Monday, September 21, 2020

हथिनी रूपकली का मादा शिशु अब करने लगा चहल - कदमी

  •  नारियल के तेल से शिशु की प्रतिदिन होती है मालिश
  •  हर एक घंटे के अंतराल में पीती रहती है मां का दूध

तीन दिन का नन्हा मादा शिशु अपनी मां का दूध पीते हुये। 

अरुण सिंह,पन्ना। किसी कुनबे में जब भी कोई नन्हा मेहमान आता है तो वहां का माहौल बदल जाता है। नन्हे मेहमान की मौजूदगी तथा उसके नटखट क्रियाकलापों को देखकर हर किसी का मन प्रफुल्लित हो जाता है। कुछ ऐसा ही खुशनुमा माहौल इन दिनों पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता हांथी कैम्प का है, जहां हथिनी रूपकली ने गत 18 सितंबर को सुबह एक खूबसूरत मादा शिशु को जन्म दिया है। पूरे 3 दिन की हो चुकी हथिनी रूपकली थी यह नटखट बेटी अब कैंप में चहल-कदमी भी करने लगी है, फल स्वरुप महावत व चाराकटर इस नन्हे शिशु पर चौबीसों घंटे नजर रखते हैं। हथनी रूपकली के अलावा कैंप में मौजूद दुनिया की सबसे बुजुर्ग हथनी वत्सला इस नन्हे मेहमान की देखरेख दादी मां की तरह कर रही है।

 उल्लेखनीय है कि चार माह पूर्व 27 अप्रैल 20 को एक दूसरी हथनी मोहनकली ने भी हिनौता हाथी कैंप में मादा शिशु को जन्म दिया था। यह मादा शिशु लगभग 5 माह की हो चुकी है। हाथियों के कुनबे में 3 दिन पूर्व तक यह सबसे छोटी सदस्य थी लेकिन अब नन्हे मेहमान के आने से कुनबे में अब इसकी गिनती सबसे छोटे सदस्य के रूप में नहीं रह गई। नन्हे शिशु की चहल-कदमी और शैतानियों का हथिनी मोहनकली की मादा शिशु जो लगभग 5 माह की है, वह पूरा आनंद लेती है। मालूम हो कि हिनौता हाथी कैंप में मौजूदा समय तीन दिन के मादा शिशु सहित छोटे- बड़े पांच बच्चे हैं जो अपनी शैतानियों से सहज ही सबका ध्यान आकृष्ट कर लेते हैं।

 पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता बताते हैं कि 45 से 50 वर्ष की हथिनी रूपकली का यह आठवां बच्चा है। हथनी रूप कली व अनारकली को सोनपुर (बिहार) से यहां लाया गया था। वर्ष 1992 में रूपकली ने पन्ना में अपने पहले बच्चे को जन्म दिया था। मौजूदा समय इस हथिनी के पांच बच्चे केन्या,अनंती, प्रहलाद, पूर्णिमा व तीन दिन पूर्व जन्मी मादा शिशु हैं, इनमें सिर्फ प्रहलाद इकलौता नर बच्चा है। इस हथिनी के तीन बच्चों हीरा, विंध्या और गौरी की विभिन्न कारणों के चलते मौत हो चुकी है। आपने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए हिनौता हाथी कैंप में बाहरी किसी भी व्यक्ति का प्रवेश पूर्णतया प्रतिबंधित है। यहां हाथियों व उनके बच्चों की देखरेख करने वाले महावत व चाराकटर हैंडवॉश के बाद ही बच्चे को हाथ लगाते हैं। हाथी कैंप व आसपास के क्षेत्र को सैनिटाइज किया गया है।

 हथिनी रूपकली को दी जा रही है विशेष डाइट

 

शिशु की नारियल तेल से मालिश करते महावत। 

मादा शिशु को जन्म देने वाली हथनी रूपकली की भी समुचित देखरेख व भोजन की विशेष व्यवस्था की जा रही है। डॉ गुप्ता के मुताबिक हथिनी अपने नवजात शिशु को पर्याप्त मात्रा में दूध पिला सके, इस बात को दृष्टिगत रखते हुए उसे सुबह व शाम को जहां दलिया खिलाया जाता है, वहीं गन्ना, गुड़ व पेड़-पौधों की पत्तियां भी खाने को दी जा रही हैं। नन्हा शिशु लगभग हर एक घंटे के अंतराल में अपनी मां का दूध पीता है तथा आसपास चहल कदमी भी करता रहता है। थकने पर वहीं लेट कर सो जाता है और फिर अठखेलियां करने लगता है। शिशु का हांथी पूरा ध्यान रखते हैं तथा महावत भी हर समय नन्हे शिशु की निगरानी करते हैं। डॉ गुप्ता ने बताया कि हथिनी रूपकली तथा उसका नन्हा शिशु दोनों स्वस्थ हैं। इनकी देखरेख करने वाले महावत और चाराकटर नन्हे शिशु की प्रतिदिन नारियल तेल से मालिश भी करते हैं ताकि उसकी मांस पेशियां जहां मजबूत रहें वहीं वह तरोताजा भी महसूस करे।

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