- राजा शंकरशाह और कुंवर रघुनाथ शाह का मनाया गया बलिदान दिवस
- पन्ना जिले के आदिवासी क्षेत्र कल्दा पठार के पौढ़ीकलां में आयोजित हुआ कार्यक्रम
- वक्ताओं ने आदिवासी समाज के राजनैतिक एवं सामाजिक अधिकारों पर दिया जोर
आदिवासी बहुल कल्दा पठार के पौढ़ीकलां ग्राम में आयोजित कार्यक्रम में मंचासीन अतिथिगण। |
पन्ना। अमर शहीद गौणवाना सम्राज्य के शासक राजा शंकरशाह पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह मरावी का 164 वां बलिदान दिवस शनिवार 18 सितम्बर को पन्ना जिले के दुर्गम क्षेत्र कल्दा पठार के पौढ़ीकलां ग्राम में समारोह पूर्वक मनाया गया। बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सेवा निवृत उप पुलिस अधीक्षक फूल सिंह टेकाम तथा अधिवक्ता कमल सिंह मरकाम उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम पंचायत पौढ़ीकला की सरपंच श्रीमती खिलाफ बाई मरकाम ने की। आयोजित कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में समाजसेवी जयराम यादव एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में आदिवासी नेता महिपाल सिंह मरावी, मुन्ना सिंह मरकाम तथा त्रिलोक सिंह यादव उपस्थित रहे।
दीप प्रज्जवलन के साथ मुख्य अतिथि सहित अतिथिगणों द्वारा राजा शंकर शाह एवं उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमाओं पर हल्दी और चावल से तिलक वंदन किया गया। आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपस्थित वक्ताओं द्वारा गौणवाना समाज के महान शासक के 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका तथा आजादी के लिये उनके बलिदान को याद करते हुये आदिवासी समाज की सामाजिक एवं राजनैतिक स्थिति पर विचार रखे गये। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता समाजसेवी जयराम यादव ने कहा कि गौणवाना समाज के महान शासक का बलिदान आदिवासी समाज ही नही बल्कि पूरे देश के लोगों के लिये गौरव का विषय है। आदिवासी समाज भारतीय महाद्वीप के सबसे पुराने वाशिंदे हैं। ईमानदारी और मेहनत के साथ काम करते हैं। परंतु इसके बावजूद आदिवासी समाज राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में आज भी सबसे पिछड़ा है। जब तक समाज के अंदर शिक्षा, सामाजिक चेतना एवं अपने अधिकारों के लिये संघर्ष करने की शक्ति नहीं होगी तब तक यही स्थिति रहेगी।
समारोह में उमड़ी आदिवासियों की भीड़ का नजारा। |
जल, जंगल, जमीन से आदिवासियों का मालिकाना हक लंबे समय से लगातार छीना जा रहा है। उनकी जमीन पर दूसरे लोग काबिज हो चुके हैं और सबसे ज्यादा शोषण भी हो रहा है। आयोजित कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समाज के नेता महिपाल सिंह ने कहा कि आदिवासी समाज बरसों से पर्यावरण को सुरक्षित करने का काम कर रहा है। हमारे रीती रिवाज और परम्पराओं में वृक्षो की पूजा शामिल है परंतु जंगलों की रक्षा करने वाले लोगों को ही जंगलों से दूर करने का काम चल रहा है। बड़े-बड़े औद्योगिक कल कारखानों के लिये हमारे जंगलों, पेड़-पौधों की बली चढ़ रही है, जो कि न केवल हमारे अस्तित्व के लिये खतरा है बल्कि पूरी दुनिया के लिये बड़ा खतरा बना हुआ है।
कार्यक्रम में मुन्ना सिंह मरकाम ने समाज में व्याप्त कुरूतियों के संबंध में चर्चा की तथा नशा मुक्ति एवं शिक्षा पर बल दिया गया। आयोजित कार्यक्रम के संरक्षक शिक्षक दरयाब सिंह द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों सहित बड़ी संख्या में पहुंचे आदिवासी समाज सहित विभिन्न वर्गो के लोगों के प्रति आभार प्रकट किया गया। कार्यक्रम में आदिवासी समाज के धर्माचार्य राजभान सिंह पेन्ड्रो का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। मंचीय उद्बोधन के साथ ही बच्चों द्वारा देशभक्ति एवं आदिवासी की सांस्कृतिक परम्पराओं की शानदार प्रस्तुतियां गायन, नृत्य आदि विधाओं के माध्यम से दी गई। इस अवसर पर मुख्य रूप से गजराज सिंह पेन्ड्रों, नरेश सिंह मरावी, हनुमत प्रसाद पटेल, पुरूषोत्तम सिंह आदि मुख्यरूप से उपस्थित रहे।
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