- सूख चुकी केन और अलौनी नदी मैदान में तब्दील
- 3 हजार की आबादी वाला यह गाँव पानी को मोहताज
- एक - एक बाल्टी पानी के लिए भटक रहे ग्रामवासी
प्यास बुझाने पानी ढोकर लाते गाँव के बच्चे। |
अरुण सिंह,पन्ना। जिस गाँव के आस-पास दो-दो नदियां हों, वहां के लोगों को भी यदि पानी के लिये भटकना पड़े तो इसे अजूबा ही कहा जायेगा। लेकिन यह हकीकत है, क्योंकि जिन नदियों में कुछ सालों पूर्व तक कंचन जल प्रवाहित होता था, वे गर्मी के इस मौसम में सूखकर मैदान में तब्दील हो चुकी हैं। वहां अब शीतल जल नहीं अपितु धूल के गुबार उड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में इन नदियों के किनारे बसे ग्रामों के लोगों को अपने सूखे कण्ठों को तर रखने के लिये दूर-दूर से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। नदियों के सूखने से जल स्तर भी खिसक गया है, जिससे कुओं ने जहां जवाब दे दिया है, वहीं हैण्डपम्प भी पानी की जगह गर्म हवा उगल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विकासखण्ड शाहनगर अंतर्गत केन और अलौनी नदी किनारे बसे ग्रामों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। क्योंकि भीषण गर्मी के चलते दोनों नदियां सूख चुकी हैं और वहीं नल-जल योजना भी बन्द होने के कारण इन ग्राम के लोगों को पेयजल के लिये दर-दर भटकना पड़ रहा है। हालात इतने बद से बदतर होते जा रहे हैं कि बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़े तक पानी की तलाश में दिन-रात एक कर रहे हैं। इन्हीं में से एक नदी किनारे बसे ग्राम नुनागर के लोग इन दिनों एक-एक बाल्टी पानी को मोहताज हैं। यहां के लोग पीने और दैनिक उपयोग के लिये नदी के ही पानी पर निर्भर थे। भीषण गर्मी के चलते अब नदी ने भी इनका साथ छोड़ दिया है और नदी सूख गई है। इसके अलावा इस क्षेत्र का जल स्तर गिरने के कारण कुयें व हैण्डपम्पों ने भी जवाब दे दिया है। जिसके चलते लोगों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। इस गाँव की नल-जल योजना भी बन्द पड़ी है। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच-सचिव को कई बार जानकारी देने के बाद भी उनकी तरफ से नल-जल योजना शुरू कराने के कोई प्रयास नहीं किये जा रहे हैं। मालूम हो कि शाहनगर जनपद के ग्राम नुनागर से दो नदियां गुजरती हैं जिनमें एक केन तो दूसरी अलौनी नदी हैं। यह केन की सहायक नदी हैं जो आगे जाकर केन नदी में ही समाहित हो जाती है। वर्तमान समय में इन दोनों नदियों का पानी सूख जाने से इस गाँव के लगभग तीन हजार की आबादी पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।
एक माह से बन्द पड़ी है नल-जल योजना
गाँव के ही सुदामा, अनमोल, हरिशचंद्र, अनीता, जगतरानी, सुनीता बाई सहित ग्रामीणों ने बताया कि इस गाँव की नल-जल योजना एक माह से बन्द है। नल-जल योजना के पम्प ऑपरेटर को वेतन नहीं मिलने के कारण उसने पम्प चालू करना बन्द कर दिया है। इसके अलावा नल-जल योजना के तहत डाले गये पाईप लाईनो में जगह-जगह से लीकेज हो गया है। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में नल-जल योजना का पानी कुयें में डाला जाता था। जिससे पूरे गाँव के लोग पानी भरते थे। अब गाँव के लोग नदी में शेष बचा गन्दा पानी पीने को मजबूर हैं।नदियों को बचाने उठानी होगी आवाज
सूखने के कारण मैदान में तब्दील अलौनी नदी का दृश्य। |
प्रकृति और पर्यावरण के दुश्मनों से जीवनदायिनी नदियों को बचाने के लिये जिलावासियों को एकजुट होकर आवाज बुलन्द करनी होगी। जिस तरह से जंगलों की बेतहाशा कटाई हो रही है और दैत्याकार मशीनों से रेत निकालकर नदियों का सीना छलनी किया जा रहा है, यह उसी का दुष्परिणाम है। केन नदी न सिर्फ पन्ना जिला अपितु पड़ोसी राज्य उ.प्र. के बांदा जिले की जीवन रेखा है, जिस पर खनन माफियाओं का जाल फैला है, इस संकट से केन नदी को उबारने के लिये जनता को ही आगे आना होगा, ताकि आने वाली पीढिय़ों को पानी के लिये भटकना न पड़े। खनन माफिया नदियों के वजूद को मिटाकर समूचे जिले को रेगिस्तान में तब्दील करने पर उतारूं हैं, इन हालातों में इन माफियाओं को संरक्षण देने और उनकी रखवाली करने वाले नेताओं व भ्रष्ट हो चुके प्रशासनिक तंत्र का खुलकर विरोध किया जाना जरूरी हो गया है। यदि ऐसा न किया तो हमारा वर्तमान जहां कष्टप्रद होगा वहीं भविष्य पूरी तरह बर्वाद हो जायेगा। पानी प्रकृति की अनुपम सौगात है जिस पर सभी का नैसर्गिक अधिकार है, इसलिये जंगल, प्राकृतिक जल श्रोतों व नदियों का वजूद मिटाने पर तुले लोग समाज के हितैषी नहीं अपितु दुश्मन हैं।
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