Sunday, December 23, 2018

हर तरफ बिखरा है इतिहास फिर भी सैलानी नहीं

  •   पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित नहीं हो सका पन्ना,
  •   छठवीं शताब्दी से लेकर ग्यारवीं शताब्दी तक के मन्दिर मौजूद 


सलेहा के निकट स्थित प्राचीन सिद्धनाथ मंदिर। फोटो - अरुण सिंह 

 अरुण सिंह,पन्ना। भव्य और अनूठे मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध पन्ना जिले में हर तरफ इतिहास विखरा पड़ा है। प्राकृतिक मनोरम स्थलों की तो यहां पूरी श्रंखला है फिर भी इस इलाके में सैलानी नजर नहीं आते। पर्यटन विकास की अनगिनत खूबियों के बावजूद इस क्षेत्र को विकसित नहीं किया गया। यदि इस अंचल की धरोहरों को सहेजकर उन्हें पर्यटन के नक्शे पर लाया जाय तो यहां रोजगार के नये अवसर सृजित हो सकते हैं।
सैलानियों को आकर्षित करने के लिए यहां पर छठवीं शताब्दी से लेकर ग्यारहवीं शताब्दी तक के अनूठे मन्दिर मौजूद हैं। इन मन्दिरों की स्थापत्य कला देखते ही बनती है। पन्ना जिले का सिद्धनाथ मन्दिर उनमें से एक है जिसकी शिल्पकला किसी भी मायने में खजुराहो से कम नहीं है.

अजयगढ़ स्थित अजयपाल किले का रंगमहल। 
उल्लेखनीय है कि जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 60 किमी. दूर स्थित यह अनूठा स्थल अगस्त मुनि आश्रम के नाम से विख्यात है. इस पूरे परिक्षेत्र में प्राचीन मन्दिरों व दुर्लभ प्रतिमाओं के अवशेष जहां - तहां बिखरे पड़े हैं, जिन्हें संरक्षित करने के लिए आज तक कोई पहल नहीं हुई. पन्ना जिले के सिद्धनाथ मन्दिर की शिल्प कला देखने योग्य है, ऊंची पहाडिय़ों से घिरे गुडने नदी के किनारे स्थित इस स्थान पर कभी मन्दिरों की पूरी श्रंखला रही होगी. मन्दिरों के दूर - दूर तक बिखरे पड़े अवशेष तथा बेजोड़ नक्कासी से अलंकृत शिलायें, यहां हर तरफ दिखाई देती है. जिससे प्रतीत होता है कि यहां कभी विशाल मन्दिर रहे होंगे. मौजूदा समय उस काल का यहां पर सिर्फ एक मन्दिर मौजूद है जिसे सिद्धनाथ मन्दिर के नाम से जाना जाता है. पुराविदों का कहना है कि सलेहा के आसपास लगभग 15 किमी. के दायरे वाला क्षेत्र पुरातात्विक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है. इसी क्षेत्र में नचने नामक स्थान भी है यहां पर गुप्त कालीन मन्दिर है. जानकारों का कहना है कि सिद्धनाथ मन्दिर नचने के चौमुखनाथ मन्दिर के समय का है. चौमुखनाथ मन्दिर छठवीें शताब्दी का है जो खजुराहो के मन्दिरों से तीन सौ वर्ष अधिक प्राचीन है. मन्दिर के पुजारी का कहना है कि इस परिसर के चारो ओर 108 कुटी मन्दिर बने हुए थे. जहां ऋषि - मुनि निवासकर साधना में रत रहते थे. समुचित देखरेख न होने के कारण अधिकांश कुटी मन्दिर ढेर हो चुके हैं. आश्चर्य की बात यह है कि पुरातात्विक व धार्मिक महत्व के इस स्थल तक पहुंचना आसान नहीं है, दुर्गम, घुमावदार और पथरीले रास्ते से होकर यहां जाना पड़ता है. इस प्राचीन स्थल मेें भगवान श्रीराम के वनवासी रूप की दुर्लभ पाषाण प्रतिमा मिली है. पुराविदों का यह दावा है कि देश में अब तक प्राप्त भगवान राम की पाषाण प्रतिमाओं में यह सबसे प्राचीन है.

सैलानियों को आकर्षित करने यहां है सब कुछ 

इस अंचल में सैलानियों को आकर्षित करने के लिए बहुत कुछ है. प्रकृति ने यहां की रत्नगर्भा धरा को अनुपम सौगातों से जहां नवाजा है, वहीं यहां के भव्य व अनूठे मन्दिर पर्यटकों को आकर्षित करने की क्षमता रखते हैं. पन्ना जिले में नेशनल पार्क सहित ऐतिहासिक दुर्ग, घने जंगल, जल प्रपात तथा शौर्य व संघर्ष का गौरव पूर्ण इतिहास विद्यमान हैं. अजयगढ़ स्थित प्राचीन अजयपाल दुर्ग अद्भुत और अनूठा हïै। बलुई चट्टानों व पत्थरों से निर्मित दुर्ग की रंगशाला का स्थापत्य देखते हïी बनता हïै लेकिन बुनियादी सुविधाओं के अभाव तथा समुचित प्रचार-प्रसार न हïोने से देशी व विदेशी पर्यटक इन प्राचीन धरोहïरों को देखने से वंचित हïैं। यदि इस क्षेत्र के विकास में थोड़ी रूचि ली जाय तो यह इलाका सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बना सकता है.

1 comment:

  1. As demonstrated on the manufacturer’s website, pencils and ballpoint pens write legibly on the notebook when fully submerged, as can Write in the Rain’s specialized pen; felt-tip and fountain pens, not so much. http://prf4ne4gkb.dip.jp http://ijc1t96mf2.dip.jp http://g1u3jhb119.dip.jp

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