Thursday, September 3, 2020

बाघ का सिर मगर ने खाया या काटा गया, बड़ा सवाल?

  •  पन्ना में बाघों की मौत के तथ्यों पर डाला जा रहा पर्दा
  •  सच्चाई उजागर होना जरूरी अन्यथा 2009 की होगी पुनरावृति 


मौके पर बाघ के शव का पोस्टमार्टम करने से पहले का द्रश्य। 

अरुण सिंह,पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में मौजूदा समय हालात सामान्य नहीं हैं। यहां बीते 8 माह के दौरान 5 बाघों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। इन बाघों की मौत के कारणों की असल वजह का खुलासा अभी तक नहीं हो सका है। सबसे ज्यादा चिंताजनक बात 8 वर्षीय वयस्क नर बाघ पी-123 की है। जिस तरह से इस बाघ की मौत हुई और मौत के 3 दिन बाद सिर कटा शव केन नदी में बहता हुआ मिला वह सवालों को जन्म देता है। पार्क प्रबंधन ने इसे आपसी संघर्ष तथा सिर विहीन बाघ का शव मिलने पर इसे केन नदी में मगर द्वारा खाया जाना बताया गया है। पार्क प्रबंधन की यह दलील घटना के 25 दिन से अधिक हो जाने के बाद भी किसी के गले नहीं उतर रही है। बाघ पी-123 की मौत को लेकर जो सवाल 10 अगस्त को नदी में पाए जाने पर उठाए गए थे वे आज भी अनुत्तरित हैं।


 उल्लेखनीय है कि वन परिक्षेत्र गहरी घाट के बीट झालर में सकरा के पास नदी के किनारे 7 अगस्त 20 को नर बाघ पी-431 व पी-123 के बीच बाघिन टी-6 को लेकर संघर्ष हुआ था। उस समय बताया गया था कि बाघ पी-123 संघर्ष में बुरी तरह जख्मी होकर नदी में गिर गया है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व केएस भदोरिया ने 10 अगस्त 20 को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि घटना दिनांक को जख्मी बाघ की नदी व आस पास के जंगल में सर्चिंग की गई लेकिन वह कहीं नहीं मिला। पूरे 3 दिन के बाद मृत बाघ का सिर कटा शव 8 किलोमीटर दूर हिनौता वन परिक्षेत्र के पठाई कैंप के पास केन नदी में तैरता हुआ पाया गया। जारी विज्ञप्ति में बताया गया था कि संभवतः पानी के अंदर मगरमच्छों ने बाघ का सिर खा लिया है। चूंकि मौके पर मैं भी मौजूद था फलस्वरूप मृत बाघ का शव देखने पर स्पष्ट रूप से यह प्रतीत हुआ कि बाघ का सिर यदि मगर ने खाया होता तो शव की हालत ऐसी नहीं हो सकती। इस बात की संभावना अधिक है कि सिर को किसी धारदार हथियार से काटा गया हो। मगर के दांत होते हैं वह यदि खाता तो बाघ के शरीर का मांसल हिस्सा भी सुरक्षित नहीं बच पाता। लेकिन इन सवालों का जवाब देने के बजाय पार्क प्रबंधन ने तथ्यों पर पर्दा डालने का प्रयास किया है। जिससे शंका और बढ़ गई है, जिसे देखते हुये पन्ना में बीते 8 माह के दौरान हुई 5 बाघों की मौत विशेषकर वयस्क बाघ पी-123 की मौत की गहन जांच जरूरी हो गई है ताकि सच्चाई सबके सामने प्रकट हो सके।


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3 comments:

  1. आप से पूर्णतया सहमत हूं...सर काटा गया है वर्तमान प्रबंधन के हालात2009 की पुनरावृति करेंगे...

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  2. Very serious issue. Hope cwlw madhya Pradesh and ntca are hearing this news.

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