Wednesday, November 4, 2020

पन्ना की उपलब्धि को केंद्रीय वन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सराहा

  • मंगलवार को ट्वीट कर पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम को दी बधाई 
  • वर्तमान में आधा सैकड़ा से भी अधिक बाघों का घर है पन्ना  



अरुण सिंह,पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की "वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व्स" सूची में शामिल किया गया है। यह भारत का 12 वां और मध्य प्रदेश के पचमढ़ी और अमरकंटक के बाद तीसरा बायोस्फीयर रिजर्व (जैव आरक्षित क्षेत्र) है, जिसे 'वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व्स' में शामिल किया गया है। वर्तमान में, पन्ना टाइगर रिजर्व 54 बाघों का घर है। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व को मिली इस अंतर्राष्ट्रीय पहचान तथा उसकी उपलब्धियों पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने प्रशन्नता जाहिर की है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट कर जानकारी देते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व को बधाई दी है। पर्यावरण, वन और जलवायु मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ट्वीट करते हुए कहा है कि ''पन्ना टाइगर रिजर्व को अब यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया है। टाइगर संरक्षण पर उनके अद्भुत कार्य के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व को बधाई.'' मालूम हो कि वर्तमान में 129 देशों में 714 बायोस्फीयर रिजर्व हैं। 


उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में जब पन्ना टाइगर रिज़र्व बाघ विहीन हो गया था, उस समय राष्ट्रीय स्तर पर इसे आलोचना का शिकार होना पड़ा था। लेकिन बाघ पुनर्स्थापना योजना को मिली शानदार कामयाबी के बाद पन्ना टाइगर रिज़र्व राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आकर्षण का केन्द्र बन गया। दुनिया भर से लोग यहाँ की चमत्कारिक सफलता को देखने व समझने के लिए आने लगे। स्थिति यह बनी कि देश व विदेश के वन अधिकारीयों और वन्य जीव प्रेमियों के लिये पन्ना टाइगर रिज़र्व शिक्षा की पाठशाला बन गया, जहाँ बाघ संरक्षण के साथ - साथ पालतू अर्ध जंगली बाघों को जंगली बनाने का सफल प्रयोग हुआ है।   

पन्ना टाइगर रिजर्व की अनूठी सफलता की यह खूबी रही है कि इसकी सराहना हर किसी ने की। कांग्रेस शासन के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री रहे जयराम रमेश ने भी पन्ना की उपलब्धियों को न सिर्फ सराहा था अपितु अप्रैल 2011 में पन्ना टाइगर रिजर्व का दौरा कर बाघिन टी-1 को उसके एक वर्ष के शावकों सहित धुँधुआ सेहा में देखा भी था। इस वर्ष 16 अप्रैल 2020 को परम्परागत रूप से मनाया जाने वाला बाघ जन्मोत्सव के 10वें सालगिरह का  कार्यक्रम कोविड-19 कोरोना संक्रमण के चलते जब नहीं आयोजित हो सका, उस समय भी जयराम रमेश जी ने ट्वीट करते हुए पन्ना की उपलब्धि को याद करते हुये तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति व उनकी पूरी टीम के शानदार प्रयासों की सराहना की थी।    


मालूम हो कि पन्ना टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश के उत्तर में पन्ना और छतरपुर जिलों में फैला है। साल 1981 में पन्ना टाइगर रिजर्व की स्थापना राष्ट्रीय उद्यान के तौर पर की गयी थी. बाद में साल 1994 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय उद्यान को पन्ना टाइगर रिजर्व के रूप में घोषित किया था। मौजूदा समय पन्ना आधा सैकड़ा से भी अधिक बाघों सहित विविध प्रजाति के वन्य जीवों तथा  मगर व घड़ियालों का घर है। यहाँ 200 से भी अधिक प्रजाति के पक्षी भी पाये जाते हैं जिनमें दुर्लभ गिद्ध भी शामिल हैं। यूनेस्को ने अपने मैन एंड बायोस्फियर प्रोग्राम के तहत पन्ना बायोस्फीयर क्षेत्र को अपने बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में शामिल किया है। गौरतलब है कि जब किसी क्षेत्र को बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में घोषित किया जाता है तो निम्नलिखित तीन चीजों पर बल दिया जाता है। सांस्कृतिक विविधता और जैव विविधता का संरक्षण, आर्थिक विकास जो पर्यावरण और सामाजिक-सांस्कृतिक रूप से टिकाऊ है। अनुसंधान, शिक्षा, निगरानी और प्रशिक्षण के माध्यम से विकास। बायोस्फीयर रिजर्व में मुख्य क्षेत्र, बफर जोन और संक्रमण क्षेत्र हैं। एक कोर क्षेत्र है जो सख्ती से संरक्षित होता है। बफर ज़ोन का उपयोग उन गतिविधियों के लिए किया जाता है जो वैज्ञानिक अनुसंधान, प्रशिक्षण और शिक्षा जैसी पारिस्थितिकी का समर्थन करती हैं। संक्रमण क्षेत्र वह क्षेत्र है जहां क्षेत्र के समुदायों को स्थायी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की अनुमति है।

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