आप कहेंगे - हम सब प्रेम करते हैं । मैं आपसे कहूं । आप शायद ही प्रेम करते हों । आप प्रेम चाहते होंगे । और इन दोनों में जमीन आसमान का फर्क है । प्रेम करना । और प्रेम चाहना । ये बड़ी अलग बातें हैं । हममें से अधिक लोग बच्चे ही रहकर मर जाते हैं । क्योंकि हरेक आदमी प्रेम चाहता है ।
प्रेम करना बड़ी अदभुत बात है । प्रेम चाहना । बिलकुल बच्चों जैसी बात है । छोटे छोटे बच्चे प्रेम चाहते हैं । मां उनको प्रेम देती है । फिर वे बड़े होते हैं । वे और लोगों से भी प्रेम चाहते हैं । परिवार उनको प्रेम देता है । फिर वे और बड़े होते हैं । अगर वे पति हुए । तो अपनी पत्नियों से प्रेम चाहते हैं । अगर वे पत्नियां हुईं । तो वे अपने पतियों से प्रेम चाहती हैं । और जो भी प्रेम चाहता है । वह दुख झेलता है । क्योंकि प्रेम चाहा नहीं जा सकता । प्रेम केवल किया जाता है । चाहने में पक्का नहीं है । मिलेगा या नहीं मिलेगा । और जिससे तुम चाह रहे हो । वह भी तुमसे चाहेगा । तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी । दोनों भिखारी मिल जाएंगे । और भीख मांगेंगे । दुनिया में जितना पति पत्नियों का संघर्ष है । उसका केवल एक ही कारण है कि वे दोनों एक दूसरे से प्रेम चाह रहे हैं । और देने में कोई भी समर्थ नहीं है ।
इसे थोड़ा विचार करके देखना । आप अपने मन के भीतर । आपकी आकांक्षा प्रेम चाहने की है हमेशा । चाहते हैं । कोई प्रेम करे । और जब कोई प्रेम करता है । तो अच्छा लगता है । लेकिन आपको पता नहीं है । वह दूसरा भी प्रेम करना । केवल वैसे ही है । जैसे कि कोई मछलियों को मारने वाला आटा फेंकता है । आटा वह मछलियों के लिए नहीं फेंक रहा है । आटा वह मछलियों को फांसने के लिए फेंक रहा है । वह आटा मछलियों को दे नहीं रहा है । वह मछलियों को चाहता है । इसलिए आटा फेंक रहा है। इस दुनिया में जितने लोग प्रेम करते हुए दिखायी पड़ते हैं। वे केवल प्रेम पाना चाहने के लिए आटा फेंक रहे हैं। थोड़ी देर वे आटा खिलाएंगे, फिर..। और दूसरा व्यक्ति भी जो उनमें उत्सुक होगा। वह इसलिए उत्सुक होगा कि शायद इस आदमी से प्रेम मिलेगा। वह भी थोड़ा प्रेम प्रदर्शित करेगा । थोड़ी देर बाद पता चलेगा । वे दोनों भिखमंगे हैं। और भूल में थे। एक दूसरे को बादशाह समझ रहे थे। और थोड़ी देर बाद उनको पता चलेगा कि कोई किसी को प्रेम नहीं दे रहा है। और तब संघर्ष की शुरुआत हो जाएगी।
दुनिया में दाम्पत्य जीवन नर्क बना हुआ है । क्योंकि हम सब प्रेम मांगते हैं । देना कोई भी जानता नहीं है । सारे झगड़े के पीछे बुनियादी कारण इतना ही है । और कितना ही परिवर्तन हो । किसी तरह के विवाह हों । किसी तरह की समाज व्यवस्था बने । जब तक जो मैं कह रहा हूं । अगर नहीं होगा । तो दुनिया में स्त्री और पुरुषों के संबंध अच्छे नहीं हो सकते । उनके अच्छे होने का एक ही रास्ता है कि हम यह समझें कि प्रेम दिया जाता है । प्रेम मांगा नहीं जाता । सिर्फ दिया जाता है । जो मिलता है । वह प्रसाद है । वह उसका मूल्य नहीं है । प्रेम दिया जाता है । जो मिलता है । वह उसका प्रसाद है । वह उसका मूल्य नहीं है । नहीं मिलेगा । तो भी देने वाले का आनंद होगा कि उसने दिया । अगर पति पत्नी एक दूसरे को प्रेम देना शुरू कर दें । और मांगना बंद कर दें । तो जीवन स्वर्ग बन सकता है । और जितना वे प्रेम देंगे । और मांगना बंद कर देंगे । उतना ही अदभुत जगत की व्यवस्था है- उन्हें प्रेम मिलेगा । और उतना ही वे अदभुत अनुभव करेंगे । जितना वे प्रेम देंगे । उतना ही सेक्स उनका विलीन होता चला जाएगा।
No comments:
Post a Comment