- 7 वर्ष पूर्व पन्ना टाइगर रिजर्व के जरधोवा बीट की घटना
- नर बाघ पन्ना - 111 के हमले से मादा शावक की हुई थी मौत
शावक के शव को मुंह में दबाए खड़ी बाघिन टी-2 ( फाइल फोटो ) |
अरुण सिंह, पन्ना। जंगल की निराली दुनिया में रहस्य और रोमांच से भरे नजारे अक्सर ही देखने को मिल जाते हैं। इन रोमांचकारी नजारों को देख इस बात का इल्म होता है कि प्रकृति व वन्य प्रांणियों के बारे में हमारी समझ व ज्ञान कितना कम है। बाघिन द्वारा अपने ही मृत शावक का भक्षण किये जाने का दृश्य कुछ ऐसा ही है, जो अविश्वसनीय ही नहीं हमारी समझ व धारणा के प्रतिकूल भी है। लेकिन आँखों देखी बात और हकीकत को झुठलाया नहीं जा सकता।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व के जरधोवा बीट में 7 वर्ष पूर्व 2 फरवरी 2013 को अपरान्ह 9 माह का एक मृत शावक मॉनीटरिंग टीम को मिला था। इस शावक का शरीर बुरी तरह से जख्मी था, लेकिन इस बात की प्रमाणिक तौर पर पुष्टि नहीं हो पा रही थी कि शावक की मौत कैसे हुई। टाइगर रिजर्व के अधिकारी जब मौके पर पहुंचे तो मृत शावक के पास उसकी मां बाघिन टी - 2 मौजूद थी। वहीं निकट ही वयस्क बाघ पन्ना - 111 भी नजर आ रहा था जो एक मवेशी का शिकार करके उसे खाने में जुटा था। यहां के माहौल व मृत शावक के पास बाघिन की मौजूदगी को देखते हुए शावक के शव का परीक्षण व पोस्ट मार्टम संभव नहीं था। वन अधिकारी दूर से ही बाघिन की गतिविधि पर नजर रख रहे थे। अचानक शाम को 6 बजे के लगभग बाघिन उठकर मृत शावक के पास पहुंची और उसका भक्षण करने लगी। यह अविश्वसनीय और विचित्र द्रश्य देख तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति सहित वहां मौजूद वन अधिकारी हतप्रभ रह गये।
दूसरे दिन 3 फरवरी को सुबह हांथियों की मदद से मौके का जब जायजा लिया गया, तो वहां पर मृत शावक के अवशेष प्राप्त हुए। प्राप्त अवशेषों में खोपड़ी व हांथ - पैर थे, जिनमें बाघ के केनाइन दांतों के निशान थे तथा खोपड़ी की हड्डी टूटी हुई थी। अवशेषों का परीक्षण करने के उपरान्त वन्य प्रांणी चिकित्सक डा. संजीव गुप्ता ने इस बात की पुष्टि कर दी कि शावक की मौत बाघ के हमले से ही हुई है। परीक्षण में इस बात का भी खुलासा हुआ कि मृत 9 माह के शावक का लिंग मादा था. पार्क प्रबंधन द्वारा इस शावक का नामकरण पन्ना - 221 किया गया था। बाघिन टी - 2 ने 29 अप्रैल 2012 को तीन शावकों को जन्म दिया था, यह मृत शावक उन्हीं में से एक था।शावक के अवशेषों का परीक्षण व पोस्ट मार्टम करने के उपरान्त मौके पर ही उसका दाह संस्कार कर दिया गया था। इस अवसर पर तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर.श्रीनिवास मूर्ति, उप संचालक विक्रम सिंह परिहार, सहायक संचालक एम.पी. ताम्रकार, परिक्षेत्र अधिकारी पन्ना, डा. रघु चुण्डावत एवं राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि मौजूद थे।
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