Friday, December 15, 2023

मझगवां हीरा खदान की कॉलोनी में बंदरों का डेरा

  •  पिछले लगभग तीन साल से बंद पड़ी है यह खदान
  •  कर्मचारियों का तबादला होने से खाली पड़े हैं क्वार्टर



।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में मझगवां स्थित एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड एनएमडीसी हीरा खदान विगत लगभग 3 साल से बंद है। खदान संचालन के लिए जरूरी पर्यावरणीय अनुमति न मिल पाने के चलते यह सुप्रसिद्ध हीरा खदान 1 जनवरी 2021 से ठप्प है, जिससे यहां की रौनक भी गायब सी हो गई है। चहल-पहल कम होने से अब यहां बंदरों ने कब्जा जमा लिया है।

उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 20 किलोमीटर दूर बेशकीमती हीरे निकालने वाली यह खदान स्थित है। मझगवां हीरा खदान में वर्ष 1968 से लेकर 2020 तक लगभग 13 लाख कैरेट हीरों का उत्पादन किया जा चुका है। बताया जाता है कि इस खदान में अभी भी 8.5 लाख कैरेट हीरे धरती की कोख में दबे हैं। लेकिन खदान संचालन की अवधि दिसंबर 2020 में खत्म होने व आगे इसके संचालन के लिए आवश्यक अनुमति न मिलने के चलते बेशकीमती हीरा उगलने वाली यह खदान बंद है।


परियोजना बंद हो जाने के उपरांत यहां काम करने वाले अधिकांश कर्मचारियों का स्थानांतरण एनएमडीसी की दूसरी परियोजनाओं में हो गया है। जिसके चलते एनएमडीसी कॉलोनी जिसे टाउनशिप के नाम से भी जाना जाता है, वहां बने कर्मचारी के आवासों में ताला लटक रहे हैं। कर्मचारियों की गैर मौजूदगी से यह कॉलोनी जहां बेरौनक होने लगी है, वहीं लंबे समय से खाली पड़े घरों में बंदरों का कब्जा हो गया है।


यहां संचालित होने वाले डीएवी पब्लिक स्कूल के प्ले ग्राउंड का नजारा इन दोनों देखते ही बनता है। यहां के प्ले ग्राउंड में सैकड़ो की संख्या में बंदर उछलते कूदते हर समय नजर आते हैं। आलम यह है कि इस इलाके में चलने वाली दुकानों के संचालक भी इन बंदरों से खासा परेशान हैं। खाने का सामान ये बंदर पलक झपकते उठाकर ले जाते हैं। यदि निकट भविष्य में एनएमडीसी हीरा खदान फिर चालू नहीं हुई और कर्मचारियों के क्वार्टर इसी तरह खाली पड़े रहे, तो इन पर बंदरों का पूरी तरह से कब्जा हो सकता है।

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