Friday, May 31, 2024

पन्ना पुलिस ने किया 1 करोड़ 7 लाख 74 हजार रूपये का 5 क्विटंल 38 किलोग्राम गाँजा जप्त

  • इस बड़ी कारवाही में 5 आरोपी हुए गिरफ्तार 
  • उड़ीसा से परिवहन कर लाया जा रहा था गाँजा


पन्ना। मध्यप्रदेश में पन्ना जिले की पुलिस ने 1 करोड़ 7 लाख 74 हजार रूपये कीमत का 5 क्विटंल 38 किलोग्राम गाँजा जप्त किया है। मामले में पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर परिवहन हेतु उपयोग किया गया पिकप वाहन कीमती करीब 8 लाख रूपये को भी जप्त किया गया है। पुलिस अधीक्षक पन्ना साईं कृष्णा एस. थोटा ने बताया कि अवैध मादक पदार्थ (गाँजा) को बिक्री हेतु उड़ीसा से परिवहन कर लाया जा रहा था। पुलिस सायबर सेल पन्ना एवं मुखबिर तंत्र से सूचना प्राप्त होने पर पवई थाना क्षेत्र के जूही मोड़ पर यह बड़ी कार्यवाही हुई है। 

पुलिस अधीक्षक पन्ना ने पत्रकारों को बताया कि थाना प्रभारी पवई निरीक्षक त्रिवेन्द्र कुमार त्रिवेदी को पुलिस सायबर सेल पन्ना एवं मुखबिर तंत्र से सूचना प्राप्त हुई कि कुछ व्यक्ति सफेद रंग के पिकप वाहन से उड़ीसा तरफ से बड़ी मात्रा में मादक पदार्थ (गाँजा) लेकर आ रहे है। थाना प्रभारी पवई द्वारा तत्काल उक्त सूचना की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी गई । वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देशानुसार थाना पवई में गठित पुलिस टीम द्वारा पुलिस सायबर सेल से मिली जानकारी एवं मुखबिर सूचना के आधार पर पुलिस टीम द्वारा जूही मोड़ पहुँचकर वाहन चेकिंग लगाई गई। 

कुछ देर बाद एक सफेद रंग का पिकप वाहन आता दिखा। पिकप वाहन में ड्रायवर के अलावा दो अन्य व्यक्ति एवं गाड़ी के ऊपर बॉडी में 02 अन्य व्यक्ति चालक सहित कुल 05 व्यक्ति बैठे दिखे। पुलिस टीम को वाहन चेंकिग करते देख पिकप चालक द्वारा थोड़ी दूर पिकप वाहन खड़ा करके पिकप से उतरकर भागने की कोशिश करने लगे तभी पुलिस टीम द्वारा तत्काल घेराबंदी करके सभी पाँचो लोगो को पुलिस अभिरक्षा में लिया गया। 

पुलिस टीम द्वारा पूँछताछ किये जाने पर अपने-अपने नाम पता बताये गये । मामले में पुलिस टीम द्वारा पिकप वाहन की त्रिपाल हटा कर चेक किया गया तो ऊपरी हिस्से में धान की भूसी (कना) की बोरियां रखी दिखी। मामले में पुलिस टीम को संदेह होने पर पुलिस द्वारा धान की भूसी (कना) की बोरियों को हटाकर देखा गया तो उनके नीचे प्लास्टिक की संतरंगी ग्रे कलर की अलग बोरियाँ रखी मिली। उक्त बोरियों को खोलकर देखा गया तो उनके अंदर मादक पदार्थ (गाँजा) रखा होना पाया गया। 

पिकप वाहन से पुलिस टीम द्वारा ऐसी ही 14 बोरियों के अंदर कुल 538.68 किलोग्राम (5 क्विंटंल 38 किलोग्राम) मादक पदार्थ (गाँजा) कीमती करीब 1 करोड़ 7 लाख 74 हजार रूपये का होना पाया गया। पुलिस टीम द्वारा आरोपियों के कब्जे से मादक पदार्थ (गाँजा) एवं परिवहन में प्रयुक्त पिकप वाहन कीमती करीब 8 लाख रूपये कुल मशरूका कीमती करीब 1 करोड़ 15 लाख 74 हजार रूपये का जप्त किया जाकर पाँचों आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। मामले में आरोपियों के विरूद्ध थाना पवई में अप.क्र. 222/24 धारा 8/20 एन.डी.पी.एस. एक्ट का कायम किया जाकर विवेचना में लिया गया।

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गए आरोपियों में आशाराम पटेल पिता मिही लाल पटेल उम्र 21 वर्ष निवासी जटापहाड़ी थाना बमीठा जिला छतरपुर, सुनील पटेल पिता काशीराम पटेल उम्र 21 वर्ष निवासी रिछाई थाना बमीठा जिला छतरपुर, रामेश्वर पटेल पिता बच्चू पटेल उम्र 33 वर्ष निवासी छमटुली थाना बमीठा जिला छतरपुर, सरमन पटेल पिता रामदयाल पटेल उम्र 24 वर्ष निवासी छमटुली थाना बमीठा जिला छतरपुर तथा  निमेनचरण भोई पिता राजकिशोर भोई उम्र 21 साल निवासी डिढेमल, कतमाल, बौद्ध (उड़ीसा) शामिल हैं। 

उक्त संपूर्ण कार्यवाही में थाना प्रभारी पवई निरीक्षक त्रिवेन्द्र कुमार त्रिवेदी, पुलिस सायबर सेल प्रभारी उनि अनिल सिंह राजपूत, थाना पवई से प्र.आर. गणेश सिंह, आर. प्रेम नारायण, राहुल अहिरवार, महेश चौहान, प्र.आर.चालक मणिराज बागरी, अमृत सिंह तोमर, सैनिक पूरन सिंह, पुलिस सायबर सेल टीम पन्ना से आर.धर्मेन्द्र सिंह राजावत एवं आर. राहुल पाण्डेय का सराहनीय योगदान रहा । पुलिस महानिरीक्षक सागर जोन सागर द्वारा उक्त पुलिस टीम को 30 हजार रूपये के ईनाम से पुरुस्कृत किये जाने की घोषणा की गई है।

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Sunday, May 26, 2024

तपै नौतपा नव दिन जोय, तौ पुन बरखा पूरन होय।।


      

।। बाबूलाल दाहिया ।।

शनिवार 25 मई से नौतपा लग गए हैं। वैसे यह रोहणी नृक्षत्र है जिस के नव दिन के समय को नौतपा कहा जाता है। इन नव दिनों में सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर होकर गुजरता है इसलिए सब से तेज गर्मी पड़ती है।

आज हमारे पास गर्मी मापक यंत्र है जिसके जरिये मालुम पड़ गया कि हमारे यहां 44 डिग्री सेल्सियस ताप क्रम है। किंतु हमारे पुरखे अपने अनुभव जनित ज्ञान से ही ज्ञात कर लिए थे कि यह 9 दिन सर्बाधिक तपने वाले दिन है। 

आज हम कुलर पंखे के बीच रह कर भी उमस महसूस करते हैं। किन्तु हमारे पुरखे इस तपन को झेल सुख की अनुभूति महसूस करते थे। पहले अगर नौतपा 9 दिन खूब तपता तो किसान खुश होते कि इस वर्ष अच्छी बारिश होगी। पर अगर किसी साल प्री मानसून के बादल आकर एकाध दिन बून्दा बादी कर इसका मौसम बिगाड़ देते तो किसान निराश हो जाते कि "इस वर्ष अच्छी बारिश न होगी?" क्योकि उनकी पूरी खेती वर्षा आधारित ही होती थी। नौतपा के बाद में तो प्रायः यूंही मृगसिरा नृक्षत्र में हर साल  प्री मानसून बारिस होती है । पर नवतपा नव दिन तपे तभी किसान खुस होते थे ।

हमारे यहां एक और कहावत कही जाती है कि,

आधा जेठ अषाढ़ कहावै

इसलिए यह नृक्षत्र यूं ही किसानों के लिए खेती की तैयारी का होता था जिसमें घर के छान्ही छप्पर, खेतों में गोबर की खाद डालना , नये बैलों को हल में चलाने के लिए दमना बंधी बांधों के नाट मोघे बाधना आदि बहुत सारे काम होते थे।

उधर कुम्हार समुदाय के लोग इसी पखबाड़े में घर के खपरे पाथ कर पकाते अस्तु प्रकृति से जुड़े तमाम लोगों को   यह जान ही न पड़ता कि कब जेठ का यह महीना आया और बीत गया ?  पर अब तो किसानों को न तो जेठ से मतलब न अषाढ़ और न ही मृगशिरा य नौतपा से। पानी नही गिरा तो टीयूबेल से निकाल लेगे और घूर कताहुर की भी फिक्र नही। लाकर रसायनिक खाद डाल देंगे । बैल की तो जैसे अब जरूरत ही नही रही ? क्योकि एक ट्रैक्टर आया तो यूं ही 20 बैल बूचड़ खाने भेज देता है। और उसी का परिणाम है घर- घर बीमारी , पानी का संकट । कुए तालाब बाबड़ी नदी सब जल हींन। कुम्हारों का खपरा उद्दोग खत्म ,पर्यावरण का विनास। पर आदमी जानते हुए यह विनाश रूपी विकास अपनाए जा रहा है।

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Tuesday, May 21, 2024

कृषि आश्रित समाज की महिलाओं द्वारा निर्मित मिट्टी के पात्र

           

 ।। बाबूलाल दाहिया ।।

प्राचीन समय में यदि कुछ अनाज रखने के लिए पके बर्तन मरका, मरकी, डहरी आदि कुम्हारों के यहां से बन कर आते थे, तो घर ग्रहस्ती के लिए कुछ उपयोगी मिट्टी के कच्चे बर्तन प्रायः हर घर की महिलाएं खुद भी बना लेती थीं। इन बर्तनों में अनाज रखने के लिए जहाँ पेउला, पेउलिया, कुठला, कुठली आदि होते, तो रोटी ढकने के लिए गोरसी, धान दराई के लिए कोनइता ( चकरा) एवं आग तापने के लिए सैरी भी वह खुद बना लेती थीं।

यह मिट्टी के बर्तन अमूमन पूस- माघ के महीनों में बनाए जाते थे, जिससे बैसाख जेठ तक अच्छी तरह से सूख जाँय। जानकारों का कथन था कि पूस- माघ के बने यह बर्तन बैसाख तक अच्छी तरह से सिझ जाने के कारण काफी मजबूत तो होते ही थे। उससे उनमें रखे अनाज में घुन कीड़े आदि भी नही लगते थे। साथ ही उनके अन्दर का ताप क्रम भी सामान्य रहता था। क्योंकि जब वह अच्छी तरह से सूख जाते तभी अंतिम रूप देकर उनमें अनाज भरा जाता था। महिलाओं द्वारा निर्मित मिट्टी के वह बर्तन इस प्रकार हुआ करते थे --

पेउला


यह लगभग 5 फीट ऊँचा 3 फीट चौड़ा महिलाओं द्वारा बनाया गया बीज रखने का चौकोर मिट्टी का पात्र होता था। इसमें बीज वाला अनाज एवं खाने के काम आने वाला दोनो तरह का अनाज रखा जाता था, जो एक खास तापक्रम में रहने के कारण खराब नही होता था। इसे महिलाएं अलग-अलग टुकड़ों में नाप जोख कर पुवाल की गहाई के समय निकली पेरौसी मिलाकर गीली मिट्टी से बनाती थीं।

पहले 3 फीट लम्बा चौड़ा या आवश्यकतानुसार नाप का जमीन में दो इंच मोटा एक चौकोर आधार बनाया जाता। और उसमें जमीन में रखने के लिए बीच में दो तीन इंच ऊपर को उभरे हुए दो गोड़ा भी बना दिए जाते। उसके सूख जाने पर उसे औधा कर दो- दो दिन के अंतराल में उसमें एक - एक फीट ऊँचे पेउला के दीवार के खण्ड बनाकर जोड़ते जाने पर जब वह 5-6 फीट ऊंचे बनकर पूरे हो चुकते तो उस को गीली मिट्टी और गोबर से छाप लीप कर चिकना बना दिया जाता। इस तरह नीचे के चौकोर आधार उन दो पाव के सहारे पेउला खड़ा रहता और ऊपर का भाग भी चौकोर बनता जिसमें आदमी के घुसने के बराबर का एक हाथ का छेंद भी होता था।

पर उस छेंद को ढकने के लिए भी एक गोरसी  बनाई जाती थी। इस पेउला में धरातल से बगल की ओर अनाज को बाहर निकालने के लिए भी 4 इंच का चौकोर एक छेंद होता था, जिसे पेउना या अउना कहा जाता था। उस अउना को अनाज भरते समय कपड़े और मिट्टी से छाप दिया जाता था। परन्तु जब पूरा अनाज निकालना हो तभी पेउना को अउना से खोला जाता। यदि कम अनाज निकालना हुआ तो गोरसी को हटा कर ऊपर से ही टोकनी से निकाल लिया जाता था। पर अब यह पूर्णतः चलन से बाहर है।

पेउलिया

यह छोटे आकार का पेउला होता था, जो बड़े पेउला की तरह ही चौकोर बनता था और उसे भी अलग-अलग खण्ड में जोड़ कर बनाया जाता था। उसे भी पूर्ण रूप देने के पश्चात उसी तरह मोहड़ा को बन्द करने के लिए भी एक गोरसी बनाई जाती थी। पर अनाज निकालने के लिए पेउना भी उसी तरह होता था। आकार में वह दो ढाई फीट ऊँचा और लगभग इतना ही चौड़ा होता था। शायद इसी बौनेपना के कारण इसे पेउला के बजाय पेउलिया कहा जाता था। किन्तु अब पूर्णतः चलन से बाहर है।

कुठली


यह चौकोर पेउला के बजाय नीचे कुछ पतली बीच में मोटी एवं ऊपर पुनः पतले आकार की गोलाकार बनती थी। इसकी ऊँचाई 4 फीट एवं बीच की गोलाई का ब्यास लगभग तीन फीट होता था। इसे भी अलग-अलग गोलाकार खण्डों में जोड़कर बनाया जाता था और उसी तरह पेउना एवं गोरसी भी होती थी। पर यह कम मात्रा में अनाज रखने के लिए बनती थी, जिसे गोरसी हटाकर खड़े-खड़े ही अनाज को राँधने या आटा पिसाने के लिए निकाला जा सके।

कुठुलिया

यह कुठली की तरह ही बनती थी पर इसका आकार कुछ छोटा होता था, जिसमें दैनिक उपयोग के लिए अनाज, दाल आदि रखी जा सके। कुछ महिलाएं बिल्ली आदि से बचाने के लिए इसी में दूध,घी एवं मठ्ठा आदि भी रख देती थीं।

  नोनहाई कुठली


प्राचीन समय में जब पिसे हुए नमक के बजाय डली वाला नमक आता था, तो वह बरसात में घुलकर खराब हो जाता था। अस्तु नमक रखने के लिए भी लगभग एक हाथ ऊँची एक छोटी कुठली बनाई जाती थी, जिसमें नमक भरकर रखा जाता था। और उसमें हवा प्रवेश न करे अस्तु ऊपर एक छोटी सी गोरसी भी रखी जाती थी।

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Saturday, May 18, 2024

संग्रहालय दिवस : दिवस उसी का मनाया जाता है जिसका वजूद संकट में हो


।। बाबूलाल दाहिया ।।

मित्रों ! किसी भी वस्तु का दिवस मनाने का  सीधा सा अर्थ होता है कि उसका वजूद संकटापन्न स्थिति में है। और यही बात संग्रहालय दिवस पर भी लागू होती है। संग्रहालय का अर्थ है ( संग्रह की हुई वस्तुओं का आलय) यानी कि भवन। जब हम भीम बैठका आदि आदिम युग के मनुष्य द्वारा निर्मित शैल चित्रों य अवशेषों को देखते हैं तो उन शैल चित्रों में मनुष्य के संग्रह की पृबृत्ति नही दिखती। वह य तो फल फूल खाता य फिर अगर किसी बड़े जानवरों का शिकार कर लेता तो उसकी तीन दिन की खाद्य समस्या हल हो जाती। फिर उसके तीन दिन नृत्य आदि  खुशियां मनाने में बीतते।

परन्तु संचय की पृबृत्ति  खेती की तकनीक विकसित होने के पश्चात ही आई होगी। और इस क्षेत्र की उसकी प्रथम गुरु शायद चीटी रही होगी। क्योकि अगर( भूख भय और काम) इन तीन मूल प्रबृत्तियों को अलग कर दें तो मनुष्य का अपना  कुछ मौलिक बचता ही नही। सब कुछ अर्जित ज्ञान ही रह जाता है। चीटी संग्रहन की गुरु इसलिए  भी कि संग्रह के क्षेत्र में चीटी से अधिक जानकार और कोई जन्तु नही होता। उसका संग्रहीत बीज पानी में भींग कर अंकुरित न हो जाय अस्तु वह संग्रहन के पहले ही बीज के उस अंकुरित होने वाले भाग को कुतर कर नष्ट कर देती है। परन्तु आज जो अन्तर राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जा रहा है वह उन वस्तुओं के संग्रहालय का है जिसका कभी मनुष्य उपयोग करता था पर बिकास के रास्ते आंगें बढ़ गया तो बहुत सी चीजें चलन से बाहर होकर पीछे छूट गईं ।

वह तमाम बस्तुए प्रागैतिहासिक काल के शैल चित्र से लेकर, बौद्ध काल के शिला लेख पत्थरों में उत्कीर्ण मूर्तिया खजुराहों के मंदिरों की मूर्तियां, राजा महाराजाओं के अस्त्रशस्त्र और वस्त्र आदि कुछ भी हो सकते हैं।  भोपाल स्थित जन जातीय संग्रहालय की वह आदिवासियों द्वारा निर्मित वस्तुएं भी हो सकती हैं तो माधवराव सप्रे शोध संस्थान की लाइब्रेरी में लाखों की संख्या में रखीं पुस्तकें और समाचार पत्र भी।

इस क्षेत्र में हमारे सतना में भी राम वन के संग्रहालय में रखीं  जिले भर से संग्रहीत मूर्तियां और सती स्तम्भ भी हो सकते हैं  तो डॉ. सुधुनमाचार्य जी के संग्रहालय में संग्रहीत भरहुत स्तूप की मूर्तियों की अनुकृतियां भी। पर  सतना के श्री सुधीर जैन एवं राजेन्द्र अग्रवाल जी के प्राचीन सिक्कों के संग्रहालय को भी कम करके नही आंका जाना चाहिए।


सत्तर के दशक में जब तक हरित क्रांति नही आई थी तो हमारे कृषि आश्रित समाज में खेती के तमाम परम्परागत लकड़ी, लौह, मिट्टी, सुतली, चर्म ,बाँस एवं पत्थर के उपकरण व बस्तुए  प्रचलन में थीं। परन्तु यदि गांव में ट्रेक्टर आकर एक हल को भी घर से निकाल देता है तो उसके साथ लौह, लकड़ी ,बाँस मिट्टी, सुतली, चर्म  की सैकड़ों अस्तुएँ चलन से बाहर हो जाती हैं। अगर बाजार में स्ट्रील के बर्तन आगये य प्लास्टिक की वतुएँ आगईँ तो उनके आने से भी धातु और बाँस शिल्पियों के बीसों बर्तन य उपकरण चलन से बाहर हो जाते हैं।

हमारे गांव के उन  (लोक विद्याधरों ) के चलन से बाहर हो चुके हुनर को सम्मान मिले अस्तु हमने ऐसे लगभग 300 वस्तुओं को चिन्हित कर अपने ( कृषि आश्रित समाज के भूले विशरे उपकरण) नामक म्यूजियम में उन्हें यथा सम्भव स्थान दिया है। इसी प्रकार एक बीज संग्रहालय में भी लगभग 250 से अधिक चलन से बाहर हो चुके धान,गेहूं एवं मोटे अनाजों के परम्परागत बीज संग्रहीत हैं।

अगर आप हमारे यहां पधार कर संग्रहालय दिवस मनाएं तो यह संग्रहालय दिवस की सार्थकता तो होगी ही पर हमारे लिए भी एक गौरव की बात होगी।

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Saturday, May 4, 2024

केन्द्रीय विद्यालय के छात्रों की रंगारंग प्रस्तुतियों ने सबका मन मोहा

  • बीहू, ढिमरयाई, गोवा, लिलीपुट डांस, नाटक और कव्वाली रहे आकर्षण के केन्द्र
  • वार्षिकोत्सव समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कलेक्टर सुरेश कुमार शामिल हुए

वार्षिकोत्सव समारोह में प्रस्तुतियां देते हुए विद्यालय के छात्र व छात्राएं। 

पन्ना। पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय पन्ना में गत शुक्रवार को विद्यालय का वार्षिकोत्सव समारोह मनाया गया। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं की विभिन्न रंगारंग प्रस्तुतियों ने सबका मन मोह लिया। वार्षिकोत्सव समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कलेक्टर एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सुरेश कुमार शामिल हुए। विद्यालय के स्काउट कलर पार्टी द्वारा मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों का हरित स्वागत किया गया। विद्यार्थियों द्वारा स्वागत गीत भी गाया गया।

मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर एवं बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना में नृत्य के माध्यम से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिय, अपर कलेक्टर नीलाम्बर मिश्र, क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व अंजना सुचिता तिर्की, डीएफओ गर्वित गंगवार एवं पुनीत सोनकर तथा विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्य भी उपस्थित रहे।

कलेक्टर एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सुरेश कुमार ने कहा कि केन्द्रीय विद्यालय विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास में अपनी भूमिका को साकार करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को अपने ओजस्वी वक्तव्य से भविष्य में सफल और अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित किया। विद्यालय के प्राचार्य अमित दाहिया ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने विद्यालय के उद्देश्यों एवं उपलब्धियों की चर्चा की। इसके अलावा विद्यालय के परीक्षा परिणाम तथा खेल, योग एवं विद्यालय में आयोजित किए जाने वाली अन्य पाठ्येत्तर गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।      


मुख्य अतिथि द्वारा विद्यालय के मेधावी छात्रों को सम्मान पत्र दिया गया, जिसमें सीबीएसई परीक्षा सत्र 2021-22 में कक्षा-10वीं में 99 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में दिव्यांशी पटेल एवं तुषारिका जगवानी और 97 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली शौर्या मिश्रा शामिल रहीं। इसी तरह कक्षा-12वीं की छात्रा हर्षिता खरे, शिखी परमार, स्नेहा अग्रवाल को सम्मानित किया गया। सत्र 2022-23 में निशी गोस्वामी, अनुराग पटेरिया, कृष्णा शर्मा तथा रेहान खान, मान्या अहिरवार, रिया चंद्रपुरिया को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया। 

कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में विद्यालय का नाम रोशन करने वाले विद्यार्थियों का भी सम्मान किया गया। इनमें स्वाती गुप्ता भारतीय सांख्यिकी सेवा, सुप्रिया बागरी नायब तहसीलदार लवकुशनगर, गौरव त्रिपाठी आईआईटी धनबाद तथा यश प्रताप बागरी विकास अधिकारी, भारतीय जीवन बीमा निगम को सम्मान पत्र दिया गया। शिक्षकों को भी विशेष उपलब्धि पर सम्मान मिला। इनमें जितेन्द्र प्रताप सिंह, मृगेन्द्र सिंह, पवन पाठक, प्रदीप पाण्डेय, राकेश दीक्षित शामिल हैं।

समारोह में प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों द्वारा गोवा नृत्य प्रस्तुत किया गया। बैंकिंग धोखेबाजी से बचने के उपाय बताता अंग्रेजी नाटक की प्रस्तुति भी हुई। टाइगर को सुरक्षित रखने की सीख देती हुई नृत्य नाटिका एवं शरद जोशी का व्यंग्य नाटक च्एक था गधाज् की बेहतरीन प्रस्तुति भी बच्चों द्वारा दी गई। वाद्य यंत्रों की आकर्षक जुगलबंदी तथा लिलीपुट नृत्य पर दर्शकों ने खूब तालियाँ बजायी। कव्वाली तथा असम के बीहू लोकनृत्य को भी खूब सराहना मिली। बुन्देलखंडी ढिमरयाई नृत्य ने लोक संस्कृति की झलक प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिया। शिक्षक विद्याचरण चौरसिया द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

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खुले एवं अनुपयोगी बोरवेल को सर्वे उपरांत ढंके जाने के निर्देश


पन्ना। अनुपयोगी एवं खुले नलकूप, बोरवेल व ट्यूबवेल में छोटे बच्चों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के संबंध में कलेक्टर सुरेश कुमार ने शासन के निर्देशानुसार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री, समस्त जनपद पंचायत सीईओ एवं नगरीय निकायों के सीएमओ को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं। इस संबंध में गत दिवस रीवा जिले में हुई दुर्घटना के परिप्रेक्ष्य में पुनः खुले एवं अनुपयोगी बोरवेल को सर्वे उपरांत ढंके जाने के निर्देश दिए गए थे। इसके परिपालन में ग्राम पंचायतों द्वारा सत्यापित संकलित जानकारी भी प्रेषित की गई है।

जिला कलेक्टर द्वारा ग्राम पंचायत एवं नगरीय क्षेत्र अंतर्गत शासकीय व निजी खुले/अनुपयोगी बोरवेल के संबंध में पुनः सत्यापन कर खुले पाए गए नलकूप की केसिंग के ऊपर स्टील प्लेट का कैप लगाकर कैप को नट बोल्ट से केसिंग में फिक्स कर व निर्धारित साइज के सीमेंट कॉक्रीट ब्लॉक बनाकर एवं कार्यस्थल के फोटोग्राफ सहित जनपद व नगरीय निकाय स्तर पर संधारित करने की कार्यवाही के लिए कहा गया है। साथ ही ऐसे शासकीय व निजी बोरवेल की अद्यतन सूची निर्धारित प्रारूप में संधारित कर प्रत्येक 6 माह में सूची अपडेट करने तथा जनपद व नगरीय निकाय स्तर पर समीक्षा के निर्देश दिए गए हैं। 

कलेक्टर श्री कुमार ने अवगत कराया है कि सीएम हेल्पलाइन पोर्टल पर खुले बोरवेल की सूचना की शिकायत के संबंध में भी प्रावधान किया गया है। जनपद पंचायत क्षेत्र के लिए जपं सीईओ व नगरीय क्षेत्र के लिए सीएमओ को एल-1 अधिकारी बनाया गया है। उन्होंने ऐसी प्राप्त शिकायतों में निर्धारित समय-सीमा में अनिवार्य रूप से त्वरित कार्यवाही के लिए कहा है। इसके अलावा नवीन नलकूपों के खनन की मॉनीटरिंग के लिए एमपीएसईडीसी द्वारा विकसित परख पोर्टल पर नलकूप खनन करने वाले विभाग व एजेंसी एवं नलकूप खनन करने वाली मशीनों का पंजीयन कराया जाना भी अनिवार्य किया गया है। 

नवीन खनित अनुपयोगी पाए गए नलकूप जिनमें केसिंग नहीं डाली जाती है। उन नलकूपों को मिट्टी, रेत, मुरम इत्यादि से भूमि के सतह तक भरने की जवाबदेही संबंधित नलकूप खनन एजेंसी की होगी। इसी तरह पूर्व से खुले पड़े नलकूप व बोरवेल को मिट्टी, रेत, मुरम इत्यादि से भूमि की सतह तक भरने की जवाबदेही भूमि मालिक की होगी। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने के लिए निर्देशित किया गया है।

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Friday, May 3, 2024

हाथियों के कुनबे में आये दो नन्हे मेहमान, खुशी का माहौल

 

पन्ना टाइगर रिजर्व की हथिनी मोहनकली अपने नन्हे शिशु के साथ। 

पन्ना। बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में तीन दिन के भीतर दो बड़ी खुशखबरी मिली हैं। यहाँ हांथियों के कुनबे में दो नन्हे मेहमानों का आगमन हुआ है, जिससे टाइगर रिज़र्व में ख़ुशी का माहौल है। इन नन्हे मेहमानों के आ जाने से पन्ना टाइगर रिजर्व में हाथियों का कुनबा बढ़ गया है। मालूम हो कि हांथियों के इस कुनबे में दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला भी शामिल है, जो पन्ना टाइगर रिज़र्व के लिये किसी धरोहर से कम नहीं है।


क्षेत्र संचालक श्रीमती अंजना तिर्की ने बताया कि पन्ना टाइगर रिज़र्व की हथिनी मोहनकली ने 3 मई की सुबह लगभग 4.30 बजे राजाबरिया कैम्प में नर शिशु को जन्म दिया है। हथिनी व उसका शिशु दोनों स्वस्थ हैं। इसके पूर्व हथिनी कृष्णकली ने 1 मई को सुबह 4 बजे राजाबरिया कैम्प में ही मादा शिशु को जन्म दिया था। इस तरह से बीते तीन दिनों के दरम्यान पन्ना टाइगर रिज़र्व में दो नए मेहमान आये हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि आज नर शिशु को जन्म देने वाली हथिनी मोहनकली गुरुवार 2 मई को बाघिन के रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल थी। वहां से वापस हांथी कैम्प में आने के उपरांत आज सुबह उसने नन्हे मेहमान को जन्म दिया, जिससे ख़ुशी दोगुनी हो गई।

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खौफ़ खत्म : आबादी क्षेत्र के आसपास रहने वाली बाघिन का हुआ रेस्क्यू

  • पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में छोड़ा गया 
  • रेडियो कॉलर पहनकर की जा रही है मॉनिटरिंग

आबादी क्षेत्र के आसपास रहने वाली बाघिन का बेहोशी के बाद परीक्षण करती रेस्क्यू टीम। 

।। अरुण सिंह ।।

पन्ना। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व की एक अवयस्क बाघिन (16-17 माह) विगत कई दिनों से आबादी क्षेत्र के आसपास डोभा और बराछ गांव के निकट विचरण कर रही थी। यह बाघिन गांव में घुसकर मवेशियों का शिकार भी करने लगी, जिससे पूरे इलाके में भय और दहशत का माहौल था। जिसे देखते हुए पार्क प्रबंधन ने बाघिन का रेस्क्यू करके उसे पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में विचरण हेतु छोड़ दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि इस अवयस्क बाघिन की गांव के आसपास खेतों में मौजूद होने की खबरें तकरीबन एक माह से आ रही थीं। यह वहां मवेशियों का शिकार भी करने लगी थी। आबादी क्षेत्र के निकट रहने वाली यह बाघिन जब गांव में घुसकर मवेशियों के शिकार की घटनाओं को अंजाम देने लगी तो दहशत बढ़ गई। बाघिन व ग्रामीणों के बीच संभावित सघर्ष व किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पार्क प्रबधन ने तुरंत इस बाघिन को आबादी क्षेत्र से हटाने का निर्णय लिया। उच्च अधिकारियों से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के उपरांत गत 2 मई को ट्रेंकुलाइज करके इस बाघिन को सुरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया है, जहां उसकी सतत निगरानी की जा रही है। बाघिन के आबादी क्षेत्र से हटने के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।

क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व श्रीमती अंजना तिर्की ने बताया कि बाघिन को डोभा व बराछ गांव के आसपास विचरण करते हुए देखा गया था। पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी व मैदानी कर्मचारी बाघिन पर नजर रख रहे थे, यह प्रयास भी कियाजा रहा था कि वह आबादी क्षेत्र से वन क्षेत्र में आ जाए। लेकिन विगत एक एवं दो मई की रात्रि में बाघिन गांव में घुसकर मवेशियों को मार दिया। बाघिन के इस व्यवहार से गांव में भय और दहशत के साथ-साथ तनाव का भी माहौल था। लोग बाघिन के अप्रत्याशित हमले की आशंका से भी खौफजदा थे।


इस तरह के माहौल व  ग्रामीणों में पनपते आक्रोश को देखते हुए पार्क प्रबंधन ने आनन फानन मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक कार्यालय से अनुमति प्राप्त कर बाघिन का रेस्क्यू तुरंत करने का नर्णय लिया। क्षेत्र संचालक श्रीमती तिर्की ने बताया कि बाघिन को ट्रेंकुलाइज करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व के प्रशिक्षित 6 हाथियों की मदद ली गई। यह बाघिन उत्तर वन मंडल पन्ना के बीट मथुरापुर के कक्ष क्रमांक पी-424 के प्लांटेशन में जब बैठी हई थी, उसी समय 2 मई को इसे ट्रेंकुलाइज करके पिंजड़े में कैद किया गया।

बेहोशी के दौरान इस बाघिन को रेडियो कॉलर लगाया गया तथा बायोलॉजिकल सैंपल लेने के साथ हेल्थ पैरामीटर लिया गया। जांच में बाघिन पूरी तरह से स्वस्थ पाई गई। ऐसी स्थिति में इस अवयस्क बाघिन को पन्ना टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र बडगडी में स्वच्छंद विचरण हेतु छोड़ा गया है। यह वन क्षेत्र हर दृष्टि से बाघिन के लिए अनुकूल और सुरक्षित है। यहां पानी भोजन व छिपने के लिए अच्छा जंगल सभी कुछ है। वनकर्मियों द्वारा बाघिन के व्यवहार व विचरण पर हर समय नजर रखी जा रही है। 

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