Friday, October 26, 2018

ध्वनि प्रदूषण से परिंदों की जिंदगी में पड़ रहा खलल




अरुण सिंह, पन्ना। बढ़ते ध्वनि प्रदूषण व शोरगुल के माहौल से परेशानी सिर्फ मनुष्यों को ही नहीं बल्कि परिंदों को भी होती है. ध्वनि प्रदूषण के कारण चिडिय़ों में संवाद करने की क्षमता पर असर पड़ा है शोरगुल की वजह से नर पक्षी की पुकार मादा तक नहीं पहुंच पाती, ऐसे में विभिन्न प्रजाति के रंग विरंगे पंछियों की आबादी घटने का खतरा उत्पन्न हो गया है
उल्लेखनीय है कि पन्ना शहर के आसपास स्थित वनाच्छादित पहाडिय़ों में कुछ वर्षों पूर्व तक सैकड़ों प्रजाति के पंछियों के दर्शन सहजता से हो जाते थे सुबह के समय पंछियों के कलरव व सुरीले गीतों को सुन मन प्रफुल्लित हो जाता था, लेकिन वाहनों के प्रेसर हार्न, जंगलों की बेतहासा कटाई व मानव दखलंदाजी बढऩे से पंछियों का प्राकृतिक रहवास तेजी से नष्ट हो रहा है जिससे उनके दर्शन दुर्लभ हो गये हैं सुबह की सैर में जाने वाले लोगों को शहर के निकट ही राष्ट्रीय पक्षी मोर नृत्य करते हुए नजर आ जाते थे, कोयल की सुरीले गीत हर तरफ सुनाई देते थे लेकिन अब सुबह की सैर में न तो मोर नजर आते हैं और न ही पंक्षियों के गीत सुनाई देते हैं इसकी जगह मोबाइल पर बजने वाले फिल्मी गीत कर्कश आवाज में सुनने को मिलता है, जिससे ताजगी व स्फूर्ति मिलने के बजाय मन और खिन्न हो जाता है। 
पंछियों की गतिविधियों पर नजर रखने वाले शोध कर्ताओं का कहना है कि नर पंक्षी की आवाज को पूरी तरह से सुन पाने में नाकाम होने वाली मादाएं अपने नर साथियों को बीमार समझकर खारिज कर सकती हैं उनका मानना है कि मादा पक्षी निम्न आवृत्ति वाले किसी गीत को सुन पाने में खुद को जब असमर्थ पाती है तो वे नर पक्षी की आवाज को असमान्य महसूस करने लगती हैं इस व्यवधान के चलते अगर नर पक्षियों को मादा जोड़े न मिलें तो उनकी नस्लें कम होने लगेंगी और इसका असर उनकी आबादी पर दिखेगा मानव आबादी के आसपास घरों में सहजता से नजर आने वाली गौरैया चिडिय़ों की तादाद भी तेजी से घट रही है, इसकी वजह तथाकथित विकास व पर्यावरण के साथ होने वाला खिलवाड़ प्रमुख है

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Monday, October 15, 2018

बांस उद्योग से खुल सकते हैं रोजगार के नये अवसर

  •   पन्ना के जंगल में प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में होता है  बांस,
  •   कल्दा पठार के श्यामगिरी का सालिड बैम्बू पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध


 पर्यटकों के ठहरने हेतु बांस से निर्मित की गई झोपड़ी। फोटो - अरुण सिंह 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण पन्ना जिले के जंगलों में प्रचुर मात्रा में बांस का उत्पादन होता है, यदि वन क्षेत्र से लगे ग्रामों में निजी कृषि भूमि पर भी बांस का रोपण किया जाय तो किसानों की जिन्दगी में भी खुशहाली आ सकती है। बांस उद्योग को बढ़ावा मिलने पर पन्ना जिले में विकास व रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो सकता है। लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई ठोस और प्रभावी पहल नहीं की गई है। 

इसके विपरीत पन्ना जिले के समृद्ध वन क्षेत्र को बड़े ही  सुनियोजित तरीके से उजाडऩे का कार्य किया जा रहा  है । बड़े पैमाने पर प्रतिदिन जहाँ  जंगल में बेशकीमती वृक्षों की कटाई हो  रही  है , वहीँ  वन क्षेत्रों के आस-पास होने वाले अवैध उत्खनन से भी पर्यावरण व जंगल को भारी क्षति पहुँच रही  है । पन्ना जिले के कल्दा पठार का जंगल जो वहाँ  के आदिवासियों की जिन्दगी का आधार है  उसे भी उजाडऩे के प्रयास तेजी से हो  रहे  हैं। यदि कल्दा पठार के समृद्ध वन क्षेत्र की सुरक्षा व संरक्षण के  लिए आवश्यक कदम न उठाए गये तो यहाँ  के आदिवासियों की जिन्दगी मुश्किल में पड़ जाएगी।

उल्लेखनीय है कि अनगिनत खूबियों व विकास की विपुल संभावनाओं के बावजूद पन्ना जिला विकास के मामले में आज भी अन्य दूसरे जिलों की तुलना में काफी पीछे है। यहां का सम्यक विकास कैसे हो, इसके लिए इस जिले की खूबियों और विशिष्टताओं पर गौर करना होगा तथा उसी के अनुरूप कार्य योजना बनानी होगी। दूसरे जिलों की नकल करके विकास की अंधी दौड़ में सहभागी होना, इस जिले की प्रकृति के अनुकूल नहीं होगा। यहां के जंगलों में नैसर्गिक रूप से पाई जाने वाली वन संपदा का जिले के विकास व रोजगार के सृजन में उपयोग हो, यह जरूरी है। प्रकृति ने हमें जो सौगात उपहार में प्रदान की है उसी से हम विकास व समृद्धि के नये आयाम छू सकते हैं। अकेले बांस उद्योग को बढ़ावा दिये जाने से इस जिले का कायाकल्प हो सकता है। गरीबों की इमारती लकड़ी कहा जाने वाला बांस आज महत्वपूर्ण उद्योग के रूप में उभरा है, स्थिति यह है कि मांग के अनुरूप बांस की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में हर कहीं बांस की उपयोगिता कम होने के बजाय और बढ़ी है। ग्रामीण अंचलों में एक समुदाय विशेष के लोग बांस के बर्तन व अन्य आकर्षक उपयोगी वस्तुएं बनाकर ही अपना जीवन यापन करते हैं। यदि इस समुदाय के लोगों को बांस शिल्प व उद्यम के लिए प्रशिक्षण दिया जाय तो बांस बर्तनों के निर्माण में इन्हें दक्षता हासिल करने में कठिनाई नहीं होगी। बांस पन्ना जिले में कुटीर उद्योग का रूप ले, इस दिशा में यदि सार्थक और कारगर पहल हो तो रोजगार के नये अवसरों का सृजन होने के साथ - साथ लोगों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा।

बांस से निर्मित झोपड़ी व कुर्सियां पर्यटकों की पसंद 



पन्ना जिले में चूंकि पर्यटन विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसलिए यहां प्राकृतिक माहौल व आबोहवा प्रदान करने वाले रिसॉर्ट भी बन रहे हैं। यहां बांस से निर्मित झोपडिय़ों व बांस की कुर्सियों का प्रचलन अधिक है, पर्यटक भी यह पसंद करते हैं। इसके अलावा भी बांस के अनगिनत उपयोग हैं, जिनके बारे में यहां के लोगों को सही जानकारी व प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। किसानों को भी अपनी निजी भूमि में बांस रोपण के लिए प्रेरित करने से उन्हें अतिरिक्त आय होगी साथ ही जिले में खुलने वाले बांस आधारित कुटीर उद्योगों को सहजता से बांस उपलब्ध हो सकेगा।

श्यामगिरी में होता है सालिड बैम्बू

पन्ना जिले में दक्षिण वन मण्डल अन्तर्गत कल्दा पठार के श्यामगिरी क्षेत्र में विशिष्ट प्रजाति का बांस होता है जो पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। दक्षिण वन मण्डलाधिकारी अनुपम सहïाय ने बताया कि श्यामगिरी के सालिड बैम्बू को कागज इन्डस्ट्री बहुत पसंद करती हैं। ओरियन्ट पेपर मिल अमलई में सप्लाई होने के चलते यहां का बांस खत्म होने की कगार में पहुंच गया था। लेकिन बीते दो सालों में इस प्रजाति के बांस को पुर्नजीवित करने के प्रयास हुए जिसके अच्छे परिणाम सामने आये हैं।

बांस के होते  हैं अनगिनत उपयोग

बांस बहुउपयोगी होता है, यही वजह है कि इसकी मांग निरन्तर बढ़ रही है। बांस से खूबसूरत और आकर्षक तरह - तरह के बर्तन तो बनते ही हैं, इसके रेशों से बना कपड़ा हवादार व सुखदायक होता है। बांस पर्यावरण की दृष्टि से भी अच्छा है तथा इससे निर्मित वस्तुंए शत प्रतिशत नष्ट होने योग्य होती हैं। यह प्राकृतिक रूप से एन्टी बैक्टीरियल व एन्टी फंगल होता है। 

बांस निर्मित भवन भूकंप अवरोधी होते हैं इतना ही नहीं बांस की कोंपलें पशुओं के लिए बेहतर चारा होता है। पन्ना जिला जहाँ  के जंगलों में प्राकृतिक रूप से बांस का उत्पादन होता है  वहां  बांस के बिगड़े वनों में सुधार करके तथा बांस से संबंधित कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर पन्ना जिले में रोजगार के नये अवसरों का सृजन किया जा सकता है । इस दिशा में जिले के  कलेक्टर  व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान अपेेक्षित है।

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Wednesday, October 3, 2018

अनोखे अंदाज में मना नन्हे हांथी बापू का जन्म दिवस

  • पन्ना टाईगर रिजर्व के हिनौता कैम्प में आयोजित हुआ रंगारंग कार्यक्रम
  • बुजुर्ग हथिनी वत्सला सहित सज धजकर शामिल हुआ हांथियों का पूरा कुनबा
  • जश्न के माहौल में कटा केक, स्कूली बच्चों ने दी शानदार प्रस्तुति 




पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में मंगलवार 2 अक्टूबर का दिन बेहद खास रहा। यहां पहली बार एक नन्हे हांथी का जन्म दिवस अनोखे अंदाज में बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। न भुलाये जा सकने वाले इस अनूठे उत्सव को मनाने की खास वजह है। विगत एक वर्ष पूर्व पन्ना टाईगर रिजर्व की हंथिनी अनारकली ने 2 अक्टूबर को नन्हे मेहमान को जन्म दिया था। खास दिन जन्मे इस मेहमान का नामकरण पार्क प्रबन्धन द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुये बापू किया गया। नन्हे हांथी बापू का आज पहला जन्म दिवस था, जिसे पार्क प्रबन्धन ने अनूठे अंदाज में मनाकर अविस्मरणीय बना दिया है। अब हांथी बापू का जन्म दिवस हर वर्ष 2 अक्टूबर को इसी तरह धूमधाम से मनाया जायेगा। मालुम हो कि राष्ट्रीय पशु बाघ का
जन्म दिवस भी कुछ इसी अंदाज में प्रतिवर्ष यहां 16 अप्रैल को मनाया जाता है। इस तरह से हांथी व बाघ का जन्म दिवस मनाने की परम्परा अन्यत्र कहीं नहीं है। आज के इस कार्यक्रम में जहां स्कूली बच्चे बड़े ही उत्साह के साथ शामिल हुये वहीं बड़ी संख्या में प्रशासनिक अधिकारी, न्यायधीशगण,जनप्रतिनिधि, पत्रकारगण, आमजन सहित पन्ना टाईगर रिजर्व का पूरा अमला उपस्थित रहा।


विशेष रूप से सुसज्जित हांथियों का जोड़ा।

हांथी बापू के जन्म दिवस का यह अनूठा कार्यक्रम पूर्व निर्धारित समय अनुसार सुबह 11 बजे से शुरू हुआ जो दो बजे तक चलता रहा। बापू के जन्मदिवस पर मेवायुक्त गुड का विशेष रूप से केक बनवाया गया था। जिसे पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया व उप संचालक वासु कन्नौजिया ने संयुक्त रूप से काटकर बापू को खिलाया। इसके पूर्व सभी अतिथियों ने मिलकर बापू के माथे पर हल्दी व चावल का मिश्रित टीका लगाया। इस कार्यक्रम में विभिन्न स्कूल के बच्चों ने अपनी रंगारंग प्रस्तुतियां दीं। जिसमें विभिन्न वन्य प्राणियों के रूप में किरदार निभा रहे छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रस्तुति देते हुये उपस्थित जनसमुदाय को यह संदेश भी दिया कि वन हैं तो वन्य प्राणी हैं और वन्य प्राणी है तो हम और आप हैं। कार्यक्रम में पद्मावती व लिस्यू आनंद विद्यालय के बच्चों जिनमें मानसी रिछारिया, अनन्या जैन ने कत्थक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। वहीं कुछ बच्चों द्वारा वन्य जीवों पर आधारित कवितायें भी प्रस्तुत की गईं। भव्यतापूर्वक मने इस जन्मोत्सव में निश्चित रूप से आम लोगों व छात्र-छात्राओं में यह संदेश गया कि वन्य प्राणी भी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।जिनके बिना जीवन की कल्पना संभव नहीं हैं।

कार्यक्रम में प्रस्तुति देते हुये स्कूली छात्र-छात्रायें।

आकर्षक ढंग से सजा था हांथियों का कुनबा 

जन्मोत्सव समारोह के विशेष अवसर पर पन्ना टाईगर रिजर्व के सभी हांथियों को आकर्षक ढंग से सजाया और संवारा गया था। सजे संवरे हांथियों के इस भरे पूरे कुनबे को एक साथ देखना निश्चित ही रोमांचकारी था। मालुम हो कि पन्ना टाईगर रिजर्व में हांथियों के इस कुनबे को जहां 100 वर्ष की उम्र पार कर चुकी दुनिया की सबसे बुजुर्ग हंथिनी वत्सला गौरवान्वित करती है वहीं इस कुनबे में सबसे छोटा सदस्य हांथी बापू भी शामिल है। चंचल स्वभाव वाला यह नन्हा हांथी हर किसी को अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। हांथियों का यह कुनबा बेहद प्रसन्न और उत्साहित दिख रहा था। नाना प्रकार के फल व पकवान हांथियों के लिये रखे गये थे। बापू को देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों यह सब देखकर वह खुशी से उछल रहा हो। समारोह में पहुंचे छात्र-छात्राओं व
अतिथियों ने हांथियों के साथ सेल्फी लेकर उत्सवी माहौल को कैमरे में कैद किया।

जन्मोत्सव समारोह में शामिल हांथियों का पूरा कुनबा

टाईगर रिवर्ज के अभिन्न अंग हैं हांथी: भदौरिया 

पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के.एस. भदौरिया ने इस मौके पर कहा कि हांथी पार्क के अभिन्न अंग हैं। क्योंकि हांथी ही एक ऐसा वन्य प्राणी है जो हमें बाघों के पास तक ले जाता है जिससे बाघों की स्थिति व उनका
स्वास्थ्य परीक्षण करना आसान होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर के ही दिन इस नन्हे हांथी का जन्म हुआ था। इसीलिये इसका नाम बापू रखा गया है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह 1 अक्टूबर से 7 अक्टूबर तक मनाया जाता है और यह उसी के बीच कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन मीना मिश्रा द्वारा किया गया व अतिथियों का आभार प्रदर्शन नरेश सिंह यादव डीएफओ उत्तर वनमण्डल द्वारा किया गया। जन्मोत्सव कार्यक्रम में न्यायाधीशगण, डीएफओ उत्तर वनमण्डल नरेश सिंह यादव, पन्ना टाईगर रिजर्व के संस्थापक सदस्य लोकेन्द्र सिंह, पन्ना टाईगर रिजर्व की उप संचालक वासु कन्नौजिया, दक्षिण वनमण्डल की डीएफओ मीना मिश्रा, डॉ. विजय परमार, बिन्नी राजा सहित पन्ना फ्रें ड्स क्लब के सदस्य, गणमान्य नागरिक, विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं सहित वन अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित रहे।


हांथी बापू समारोह स्थल पर चहल कदमी करते हुये।

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