- तीन सौ से भी अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे पक्षी मौजूद
- प्रवासी पक्षी व वल्चर बने पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र
नन्हे पर्यटक पन्ना के जंगल में रंग विरंगे पक्षियों व प्रकृति के अद्भुत नजारों को देखते हुए। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। बर्ड वॉचिंग (Bird Watching) के शौकीनों के लिए पन्ना टाईगर रिजर्व का जंगल किसी जन्नत से कम नहीं है । लगभग 543 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस खूबसूरत जंगल तथा बीचों-बीच प्रवाहित होने वाली केन नदी में तीन सौ से भी अधिक प्रजातियों के रंग-बिरंगे पक्षी देखने को मिलते हैं। टाईगर रिजर्व के भ्रमण हेतु आने वाले पर्यटको में बर्ड वॉचिंग के शौकीनों की संख्या बढ़ी है। पक्षियों पर रिसर्च कर रहे विश्व स्तर के कई पक्षी विशेषज्ञ इन दिनों यहां डेरा डाले हुए हैं।
गौरतलब है कि अभी तक पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र टाईगर हुआ करता था। पार्क भ्रमण के दौरान पर्यटकों को यदि टाईगर देखने को नहीं मिला तो वे बड़े निराश होकर यहां से जाते थे। पार्क प्रबंधन व मैदानी अमला भी सिर्फ टाईगर को लोकेट करने में ही लगा रहता था लेकिन अब प्रबन्धन व पर्यटक दोनों का ही रूझान बदला है। टाईगर के अलावा भी अब पर्यटक अन्य दूसरे वन्य प्राणियों, पक्षियों व वनस्पतियों के बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं।
विश्व प्रसिद्ध पक्षी विशेषज्ञों के पन्ना टाईगर रिजर्व में अध्ययन हेतु आने से जंगल में बहुतायत से पाये जाने वाले विभिन्न प्रजातियों के रंग बिरंगे पक्षियों की ओर पर्यटकों की उत्सुकता बढ़ी है। आलम यह है कि पार्क भ्रमण हेतु आने वाले पर्यटकों को यदि टाईगर नहीं दिखा तो भी वे जंगल की खूबसूरती व यहां स्वच्छन्द रूप से विचरण करने वाले अन्य वन्य प्राणियों तथा पक्षियों की मौजूदगी का भरपूर लुत्फ उठाते हैं। बर्ड वॉचिंग का शौक रखने वाले पर्यटकों ने बताया कि पर्यटक अब लोकेट किये हुए टाईगर को देखना ज्यादा पसंद नहीं करते। जंगल में नेचुरल स्थिति में विचरण करते हुए यदि टाईगर नजर आता है तो पर्यटक यह नजारा देख रोमांचित होता है।
टाईगर के अलावा भी पर्यटक पर्यावरण से संबंधित सब कुछ देखना व अनुभव करना चाहता है। पार्क भ्रमण हेतु पहुँची एक महिला टूरिस्ट ने बताया कि टाईगर रिजर्व में बहुत सारे प्रवासी पक्षी भी देखने को मिले। उन्होंने बड़े ही उत्साह के साथ बताया कि उसने किंग वल्चर को पहली बार नेस्ट में देखा है। धुंधुवा वाटर फाल की गहरी खाई में चट्टानों के बीच नेस्ट में यह विशालकाय पक्षी बैठा हुआ था। किंग वल्चर के अलावा क्रिस्टल सप्रेन्ट ईगल, पेरेग्रीन पेल्कन, पैराडाईज फ्लाईकेचर, सारस क्रेन, बूटेल ईगल, रेड ब्रेस्टेड फ्लाईकैचर जैसे अनेकों पक्षी दिखाई दिये। पन्ना टाईगर रिजर्व की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर जंगल व पानी दोनों जगह पक्षी दिखते हैं। पर्यटकों का कहना है कि पन्ना टाईगर रिजर्व घूमने आने वाले पर्यावरण प्रेमियों को पक्षियों के बारे में सही जानकारी देने वालों की यहां कमी है। इससे बर्ड वॉचर्स को पक्षियों की जानकारी जुटाने में परेशानी उठानी पड़ती है।
विदित हो कि म.प्र. में पाई जाने वाली गिद्धों की चार प्रजातियां किंग वल्चर, लांग विल्ड वल्चर, व्हाइट बैक्ड वल्चर तथा इजिप्सियन वल्चर पन्ना टाईगर रिजर्व में अच्छी संख्या में निवास करते हैं। लेकिन ठण्ड का मौसम आने पर गिद्धों की तीन प्रजातियां यहां प्रवास के लिए आते हैं । ये प्रवासी हिमालयन वल्चर पूरे ठण्ड के दिनों में यहां रूकते हैं और घोसला बनाकर बच्चे भी देते हैं। ठण्ड खत्म होने पर मार्च के महीने में हिमालयन वल्चर चले जाते हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि शीत ऋतु में यहां आने वाले प्रवासी वल्चरों में सिनरस वल्चर, यूरेशियन ग्रिफिन वल्चर तथा हिमालयन वल्चर प्रमुख हैं। बताया गया है कि भारत में गिद्धों की 8 प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें 7 प्रजाति के गिद्ध पन्ना टाईगर रिजर्व में हैं जो निश्चित ही गर्व की बात है।
राज्य पक्षी दूधराज के भी होते हैं दर्शन
म.प्र. का राज्य पक्षी दूधराज (इंडियन फ्लाईकैचर)। |
म.प्र. के राज्य पक्षी दूधराज (इंडियन फ्लाईकैचर) पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगल में खूब नजर आता है। शानदार कलगी वाला यह खूबसूरत पक्षी देशी व विदेशी सभी पर्यटकों को खूब लुभाता है। इस पक्षी के दर्शन होते ही पर्यटक खुशी से झूम उठते हैं। पन्ना टाईगर रिजर्व के प्रसिद्ध पाण्डव जल प्रपात की वादियों में दूधराज पक्षी सबसे अधिक देखने को मिलता है। यह स्थल राज्य पक्षी के लिए आदर्श रहवास है। दूधराज के अलावा भी पाण्डव जल प्रपात के आस-पास दुर्लभ प्रजाति के अनेकों पक्षी देखने को मिल जाते हैं। यही वजह है कि बर्ड वॉचिंग के शौकीनों का यहां जमावड़ा लगा रहता है। इस स्थल की एक विशेषता यह भी है कि यह पर्यटकों के भ्रमण हेतु बारहो महीना खुला रहता है।
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