- स्वयंसेवी संस्था समर्थन के तत्वाधान में आयोजित हुआ अनूठा कार्यक्रम
- प्राकृतिक खेती से मिट्टी का स्वास्थ्य सुधरेगा और लागत में आएगी कमी
समर्थन संस्था के तत्वाधान में किसान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मंचासीन अतिथिगण। |
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। किसान दिवस पर शनिवार को कृषि विज्ञानं केन्द्र पन्ना परिसर में स्वयंसेवी संस्था समर्थन के तत्वाधान व डब्लू.एच.एच के सहयोग से जल प्रबंधन व प्राकृतिक खेती पर केंद्रित अनूठा कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इसमें बड़ी तादाद में महिला कृषकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की। इनमें ऐसी कई महिला कृषक भी थीं जो विगत कई वर्षों से प्राकृतिक खेती कर रही हैं। कार्यक्रम में उन्होंने प्राकृतिक खेती के अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि इससे न सिर्फ खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य (उर्वरता) सुधरता है अपितु खेती की लागत भी घटती है। महिला कृषकों ने यह भी बताया कि अब किसानों का रुझान प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहा है।
कार्यक्रम में जल प्रबंधन एवं स्वच्छता की महत्ता और आवश्यकता पर भी विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रकाश डाला गया। कृषि वैज्ञानिक श्री जयसवाल ने बताया कि अनाज के उत्पादन में हम आत्मनिर्भर जरूर हो गए हैं, लेकिन अधाधुंध रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग से प्राकृतिक असंतुलन भी पैदा हुआ है। मृदा (मिट्टी) का स्वास्थ्य बिगड़ा है, इस विकट स्थिति से उबरने के लिए प्राकृतिक खेती अपनाना जरुरी है। प्राकृतिक खेती से मिटटी का स्वास्थ्य सुधरेगा। कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों द्वारा खेती में पानी की महत्ता को देखते हुए पानी के प्रबंधन व संरक्षण को बेहद जरुरी बताया तथा किसानों को इस बावत संकल्प भी दिलाया गया।
कार्यक्रम में मौजूद विभिन्न ग्रामों की महिला कृषक व जल मित्र। |
कृषि विज्ञानं केंद्र पन्ना के वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री त्रिपाठी ने ग्लोबल वार्मिंग की आ रही विभीषिका से चेताया और कहा कि यदि प्राकृतिक संतुलन से खिलवाड़ जारी रहा तो आने वाला समय भयावह होगा। आपने कहा कि मौजूदा समय ज्यादातर किसान उन फसलों का उत्पादन कर रहे हैं जिनको उगाने में सर्वाधिक पानी की आवश्यकता होती है। इससे जमींन के अंदर संग्रहित रिज़र्व वाटर तेजी से घट रहा है, बदले में हम बारिश के पानी का संचय जमीं के भीतर करने हेतु कोई उपाय नहीं करते। सिर्फ खर्च करने का काम करते हैं जो चिंताजनक है।
डा. त्रिपाठी ने किसानो को मिट्टी की उर्वरता बढ़ने तथा उसे बीमारी से बचाने हेतु प्राकृतिक खेती अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अधिक पानी वाली फसलों धान और गेंहूं के साथ किसानों को दलहनी व तिलहनी फसलों के रकबा को बढ़ाने पर ध्यान देना होगा। इन फसलों में पानी कम लगता है और हमारी सेहत के लिए ये फसलें जरुरी हैं। आपने कहा कि गेंहूं के प्रचुर उत्पादन से हम रोटी की व्यवस्था तो कर लेते हैं लेकिन थाली से दाल नदारत है। दाल के लिए हमें दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ता है। इसलिए जरुरी है कि दलहन व तिलहन के घटते रकबे में वृद्धि की जाय।
पत्रकार अरूण सिंह ने कहा कि प्राकृतिक खेती आज की आवश्यकता है। आजादी के बाद अनेकों वर्षों तक हम पहले अनाज के लिए दूसरों पर निर्भर थे। फिर कृषि वैज्ञानिकों के प्रयासों से देश में हरित क्रांति हुई, तब हम अपने जरुरत का अनाज खुद पैदा करके आत्मनिर्भर हो गये। लेकिन यहीं पर रुक जाना ठीक नहीं है, आत्मनिर्भरता के लिए जो उपाय पहले जरुरी थे वे अब हानिकारक सिद्ध हो रहे हैं। इसलिए अब हमें परस्पर निर्भरता की ओर कदम उठाना होगा क्योंकि परस्पर निर्भरता संतुलित पर्यावरण की बुनियाद है। कार्यक्रम को मुख्य अतिथि जिला पंचायत उपाध्यक्ष संतोष यादव तथा उपसंचालक कृषि एपी सुमन ने भी सम्बोधित किया और किसानों को महत्वपूर्ण व उपयोगी जानकारी दी।
महिला किसानों ने जैविक सब्जियों की लगाई प्रदर्शनी
कार्यक्रम स्थल में महिला कृषकों द्वारा लगाई गई सब्जियों की प्रदर्शनी। |
इस आयोजन में सबसे आकर्षण का केन्द्र विभिन्न ग्रामों से आईं महिला किसानों की प्रदर्शनी थी जिसमे जैविक तरीके से किचेन गार्डेन में उगाई गई हरी-भरी सब्जियों को प्रदर्शित किया गया था। समर्थन संस्था के रीज़नल क्वार्डिनेटर व इस कार्यक्रम के आयोजन में महती भूमिका निभाने वाले ज्ञानेंद्र तिवारी ने बताया कि संस्था के प्रयासों से विभिन्न ग्रामों में महिलाओं ने अपने घरों में 740 किचेन गार्डन तैयार किये हैं। किचेन गार्डन से महिलाओं को परिवार के दैनिक उपयोग हेतु ताज़ी सब्जी मिल जाती है, जिससे आर्थिक बचत के साथ-साथ सेहत भी बढ़िया रहती है। प्रदर्शनी में इन्हीं किचेन गार्डन में उगाई जा रही सब्जियों को प्रदर्शित किया गया था जिसे अतिथियों ने बड़ी रूचि के साथ ख़रीदा। इस आयोजन में जल मित्रों के अलावा समर्थन से प्रीतम,चाली,कमल, सुरेन्द्र एवं लखन लाल का सराहनीय सहयोग रहा। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन समर्थन के ज्ञानेन्द्र तिवारी ने किया।
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