Tuesday, July 23, 2024

मधुकामिनी : सुन्दर सफ़ेद फूलों से अलंकृत मनमोहक खुशबू वाला पौधा


पन्ना। मधुकामिनी के छोटे सफ़ेद फूल देखने में जितने खूबसूरत होते हैं, उससे भी कई गुना ज्यादा इसके फूलों की खुशबू मनमोहक होती हैं। मोगरा, बेला और रातरानी के बाद जो सबसे ज्यादा महक और फ्लावरिंग देता है, वह मधुकामिनी का ही पौधा है। यह एक परमानेंट सनलाइट प्लांट होता है जिसमे अप्रैल से नवंबर तक फ्लावरिंग बहुत ही अधिक मात्रा में  होती है। अगर बारिश नही होती, तो एक हप्ते तक फ्लॉवर ज्यों के त्यों खिले रहते हैं। घर में अगर एक बार आपने मधुकामिनी के फूल का पौधा लगा दिया, तो 4-5 वर्ष या इससे अधिक समय तक फूल आते रहेंगे। मनमोहक खुशबू के कारण इसे अपने घर की बालकनी में लगाना बहुत ही आसान है।

उल्लेखनीय है कि मधुकामिनी के पौधे को सबसे अच्छे इनडोर और आउटडोर पौधों में से एक माना जाता है। वास्तु के अनुसार यह प्लांट घर-आंगन को खुशियों से भर सकता है। जरूरी बात यह है कि यह कम रखरखाव वाला पौधा है और इसमें सुगंधित फूलों के गुच्छे होते हैं, जो सुंदर ति‍तलियों और चिड़ियों को बहुत आकर्षित करते हैं। मधुकामिनी फूल का वानस्पतिक नाम है मुराया पैनीकुलेटा है। यह एक सफेद रंग का फूल है जो घर की सज्जा के साथ औषधि के लिए भी प्रयोग किया जाता है

खूशबूदार फूलों में से मधुकामिनी दिन रात महकने वाला प्लांट है। यह एक सदाबहार झाड़ीनुमा पौधा है जिसका आकार 5-15 फिट तक होता है। नारंगी यानी संतरा जैसी सुगंध आने के कारण इसको ऑरेंज जैस्मीन नाम से भी जाना जाता है। इसके फूलों का रंग सफेद होता है। इसके फूलों की मनभावन सुगंध मानसिक तनाव को दूर करने वाली होती है। ऐसी मान्यता है कि जो तीन फूल स्वर्ग से आए हैं उसमें अपराजिता, पारिजात के साथ तीसरा फूल मधुकामिनी ही है। 

मेरे घर के आँगन में लगा मधुकामिनी का पौधा। 

कुछ लोगों की यह शिकायत होती है कि उनके पौधें पर फूल ही नहीं खिल रहे हैं या बहुत कम फ्लावरिंग हो रही है।गर्मी का मौसम मधुकामिनी के फ्लावरिंग का मौसम होता हैं। इस समय जिन भी लोगों के मधुकामिनी पर फूल नही खिल रहे होते हैं उन लोगों के द्वारा कहीं न कहीं कुछ गलतियां हो रही होती हैं। ऐसे में उन्हें कुछ टिप्स की जरूरत होती हैं. जिसे फॉलो करके वह अपने पौधें की अच्छे से देखभाल कर सकें। ये कुछ टिप्स हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने मधुकामिनी पर बेसुमार फूल पा सकते हैं। 


पानी का रखें ध्यान 

इस पौधे को ज्यादा पानी की जरुरत नहीं होती है। जब आपकों लगे की पौधे की मिट्टी एक या दो इंच तक सूख चुकी है उस समय पानी दें। अप्रैल से लेकर जुलाई तक वाटरिंग पर ध्यान देने की जरूरत होती है। फिर जब बरसात का मौसम आ जाता हैं तो आप इसे बारिश में भीगने के लिए छोड़ देते हैं तो पानी देने की जरूरत नहीं होती है।

वेल ड्रेन मिट्टी में लगाएं 

कुछ लोग पौधें को लगाते समय मिट्टी तैयार करने में ही गलती कर देते है जिससे पौधें में ना अच्छी ग्रोथ हो पाती है और ना ही अच्छे से फ्लावरिंग हो पाती है । इस पौधें को लगाने के लिए वेल ड्रेन मिट्टी लें। मिट्टी को तैयार करने के लिए 50% गार्डेन मिट्टी, 30% रेती मिट्टी और 20% खाद ले लें। अगर आप चाहें तो इसमें धान की भी भूसी मिला सकते हैं। अगर मिट्टी अच्छी होगी तो पौधा अच्छे से सरवाइव करेगा।

सही समय पर खाद दें 

इस पौधें को साल में कम से कम दो बार खाद देना बहुत ही जरूरी होता है। एक बार फरवरी मे फ्लावरिंग टाइम आने से पहले और दूसरी बार अगस्त में बारिश के बाद क्योंकि पहले से जो भी खाद दी गई रहती हैं वह बारिश में धुल जाती है। आप चाहें तो सादे पानी की जगह 15 से 20 दिन के अंतराल पर लिक्विड फर्टिलाइजर जैसे वर्मी कम्पोस्ट या गोबर के उपले से तैयार दे सकते हैं।

पर्याप्त रोशनी व धूप मिले 

बहुत से लोगों की यह शिकायत रहती हैं मेरे पौधें पर अच्छे से फूल नही खिल रहा है।  तो उसका एक कारण यह भी हो सकता हैं कि पौधें को भरपूर मात्रा में धूप नही मिल रहा हो। इस पौधें को कम से कम 5 से 6 घंटे की धूप चाहिए होता है। अगर आप इसे गमले में लगाए हैं तो रोजाना सुबह की 5 से 6 घंटे धूप में रखें और दोपहर की तेज धूप में छाव में रख दें। अगर आप इस पौधें को गमले में ना लगाकर जमीन पर लगाएं हुए हैं तो पूरे दिन की धूप में भी छोड़ सकते हैं। इस तरह यदि मधुकामिनी के पौधे की समुचित देखरेख की गई तो उसमें निश्चित रूप से अच्छी फ्लॉवरिंग होगी, जिसकी मनमोहक खुशबू से आप प्रफुल्लित और तरोताजा महसूस करेंगे। 

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