Friday, January 5, 2024

शिक्षा और पर्यटन के विकास से बढ़ सकता है पन्ना का गौरव !

  • बाघों की धरती में खुले जैव विविधता महाविद्यालय व प्रशिक्षण संस्थान 
  • यहाँ की आबोहवा शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना हेतु अत्यधिक अनुकूल

बाघों की धरती कहे जाने वाले पन्ना टाइगर रिज़र्व के खूबसूरत जंगल का नजारा।  ( फ़ाइल फ़ोटो ) 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। प्रकृति के अनुपम उपहारों से समृद्ध पन्ना जिले में पर्यटन विकास की असीम संभावनायें मौजूद हैं। यहॉ की प्रदूषण रहित और कोलाहल से मुक्त नैसर्गिक आबोहवा शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिए अत्यधिक अनुकूल है। इस दिशा में यदि सार्थक व रचनात्मक पहल हो तो विकास की दृष्टि से पिछड़े पन्ना जिले की तक़दीर व तस्वीर दोनों बदल सकती है।  

आज से तक़रीबन 10 वर्ष पूर्व इस ओर शासन व प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए मैंने एक खबर लिखी थी जो नवभारत में 21 जुलाई 2013 के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित भी हुई थी। उसके बाद पन्ना में पर्यटन विकास के क्षेत्र में कुछ पहल जरूर हुई लेकिन पन्ना की जो संभावनाएं हैं वे अभी तक मूर्त रूप नहीं ले सकी हैं। यहाँ अभी बहुत कुछ करना जरुरी है ताकि प्रकृति प्रदत्त सौगातों का पन्ना के हित में बेहतर व रचनात्मक उपयोग हो सके। पन्ना में वन्य जीव से संबंधित स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा एवं सार्टीफिकेट कोर्स की मांग अभी भी प्रतीक्षित है। इस दिशा में ठोस और सार्थक पहल की दरकार है ताकि पन्ना की खूबियों के अनुरूप यहाँ का विकास हो सके। 

उल्लेखनीय है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में पन्ना जिले का जंगल बाघों का उत्तम रहवास है। बाघ पुर्नस्थापना योजना को मिली अभूतपूर्व कामयाबी के बाद पन्ना टाइगर रिजर्व की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी फैल चुकी है। दुनिया भर के वन्य जीव विशेषज्ञ व वैज्ञानिक पन्ना की कामयाबी को बड़े कौतूहल से देख व समझ रहे हैं। पन्ना की यह सफलता की कहानी अब पूरे म.प्र. की उपलब्धि बन गई है। इस पूरे अवसर का बेहतर उपयोग करते हुए यदि पन्ना टाइगर रिजर्व तथा यहां की नैसर्गिक व सांस्कृतिक धरोहरों को शिक्षा से जोड़ दिया जाय तो यहां आजीविका के बेहतर अवसरों का भी सृजन होगा। 


पूरे देश में वन्य जीव से संबंधित स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा एवं सार्टीफिकेट कोर्स मात्र भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून, बंगलौर व अलीगढ़ विश्वविद्यालय में उपलब्ध है। जैव विविधता के क्षेत्र में रोजगार के अवसर असीमित हैं। इस असीमित जैव विविधता आधारित शिक्षा को स्थानीय तौर पर वैकल्पिक स्थायी आजीविका के रूप में तब्दील करने की दिशा में जैव विविधता महाविद्यालय व प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना हर दृष्टि से बेहतर होगा।  

मालुम हो कि विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल व भारत की सांस्कृतिक धरोहर खजुराहो से पन्ना अत्यधिक  निकट है। पूरी दुनिया के पर्यटक खजुराहो की अद्भुत शिल्प कला को निहारने आते हैं, जिन्हें सहजता से पन्ना की तरफ भी आकृष्ट किया जा सकता है। प्रदेश के मुख्यमंत्री यदि बुन्देलखण्ड क्षेत्र के इस पिछड़े जिले की बेहतरी के लिए यहां पर्यटन के विकास तथा जैव विविधता महाविद्यालय व प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना हेतु रूचि लेते हैं तो यह इस क्षेत्र के लिए उनके द्वारा दी गई अनुपम सौगात होगी। इससे पन्ना ही नहीं बल्कि समूचे प्रदेश का गौरव बढ़ेगा। 

जैव विधिता पर आधारित कोर्स उपयोगी 

बाघ पुनर्स्थापना योजना के शिल्पी तथा पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक रहे आर.श्रीनिवास मूर्ति का कहना है कि जैव विविधता विषय पर आधारित बी.एस.सी., एम.एस.सी., डिप्लोमा व सार्टीफिकेट कोर्स संचालित किया जाना अत्यधिक उपयोगी व जिले के  हित में होगा। संस्थान के लिए एमएमडीसी के खली पड़े अतिरिक्त भवन लिए जा सकते हैं। प्रस्तावित कोर्सों के संचालन हेतु प्रयोगशाला के रूप में पन्ना टाइगर रिजर्व का उपयोग हो सकता है। 


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