- समर्थन संस्था के सहयोग से 80 जल मित्र ग्रामों में सक्रिय
- जल एवं स्वच्छता के महत्व बावत दे रहे उपयोगी जानकारी
पर्यावरण संरक्षण तथा जल व स्वच्छता के महत्व को पेंटिंग के माध्यम से बताती ग्रामीण बालिका। |
पन्ना। स्वयं सेवी संस्था समर्थन डब्लू.एच.एच के सहयोग से जल एवं स्वच्छता विषय पर काम कर रही है। कार्यक्रम के सहयोगी की भमिका में जल मित्र तैयार किये गये हैं। संस्था के कार्यक्षेत्र में लगभग 80 जल मित्र हैं, जो ग्राम स्तर पर जल एवं स्वच्छता को बेहतर करने एवं पानी के महत्व को बताने के लिये ग्राम सभा स्तर पर ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति एवं ग्राम पंचायत को सहयेग कर रहे हैं।
मालुम हो कि हर साल 22 मार्च को वैश्विक स्तर पर जल दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1993 में हुई थी। प्रतिवर्ष जल दिवस की एक खास थीम निर्धारित की जाती है। इस वर्ष विश्व जल दिवस 2024 की थीम 'शांति के लिए जल का लाभ उठाना' है। इस थीम के जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि जब समुदाय और देश इस बहुमूल्य साझा संसाधन पर मिलकर सहयोग करते हैं तो पानी शांति का एक उपकरण बन सकता है। दुनिया का 70 फीसदी हिस्सा पानी से घिरा है, लेकिन उसमें से पीने योग्य पानी लगभग तीन फीसदी ही है। 97 फीसदी पानी ऐसा है जो पीने लायक ही नहीं है। अब तीन फीसदी पानी पर पूरी दुनिया जीवित है।
समर्थन संस्था के ज्ञानेंद्र तिवारी ने बताया कि जल मित्रो में रचनात्मक संचार एवं नेतृत्व के गुण विकसित करने के लिये चार दिन का प्रशिक्षण पन्ना के ताज खजुराहो होटल में रखा गया। पियूष चक्रवर्ती ने युवाओ को स्थानीय संसाधन एवं मानव संसाधन को उपयोग करते संचार एवं संवाद में आकृतियों, हावभाव,लेखन,उठना बैठना, बोल चाल उतार चढाव कब कैसे उपयोग करना एवं अपनी भूमिका को बदलने की कला को निखारने का प्रयास किया।
प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण उपरांन्त कहा कि हम लोग जब किसी को कुछ कहते थे, तो उसका असर कुछ भी नही पड़ता था, लोग सुन कर भी अनसुना कर देते थे। अब प्रशिक्षण में संवाद की जो विभिन्न विधा बताई गई है, उससे हमें अपने काम में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम में लेखन,गायन, नाटक, कविता, गीत लेखन एवं उसका निरंतर अभ्यास कराया गया। कार्यक्रम में जलमित्र आरती,पूजा,दिनेश,अंलली,बीनागोड,आरती ,प्रीतम, विजयकांन्त,सुधा सहित 25 जलमित्रों ने भाग लिया। समर्थन से आशीष विश्वास ,सुरेन्द्र त्रिनाठी,कमल एवं चाली ने कार्यक्रम को बेहतर बनाने में सहयोग किया।
सीख - कलाकृतियों एवं संवाद में जल संरक्षण को प्रमुखता से रखा गया । जल संरक्षण एवं संबर्धन प्राकृतिक पर्यावरण पर प्रशिक्षण को फोकस किया गया। प्रशिक्षक की भूमिका में पीयूष ने कहा कि निरंतर अभ्यास से संवाद एवं संचार में निखार आयेगा। अपनी बोली एवं भाषा का उपयोग करें जो लोगों को सहज समझ में आती हो। बात जितनी स्पष्ट होगी उतना काम आसान होगा।
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