Sunday, December 26, 2021

पन्ना के जंगल में चार अनाथ बाघ शावकों ने कैसे जीती जिंदगी की जंग ?

  • महज 7 माह की उम्र में बाघिन मां की मौत होने पर अनाथ हुए चार शावकों का खुले जंगल में चुनौतियों और खतरों के बीच जीवित बच पाना किसी चमत्कार से कम नहीं है। यह चमत्कार मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में घटित हुआ है। अनाथ शावक अब 15 माह के हो चुके हैं और शिकार के साथ अपनी सुरक्षा करने में भी सक्षम हो गए हैं।

चार अनाथ शावक जिन्होंने बिना मां के जंगल में खतरों के बीच रहना सीखा। 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना (मध्यप्रदेश)। जंगल की निराली दुनिया में घटित होने वाली कुछ घटनाएं अचंभित करने वाली होती हैं, जो सहज ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लेती हैं। ऐसी ही एक घटना 6 वर्ष की बाघिन पी-213 (32) की हुई आकस्मिक मौत व उसके चार अनाथ हो चुके शावकों से संबंधित है, जिसने प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव विशेषज्ञों को भी हैरत में डाल दिया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के इन चार अनाथ शावकों की कहानी रोचक तो है ही रहस्य और रोमांच से भी परिपूर्ण है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं कि 15 मई 2021 को 6 वर्ष की बाघिन पी- 213(32) की अज्ञात बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इस बाघिन के चार नन्हें शावक जो उस समय तकरीबन 7 माह के थे, मां की अचानक इस तरह मौत होने से अनाथ और बेसहारा हो गए थे। मां बाघिन के बगैर जंगल में खतरों के बीच ये नन्हें शावक कैसे बच पाएंगे इस बात को लेकर वन्यजीव प्रेमियों से लेकर वन अधिकारी सभी चिंतित थे। उस समय अनेकों लोगों ने यह सुझाव दिया कि शावकों को बचाने के लिए उन्हें किसी चिडय़िाघर में रखा जाए ताकि उनके जीवन की रक्षा हो सके। यह सोच विचार चल ही रहा था कि अचानक बेहद अविश्वसनीय नजारा पीटीआर के जंगल में देखने को मिला। शावकों का पिता नर बाघ पी-243 वहां न सिर्फ देखा गया बल्कि उसका व्यवहार भी शावकों के प्रति सौहार्दपूर्ण था। नर बाघ का ऐसा बर्ताव देखकर पार्क प्रबंधन ने चारों शावकों को जंगल में ही प्राकृतिक माहौल में रखने का निर्णय लिया। 

चारों अनाथ शावक अब 15 माह के हो चुके हैं और खुले जंगल में चुनौती और खतरों के बीच न सिर्फ जीना सीख लिया है अपितु शिकार करने के कौशल में भी पारंगत हो गए हैं। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि 15 माह के हो चुके इन शावकों का आकार वयस्क बाघों की तरह हो गया है। शावकों में तीन नर व एक मादा है, जिनका औसत वजन 120 किलोग्राम के आसपास है। इनमें एक नर शावक आकार में सबसे बड़ा व बलिष्ठ दिखता है, जबकि मादा शावक नर शावकों की तुलना में छोटी है। श्री शर्मा बताते हैं कि पन्ना टाइगर रिजर्व की शान व पहचान बन चुके इन चारों अनाथ शावकों का नामकरण पी 213-32 (21), (22), (23) और (24) के रूप में किया गया है। इनमें पी 213-32(24) मादा शावक है।

खतरों से भरा था अनाथ शावकों का यह सफर


15 माह के ये शावक अब बन चुके हैं खतरों के खिलाड़ी, करने लगे हैं शिकार।   

बाघिन मां के बिना नन्हे शावकों का जंगल में जीवित रहना कोई आसान काम नहीं है। लेकिन प्रकृति की पाठशाला में वन्यजीवों को जो अनुभव और सबक सीखने को मिलते हैं वह सीमित दायरे (चिडय़िाघर) में कैदियों की तरह रहकर संभव नहीं है। पन्ना टाइगर रिजर्व के एक वन कर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बाघ शावक अत्यधिक अनुशासित होते हैं। बाघिन ने मौत से पहले अपने शावकों को जिस मांद में रखा था और उनकी घूमने फिरने व चहल कदमी के लिए जितना एरिया निर्धारित किया था, शावकों ने उसका उल्लंघन नहीं किया। तकरीबन 10 माह की उम्र तक चारों शावक एक वर्ग किलोमीटर के छोटे से क्षेत्र में रहते थे, जिसे "क्यूब टेरिटरी" नाम दिया गया था। लेकिन अब उनका आत्मविश्वास बढ़ गया है और चारों सब एडल्ट शावक अब ज्यादा समय "क्यूब टेरिटरी" के बाहर बिता रहे हैं। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा बताते हैं कि चारों अभी एक साथ 5-6 महीने और रहेंगे इसके बाद अलग-अलग क्षेत्रों में अपने लिए इलाके की खोज हेतु निकलेंगे। श्री शर्मा बताते हैं कि शावक इतने बड़े और सक्षम हो चुके हैं कि वे तेंदुआ और भालू जैसे हमलावरों से अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व में विचरण करने वाले दूसरे बाघों से अभी भी खतरा बना हुआ है। चारों शावक शिकार करने लगे हैं तथा चीतल, जंगली सुअर, सांभर, नीलगाय के बछड़ों तथा छोटे आकार के मवेशियों को मारने में सक्षम हैं। जंगल में जीवित रहने के लिए शिकार करने का यह कौशल उन्होंने बिना मां के जिस तरह शीघ्रता से सीखा है वह आश्चर्यजनक है।

नर बाघ पी-243 ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका


निर्भय होकर करने लगे खुले जंगल में स्वच्छंद विचरण। 

शावकों के पिता नर बाघ पी-243 ने बाघिन मां की मौत होने के बाद शुरुआती दिनों में शावकों की सुरक्षा व उनकी परवरिश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस नर बाघ ने शावकों की छोटी सी टेरिटरी को न सिर्फ सुरक्षित रखा अपितु दूसरे बाघों के यहां प्रवेश के प्रति भी सतर्क रहा। जाहिर तौर पर इसका फायदा शावकों को मिला और वे तेंदुआ व भालू आदि के खतरे से बचे रहे। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि नर बाघ पी-243 की गतिविधियों की निगरानी सेट लाइट कॉलर द्वारा की जाती है। जिससे यह देखा गया कि बाघ पी-243 सितंबर के महीने से "क्यूब टेरिटरी" में आना जाना कम कर दिया है लेकिन पूरी तरह से बंद नहीं किया। मौजूदा समय नर बाघ पी-243 पन्ना टाइगर रिजर्व की दो बाघिनों पी-142 व पी-652 के साथ दिखाई देता है। बाघिनों का साथ पाने के लिए नर बाघ पी-243 को दूसरे प्रतिद्वंदी बाघों पी-431, पी-241, पी-621 तथा पी-271 से संघर्ष भी करना पड़ा। लेकिन ऐसा लगता है कि पी-243 काफी मजबूत और बलशाली है तथा लड़ाई जीत रहा है।

आपसी संघर्ष में लड़ाई जीतकर नर बाघ पी-243 ने एक नए इलाके में कब्जा कर लिया है। जाहिर है कि अब उसका आना-जाना शावकों के क्षेत्र में कम हो गया है। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा के मुताबिक शावकों के क्षेत्र में अन्य नर बाघों को जाते व इलाके को पार करते हुए भी देखा गया है। शावकों के क्षेत्र में नर बाघ पी-431 व पी-241 की गतिविधि दर्ज की गई है। लेकिन इन नर बाघों का शावकों के साथ किसी भी तरह का संघर्ष हुआ लड़ाई रिपोर्ट नहीं हुई। चारों शावक स्वस्थ और सुरक्षित हैं तथा जंगल में बहादुरी के साथ प्राकृतिक जीवन जी रहे हैं। लेकिन प्रकृति का मूल नियम "सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट" है। यहां केवल फिट और मजबूत ही जीवित रह सकता है, अयोग्य व कमजोर नष्ट हो जाते हैं। इन चारों शावकों के साथ भी प्रकृति का यही नियम लागू होगा और जीवित रहने के लिए आगे उन्हें अपना रास्ता खुद बनाना होगा।

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Thursday, December 16, 2021

फिशिंग कैट के बाद पन्ना में मिली डेजर्ट कैट, पर्यटक ने ली तस्वीर

  • जंगल के राजा बाघ व पानी के राजा मगर के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में कैट की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। यहाँ बाघ व तेंदुओं के अलावा जहाँ फिशिंग कैट की मौजूदगी है वहीं अब डेजर्ट कैट के फोटोग्राफिक प्रमाण मिले हैं। अकोला बफ़र में नाइट सफारी के दौरान पर्यटक ने डेजर्ट कैट की तस्वीर ली है जिसे पन्ना टाइगर रिज़र्व द्वारा फोटो के साथ ट्वीट किया गया है। 

पन्ना टाइगर रिज़र्व के अकोला बफर क्षेत्र में पर्यटक रुपेश द्वारा ली गई डेजर्ट कैट की तस्वीर। 

।। अरुण सिंह ।। 

पन्ना। मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिज़र्व बड़ी बिल्ली बाघ और तेंदुओं की अच्छी उपलब्धता के लिए तो जाना ही जाता है, लेकिन यहाँ दुर्लभ फिशिंग कैट व इंडियन डेजर्ट कैट की मौजूदगी भी पाई गई है। क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पीटीआर के अकोला बफर क्षेत्र में पर्यटक अतिथि ने अपनी नाइट सफारी के दौरान इंडियन डेजर्ट कैट को देखा एवं अपने कैमरे में कैद किया है। पन्ना के जंगल में डिजर्ट कैट का पाया जाना बहुत बड़ी खुशखबरी है। इससे पता चलता है कि जैव विविधता की द्रष्टि से पन्ना का जंगल कितना समृद्ध है। 

क्षेत्र संचालक श्री शर्मा के मुताबिक इंडियन डिजर्ट कैट थार रेगिस्तान में निवास करती है और स्क्रब रेगिस्तान से जुड़ी है। वर्ष 1999 में इसके  बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, पाली और नागौर के राजस्थानी जिलों में सामान्य रूप से देखे जाने का उल्लेख है। लेकिन वर्ष 1999 और 2006 के बीच थार रेगिस्तान में केवल चार इंडियन डिजर्ट कैट देखे जाने की सूचना मिली थी। डेजर्ट कैट की मौजूदगी नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य, मध्यप्रदेश और मिर्जापुर के जंगलों में भी रिपोर्ट की गई थी। इसके पंजे के तलवों को ढकने वाले लंबे बाल इसके पैड को रेगिस्तान में अत्यधिक गर्म और ठंडे तापमान से बचाते हैं।

दिन में आराम व रात में करती है शिकार 

रेत बिल्ली आमतौर पर दिन के दौरान भूमिगत मांद में आराम करती है और रात में शिकार करती है। यह छोटे जीव-जंतुओं और पक्षियों की तलाश में रात में औसतन 5 से 6 किमी तक चलती है। बताया जाता है कि यह जहरीले सांपों को भी कुशलता से मारने में दक्ष होती है। वसंत ऋतु में मादा दो से तीन बिल्ली के बच्चे को जन्म देती है, जो एक वर्ष की आयु के आसपास यौन रूप से परिपक्व हो जाती हैं। रेत बिल्ली की पारिस्थितिक आवश्यकताओं को अभी भी कम समझा जाता है, क्योंकि जंगली रेत बिल्ली की आबादी को लक्षित करने वाले गहन अध्ययन बहुत कम हैं।

गर्मी व ठण्ड से बचने पैरों तले गद्दी में होते हैं फर 

कुदरत ने डेजर्ट कैट के पैरों तले तेज तापमान से बचाव के लिए गद्दी में फर विकसित कर दिए हैं. ये बड़े फर बिल्ली के पांव को गर्मी के साथ-साथ तेज ठण्ड से भी बचाते हैं। इसके अलावा पंजे में बहुत सारे बाल होने की वज़ह से बिल्ली रेगिस्तानी में फूटमार्क नहीं छोड़ती है, जिससे किसी भी शिकारी के लिए इस बिल्ली को ढूंढ पाना मुमकिन नहीं हो पाता। यही फर रात को रेगिस्तान की बेहद तेज ठंड से इस अद्भुत बिल्ली को बचाते हैं, ये ख़ास फर रात को डेजर्ट कैट को गर्मी प्रदान करते हैं। इसका रंग रेगिस्तान की रेत जैसा ही होता है, जिससे शिकार.शिकारी को देख नहीं पाता। रात को एक्टिव रहने वाली यह खास बिल्ली  रात में शिकार करने के लिए 6 किलोमीटर तक चलती है। शिकार करने के लिए इस बिल्ली के पास दो खूबियां हैं, एक बड़े कान और दूसरे कानों में सामान्य बिल्ली से ज़्यादा बाल।  जिससे डेजर्ट कैट धीमी से धीमी आवाज़ को भी सुन सकती है। एक किलोमीटर दूर से इस बिल्ली के कान शिकार की आहट को सुन सकते हैं। यह बिल्ली अपने शरीर के पानी की ज़रूरत को शिकार में से पूरा कर लेती है, जाहिर है कि पानी की उपलब्धता न होने की स्थिति में भी यह जीवित रह सकती है। 

पन्ना में डेजर्ट कैट के नहीं थे फोटोग्राफिक प्रमाण 


पन्ना टाइगर रिज़र्व के जंगल में डेजर्ट कैट की उपलब्धता के फोटोग्राफिक प्रमाण नहीं हैं लेकिन इसका जिक्र जरूर है कि यह पन्ना के जंगल में है। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि हम यह जानने के लिए पुराना रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं कि पहले कभी इसकी मौजूदगी रिकॉर्ड की गई है या नहीं। श्री शर्मा बताते हैं कि अब हर पर्यटक के पास कैमरा व मोबाइल होता है जिससे वन्य प्राणियों की फोटो लेना व वीडियो बनाना बेहद सुगम हो गया है। यही वजह है कि अब दुर्लभ वन्य प्राणियों के फोटोग्राफिक प्रमाण मिलने लगे हैं।   

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Tuesday, December 14, 2021

पन्ना टाइगर रिज़र्व के अकोला बफर में मिला बाघ का कंकाल ?

  • बाघ के मौत की वजह का नहीं हो सका खुलासा 
  • रमपुरा गेट में मृत बाघ का हुआ दाह संस्कार  

मृत बाघ के प्राप्त अवशेषों का रमपुरा गेट के पास दाह संस्कार कराते वन अधिकारी।  

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिज़र्व में आज फिर एक बाघ का कंकाल मिला है। बाघ की मौत कैसे हुई यह अभी अज्ञात है। मामला अकोला बफर क्षेत्र के बाँधीकला  बीट का है। मामले की जानकारी मिलने पर पन्ना टाइगर रिज़र्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा सहित वन अधिकारी मौके पर पहुंचकर जायजा लिया। कंकाल को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि बाघ की मौत 7- 8 दिन पूर्व हुई होगी। क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने पुष्टि की है कि जंगल में लेंटाना की झाड़ियों के नीचे मिला कंकाल बाघ का ही प्रतीत होता है, जाँच रिपोर्ट आने पर वास्तविक स्थिति का पता चलेगा। 

वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने पोस्टमार्टम करने के उपरांत जाँच हेतु मृत बाघ के मिले अवशेषों का सेम्पल लिया गया। मृत बाघ नर है या मादा इस बात की भी जानकारी नहीं हो सकी। क्षेत्र संचालक ने बताया कि प्राप्त अवशेषों से यह पता लगा पाना मुश्किल है। जिस वन क्षेत्र में बाघ का कंकाल मिला है वहां जंगल न के बराबर है सिर्फ लेंटाना की घनी झाड़ियां हैं जहाँ बड़ी संख्या में मवेशी चरते हैं। इन मवेशियों का शिकार करने अक्सर ही टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र से बाघ यहाँ आ जाते हैं। वन अधिकारियों के मुताबिक कई बाघों का इस इलाके में मूवमेन्ट रहता है। बाघ की मौत आपसी संघर्ष से हुई या  कोई अन्य वजह है, अभी इस बात का खुलासा नहीं हुआ है। मृत बाघ के अवशेषों को रमपुरा गेट के पास क्षेत्र संचालक सहित वन अधिकारियों की मौजूदगी में जला दिया गया है। 

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Monday, December 13, 2021

जंगल में प्राकृतिक कारणों से जख्मी बाघों का उपचार उचित है या अनुचित?

  • खुले जंगल में स्वच्छंद रूप से विचरण करने वाले बाघों के बीच टेरिटोरियल फाइट (आपसी संघर्ष) होने व अन्य प्राकृतिक कारणों से जख्मी होने पर क्या उनका उपचार दवाइयों से होना चाहिए? मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पी-243 के जख्मी होने पर उठ रहे हैं सवाल? राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की क्या है गाइडलाइन तथा क्या कहते हैं वन अधिकारी, जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट।

पन्ना टाइगर रिजर्व का 6 वर्षीय युवा बाघ पी-243 जिसके माथे पर घाव साफ नजर आ रहा। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना (मध्यप्रदेश)। टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के जंगलों में बाघों की संख्या बढऩे के साथ ही उनके बीच इलाके में आधिपत्य को लेकर आपसी संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ी हैं। बाघों के बीच होने वाली इस टेरिटोरियल फाइट में कई बार बाघ बुरी तरह से जख्मी हो जाते हैं। अभी हाल ही में पन्ना टाइगर रिजर्व का 6 वर्षीय युवा बाघ पी-243 आपसी संघर्ष या फिर शिकार करते समय जख्मी हुआ है, इस बाघ के माथे में घाव है। यह वही प्रसिद्ध नर बाघ है जिसने चार अनाथ शावकों की परवरिश की है, जिनकी मां बाघिन पी-213(32) की मौत मई 2021 में हो गई थी। यह बाघ अनाथ शावकों का पिता है। पिछले दिनों पर्यटकों ने जब इस जख्मी बाघ की तस्वीर ली तब पता चला कि वह जख्मी है। इस जख्मी युवा नर बाघ का पार्क प्रबंधन द्वारा समुचित इलाज न कराए जाने से पर्यटकों व वन्यजीव प्रेमियों ने चिंता जाहिर की है।

सोशल मीडिया में बाघ की वायरल हुई फोटो तथा उठ रहे सवालों की ओर पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा का ध्यान आकृष्ट कराए जाने पर उन्होंने बताया कि जहां भी बाघों की पापुलेशन अधिक है, वहां उनके बीच आपसी संघर्ष होना स्वाभाविक है। श्री शर्मा बताते हैं कि मौजूदा समय पन्ना टाइगर रिजर्व में लगभग 70 बाघ हैं तथा प्रतिवर्ष यहां 12 से 18 शावक जन्म लेते हैं। इन परिस्थितियों में सीमित जंगल होने के कारण नये युवा बाघ अपने लिए टेरिटरी स्थापित करने के लिए या तो बाहर निकल जाते हैं या फिर स्थापित बुजुर्ग बाघों से लड़ाई करते हैं। जब कोई बाघ या बाघिन आपसी संघर्ष या किल करते समय घायल हो जाते हैं तब उन परिस्थितियों में यह प्रश्न उठता है कि घायल हुए बाघ का उपचार करना चाहिए अथवा नहीं?

क्षेत्र संचालक श्री शर्मा ने प्रतिप्रश्न करते हुए कहा कि घायल बाघों का उपचार कर कहीं हम प्रकृति के विरुद्ध तो नहीं जा रहे? वे आगे बताते हैं कि जंगल का नियम है "सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट"। यानी जो फिट और ताकतवर है वहीं रह सकता है। जो अनफिट व कमजोर है उसे या तो मरना पड़ता है या फिर उस इलाके को छोड़कर भागना पड़ता है। घायल बाघ को दवाई देकर उपचार करके उसे बचाने का तात्पर्य यह होगा कि हम प्रकृति के विरुद्ध जा रहे हैं। वे बताते हैं कि बाघ को उपचार कर बचाने से प्रत्यक्ष लाभ यह होगा कि बाघों की संख्या स्थिर रहेगी परंतु हानि यह है कि युवा बाघ इलाके की तलाश में बाहर चले जाएंगे। असुरक्षित इलाकों में जाने से कई बार वे हादसों का शिकार हो जाते हैं, जैसा पन्ना के ही युवा नर बाघ पी-234 (31) हीरा के साथ पडोसी जिले सतना के वन परिक्षेत्र सिंहपुर अंतर्गत अमदरी बीट के जंगल में हुआ।

क्षेत्र संचालक श्री शर्मा बताते हैं कि टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र बाघों के रहवास हेतु सबसे उपयुक्त और सुरक्षित स्थान होता है। लेकिन सीमित वन क्षेत्र होने के कारण यहां बाघों की एक निश्चित संख्या ही रह सकती है। धारण क्षमता से अधिक संख्या होने पर अतिरिक्त बाघों को अपने लिए बाहर जाकर इलाके की खोज करनी होती है। इन परिस्थितियों में यदि हमने प्रकृति के विरुद्ध जाकर घायल व कमजोर बाघों को बचाया तो कोर क्षेत्र में वृद्ध बाघों की संख्या अधिक हो जाने से शावकों की जन्मदर व संख्या धीरे-धीरे कम होना प्रारंभ हो जाएगी। इतना ही नहीं अच्छा और मजबूत "जीन" कोर क्षेत्र से बाहर चला जाएगा।

क्या कहती है एनटीसीए की गाइडलाइन 

बाघ अभयारण्यों व संरक्षित क्षेत्रों के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने जो गाइडलाइन निर्धारित की है उसके मुताबिक बाघ जैसे वन्य जीवों के प्राकृतिक रहवास स्थलों में संतुलन को कायम रखने तथा उनके लिए उपयुक्त परिस्थितियों को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम मानव हस्तक्षेप जरूरी है। सर्वाइवल ऑफ  फिटेस्ट के द्वारा प्राकृतिक तरीके से वृद्ध व कमजोर आबादी का उन्मूलन होता है। इसलिए वृद्ध, कमजोर व घायल जंगली बाघों को कृत्रिम भोजन देकर प्राकृतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना उचित नहीं है। ऐसा करने से मानव वह वन्यजीवों के बीच संघर्ष के हालात बन सकते हैं। वृद्ध व अक्षम जंगली बाघों की लंबी उम्र सुनिश्चित करने के लिए कृत्रिम आहार देना वन्य जीव संरक्षण के मूल सिद्धांतों के खिलाफ जाता है, इसलिए ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। सिर्फ विशेष परिस्थितियों में जब किसी वृद्ध या घायल बाघ से मानव बाघ संघर्ष के हालात बने, तो इन परिस्थितियों में ऐसे बाघों को किसी मान्यता प्राप्त चिडय़िाघर में पुनर्वास किया जाना चाहिए।

पूर्व में बाघों का किया जाता रहा है उपचार 

मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व पन्ना, छतरपुर व दमोह जिले के 1598 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसका कोर क्षेत्र 576 वर्ग किलोमीटर व बफर क्षेत्र 1022 वर्ग किलोमीटर है। वर्ष 2009 में यह टाइगर रिजर्व बाघ विहीन हो गया था, तब यहां बाघों के उजड़ चुके संसार को फिर से आबाद करने के लिए बाघ पुनर्स्थापना योजना शुरू की गई थी। कान्हा, बांधवगढ़ व पेंच टाइगर रिजर्व से संस्थापक बाघ व बाघिनों को यहां लाया गया। इस योजना को यहां चमत्कारिक सफलता मिली और पन्ना टाइगर रिजर्व फिर बाघों से आबाद हो गया। 

बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत पूर्व में यहां बाघों की जहां चौबीसों घंटे सघन मॉनिटरिंग की जाती रही है, वहीं जख्मी होने या अन्य कोई समस्या आने पर ट्रेंकुलाइज कर उनका उपचार भी किया जाता था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं कि पूर्व में यहां बाघ ढूंढने पर भी देखने को नहीं मिलते थे लेकिन अब एक ही सफारी यात्रा में पर्यटकों को कई बाघ दिख जाते हैं। 

पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉक्टर संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि यह सच है कि पूर्व में घायल बाघों का उपचार किया जाता था। लेकिन उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए यह जरूरी था, ताकि बाघों को बचाया जा सके। लेकिन अब हालात दूसरे हैं, हम घायल बाग पी-243 पर नजर रख रहे हैं लेकिन उसे कृत्रिम रूप से किसी भी प्रकार का इलाज नहीं दिया जा रहा। हम इंतजार कर रहे हैं कि बाघ का घाव प्राकृतिक रूप से भर जाए।

जंगल में सम्मानजनक मौत या फिर कैदी जैसा जीवन

 पन्ना टाइगर रिजर्व के नर बाघ पी-243 के जख्मी होने पर यह बहस शुरू हो गई है कि उसका एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाओं से उपचार किया जाना चाहिए या प्राकृतिक रूप से जंगल में विचरण करते हुए घाव के ठीक होने का इंतजार करना चाहिए? क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा का कहना है कि खुले जंगल में पले बढ़े जंगली बाघ को जंगल में ही सम्मान पूर्वक रहने देना है या फिर उसे बचाने के जोश व उत्साह में उसे कैदी जैसा जीवन जीने को विवश करना है, इस पर विचार किया जाना आवश्यक हो गया है। वे कहते हैं कि घायल बाघ का दवाओं से उपचार करने का मतलब उसके नैसर्गिक जीवन में खलल डालना तथा उसे सीमित दायरे (चिडय़िाघर) में रहने को मजबूर करना है। ऐसी स्थिति में यदि कोई बाघ अपनी प्राकृतिक जीवन शैली में घायल होता है (मानवीय दखलंदाजी से नहीं) तो क्या उसका इलाज दवाओं से किया जाना चाहिए?

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Wednesday, December 8, 2021

त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की हलचल तेज, पन्ना जिले में 82 मतदान केन्द्र अतिसंवेदनशील घोषित

 

 

पन्ना। त्रि-स्तरीय पंचायतों के आम निर्वाचन की हलचल शुरू हो गई है। चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार गांव - गांव सक्रिय हो गए हैं तथा मतदाताओं को मनाने और रिझाने के प्रयास भी तेज कर दिए हैं। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पंच-सरपंच सहित जिला एवं जनपद पंचायत सदस्य पद के लिए चुनाव लड़ने के इच्छुक अभ्यर्थी आगामी 13 से 20 दिसम्बर तक नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके लिए सुबह 10.30 बजे से अपरान्ह 03 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है। रविवार, 19 दिसम्बर को नाम निर्देशन पत्र जमा नहीं होंगे। कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि जिले में 82 मतदान केन्द्र अतिसंवेदनशील घोषित किये गए हैं। 

नाम निर्देशन पत्रों की जॉच 21 दिसम्बर को सुबह 10.30 बजे से की जाएगी, जबकि अभ्यर्थी 23 दिसम्बर को अपरान्ह 03 बजे तक अभ्यर्थिता से नाम वापस ले सकते हैं। इसी दिन निर्वाचन लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची तैयार कर प्रतीक चिन्ह आवंटित किए जाएंगे। जिले के सभी 5 विकासखण्ड में 4 पदों के लिए 28 जनवरी को सुबह 07 बजे से अपरान्ह 03 बजे तक मतदान होगा और इसके तुरन्त बाद मतदान केन्द्रों पर ही पंच और सरपंच पद के लिए मतगणना होगी। 

01 फरवरी को सुबह 08 बजे से जिला एवं जनपद पंचायत सदस्य की विकासखण्ड मुख्यालय पर मतगणना की जाएगी। पंच-सरपंच की मतदान केन्द्र पर की गई मतगणना का सारणीकरण तथा निर्वाचन परिणाम की घोषणा 02 फरवरी को सुबह 10.30 बजे से की जाएगी, जबकि जनपद पंचायत सदस्य के लिए मतों का सारणीकरण तथा निर्वाचन परिणाम की घोषणा और जिला पंचायत सदस्य के लिए मतों का विकासखण्ड स्तरीय सारणीकरण 22 फरवरी को सुबह 10.30 बजे से होगा। जिला पंचायत सदस्य के लिए मतों का जिला मुख्यालय पर सारणीकरण तथा निर्वाचन परिणाम की घोषणा 23 फरवरी को सुबह 10.30 बजे से की जाएगी।

नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत करने की व्यवस्था

जिला एवं जनपद पंचायत सदस्य पद के लिए ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत किया जा सकता है। जबकि पंच और सरपंच पद के लिए केवल ऑफलाइन नाम निर्देशन पत्र प्राप्त किए जाएंगे। जिला और जनपद पंचायत सदस्य पद के लिए अभ्यर्थी को ऑनलाइन नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत करने के बाद रिटर्निंग अधिकारी के समक्ष निर्धारित समयावधि में मूल नाम निर्देशन पत्र और वांछित दस्तावेज प्रस्तुत करना जरूरी है। इस तरह विकासखण्ड स्तरीय रिटर्निंग अधिकारी के पास जनपद पंचायत सदस्य, सरपंच और पंच पद के लिए नामांकन प्रस्तुत किया जा सकता है। सरपंच और पंच पद के लिए कलस्टर एआरओ के पास ऑफलाइन नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत करने की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।

आरक्षित वर्ग और महिलाओं के लिए नामांकन शुल्क में छूट

जिला पंचायत सदस्य के लिए 8 हजार रूपये, जनपद पंचायत सदस्य के लिए 4 हजार रूपये, सरपंच पद के लिए 2 हजार रूपये और पंच पद का चुनाव लड़ने के इच्छुक अभ्यर्थी को 4 सौ रूपये नाम निर्देशन शुल्क जमा करना अनिवार्य है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और सभी वर्ग की महिलाओं को निर्धारित शुल्क की आधी राशि जमा करनी होगी।

292 संवेदनशील और 82 मतदान केन्द्र अतिसंवेदनशील घोषित

पन्ना जिले में 1 हजार 194 मतदान केन्द्रों में से 820 सामान्य, 292 संवेदनशील और 82 अतिसंवेदनशील घोषित किए गए हैं। जनपद पंचायत पन्ना के 228 मतदान केन्द्रों में से 141 सामान्य, 83 संवेदनशील और 4 अतिसंवेदनशील है। इसी तरह पवई के 249 मतदान केन्द्रों में से 189 सामान्य, 42 संवेदनशील और 18 अतिसंवेदनशील, अजयगढ़ के 209 मतदान केन्द्रों में से 148 सामान्य, 46 संवदेनशील ओैर 15 अतिसंवेदनशील, गुनौर के 259 मतदान केन्द्रों में से 183 सामान्य, 56 संवदेनशील और 20 अतिसंवेदनशील तथा शाहनगर के 249 मतदान केन्द्रों में से 159 सामान्य, 65 संवेदनशील और 25 अतिसंवेदनशील मतदान केन्द्र हैं।

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Monday, December 6, 2021

पन्ना की रत्नगर्भा धरती ने दो गरीब किसानों को किया मालामाल

  • पटी उथली हीरा खदान में एक ही दिन में चार लोगों को मिले 7 हीरे 
  • सबसे बड़ा 13.54 कैरेट वजन का हीरा मुलायम सिंह गोंड को मिला 

 हीरा कार्यालय में 13.54 कैरेट वजन के अपने हीरे को दिखाते मुलायम सिंह गोंड। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की रत्नगर्भा धरती आर्थिक तंगी से गुजर रहे दो गरीब किसानों पर आज मेहरबान हो गई। सोमवार को आज दो किसानों को जहाँ तीन बड़े हीरे मिले, वहीँ दो अन्य लोगों को चार छोटे हीरे मिले हैं। सभी सात हीरे एक ही खदान क्षेत्र पटी उथली हीरा खदान से निकले हैं, जिन्हे बकायदे हीरा धारकों ने कलेक्ट्रेट स्थित हीरा कार्यालय में आज दोपहर को जमा करा दिया है। हीरा मिलने पर इन गरीबों की जहाँ किस्मत चमक गई है वहीँ दो गरीब किसान पलक झपकते लखपति बन गये हैं।

हीरा कार्यालय पन्ना के हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि ग्राम रहुनिया निवासी किसान मुलायम सिंह गोंड 60 वर्ष को सबसे बड़ा 13.54 कैरेट वजन का बेशकीमती हीरा मिला है जो जेम क्वालिटी का है। जबकि एनएमडीसी कॉलोनी पन्ना निवासी रोहित यादव को पटी हीरा खदान क्षेत्र से ही दो हीरे मिले हैं। इनमें एक 6.08 कैरेट का जेम क्वालिटी का हीरा है जबकि दूसरा 4.68 कैरेट वजन का ऑफ़ कलर का हीरा है। हीरा पारखी अनुपम सिंह ने बताया कि शिवराजपुर चंद्रनगर जिला छतरपुर निवासी शारदा विश्वकर्मा को 0.43 सेंट तथा बेनीसागर मोहल्ला पन्ना निवासी रामस्वरूप चौधरी को पटी हीरा खदान क्षेत्र से ही तीन  हीरे वजन 0.34, 0.74 तथा 0.51 सेंट के हीरे मिले हैं। एक ही दिन में हीरा मिलने से इन गरीबों की किस्मत चमक गई है। हीरा मिलते ही इन किसानों के घरों में ख़ुशी और जश्न का माहौल है, परिजनों की खुशी देखते ही बन रही है।  

 हीरा पारखी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज एक ही दिन सात हीरे जमा हुए हैं जिससे पूरे दिन आज हीरा कार्यालय में हलचल मची रही। आपने बताया कि जमा हुए इन सभी हीरों को आगामी नीलामी में बिक्री के लिए रखा जायेगा। बिक्री से प्राप्त राशि में से शासन की रायल्टी काटने के बाद शेष राशि हीरा धारक को प्रदान की जाएगी। सबसे बड़े हीरे की अनुमानित कीमत पूंछे जाने पर हीरा पारखी ने बताया कि हीरा जेम क्वालिटी का है जिसकी अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद है लेकिन अभी उसकी कीमत नहीं बताई जा सकती। जानकर इस हीरे की अनुमानित कीमत 50 से 60 लाख रुपये आंक रहे हैं।  

जीवन में पहली बार मिला हीरा, बच्चों को पढ़ायेंगे  




हीरा धारक मुलायम सिंह गोंड ने बताया कि पटी स्थित उथली हीरा खदान में हम 6 लोग पार्टनर हैं। हमारे द्वारा 10 नवम्बर 21 को सरकारी पट्टा बनवाया गया था। हीरों की तलाश में हमने जी तोड़ मेहनत की है फलस्वरूप ऊपर वाले ने हमारी सुन ली। मुलायम ने बताया कि उसे जिंदगी में पहली बार हीरा मिला है। अपने बारे में मुलायम ने बताया कि वे खेती किसानी करते हैं लेकिन जंगल से खेती लगी हुई है जिससे नुकसान बहुत होता है, बस किसी तरह गुजर बसर होता था, लेकिन अब संकट दूर हो गया है। उसने बताया कि उसके दो बेटे व तीन बेटियां हैं, एक बेटी की शादी हो गई है। दोनों बेटे पढ़ते हैं, हीरा से जो भी पैसा मिलेगा उसे बेटों की पढाई में लगाऊंगा ताकि पढ़ लिखकर वे काबिल बन सकें। जैसे हम मेहनत मजदूरी व किसानी करके हैरान और परेशान होते हैं उन्हें न होना पड़े। 

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Thursday, December 2, 2021

आत्मनिर्भर बनने जैविक खेती अपनाना आज की आवश्यकता

  • किसान यदि चाहे तो उनको आत्म निर्भर बनने से कोई नहीं रोक सकता
  • किसानों की स्थिति मजबूत करने एकजुट हो काम करें किसान संगठन 

कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना में स्वयंसेवी संस्था समर्थन के तत्वाधान में आयोजित बैठक। 

पन्ना। रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का अधाधुंध उपयोग करके खेती करना घाटे का सौदा साबित हुआ है। किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए अब जैविक खेती अपनाना आज की आवश्यकता बन गई है। यह बात कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना में स्वयंसेवी संस्था समर्थन के तत्वाधान में आयोजित किसान एवं सीएसओ नेटवर्क की बैठक में कृषि विशेषज्ञों व जैविक खेती अपनाकर लाभ कमा रहे किसानों ने कही। जिला स्तरीय किसान/सीएसओ नेटवर्क की बैठक में  उप संचालक कृषि ए.पी सुमन, बरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक पी. एन. त्रिपाठी कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना, पशुपालन एवं डेरी विभाग से आर. के. मिश्रा, उद्यानिकी से उद्यान विकास अधिकारी संजीत बागरी, सवंसेवी संगठन कोशिका से नीता , पृथ्वी संस्था से रामऔतार तिवारी, विकास संवाद से रवि पाठक एवं किसान भाई उपस्थिति रहे। कार्यक्रम  में राज्य कार्यक्रम प्रबंधक पंकज पाण्डेय ने गूगलमीट के माध्यम से जीपीडीपी एवं 15 वां वित्त की राशि का उपयोग किसान हित में करना आवश्यक है, इस सम्बन्ध में किसानो से चर्चा की।

 उप संचालक कृषि ए.पी सुमन ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि किसान खुद डाक्टर बने, बर्मीखाद की सलाह दी और कहा कि जैविक खेती आज की आवश्यकता है। किसान आत्मनिर्भर बने, उन्हे बाजार की कोई कमी नहीं पड़ेगी। आत्मा परियोजना से किसान को पूरा सहयोग किया जायेगा एवं पंजीयन की प्रक्रिया चलाई जायेगी। जिला स्तर पर मार्केट एवं पहचान के लिये किसान को तैयार रहना है, पूरा सहयोग किया जायेगा ।

कृषि विज्ञानं केन्द्र में उन्नत कृषि की जानकारी लेते तथा हो रहे प्रयोगों का अवलोकन करते किसान। 

कृषि विज्ञान केन्द्र के बरिष्ठ वैज्ञानिक  पी.एन त्रिपाठी ने कहा कि यह केन्द्र किसानों के लिये प्रयागशाला है। हम किसान को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य करते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र में किये गये कार्य का किसानों को अवलोकन कराया, दुग्ध उत्पादन में आजोला घास के महत्व एवं फलदार पौधे पर किसानों को उन्मुखीकरण किया गया ।

पशु एवं डेयरी से किसान बनेगा आत्मनिर्भर, यह बात आर.के. मिश्रा प्रभारी उपं संचालक पशु ने किसानों से कही। उद्यान क्षेत्र विस्तार अधकिारी  संजीत सिंह बागरी ने कहा कि  किसान जैविक तरीके से सब्जी उगाये तो उसे उपज की अच्छी कीमत मिलेगी व अच्छा मुनाफा होगा। समर्थन संस्था के ज्ञानेद्र तिवारी ने कहा कि किसान को योजना के साथ अधोसंरचना की आवश्कता पड़ती है, उसकी पूर्ति ग्राम पंचायत से ही संभव है। जो ग्राम पंचायत विकास योजना से बन सकेगा। कोशिका संस्था ने 200 किचेन गार्डन एवं मिर्ची की जैविक खेती के लिये किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। पृथ्वी संस्था लोगों को पोषण एवं राशन की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस प्रयास में लगी है।

समर्थन संस्था के बरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक पंकज पाण्डेय ने किसानो को 15वां वित्त योजना की जानकारी देते हुए उन्हे जीपीडीपी में अपने आवश्यकता को ग्राम पंचायत में जुड़वाने एवं योजना में भागीदार होने की बात कही । गूगल मीट के माध्यम से किसानो एवं जिले के नेटवर्क को मजबूत करने एवं टीम के रूप में काम करने का उत्साह वर्धन किया ।

जिले के उन्नत किसान लखनलाल जनवार, मंगल सिंह यादव, मनरेगा मजदूर संघ अध्यक्ष रामसहाय कुशवाहा, गोविन्द मंडल, संतकुमार, सुदामा पटेल,परमलाल कुशवाहा सकरिया, मलखान सिंह, गुलाब सिंह, शिव सिंह पल्थरा , रंजीत यादव मुटवाकला सहित कार्यक्रम में लगभग 45 किसान उपस्थित  रहे । आगामी समय में किसान संगठन जिला स्तर पर पैरवी करने के लिये खुद तैयार होंगे, नेटवर्क किसानो के हित में काम करेगा । प्रदीप कुमार पिड़िहा एवं समर्थन टीम ने सभी किसानो एवं अधिकारियों का अभार व्यक्त किया। 

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Wednesday, December 1, 2021

दक्षिण अफ्रीका से पन्ना आया एक व्यक्ति, प्रशासन हुआ चौकन्ना

  • लौटने वाले व्यक्ति व परिवार का कराया गया आरटीपीसीआर टेस्ट
  •  कोविड ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर सतर्क है समूचा  जिला प्रशासन

पन्ना जिले के सलेहा निवासी गणेश प्रसाद से जानकारी लेते कलेक्टर पन्ना व अधिकारी। 

पन्ना। दक्षिण अफ्रीका से एक व्यक्ति के वापस अपने गृह जिला पन्ना आने पर पन्ना जिला प्रशासन सतर्क हो गया है। दक्षिण अफ्रीका से आने वाले इस व्यक्ति सहित परिवार के सदस्यों का आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया गया है। कलेक्टर पन्ना संजय कुमार मिश्रा के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका से वापस आने वाला व्यक्ति पन्ना जिले के सलेहा का निवासी है, बोत्स्वाना अफ्रीका में हिन्दू मंदिर में पुजारी है। मां का निधन होने पर वहां से अपने गृह ग्राम सलेहा आये हैं। मालुम हो कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने तमाम देशों की चिंता बढ़ा दी है। यह वैरिएंट पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था। इस वैरिएंट को लेकर वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने भी चिंता जाहिर की है। 

पन्ना कलेक्टर संजय कुमार मिश्र ने बुधवार को सलेहा पहुंचकर दक्षिण अफ्रीका से वापस घर लौटे गणेश प्रसाद से मुलाकात कर हाल चाल जाना और ऐहतियात एवं सावधानी बरतते हुए गणेश प्रसाद और परिवार के सदस्यों का आरटीपीसीआर टेस्ट करवाया। गणेश प्रसाद गत 25 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका के बोत्सवाना से मुंबई होते हुए सलेहा पहुंचे थे। गणेश प्रसाद को आइसोलेशन में रहने की सलाह दी गई है। गणेश प्रसाद और इनके परिवार के स्वास्थ्य पर प्रशासन निरंतर निगरानी रखे हुए है। कलेक्टर संजय कुमार मिश्र ने बताया कि संपूर्ण जिला प्रशासन कोविड ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर सजग और मुस्तैद है।

कोरोना के नए वेरिएंट पर मुख्यमंत्री ने जताई चिंता            

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश  भर के क्राइसेंस मैनेजमेंट समूह के सदस्यों, जनप्रतिनिधिगण, अधिकारीगण, मैदानी अमला, आमजन को संबोधित करते हुए कोविड-19 से बचाव हेतु आवष्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने विदेशों में कोरोना के नए वेरिएंट पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेश में कोरोना से बचाव हेतु पूर्व से विशेष प्रयास करने की बात कही। उन्होंने समस्त क्राइसेंस मैनेजमेंट समूह सदस्यों से आह्वान किया कि कोरोना का नया वेरिएंन्ट देश-प्रदेश में अभी कही भी पाया नहीं गया है, लेकिन सावधानी अत्यंत आवष्यक है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि रोको-टोको अभियान के तहत मास्क लगाने, सामाजिक दूरी का पालन, हाथों को थोडे-थोडे समय में सेनेटाइज करने तथा टीके की दोनों डोज लगाने के लिए विशेष प्रयास किये जाएं।

उन्होंने कोविड -19 के मद्देनजर स्वास्थ्य संबंधित प्रबंधों की समीक्षा प्रत्येक जिला स्तर पर करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि कोरोना से बचाव हेतु जागरूकता के प्रयासों को व्यापक रूप से करने की आवष्यकता है, जिसमें सभी सहभागिता करें। पन्ना जिले में मुख्यमंत्री श्री चौहान के संबोधन को एनआईसी कक्ष में सुना और देखा गया। 

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