- क्या पीटीआर में फिर होने लगी शिकारियों की घुसपैठ ?
- यह घटना वन्य जीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय
पन्ना टाइगर रिज़र्व का नर बाघ पी-243 जिसके गले में फंदा मिला। (फ़ाइल फोटो) |
पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में 8 साल के एक नर बाघ के गले में क्लच वायर का फंदा फंसा हुआ मिला है, जिससे पन्ना टाइगर रिजर्व में हड़कंप मचा हुआ है। बाघ पी-243 पन्ना टाइगर रिजर्व का सबसे बड़ा डोमिनेंट बाघ है, जिसका मूवमेंट तीन रेंजों में देखा गया है। बाघ के गले में क्लच वायर का फंदा कैसे फंसा, यह अभी रहस्य है। लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व में शिकारियों के घुसपैठ की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा।
उल्लेखनीय है कि नर बाघ के गले में फंदा लगा होने की खबर सबसे पहले पर्यटकों को तब लगी जब उन्होंने बाघ को इस हालत में घूमते हुए जंगल में देखा। फंदा फंसे बाघ का वीडियो गत रविवार को सामने आने पर पार्क प्रबंधन सक्रिय हुआ और इस नर बाघ को आनन-फानन ट्रेंकुलाइज करके फंदे से मुक्त किया गया। बताया गया है कि क्लच वायर का फंदा काफी टाइट था, जिससे बाघ के गले में घाव भी हो गया है। उपचार के बाद बाघ को खुले जंगल में फिर से छोड़ दिया गया है। इस मामले में पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक बृजेंद्र कुमार झा का कहना है कि मामले की जांच हेतु टीम गठित की गई है। बाघ के मूवमेंट वाले इलाके की सर्चिंग की जा रही है। जांच में डाग स्क्वायड की भी मदद ली जा रही है।
यहाँ बताना यह जरुरी है कि पन्ना टाइगर रिजर्व बाघ पुनर्स्थापना योजना की चमत्कारिक सफलता के बाद से दुनिया भर के वन्य जीव प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। वर्ष 2009 में यह टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था, फल स्वरुप बाघों को यहां फिर से आबाद करने के लिए तत्कालीन पार्क प्रबंधन द्वारा सार्थक पहल व प्रयास हुए। नतीजतन जन समर्थन से बाघ संरक्षण का पन्ना टाइगर रिजर्व एक अनूठा उदाहरण बन गया। लेकिन अब जिस तरह से बाघों के गले में फंदे लगे मिल रहे हैं, उससे एक बार फिर से वर्ष 2009 के पहले वाले हालात नजर आने लगे हैं। निश्चित ही यह वन्य जीव प्रेमियों के लिए चिंता का विषय है। पार्क प्रबंधन को इसे बेहद गंभीरता से लेना चाहिए, ताकि इस तरह की अप्रिय स्थितियां न बनें।
अनाथ शावकों की बाघ पी-243 ने की थी परवरिश
पन्ना टाइगर रिज़र्व का नर बाघ पी-243 अपने भारी भरकम डील डौल के चलते जहाँ आकर्षण का केंद्र रहता है वहीँ इस बाघ में कुछ ऐसी विशिष्टताएं भी देखी गई हैं जो दुर्लभ है। दो वर्ष पूर्व मई 2021 में बाघिन पी 213-32 की अज्ञात बीमारी के चलते मौत हो गई थी, उस समय इस बाघिन के तक़रीबन 7-8 माह के चार शावक थे जो मां की असमय मौत होने पर अनाथ हो गए। ऐसे समय जब इन अनाथ व असहाय शावकों के बचने की कोई सम्भावना नहीं थी उस समय इसी नर बाघ ने इन शावकों को न सिर्फ सहारा दिया बल्कि मां की तरह उनकी परवरिश भी की। इसका परिणाम यह हुआ कि चारो नन्हे शावक खुले जंगल में चुनौतियों के बीच अपने को बचाने में कामयाब हुए।
नर बाघ पी-243 का व्यवहार शावकों के प्रति बहुत ही प्रेमपूर्ण और अच्छा था। वह अपने इलाके में घूमते हुए इन शावकों पर भी कड़ी नजर रखता था। खास बात यह थी कि बाघिन (जीवन संगिनी) की मौत के एक माह गुजर जाने पर भी नर बाघ ने शावकों की परवरिश के लिए जोड़ा नहीं बनाया। बाघ का इलाका चूँकि काफी बड़ा और फैला हुआ था, जिसकी वह सतत निगरानी भी करता रहा। लेकिन दो दिन से ज्यादा वह शावकों के रहवास स्थल से दूर नहीं रहता। नर बाघ की गतिविधि पर नजर रखने वाले मैदानी वन कर्मियों के मुताबिक वह शावकों की देखभाल करने में पूरी रुचि लेता रहा है। बाघ पी-243 शावकों के क्षेत्र में शिकार करके उनके भोजन का भी इंतजाम करता था। बाद में चारो शावक बड़े होकर दक्ष शिकारी बन जंगल में चुनौतियों और खतरों के बीच जीने में सक्षम हो गए।
पर्यटकों द्वारा लिया गया बाघ पी-243 का वीडियो जिसमें फंदा गले में नजर आ रहा है -
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