फल मिलते रहते हैं। हम तो पूरी गर्मी भर शर्बत पीते ही हैं मुहल्ले पड़ोस के लोग भी पके फल शर्बत बनाने ले जाते हैं।   

बेल में पाए जाने वाले पोषक तत्व 


बिल्हा गांव में फलों से लदा बेल का वृक्ष 

बेल फल का बानस्पतिक नाम "लिमोनिया एसिडिसिमा" है। बेल फल को लकड़ी सेव, हांथी एप्पल और बन्दर फल जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह हांथियों का पसंदीदा भोजन है। इसलिए इसका नाम हांथी एप्पल एवं चूँकि खोल हार्ड लकड़ी का बना होता है इसलिए इसे लकड़ी सेव भी कहते हैं। गर्मी के मौसम में प्रकृति प्रदत्त इस तोहफे बेल के फल में विटामिन और पोषक तत्वों की भरमार होती है। बेल में मौजूद टैनिन और पेक्टिन मुख्य रुप से डायरिया और पेचिश के इलाज में अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा बेल के फल में विटामिन सी, कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन और आयरन भी अधिक मात्रा में मिलते हैं। बेल के नियमित सेवन से शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

बेल फल का इस तरह कर सकते हैं उपयोग  



पन्ना जिले के ग्राम सिलगी निवासी कृषि विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी इन्द्रमणि पाण्डे 72 वर्ष ने बताया कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में अप्रैल और मई के महीने में जब गर्म लू के थपेड़े चलते हैं उस समय गर्मी और लू के प्रकोप से बचने के लिए लोग बेल शरबत का सेवन करते हैं। वे बताते हैं कि बेल को आप कई तरीकों से खा सकते हैं। आमतौर पर बेल का रस या बेल के शरबत का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है। बेल का शरबत शरीर को ठंडक पहुंचाता है और शरीर को लू से बचाता है। इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी है। धूप में निकलने से पहले एक गिलास बेल का शरबत पीकर निकलें, तो लू नहीं लगती। आप इस फल को तोड़कर सीधे भी खा सकते हैं। इसका बाहरी हिस्सा काफी कठोर होता है, उसे तोड़ दें और अंदर के लिसलिसे गूदे में से बीज को निकालकर खाएं या रात भर इस गूदे को पानी में भिगोकर रखें और अगली सुबह इसे खाएं। कई लोग इसके गूदे को सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर सेवन करते हैं जिसे बेलगिरी चूर्ण कहा जाता है। इसके अलावा बेल की पत्तियों का रस भी बहुत गुणकारी है और कई बीमारियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। आप घर पर ही बेल का मुरब्बा बनाकर भी उसका सेवन कर सकते हैं। 

बेल का शरबत बनाने की सामग्री व विधि

  • एक पका बेल फल
  • एक लीटर पानी
  • एक नींबू 
  • एक चम्मच काला नमक
  • चीनी या गुड़ स्‍वादानुसार

पूर्णिमा गोरे 

पूर्णिमा गोरे रिटायर्ड शिक्षिका 81 वर्ष निवासी बेनीसागर पन्ना ने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले बेल के शरबत को आप बड़ी आसानी से अपने घर पर ही बना सकते हैं। आपने बताया कि बेल का शरबत बनाने के लिए सबसे पहले बेल के फल को तोड़कर इसके बाहरी मोटे छिलके को इसके गूदे से अलग कर लें। अब गूदे में से इसके बीज निकाल लें। ध्यान रखें कई बार बेल के फल के बीज के आस-पास बहुत सारा जैल लगा होता है, जो स्वाद में कड़वा होता है। इसे यदि हटाया न किया जाए तो शरबत में भी कड़वाहट आने लगती है। इसके बाद एक बड़े बाउल में बेल के फल का गूदा लें और उसमें पानी डाल कर अच्‍छी तरह से मिक्‍स करें।

ऐसा करने से आप गूदे को अच्‍छे से मिक्‍स भी कर पाएंगे और उसमें मौजूद बीज भी अलग हो जाएंगे। अब एक बड़ी छन्‍नी से इस मिश्रण को छान लें। छन्‍नी में थोड़ा और पानी डालें ताकि जितना हो सके गूदे से रस निकल जाए। अब आप इसमें अपने स्‍वादानुसार चीनी या गुड़ डालकर मिक्स करें। जब चीनी व गुड़ घुल जाये तो एक चम्मच अथवा स्वादानुसार काला नमक डालें तथा नींबू का रस निचोड़ें। यदि आप चाहें तो इसमें बर्फ के टुकड़े भी डाल सकते हैं। अब आपका स्वादिस्ट बेल का शर्बत तैयार है, जिसे सर्व कर सकते हैं। 

00000 

No comments:

Post a Comment