- दो लोगों को मौत के घाट उतारने वाले भालू की भी हुई मौत
- रैबीज से संक्रमित होने की डीएफओ गौरव शर्मा ने की पुष्टि
।। अरुण सिंह ।।
पन्ना। आबादी क्षेत्र से लगे उत्तर वन मण्डल क्षेत्र के इलाके में दो दिन पूर्व जिस भालू ने राय दंपत्ति को बड़ी बेरहमी के साथ मौत के घाट उतार दिया था तथा दिल दहला देने वाले इस द्रश्य को देख लोग इसे आदमखोर बताने लगे थे, दरअसल वह रैबीज से संक्रमित था। पन्ना के प्राचीन लोकपाल सागर तालाब के किनारे स्थित वनसुरई की खेर माता के स्थान पर पूजा करने गये पति-पत्नी को मौत के मुंह में पहुँचाने के बाद रैबीज से संक्रमित यह भालू खुद भी मर गया। भालू के रैबीज से संक्रमित होने की पुष्टि करते हुए उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ गौरव शर्मा ने बताया कि हमलावर भालू की रविवार को ही मौत हो गई है।
उल्लेखनीय है कि मृतक मुकेश राय व उनकी पत्नी पहाड़ी में स्थित वनसुरई की खेर माता के स्थान पर पूजा करने गए थे। इस धार्मिक स्थान के निकट पहाड़ी में ही रैबीज से संक्रमित नर भालू मौजूद था, जो रैबीज के प्रभाव से बेहद आक्रामक होकर हमला किया और मृतकों के शरीर को चींथ डाला। इस घटना ने वहां पर बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को भी दहला दिया था। जब यह पागल भालू मृतकों के शरीर पर ताबड़तोड़ मुंह और पंजे से हमला कर रहा था तो दूर खड़े लोगों को यह प्रतीत हो रहा था कि भालू मृतकों को खा रहा है। डीएफओ गौरव शर्मा ने बताया कि पोस्ट मॉर्टम में भालू के पेट में कुछ भी नहीं मिला। जाहिर है कि उसने मृतकों के शव को खाया नहीं बल्कि नोचा है। जानकारों के मुताबिक रैबीज से संक्रमित जानवर कुछ भी नहीं खा सकता, यहाँ तक कि पानी भी नहीं पी सकता क्योंकि वह हाइड्रोफोबिया से ग्रसित होता है। मालूम हो कि रैबीज से संक्रमित जानवर आक्रामक हो जाता है तथा सामने जो भी आता है उसके ऊपर हमला कर देता है। हमलावर मृत भालू का व्यवहार भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था।
बीते साल चरवाहे के ऊपर भालू ने किया था जानलेवा हमला
पन्ना टाइगर रिज़र्व अंतर्गत गंगऊ अभ्यारण्य के बगौंहा बीट में बीते साल 20 जुलाई 2021 में रैबीज से संक्रमित भालू ने एक चरवाहे के ऊपर जानलेवा हमला किया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। हमले की यह घटना गंगऊ अभ्यारण के अंतर्गत बीट बगौंहा के कक्ष क्रमांक पी 248 में उस समय हुई थी जब बगौंहा निवासी 55 वर्षीय हरदास अहिरवार अपनी गाभिन भैंस को ढूंढने जंगल में अकेला गया हुआ था। देर शाम तक जब हरदास वापस घर नहीं लौटा तो परिजन चिंतित हुए और उसकी तलाश शुरू हुई। तलाशी के दौरान बीट बगौंहा के कक्ष क्रमांक पी 248 में शिवराज नाला के निकट जंगल में चरवाहे का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ था। चरवाहे के ऊपर हमला कर उसे मौत के घाट उतारने वाले भालू की भी कुछ घंटे बाद ही मौत हो गई थी।
रोकथाम हेतु किया जाता है वैक्सीनेशन
रेबीज से संक्रमित जानवरों के बारे में यह बताया जाता है कि संक्रमित जानवर की अधिकतम 10 दिनों में मौत हो जाती है। रैबीज सहित बाघों में फैलने वाली घातक बीमारी केनाइन डिस्टेंपर की रोकथाम के लिए रिजर्व क्षेत्र के आसपास स्थित ग्रामों के आवारा कुत्तों का वैक्सीनेशन किया जाता है। इस वैक्सीनेशन से कैनाइन डिस्टेंपर सहित सात अन्य बीमारियां जिसमें रैबीज भी शामिल है, उनसे वन्य प्राणियों का बचाव होता है। यदि भालू की मौत रैबीज से हुई है तो निश्चित ही यह सामान्य वन क्षेत्र सहित पन्ना टाइगर रिज़र्व के लिए भी चिन्ता की बात है। पन्ना टाइगर रिज़र्व के वन्य प्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि आवारा कुत्तों के स्लाईबा में रैबीज रहता है। इनके काटने से रैबीज के संक्रमण की संभावना होती है। यही वजह है कि रिजर्व क्षेत्र के आसपास स्थित ग्रामों के आवारा कुत्तों का वैक्सीनेशन किया जाता है। सबसे ज्यादा रैबीज वायरस केनाइन फैमिली में रहता है।
आबादी क्षेत्र के निकट तेंदुए ने नीलगाय का किया शिकार
पन्ना टाइगर रिज़र्व के कोर क्षेत्र को छोड़कर जिले के सामान्य वन क्षेत्र में हर कहीं पानी का अभाव है जिससे प्यास बुझाने पानी की तलाश में वन्य प्राणी आबादी क्षेत्र की ओर रुख करने लगे हैं। आबादी क्षेत्र में वन्य जीवों के आने से मानव व वन्य प्राणियों के बीच संघर्ष की घटनायें बढ़ीं हैं। जो निश्चित ही चिंता का विषय है। बीते रोज पन्ना शहर से लगे चौपड़ा मंदिर के निकट किलकिला नदी के किनारे नीलगाय का तेंदुआ ने शिकार किया है। किलकिला नदी इस समय सूखी है लेकिन जिस जगह तेंदुए ने नीलगाय को मारा है वहां एक छोटे से गड्ढे में थोड़ा सा पानी है। पानी पीने के लिए नीलगाय जब यहाँ पहुंची उसी समय तेंदुए ने उसके ऊपर हमला कर दिया। इस इलाके में प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग सुबह सैर के लिए जाते हैं। ऐसी स्थिति में तेंदुआ जैसे हिंसक वन्य प्राणी की यहाँ पर मौजूदगी कभी भी बड़ी घटना की वजह बन सकती है। वन परिक्षेत्राधिकारी विश्रामगंज ने बताया गया कि मौके पर पग मार्क देखकर यह प्रतीत होता है कि तेंदुआ ने ही नीलगाय का शिकार किया है।
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