Monday, June 13, 2022

पन्ना में बाघिन पी-141 ने दिया दो शावकों को जन्म

  • नन्हे शावकों की उम्र लगभग 2 से 3 माह
  • पार्क भ्रमण में आए पर्यटक ने ली है फोटो 

पन्ना टाइगर रिज़र्व की बाघिन पी-141 अपने दो नन्हे शावकों के साथ।  

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से आज एक खुशखबरी मिली है। यहां की बाघिन पी-141 ने दो नन्हे शावकों को जन्म दिया है। शावकों के साथ बाघिन की तस्वीर पार्क भ्रमण में आए पर्यटक ने ली है। मालूम हो कि अभी हाल ही में 9 जून को पन्ना टाइगर रिज़र्व के नर बाघ पी-111 की 13 वर्ष की आयु में मौत हो गई थी जिसका शव पन्ना-कटनी मार्ग के किनारे राजबरिया बीट अंतर्गत पड़ा मिला था। इसके कुछ ही घंटे बाद अकोला बफर क्षेत्र में बाघिन पी-234 के शावक उम्र लगभग 9 माह का शव मिला। इन दो घटनाओं ने हर किसी को चिंता  में डाल दिया था। लेकिन पीटीआर से ऐसे समय पर मिली यह खुशखबरी राहत प्रदान करने वाली है। 

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि बाघिन पी-141 ने अपने तीसरे लिटर में 2 शावकों को जन्म दिया है। शावकों की पहली फोटो 12 जून को पन्ना टाइगर रिजर्व के भ्रमण पर आए पर्यटक कुमार अमित द्वारा खींची गई, जिसे उन्होंने पार्क प्रबंधन के साथ साझा की है। श्री शर्मा ने बताया कि शावकों की उम्र 2 से 3 माह की प्रतीत होती है। बाघिन व उसके दोनों शावक स्वस्थ हैं। इसके पूर्व बाघिन पी-141 द्वारा अपने पहले लिटर मार्च 2018 और दूसरे लिटर जून 2020 में भी दो-दो शावकों को जन्म दिया था।

काश ! पन्ना पर इसी तरह मेहरबान रहे प्रकृति 

पन्ना का जंगल आदिकाल से बाघों का घर रहा है। यहाँ प्रकृति के विविध रूप जहाँ देखने को मिलते हैं वहीं वनराज सहित विभिन्न प्रजाति के वन्य प्राणी व पक्षी भी यहाँ आश्रय पाते हैं। एक तरह से प्रकृति पन्ना पर मेहरबान है। लेकिन मानवीय दखलंदाजी, गलतियों तथा प्रकृति और पर्यावरण के खिलाफ चलने वाली गतिविधियों से वन्य जीवों की जिंदगी में खलल पड़ता है जिससे क्षति भी होती है। पन्ना जब बाघ विहीन हो गया तो बाघों को यहाँ फिर से आबाद करने के लिए सार्थक व रचनात्मक पहल हुई। इस पहल का प्रकृति ने भी न सिर्फ स्वागत अपितु सहयोग भी किया। इसी का नतीजा है कि पन्ना का जंगल आज न सिर्फ बाघों से आबाद है बल्कि यह नन्हे शावकों से हमेशा गुलजार रहने लगा है। अब यह हमारे ऊपर है कि हम पुरानी गलतियों की पुनरावृत्ति न होने दें ताकि प्रकृति प्रदत्त पन्ना की यह अनमोल धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित और संरक्षित रहे।  

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