Friday, August 2, 2019

करोंडो रुपये कीमत की इकोलॉजिकल सर्विस दे रहा पन्ना टाइगर रिज़र्व

  • आईआईएफएम ने किया देश के 10 टाइगर रिज़र्व की इकोनॉमिक वैल्यू का आकलन 
  •  रिज़र्व के आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक


पन्ना टाइगर रिज़र्व के जंगल का विहंगम द्रश्य। 

।। अरुण सिंह, पन्ना ।।

जंगल और पेड़-पौधों का संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है। जंगल से हमें सहज रूप में जो कुछ मिलता है उसका कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता। पेड़-पौधों और वनों द्वारा प्रदत्त सेवायें अतुलनीय और अमूल्य हैं यह बात अब कथा कहानियों तक ही सीमित नहीं है बल्कि शोध रिपोर्ट भी वनों के महत्व को रेखांकित करती है। मालुम हो कि बाघों का पर्यावरण के संरक्षण व पारिस्थितिकी तंत्र को समृद्ध करने में अहम योगदान होता है।

जंगल में बाघों की मौजूदगी इस बात का संकेत होता है कि  वहां का जंगल अच्छा और समृद्ध है। बाघ अभ्यारण्यों के योगदान व उनके महत्व का आँकलन करने के लिए देश के 10 महत्वपूर्ण टाईगर रिज़र्व का मूल्यांकन भोपाल स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ  फारेस्ट मैनेजमेंट के सेंटर फॉर  इकोलॉजिकल सर्विसेस मैनेजमेंट ने किया है। आँकलन में यह पाया गया है कि रिजर्व के कारण स्वास्थ्य लाभ में न केवल बेहतर जलवायु और स्वच्छ हवा शामिल है बल्कि अन्य लाभ भी हैं। रिजर्व के आस-पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। तीन साल की अवधि में किये गये अध्ययन में रोजगार सृजन, ईधन, लकड़ी, पानी और मिट्टी संरक्षण साथ-साथ जीन पल संरक्षण के लिए अन्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभों को भी ध्यान में रखा गया है।    
आँकलन रिपोर्ट के मुताबिक टाईगर रिजर्व में सिर्फ  बाघों का संरक्षण नहीं हो रहा, बल्कि ये हर साल देश की बड़ी आबादी को शुद्ध ऑक्सीजन और स्वच्छ पानी जैसी 4230.31 करोड़ से लेकर 16324.11 करोड़ रू. कीमत की पारिस्थितिकी सेवाएं दे रहे हैं। ये हजारों करोड़ रुपए के स्वास्थ्य लाभ भी हमें प्रदान करते हैं। अकेले मध्यप्रदेश के पन्ना टाईगर रिजर्व में 13745.53 करोड़ रू. के प्राकृतिक संसाधन जमा हैं। इसके अतिरिक्त यह हर साल 6954.56 करोड़ रू. की पारिस्थितिकी सेवाएं मुहैया करा रहा है। यह अपने चारों ओर की आबादी को हर साल 14455.42 करोड़ के स्वास्थ्य लाभ देता है। भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम) भोपाल के सेंटर फ ॉर इकोलॉजिकल सर्विस मैनेजमेंट ने देशभर के 10 टाईगर रिजर्व की इकोनॉमिक वैल्यू का आँकलन करते हुए यह निष्कर्ष निकाला है। पन्ना टाईगर रिजर्व पर हर साल सरकार जितना खर्च करती है, उसके बदले 1939.36 करोड़ रू. से अधिक के संसाधन यहां भविष्य के लिए तैयार हो रहे हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में फैले टाईगर रिजर्व काष्ठ के रूप में कार्बन स्टोरेज और वाटर स्टोरेज का काम कर रहे हैं। वातावरण के बेहतर बनाने के लिए ऑक्सीजन उत्पादक और कार्बन डाई आक्साइड के अवशोषक का बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। नेशनल टाईगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के लिए इस रिपोर्ट को आईआईएफएम भोपाल की प्रोफेसर मधु वर्मा, चारु तिवारी, सुनीता आनंद, अद्वैत ईदगांवकर और आशीष डेविड ने मिलकर तैयार किया है।

टाईगर रिजर्व से होता है पानी का संरक्षण

टाईगर रिजर्व में सिर्फ  बाघों का ही संरक्षण नहीं हो रहा, बल्कि भविष्य के लिए लकड़ी और कार्बन स्टोरेज का काम कर रहे हैं। ये पानी का संरक्षण करते हैं, देश में 400 नदियां टाईगर रिजर्व से ही निकल रही हैं। ये बारिश में अपना सारा पानी बचाकर सालभर धीरे-धीरे हमें देते हैं। इन पर होने वाले इन्वेस्टमेंट कई गुना तेजी से बढ़ रहा है, जो भविष्य में बड़ा राष्ट्रीय संसाधन होगा।

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