- पन्ना टाइगर रिजर्व में दिख रहा सारस का जोड़ा
- उड़ान भरने वाला धरती का यह सबसे बड़ा पक्षी
पन्ना। उड़ान भरने वाला धरती का सबसे बड़ा पक्षी सारस पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर प्रवाहित होने वाली केन नदी के किनारे नजर आ रहे हैं। सारस पक्षी का एक जोड़ा पिछले कई दिनों से इस इलाके में डेरा डाले हुए है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि केन किनारे की आबोहवा व जलवायु इस विशालकाय पक्षी को भा रही है। मालुम हो कि सारस को उ.प्र. के राज्य पक्षी का दर्जा प्राप्त है।
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिज़र्व वनराज व जंगल का शहजादा कहे जाने वाले तेंदुओं का घर तो है ही, यहाँ पर रंग बिरंगे 247 प्रजातियों के पक्षी भी पाए जाते हैं। पर्यावरण के सबसे बेहतरीन सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्धों का अनोखा संसार भी यहाँ पर बसा हुआ है। यहां पर गिद्धों की 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की निवासी प्रजातियां हैं। जबकि शेष 3 प्रजातियां प्रवासी हैं। पन्ना टाइगर रिज़र्व व इसके आसपास पाए जाने वाले पक्षियों के अदभुत संसार में विशालकाय पक्षी सारस जो जोड़े में रहता है वह भी शामिल है।
सारस पक्षी के जोड़े को दाम्पत्य प्रेम का प्रतीत माना जाता है। सारस पक्षी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि अपने जीवन काल में यह सिर्फ एक बार जोड़ा बनाता है और जोड़ा बनाने के बाद जीवन भर साथ रहता है। यदि किसी कारण से एक साथी मर या बिछड़ जाता है तो दूसरा भी उसके वियोग में अपने प्रांण त्याग देता है। सारस को किसानों का मित्र पक्षी भी कहा जाता है, क्यों कि यह फसलों में लगने वाले कीड़ों को खाकर फसलों को नष्ट होने से बचाता है। दलदली व नमी वाले स्थान इसे प्रिय हैं, इसकी आवाज काफी दूर तक सुनाई देती है। जानकारों के मुताबिक विश्व में सबसे अधिक सारस पक्षी भारत में ही पाये जाते हैं।
पन्ना टाइगर रिज़र्व के ऑफिसियल ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर यह बताया गया है कि केन नदी का किनारा सारस पक्षी को खूब रास आ रहा है। सारस क्रेन दुनिया का सबसे ऊँचा पक्षी है जो उड़ सकता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। लाल सिर और ऊपरी गर्दन को छोड़कर इसका पूरा शरीर ग्रे रंग का है। यह उनके सुंदर क्षेत्रीय और प्रेमालाप प्रदर्शनों के लिए प्रसिद्ध है जिसमें जोरदार तुरही कॉल, छलांग और नृत्य जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इसे IUCN रेड लिस्ट में वल्नरेबल के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के किनारे के क्षेत्रो में सारस क्रेन देखी जा सकती है।
सारस पक्षियों में मनुष्य की ही तरह प्रेम भाव होता है, ये ज्यादातर दलदली भूमि, बाढ़ वाले स्थान, तालाब, झील और खेतों में देखे जा सकते हैं। अपना घोसला ये छिछले पानी के आसपास ही बनाना पसंद करते हैं। जहां हरे- भरे खेत, पेड़ - पौधे, झाडिय़ां तथा घास हो। नर और मादा देखने में एक जैसे ही लगते हैं, दोनों में बहुत ही कम अन्तर पाया जाता है। लेकिन जब दोनों एक साथ हों तो छोटे शरीर के कारण मादा सारस को आसानी से पहचाना जा सकता है। मादा सारस एक बार में दो से तीन अण्डे देती है। अण्डों से बच्चों को बाहर निकलने में 25 से 30 दिन का समय लगता है। सारस पक्षी का औसत वजन 7.3 किग्रा. तथा लम्बाई 173 सेमी. होती है। पूरे विश्व में सारस पक्षी की कुल 8 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से चार प्रजातियां भारत में मिलती हैं। अब इन पक्षियों की संख्या तेजी से घट रही है, जिससे पक्षी प्रेमी व पर्यावरण के हिमायती काफी चिन्तित हैं।
फसल उत्पादन के तरीके में हुए बदलाव यानी परम्परागत अनाज के बदले नगदी फसल उगाने के कारण सारस के भरण पोषण पर भी असर पड़ा है। औद्योगीकरण और आधुनिक कृषि से सारस के आवास को खतरा है। पन्ना टाइगर रिज़र्व के आसपास केन नदी के किनारे सारस के जोड़े की मौजूदगी से इन पक्षियों की ओर पर्यटकों का भी आकर्षण बढ़ रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटक सारस पक्षी के जोडे को भी बड़े कौतूहल से निहारते हैं और उनकी छवि को अपने कैमरे में कैद करते हैं।
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