Monday, May 9, 2022

खतरे में जंगल के राजकुमार, सड़क हादसे के हो रहे शिकार

  • टाइगर स्टेट सहित लेपर्ड स्टेट का दर्जा हासिल कर चुके मध्यप्रदेश में जंगल का राजकुमार कहा जाने वाला तेंदुआ सुरक्षित नहीं है। यह खूबसूरत वन्य प्राणी जहाँ शातिर शिकारियों के निशाने पर रहता है, वहीं सड़क हादसे में भी अपनी जान गवां रहा है। ताजा मामला पन्ना जिले के उत्तर वन मण्डल अंतर्गत धरमपुर रेंज का है जहाँ एक युवा नर तेंदुआ सोमवार की सुबह सड़क हादसे का शिकार हुआ है। 

जंगल का शहजादा जो सड़क हादसे का शिकार हुआ। 
।  अरुण सिंह । 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में उत्तर वन मण्डल के धरमपुर रेंज अंतर्गत आने वाले किशनपुर गांव के निकट पन्ना-बाँदा मार्ग पर आज तड़के हुए सड़क हादसे में तेंदुए की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे का शिकार हुए नर तेंदुए की उम्र 3-4 वर्ष के लगभग बताई जा रही है। सुबह घूमने जाने वाले लोगों से घटना की जानकारी मिलने पर वन अधिकारी मौके पर पहुंचे तथा मामले की जांच में जुटे हैं। 

उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ गौरव शर्मा ने बताया कि युवा नर तेंदुए की मौत सड़क हादसे में हुई है। वन्य प्राणी चिकित्सक द्वारा पोस्ट मार्टम किया जायेगा तभी स्थिति स्पष्ट होगी। आपने बताया कि सड़क मार्ग पर ताजा खून व वाहन के पहियों के निशान भी पाए गये हैं जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि घटना सुबह 4 से 6 बजे के बीच की है। वनपरिक्षेत्राधिकारी नरेश काकोड़िया वन अमले के साथ मौके पर हैं, तेंदुए को टक्कर मारने वाले अज्ञात वाहन का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। डीएफओ श्री शर्मा ने बताया कि टाइगर स्क्वाड की टीम भी तहकीकात में जुटी है। 

घटनास्थल पर मौजूद वनकर्मी जहाँ तेंदुआ असमय काल कवलित हुआ। 

उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले में बाघों के साथ-साथ तेंदुओं की भी अच्छी खासी संख्या है। पन्ना टाइगर रिज़र्व में बाघ व तेंदुओं की संख्या बढ़ने के साथ ही वे अपने लिए इलाके की तलाश में कोर क्षेत्र से बाहर निकल रहे हैं। बफर व टेरिटोरियल का जंगल कोर की तरह सुरक्षित न होने के कारण ये वन्य प्राणी जहाँ शिकारियों के निशाने पर रहते हैं वहीँ हादसे का भी शिकार हो जाते हैं। पन्ना-बाँदा, पन्ना-छतरपुर व पन्ना-कटनी मार्ग में आये दिन वन्य प्राणी हादसे का शिकार होते हैं। नवम्बर 2020 में ठीक दीपावली के दिन पन्ना-कटनी सड़क मार्ग पर अकोला बफर वृत्त के बीट अमझिरिया में तेज रफ्तार वाहन की टक्कर से एक वर्षीय बाघिन की घटनास्थल पर ही दर्दनाक मौत हुई थी,जिसके आरोपियों का आज तक पता नहीं लगा।

बाघों के साथ तेंदुओं की संख्या भी मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 

मध्य प्रदेश सिर्फ टाइगर स्टेट ही नहीं अपितु लेपर्ड स्टेट ऑफ इंडिया भी बन गया है। जंगल के राजा बाघ के साथ-साथ जंगल के राजकुमार कहे जाने वाले तेंदुओं की संख्या भी पूरे देश में सबसे अधिक मध्य प्रदेश में पाई गई है। मध्य प्रदेश में 3421 तेंदुओं का अनुमान लगाया गया है, जो देश में सर्वाधिक है।मध्य प्रदेश को यह तमगा कर्नाटक और महाराष्ट्र को पछाड़कर मिला है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वर्ष 2018 में तेंदुए की स्थिति रिपोर्ट जारी की थी। इसके मुताबिक, मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 3,421, कर्नाटक में 1783 और महाराष्ट्र में 1690 तेंदुए पाए गए थे।



मालुम हो कि मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में जहाँ बाघों की संख्या 70 के पार है, वहीं जंगल के राजकुमार तेंदुओं की भी अच्छी खासी तादाद है। टाइगर रिज़र्व के अलावा जिले के उत्तर व दक्षिण वन मंडल क्षेत्र में भी तेंदुओं की मौजूदगी पाई गई है। जाहिर है कि मध्यप्रदेश को तेंदुआ स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना जिले की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

टाइगर रिज़र्व के बाहर का जंगल तेंदुओं के लिए सुरक्षित नहीं 

जंगल का शहजादा कहा जाने वाला तेंदुआ पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से बाहर बफर व टेरिटोरियल के जंगल में सुरक्षित नहीं है। यहां स्थित पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र को यदि अलग कर दें तो बफर क्षेत्र व उत्तर तथा दक्षिण वन मंडल का जंगल तेंदुओं के लिए अनुकूल और सुरक्षित नहीं बचा है। तकरीबन 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौडऩे की क्षमता रखने वाला यह खूबसूरत वन्य जीव शातिर शिकारियों के निशाने पर रहता है। बीते दो वर्ष के दौरान अकेले विश्रामगंज व धर्मपुर वन परिक्षेत्र में शातिर शिकारियों ने पांच तेंदुओं को अपना निशाना बनाया है। यह तो ज्ञात संख्या है, इनके अलावा तेंदुओं  के मारे जाने की अज्ञात संख्या कितनी होगी, यह अनुमान लगा पाना कठिन है। पन्ना शहर से लगे उत्तर वन मंडल के विश्रामगंज वन परिक्षेत्र तथा अजयगढ़ से लगे धरमपुर वन परिक्षेत्र में जिस तरह से बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन और जंगल की कटाई हो रही है, उससे इन वन क्षेत्रों में में वन्यजीवों के रहने लायक स्थान का तेजी से क्षरण हुआ है।

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1 comment:

  1. वन्य जीवों और उनके रहवास के सबंध में वन विभाग को आपके लेख से मार्गदर्शन लेकर कुछ सकारात्मक प्रयास करना चाहिए ।

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