Sunday, December 10, 2023

परम्परागत देशी किस्म के मोटे अनाजों को बचाने की पहल

  • पन्ना जिले के ग्राम पल्थरा में बीज मेंला का हुआ आयोजन 
  • विलुप्त हो रही देसी किस्मों को दोबारा प्रचलन लाया जायेगा 

पल्थरा गांव में ही लगी धान की फसल विविधिता ब्लाक का अवलोकन करते किसान। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले का पल्थरा गांव चर्चा में है। जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 27 किमी. दूर घने जंगल के बीच स्थित यह छोटा सा आदिवासी बहुल गांव स्वच्छता और जल प्रबंधन का जहाँ मॉडल विलेज बन चुका है, वहीं इस गांव के लोगों ने विलुप्त हो रही देसी मोटे अनाजों की किस्मों को संरक्षित कर उन्हें दोबारा प्रचलन में लाने की भी अभिनव पहल की है।

उल्लेखनीय है कि ग्राम पल्थरा जिला पन्ना में आरआरए नेटवर्क बुन्देलखण्ड एवं समर्थन संस्था के द्वारा गाठ दिवस बीज मेला का आयोजन किया गया। इस आयोजन में अखिल भारतीय समाज सेवी संस्थान मानिकपुर चित्रकूट, पी.एस.आई शाहनगर एवं समर्थन पन्ना के किसान एवं सभी संस्थान से साथियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का समन्वय आर.आर.ए नेटवर्क बुन्देलखण्ड के समन्वयक राजीव गुप्ता ने किया।


बीज मेले में किसानों एवं संस्थानों के द्वारा किसानों से एकत्र किए गए धान, कोदो, कुटकी, सांबा, मटर एवं गेंहू के परंपरागत बीजों को लाया गया। इस मेले में 8 किस्मों की धान के पेनिकल ( बाल ) को भी लाया गया, यहाँ किसानों द्वारा लाए हुए बीजों के बारे में किसानों ने विस्तार से बताया। किसानों ने परंपरागत देशी अनाज की खूबियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया की वे देसी बीजों को क्यों लगा रहे हैं। मेले में बताया गया कि कुछ किस्में कम पानी में उग जाती हैं, जबकि कुछ किस्म कम दिन वाली हैं। कुछ गेहूँ एवं धान खाने में बहुत अधिक स्वादिष्ट हैं वहीं कुछ ऐसे बीज हैं जो मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत अधिक उपयोगी हैं। 

इस तरह से देशी किस्म के मोटे अनाजों की विशेषताएं बताई गईं तथा आपस में एक दूसरे के साथ बीजों को बदला गया। इसका उद्देश्य यह था कि आगे आने वाले सीजन में विलुप्त हो रही देसी किस्मों को इन क्षेत्रों में दोबारा से प्रचलन में लाया जा सके। गांव में ही लगी धान की फसल विविधिता ब्लाक का भ्रमण किया गया, जिसमें किसानों ने धान की किस्मों को देखा और किस्मों के बारे में समझा।

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