- बीते 10 सालों में शून्य से बाघों की संख्या पन्ना में पहुँची 50 के पार
- पन्ना के बाघ विहीन होने पर छिन गया था टाईगर स्टेट का तमगा
जंगल में आराम फरमाता पन्ना का बाघ परिवार। |
अरुण सिंह,पन्ना। पूरे 10 वर्षों के बाद म.प्र. को वह खोया हुआ सम्मान फिर हासिल हो गया है, जिसे वर्ष 2010 में प्रदेश ने खो दिया था। विश्व बाघ दिवस के अवसर पर सोमवार को घोषित हुई बाघों की गणना रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश में बाघों की सर्वाधिक संख्या अब म.प्र. में है। इस खुशखबरी से समूचे प्रदेश में जहां उत्साह का माहौल है, वहीं प्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व में इस उपलब्धि की खुशी देखते ही बन रही है। सबको यह पता है कि म.प्र. को टाईगर स्टेट का दर्जा दिलाने में पन्ना टाईगर रिजर्व ने सबसे अहम रोल अदा किया है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में पन्ना टाईगर रिजर्व बाघों से विहीन हो गया था। इसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2010 में आई बाघों की गणना रिपोर्ट में कर्नाटक नम्बर वन में पहुँच गया और म.प्र. का टाईगर स्टेट का दर्जा छिन गया। उस समय म.प्र. में बाघों की संख्या घटकर 257 में सिमट गई थी और कर्नाटक 300 बाघों के साथ टाईगर स्टेट का तमगा हासिल करने में कामयाब हुआ था। वर्ष 2014 में कर्नाटक 406 बाघों के साथ पुन: अपनी प्रतिष्ठा को बरकरार रखने में कामयाब रहा। लेकिन इन वर्षों के पन्ना टाईगर रिजर्व में वह सब घटित हुआ जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। यहां बाघों के उजड़े संसार को फिर से आबाद करने के लिये शुरू की गई बाघ पुनर्स्थापना योजना ने कामयाबी की वह मिशाल कायम की कि पूरी दुनिया यहां के अभिनव प्रयोगों को देख हैरत में पड़ गई। यहां बाहर से लाये गये संस्थापक बाघों ने तेजी से वंश वृद्धि कर पन्ना को फिर बाघों से आबाद कर दिया। इतना ही नहीं यहां पर पालतू दो बाघिनों को न सिर्फ जंगली बनाया गया, अपितु उन्होंने भी शावकों को जन्म देकर पन्ना को बाघों से समृद्ध करने में भूमिका निभाई।
पन्ना में अब तक जन्मे 90 शावक
पन्ना टाईगर रिजर्व में बीते 10 वर्षों के दौरान लगभग 90 शावकों का जन्म हुआ, जिनमें कई शावक असमय काल कवलित भी हुये। मौजूदा समय पन्ना टाईगर रिजर्व के जंगल में आधा सैकड़ा से भी अधिक बाघ स्वच्छन्द रूप से विचरण कर रहे हैं, जिनमें बाघ, बाघिन व शावक शामिल हैं। इस तरह से बाघों की हुई गणना में पन्ना टाईगर रिजर्व के बाघों की संख्या जुडऩे से म.प्र. में बाघों की कुल संख्या पाँच सौ के पार 526 तक पहुँच गई और कर्नाटक 524 बाघों के साथ दूसरे नम्बर में जा पहुँचा। इस तरह से म.प्र. को एक बार फिर टाईगर स्टेट का दर्जा मिल गया, जिसमें पन्ना का महत्वपूर्ण योगदान है। इस गौरवशाली उपलब्धि के लिये निश्चित ही बाघ पुनर्स्थापना योजना को चमत्कारिक सफलता दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पन्ना टाइगर रिज़र्व के तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर आर श्रीनिवास मूर्ति, उनकी पूरी टीम, मौजूदा प्रबंधन तथा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से बाघों के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पन्नावासी बधाई के पात्र हैं। प्रदेश को वापस मिला यह सम्मान बरक़रार रहे, इसके लिए सजगता और संरक्षण की दिशा में सतत प्रयास जरुरी है।00000
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