Saturday, November 23, 2024

बघेली बोली की शब्द सम्पदा : बाबूलाल दाहिया

पद्मश्री बाबूलाल दाहिया। 

हमारे मध्यप्रदेश में चार प्रमुख बोलियाँ हैं जो बुन्देली, बघेली, मालबी तथा निमाड़ी आदि नामों से जानी जाती हैं। भाषा का सम्बंध हमेशा समाज से रहा है साथ ही संस्कृति से भी। क्योंकि वह सुख - दुःख, वैर-प्रीति, हँसी- ठिठोली, जीवन यापन के सारे आयामों  में शरीक रही हैं। इस हिसाब से बोलियों का जुड़ाव मनुष्य समुदाय के अधिक करीब देखा जाता है। क्योंकि बोलियाँ मुख्यतः अपने अपने क्षेत्र की लोक ब्यौहार की समूची भाषा ही होती हैं। अलिखित ही सही पर उनका एक व्याकरण भी होता है। तभी तो अगर उसके अनुबंधों का पालन थोड़ा भी इधर उधर हुआ तो भाषा में विकृतता स्पष्ट दिखने लगती है।

बघेली पुराने रीवा, सतना, सीधी, शहडोल आदि चार जिलों की प्रमुख बोली थी। किन्तु अब सीधी शहडोल में उमरिया, अनूपपुर एवं सिंगरौली, मऊगंज, मैहर आदि 5 जिले और बन गये हैं। अस्तु अब यह 9 जिलों की बोली हो गई है। इनके अतिरिक्त भी बघेली कटनी के पूर्वी भाग और समूचे बाँदा जिले की भी बोली है। यहां तक कि कटनी के पश्चिमी भाग में जो बुन्देली बघेली के बीच की एक बोली पंचेली है, वह भी बघेली के काफी समीप है।

यद्दपि गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा रचित राम चरित मानस को बिद्वान लोग अवधी की रचना मानते हैं। पर वस्तुतः वह अवधी के बजाय (गहोरी) में लिखी गई है, जो बघेली का ही एक लोक स्वरूप है। क्योंकि उसके क्रियापद  बघेली के अधिक निकट हैं। यूपी वाले तो यूँ ही बाँदा को बुन्देल खण्ड का जिला मानते हैं। तब गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्म स्थली राजापुर की गहोरी अवधी कैसे हुई ? उस माप दण्ड में तो उसे बुन्देली होनी चाहिए ? पर यदि समूचे बाँदा जिले की बोली को देखा जाय तो न तो वह बुन्देली है न अवधी ? बल्कि गहोरी है, जो पूरी तरह बघेली का ही लोक स्वरूप है ।

कुछ  बिद्वान  बघेली को पूर्वी मगधी गोत्र की बोली मानते हैं। पर वह वस्तुतः यहां के आदिम निवासी य कृषि आश्रित समाज की बोली है, जिसमें किसान मजदूर एवं कृषि अवलम्बित शिल्पी जातियां भी शामिल थीं। इसलिए बघेली में उन सभी के लोक ब्यौहार के समस्त क्रिया कलाप समाहित हैं। यूं भी जब शहर का कोई ब्यक्ति गेंहू, चावल आदि खरीदने जाता है तो मात्र 10-12 शब्दों में ही उसका काम चल जाता है। वह य तो झोला लेता है य बोरा लेता है ? साइकल लेता है य रिक्सा पकड़ता है ? इसी तरह पैसा-दाम, मोल-भाव, बाट- तराजू बस इतने कम शब्दों में ही उसका काम चल जाता है और गेहूं चावल उसके घर आ जाता है।

किन्तु वही गेहूं चावल जब किसान अपने खेत में उगाता है, तो खेत की तैयारी से लेकर कट मिज का उसके भंडार गृह में आते- आते लगभग दो ढाई सौ शब्द बनते हैं। पर वह शब्द खड़ी बोली के नही सभी बघेली के ही होते हैं। बघेली को पहले रिमही कहा जाता रहा है। इसका आशय शायद (रेवा ) यानी कि "नर्मदा के उद्गम के आस पास बोली जाने वाली बोली " से रहा होगा ? किन्तु बाद में अंग्रेजों द्वारा नागौद, सोहावल, कोठी, मैहर, जसो, बरौधा, चौबेपुर, रजोला, आदि इन तमाम राज्यों को भी रीवा से मिला कर जब बघेलखण्ड नामक एक एजेंसी बनी तो बुंदेल खण्ड की बोली बुन्देली य वैसों के क्षेत्र वैसवारी के तर्ज पर अंग्रेजों ने बघेल खण्ड की भी इस 7-8 राज्यों की मिली जुली बोली का नाम ( बघेली) रख दिया। क्योंकि इन तमाम राज्यों की बोली रिमही से थोड़ा भिन्न थी।

यूँ तो  बघेली की शब्द सम्पदा 10 हजार शब्दों से अधिक है। किन्तु इसमें कुछ ऐसे शब्द भी हैं जिनके बोलने पर एक शब्द चित्र सा खिंच जाता है। उदाहरण के लिए एक शब्द है - " खाव चबाव" और दूसरा बघुआव। पर इनका  उपयोग जब पूरे वाक्य के साथ किया जाता है तो आखों के सामने एक चित्र सा खिंच जाता है। उदाहरण स्वरूप इस वाक्य में देखें -- "मैं तो अपने राशन खातिर कोटेदार से पूछेव त,व, तो अइसय खाव चबाव अस दउरा ? "य कि , " मैं तो तहसीलदार साहेब से दाखिल खारिज करय क बिनती किहव त ,उय ,त अइसय बघुआय अस के परे ?" आदि आदि। "खाव चबाव" से जहां कुत्ते के काटने दौड़ने का दृश्य उपस्थित होता है वही "बघुआय के परब " से बाघ की तरह गुर्राना य दहाड़ने का दृश्य।

बघेली का लिखित साहित्य भले ही अन्य बोलियों से कुछ कम हो पर इसके मौखिक साहित्य को कमतर नही आंका जा सकता। इस मौखिक साहित्य में लोकगीत, लोक कथाए, पहेलियां, लोक आख्यान, मुहावरा लोकोक्तियां, कहावतें आदि अनेक बिधाएँ हैं। बघेली में एक- एक शब्द के इतने पर्यायबाची शब्द हैं जिन्हें देख कर न सिर्फ आश्चर्य होता है बल्कि यह भी पता चलता है कि यह बोली कितनी सम्रद्ध एवं पुरातन है। क्योकि अगर कोई बालक शैतानी करता है तो खड़ी बोली में उसका एक ही मानक शब्द होगा। " शैतान बालक" जिसे कह कर आप फुर्सत हो जांयगे। पर बघेली की शब्द सम्पदा देखिए कि उसमें उस शैतान बालक के " टन्टपाली, टपाकी, टनसेरी, अउठेरी, उपचीरी, उधुमधारी आदि बहुत सारे पर्यायबाची बन जांयगे।

इसी तरह खड़ी बोली के मार पीट को यदि बघेली में परिभाषित किया जाय तो-- मारिदेव, मसक देव, दउचिदेव, हपचदेव, धमकिदेव, पसोटदेव् , सोटदेव, दपचि देव, कचेरिदेव, लतिआयदेव, पेलिदेव, कउचि देव, कूचिदेव, कुचरि देव।" हपचि देव आदि बीसों शब्द देखे जाते हैं।  

यह तो पर्याय बाची शब्द थे पर आप लगे हाथ बघेली के कुछ व्यंजनों का भी अवलोकन करें -

1. कढ़ी 2. फुलउरी 3. बरा 4. मुगउरा 5. कोरउरा 6. बरी 7. बगजा 8. इंदरहर 9. रसाज 10. रिकमछ  11. टहुआ 12. पना 13. लाटा 14. भुरकुंडा 15. खुरमा 16. मउहरी 17. फरा 18. गोलहंथी 19. महेरी 20. खिचरी  21. भगर 22. भउरा 23. गादा 24. बहुरी 25. बगरी 26. कोहरी / घुघुरी 27. सेमईं 28. खीर 29. तस्मई 30. चउंसेला 31.सोहारी 32. दरभरी पूरी 33. उसिना 34. पेंउसरी 35. खोझरी 36. पनिहंथी रोटी 37. भरता 38. मसलहा 39. लप्सी 40. लाई-लुड़ुइया 41. गुराम 42. मिठखोर 43. रसियाव 44. धोख 45. कुसुली 46. पपरी 47. अंगाकर 48. रोट-पंजीरी 49. लउबरा 50. काची 51. फांकी कोंहड़ा के 52. कोंहड़उरी बरी 53. कोरउरी बरी 54. चरपरहा 55. करी-मठुली 56. अमावट 57. खाझा 58. रहिला (चना) के भाजी-साग 59. मालपुआ 60. घाठ / दरिया 61. कोदई के भात 62. चिल्ला 63. लपकउरी (नाम सुनेन खाएन नहीं) 64. निगरी 65. कलउंजी 66. मुरबाती 67. करोनी 68. चुरबा रहिला नोन मसाला मिलाय के 69. छउंका माठा 70. दार-भात 71. दूध-भात 72. माठा-भात 73. दूध-रोटी 74. माठा-रोटी 75. घाठ-माठा 76. कोदई-भाजी 77. आमा के अथान /अचार / रक्का (पनिहां अउर तेलहा) 78. आमा के छुन्ना के अचार 79. नोनचा 80. अमरा के अचार 81. अमरा के चटनी 82. अमरा के मुरब्बा 83. भूंजा भात 84. जोनरी के रोटी चुन्ना मुन्ना कइके 85. कनेमन रोटी 86. खिचरा 87. रहिला के भाजी नोन के डर्रा (खेत मा खोंट के) 88. रहिला के रोटी नोन के डर्रा 89. चना क होरा 90. मटर क होरा

इस तरह यह कहना गलत न होगा कि बघेली अपने 9-10 जिले वाले इस भू-भाग में लोक व्यवहार की सम्पूर्ण भाषा है, जिसमें जरूरत भर के शब्दों की बहुत बड़ी शब्द सम्पदा मौजूद है।

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Wednesday, November 20, 2024

बहुत हो गया, अब न करेंगे खुले में शौच

  • बच्चों ने गांव का भ्रमण कर टॉयलेट डे पर निकाली जागरूकता रैली  
  • महिलाओं ने भी दीवाल लेखन कर लोगों को दिया स्वच्छता का संदेश

टॉयलेट डे पर पांच स्कूलों के बच्चों ने गांव भ्रमण कर खुले में शौच न जाने तथा स्वच्छता का सन्देश दिया।

पन्ना। टॉयलेट डे पर पांच स्कूलों शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिरवाही, शासकीय हाई स्कूल  सुंदरा, शासकीय माध्यमिक विद्यालय उमरी, शासकीय माध्यमिक विद्यालय जरधोवा तथा शासकीय माध्यमिक विद्यालय इटवा तिल्हा के बच्चों ने गांव में जागरूकता रैली निकलकर खुले में शौच न जाने तथा स्वच्छता का सन्देश दिया। बच्चों ने गांव भ्रमण कर लोगो को खुले में शौच मुक्त के लिए आवाज लगाकर गांव के लोगो को जागरूक किया और गांव के लोगों को घर में शौचालय बनवाने का महत्व भी समझाया।

बच्चों के साथ - साथ गांव की महिलाओं ने भी दीवाल लेखन कर लोगो को स्वच्छता का संदेश दिया। घर गांव की स्वच्छता बिना शौचालय के उपयोग के पूरी नहीं कही जा सकती है यह बात बच्चों ने समझा और शौचालय के उपयोग के लिए संकल्प लिया साथ ही अपने घर जाकर लोगों को भी समझाने को कहा और घर ,गांव में शौचालय के उपयोग के लिए जागरूक करके स्वच्छता को बढ़ावा देना और वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प लिया। 

लगभग 218 बच्चों के साथ पांच स्कूलों के लगभग 22 शिक्षकों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। इनमें बलकेश त्रिपाठी, अमित सिंह सुन्दरा से, प्रधानाध्यापक मति अंजना श्रीवास्तव, श्रीकांत नामदेव, रामकेश वर्मा, कृष्णकुमार गौतम इटवा तिल्हा से, प्रधानाध्यापक प्रमोद तिवारी, निधि मैडम, सुरेश सर जरधोवा से, रमजान खान, कोमल कोरी बिरवाही से, प्रधानाध्यापक विनोद पांडे, चरणदास नामदेव,हिपाल लोधी,यपाल सिंह, रजत शुक्ला, शतीश कुशवाहा, शरद वर्मा, रामनाथ सिंगरौल उमरी से कार्यक्रम में शामिल रहे। जरधोवा सरपंच श्री मति रामरानी राजगोंड भी गांव भ्रमण खुले में शौच मुक्त जागरूकता कार्यक्रम में शामिल रही।

उमरी स्कूल में कोच विक्रम सिंह, सुन्दरा में ज्योति चौधरी, इटवा तिल्हा में मानसी विश्वकर्मा, जरधोवा में अंजना यादव फुटबॉल ४ वॉश कार्यक्रम जिला समन्वयक आरती विश्वकर्मा के द्वारा बिरवाही में जागरूकता कार्यक्रम में सहयोग किया। कार्यक्रम क्षेत्रीय समन्वयक ज्ञानेंद्र तिवारी, जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ आशीष विश्वास के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। खुले में शौच मुक्त और स्वच्छता के लिए नारे लेखन और जागरूकता अभियान में महिलाओं ने  भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। 

ग्राम जरधोवा, इटवा तिल्हा, सुंदरा में वॉश क्लब के बच्चों के साथ महिलाएं भी स्वच्छता अभियान में आगे आकर गांव भ्रमण कर नारे लेखन का कार्य किया और स्वच्छता का संदेश दिया। महिलाओं ने पहले अपने - अपने  दरवाज़े के सामने सफाई किया इसके बाद ही नारे लेखन का कार्य शुरू किया। महिलाओं ने स्वच्छता के लिए इस तरह से कार्यक्रम करने में खुशी जताई और कहा हमने अपने घर के सामने साफ किया है, हम भी दीवाल लेखन करेंगे।

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Tuesday, November 19, 2024

लीजिए, हमारा कोदो भी पक गया !


 खेत में कटाई के लिए तैयार कोदो की फसल। 

।। बाबूलाल दाहिया ।।

जब से उमरिया के जंगल में 10 जंगली हाथी कोदो खाकर एक साथ मर गए, तब से बेचारा कोदो बहुत बदनाम है। जिस कोदो की फसल को आते जाते हमारे गाय बैल अक्सर चर लेते थे। जिस की गहाई में हम लोग 8 बैल एक साथ नध कर बिना उनका मुँह बांधे दिन-दिन भर गहाई करते थे और पूस माघ में तो फिर कुट्टी काट कर अकड़ी बथुआ के साथ उसके सूखे पुआल को भी खिलाते थे। लेकिन उसे खाकर हाथी जैसे भारी भरकम पशु का मर जाना आज भी अपन के गले नही उतर रहा। बहरहाल सरकार कहती है, तो मानना ही पड़ेगा। 

कोदो हमारे विन्ध्य का प्रसिद्ध अनाज है। प्राचीन समय में जब मात्र वर्षा आधारित खेती थी तब कोदो का बहुत बड़ा महत्व था। इसे 80 वर्ष तक बंडे बखारियों में सुरक्षित रखा जा सकता था, इसलिए यह हमारे बाप पुरखों का प्राण दाता भी था। कोदो के खाने से जहाँ रक्तचाप ,मधुमेह जैसे तमाम रोगों से शरीर सुरक्षित रहता था, वहीं बरसात और ठंड के दिनों में खाने से शीत जनित बीमारियां भी नही होती थीं। पिता जी के समय में हमारे यहां 15-20 खण्डी कोदो हुआ करता था, अस्तु उसकी रोटी भी खाते और भात भी।

इसका पौधा यूं भी सूखा बर्दास्त करने में सक्षम होता है, अस्तु अकाल दुकाल में भी  कुछ न कुछ फसल पककर अवश्य आ जाती थी। यदि कोदो का चावल कोई 100 ग्राम भी खा कर काम में चला जाय तो उसे दिन-दिन भर भूख नही सताती थी। पर 100 ग्राम कोदो का चावल य रोटी कोई अकेला नही खा सकता था ? उसे खाने के लिए चावल, रोटी के दूने अनुपात में दाल, सब्जी, दूध, मठ्ठा य कढ़ी आदि कुछ न कुछ की ब्यवस्था पहले करना पड़ती थी। इसलिए वह लोगों को क्रियाशील भी बनाए रखता था। इसके लिए लोग अपने बाड़ में भिंडी, तरोई, लौकी, बैगन, टमाटर सेमी आदि कुछ न कुछ उगाएं य फिर जंगल से पडोरा, बरोंता, रेरुआ, अमरोला, वन भिंडी, वन करेली आदि  समय - समय पर होने वाली कोई न कोई सब्जी की ब्यवस्था अवश्य करें तभी कोदो राम को हलक के नीचे उतारा जा सकता था।

इसका हमारे विकास में भी कम योगदान नही है। खेतों की मेड़, तालाब, पोखरे, राजा सामन्तों के गढ़ी गुरजे यह सब कोदो के मत्थे ही बनबाए जाते थे। उसे बड़े-बड़े बंडे बखारियों में गाढ़े समय  के लिए  रख लिया जाता और अकाल के कारण जनता का पालयन न हो अस्तु इसी से सभी निर्माण कार्य कराए जाते थे।

कोदो पर एक कहावत थी कि -

पुखा पुनर्वस कोदो धान।

मघा सुरेखा खेती आन।।

तो उसके पीछे यह तर्क भी था कि आर्द्रा में पहली मानसूनी वर्षा होती है तो सभी खर पतवार खेत में जम आने दीजिए ? उसके बाद एक दो जुताई करके जमी हुई घास को मार दीजिए तब तक पुष्प य पुनर्वस नृक्षत्र भी आ जांयगे तो कोदो को बो दीजिए। बाद में जमने वाली कोई घास उसे नही दबा पाएगी ? क्योकि वह खुद एक घास ही है। परन्तु खेती की पद्धति बदल जाने से हमारा समूचा बघेलखण्ड कोदो रहित हो गया है। जब कि वर्षा आधारित खेती के समय  औसत 4 साल में एक साल सूखे का होता था तब हमारे बाप पुरखों को अकाल दुर्भिक्ष के समय जीवित रखने का बहुत बड़ा श्रेय इस कोदो को ही था। 

लेकिन अब बिडम्बना तो देखिए कि सदियों के उसके उपकार को हम मात्र 40-50 वर्ष में ही भुला बैठे। बहरहाल हमारा कोदो पक आया है और कल से कटाई लगाएंगे। पर हम तो उसे परम्परागत बीज बचाने के उद्देश्य से इसी प्रकार उगाते हैं जैसे 200 प्रकार की धानों 20 प्रकार के गेहूंओं और अन्य अनाजों को।

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Monday, November 18, 2024

शांति के टापू में हो रही अशांति की खेती !

  •  महज दो दिन में 12 क्विंटल 76 किलो 700 ग्राम गाँजा जप्त 
  •  अवैध रूप से गाँजा की खेती करने वाले दो आरोपी गिरफ्तार
  •  जप्त हुए गाँजे की अनुमानित कीमत 66 लाख 65 हजार रु. 

बृजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पनारी में खेत से बरामद गाँजा के पेड़।  

पन्ना। शांति का टापू कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में अब बड़े पैमाने पर अशांति की खेती (गाँजा) होने लगी है। आलम यह है कि महज दो दिन में ही यहाँ 12 क्विंटल 76 किलो 700 ग्राम गाँजा जप्त हुआ है। जिसकी अनुमानित कीमत 66 लाख 65 हजार रु. बताई गई है। अवैध रूप से अपने खेत में जिन दो लोगों द्वारा गाँजे की खेती की जा रही थी, उनको पुलिस ने गिरफ्तार किया है। हीरा की खदानों, खूबसूरत घने जंगलों और भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध पन्ना जिला क्या आने वाले समय में नशीले पदार्थों के अवैध कारोबार के लिए जाना जायेगा ? यह सोचकर ही मन खिन्न है, लेकिन आज की हकीकत तो यही है। पन्ना जिले के ग्रामीण इलाकों में ज्वार और अरहर के साथ बड़े पैमाने पर गाँजा की खेती हो रही है। 

पन्ना पुलिस से मिली अधिकृत जानकारी के मुताबिक बीते शनिवार व रविवार को की गई छापामार कार्रवाही में जिले के बृजपुर व धरमपुर थाना क्षेत्र के दो ग्रामों में खेत में ज्वार और अरहर की फसल के साथ गाँजा के छोटे बड़े 3091 हरे पेड़ जप्त हुए हैं। पुलिस द्वारा की गई इस जप्ती से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हालात कितने गंभीर व भयावह हैं। दबी जुबान से ग्रामीण भी यह बताते हैं कि घरों की बाड़ी से लेकर खेतों तक हर कहीं गाँजा के पेड़ लहलहा रहे हैं, नतीजतन युवा पीढ़ी नशे की लत का शिकार हो रही है। गाँजे की हो रही खेती के विरूद्ध गांव - गांव सघन अभियान चलाकर यदि कार्यवाही न की गई तो यह अवैध कारोबार पन्ना जिले के लिए नासूर साबित होगा। पिछले दो दिनों में पुलिस टीम की कार्यवाही का विवरण इस प्रकार है -

बृजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पनारी में 50 लाख रूपये का गाँजा जप्त

बृजपुर थाना क्षेत्र के ग्राम पनारी में 50 लाख रूपये का गाँजा जप्त कर अवैध रूप से गाँजा की खेती करने वाले एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी के कब्जे से करीब 9 क्विटंल 43 किलो 600 ग्राम मादक पदार्थ (गाँजा) कीमती करीब 50 लाख रूपये का जप्त हुआ है। बृजपुर थाना पुलिस ने आरोपी के विरूद्ध एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया है ।

पुलिस अधीक्षक पन्ना साईं कृष्णा एस. थोटा ने बताया कि शनिवार को बृजपुर थाना क्षेत्र में गाँजा की खेती करने वाले 01 आरोपी के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध किया जाकर आरोपी के कब्जे से मादक पदार्थ (गाँजा) के छोटे-बड़े 2505 हरे पेड़ कुल वजनी 09 क्विंटल 43 किलो 600 ग्राम के जप्त किये गये हैं। आपने बताया कि मामले के सम्बन्ध में मुखबिर द्वारा सूचना दी गई थी कि ग्राम पनारी में साहब सिंह राजगौड़ अपने अधिपत्य वाले खेत में बड़ी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ (गाँजा) की खेती कर रहा है। 

थाना प्रभारी बृजपुर एवं थाना प्रभारी धरमपुर के नेतृत्व में गठित संयुक्त पुलिस टीम द्वारा ग्राम पनारी मुखबिर के बताये स्थान पर पहुँचकर देखा तो एक खेत में 21-22 साल का व्यक्ति काम करते दिखा। पुलिस टीम द्वारा संदेही के अधिपत्य वाले खेत की तलाशी लिये जाने पर खेत में ज्वार के पेड़ो के साथ-साथ अरहर एवं मादक पदार्थ (गाँजा) के हरे पेड़ लगे होना पाये गये। पुलिस टीम द्वारा मादक पदार्थ के छोट-बड़े 2505 हरे पौधे वजनी करीब 9 क्विटंल 43 किलो 600 ग्राम कीमती करीब 50 लाख रूपये के जप्त किये जाकर मामले में आरोपी के विरूद्ध थाना बृजपुर में अपराध पंजीबद्ध किया गया है। 

धरमपुर थाना क्षेत्र के ग्राम गडरियनपुरवा में 16 लाख 65 हजार रू. का गाँजा जप्त

गाँजा की हो रही खेती के विरूद्ध पुलिस द्वारा चलाये गए अभियान में धरमपुर थाना क्षेत्र के ग्राम गडरियनपुरवा में खेत से 16 लाख 65 हजार रू. का गाँजा जप्त हुआ है। यहाँ भी पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। आरोपी के खेत से गाँजा के छोटे-बड़े 586 हरे पेड़ वजन 3 क्विटंल 33 किलो 100 ग्राम मादक पदार्थ (गाँजा) बरामद हुआ है। 


पुलिस से मिली अधिकृत जानकारी के मुताबिक विगत 17 नवम्बर को थाना प्रभारी धरमपुर उनि बलबीर सिंह को विश्वस्त मुखविर द्वारा सूचना दी गई कि ग्राम गडरियनपुरवा में भरोसा अहिरवार अपने अधिपत्य वाले खेत में बड़ी मात्रा में अवैध मादक पदार्थ (गाँजा) की खेती कर रहा है। थाना प्रभारी धरमपुर एवं थाना प्रभारी बृजपुर के नेतृत्व में गठित संयुक्त पुलिस टीम द्वारा ग्राम गडरियनपुरवा में मुखबिर के बताये स्थान पर पहुँचकर देखा तो एक खेत में 60-65 साल का एक व्यक्ति बैठा दिखा। जिसे पुलिस टीम द्वारा घेराबंदी करके पुलिस अभिरक्षा में लिया जाकर पूँछताछ की गई। 

पुलिस टीम द्वारा संदेही के अधिपत्य वाले खेत की तलाशी लिये जाने पर खेत में ज्वार एवं अरहर के पेड़ो के साथ-साथ मादक पदार्थ (गाँजा) के हरे पेड़ लगे होना पाये गये। पुलिस टीम द्वारा मादक पदार्थ के छोटे-बड़े कुल 586 हरे पौधे वजनी करीब 3 क्विटंल 33 किलो 100 ग्राम कीमती करीब 16 लाख 65 हजार 500 रूपये के जप्त किये जाकर मामले में आरोपी के विरूद्ध थाना धरमपुर में एनडीपीएस एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना में लिया गया है। 

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Friday, November 15, 2024

जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई गई बिरसा मुण्डा जयंती

  • जनजातीय वर्ग के सर्वांगीण उत्थान के लिए सरकार प्रतिबद्ध 
  • बिरसा मुण्डा ने गरीबी एवं विकट परिस्थितियों में किया संघर्ष 

कार्यक्रम में छात्राओं द्वारा प्रस्तुत जनजातीय कला एवं संस्कृति पर केन्द्रित आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम 

पन्ना। जनजातीय वर्ग के सर्वांगीण उत्थान के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। यह बात पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को स्थानीय टाउन हॉल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के जिला स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। 

उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा ने समाज में जनजागरण एवं अल्पायु में अपने महान कार्यों की बदौलत समाज में अलग पहचान बनाई। उन्होंने आदिवासियों को उनके अधिकार और हक प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा भी बिरसा मुण्डा के जनजातीय समाज के कल्याण के लिए किए गए प्रयास व योगदानस्वरूप प्रति वर्ष 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

पूर्व मंत्री एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने उपस्थितजनों को बिरसा मुण्डा एवं गुरूनानक जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश भर में सार्वजनिक रूप से बिरसा मुण्डा द्वारा समाज को दिए योगदान, महान कार्यों एवं प्रेरणास्पद जीवन यात्रा का स्मरण करने के लिए सार्वजनिक रूप से संपूर्ण देश में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर हमें भी उनके पद चिन्हों पर चलने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जननायक बिरसा मुण्डा के जीवन को जानने का अवसर प्राप्त हुआ है। 

उन्होंने कहा कि बिरसा मुण्डा को अपने कार्यों की बदौलत भगवान की उपाधि भी प्राप्त हुई। पूर्व मंत्री ने पन्ना एवं क्षेत्रवासियों की ओर से अलग-अलग स्थानों पर कार्यक्रम आयोजन के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताते हुंए कहा कि बिरसा मुण्डा की 150वीं जयंती के अवसर पर पूरे वर्ष भर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होगा। ऐसे महापुरूष की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में हमें जरूर सहभागी बनना चाहिए।

टाउन हॉल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बृजेन्द्र प्रताप सिंह

उन्होंने कहा कि बिरसा मुण्डा ने गरीबी एवं विकट परिस्थितियों में कड़ा संघर्ष किया। जर्मन मिशनरी स्कूल में प्रवेश के बावजूद अपने गांव वापस आकर शिक्षा एवं राष्ट्र उत्थान के लिए कार्य किया। लोगों को हैजा एवं चेचक की बीमारी से बचाव तथा सर्पदंश एवं जंगली जानवरों के हमले पर जीवन रक्षा के लिए समाज को शिक्षित करने का काम भी किया। पूर्व मंत्री ने कहा कि जल, जंगल एवं जमीन जनजातीय समाज के लोगों का मूल अधिकार है। भगवान बिरसा मुण्डा ने इसके लिए भी लोगों को जागरूक करने तथा जमींदारी प्रथा का विरोध भी समाज में अलख जगाकर किया। 

उन्होंने जिले में आदिवासी वर्ग के लोगों की बेहतरी के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी देेते हुए बताया कि जिले में एक हजार से अधिक आदिवासियों को वन अधिकार पत्र प्रदान किए जाएंगे। प्रथम चरण में 400 वन अधिकार पत्र तैयार कर लिए गए हैं। वन विभाग के विस्थापन संबंधी नए नियमों के कारण जमीन के सीमांकन और लोगों को व्यवस्थित करने का प्रयास भी निरंतर होगा। आदिवासी समाज की सभी समस्याओं के निराकरण के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने उपस्थितजनों को स्वच्छता एवं नशा मुक्ति की शपथ भी दिलाई।

जिला पंचायत अध्यक्ष मीना राजे ने जननायक बिरसा मुण्डा जयंती पर आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि बिरसा मुण्डा ने अंग्रेजों के शासन का पुरजोर विरोध किया और संसाधन विहीन होकर भी अपने अधिकार और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने उपस्थित स्कूल के विद्यार्थियों से पढ़ाई एवं कैरियर निर्माण के लिए सदैव सजग एवं जागरूक रहने तथा भविष्य में जिम्मेदार नागरिक बनने का आह्वान किया। उन्होंने धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान में पात्रतानुसार जिले के अन्य ग्रामों को भी शामिल करने की मांग रखी। 

नपाध्यक्ष मीना पाण्डेय ने कहा कि भगवान बिरसा मुण्डा ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जनजातीय समाज को संगठित करने तथा समाज उत्थान में बिरसा मुण्डा के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने समस्त जाति व धर्म के लोगों से राष्ट्रहित में काम करने का आह्वान भी किया था। प्रारंभ में जिला संयोजक आर.के. सतनामी ने जिले में धरती आबा अभियान के क्रियान्वयन और 18 विभागों की 25 योजनाओं के लाभ से समस्त जनजातीय वर्ग के लोगों को लाभांवित करने की कार्ययोजना के बारे में बताया। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर एवं भगवान बिरसा मुण्डा के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। 

इस अवसर पर जिला पंचायत उपाध्यक्ष संतोष सिंह यादव, नगर पालिका उपाध्यक्ष आशा गुप्ता सहित कलेक्टर सुरेश कुमार, जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिय, विष्णु पाण्डेय, पुष्पराज सिंह, वृन्दावन पटेल, मनीषा गोस्वामी भी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन परियोजना अधिकारी संजय सिंह परिहार द्वारा किया गया, जबकि आभार प्रदार्शन अतिरिक्त सीईओ एवं कार्यक्रम के नोडल अधिकारी अशोक चतुर्वेदी ने किया। जिले के पवई एवं गुनौर विकासखण्ड मुख्यालय पर भी बिरसा मुण्डा जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 

कार्यक्रम स्थल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बिहार के जमुई में आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस तथा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में शहडोल में आयोजित बिरसा मुण्डा जयंती के राज्य स्तरीय कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी किया गया।

अनुकम्पा नियुक्ति पत्र सहित हितलाभ का किया वितरण

जनजातीय गौरव दिवस के जिला स्तरीय कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के लाभार्थियों को सांकेतिक रूप से हितलाभों का वितरण किया गया। वन अधिकार पट्टे सहित अतिथियों द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति पत्र भी वितरित किए गए। शहर के पांच स्कूलों के छात्र-छात्राओं द्वारा जनजातीय कला एवं संस्कृति पर केन्द्रित आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। जिला कलेक्टर ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में सभी पांच समूह के विद्यार्थियों द्वारा सामूहिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन करने पर दो-दो हजार रूपए के नकद पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा भी की।

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Monday, November 11, 2024

बाघों की सुरक्षा हेतु पार्क परिधि से लगे ग्रामों के कुत्तों का होगा टीकाकरण

  • कुत्तों में पाया जाता है कैनाइन डिस्टेंपर वायरस 
  • यह वायरस सीधे नर्वस सिस्टम पर डालता है असर 

पन्ना टाइगर रिज़र्व के बाघों की सुरक्षा हेतु जंगल से लगे  ग्रामों के कुत्तों का टीकाकरण किया जायेगा।

पन्ना। म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में स्वच्छन्द रूप से विचरण करने वाले बाघों की सुरक्षा हेतु नजदीकी ग्रामों के कुत्तों का टीकाकरण किया जायेगा। ऐसा बाघों को कुत्तों से फैलने वाली वायरस जनित बीमारी के संक्रमण से बचाने के लिये किया जा रहा है। मालुम हो कि कैनाइन डिस्टेंपर ( Canine distemper ) वायरस कुत्तों में पाया जाता है। जंगल में विचरण करने वाले बाघ जब जंगल से निकलकर आसपास के आबादी वाले क्षेत्रों में जाकर कुत्तों को मारते हैं तो इस घातक बीमारी के संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। इस जानलेवा बीमारी का इलाज बेहद मुश्किल है, क्यों कि यह सीधे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है।

पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थापना योजना अंतर्गत बाघों की सुरक्षा के दृष्टिगत पार्क परिधि से लगे ग्रामों के कुत्तों में कैनाइन डिस्टैम्पर वायरस तथा अन्य सात बीमारियों की रोकथाम के लिए आगामी 154  नवम्बर से टीकाकरण कार्य प्रारंभ किया जाएगा। वर्ष 2024-25 में तकनीकी प्रस्ताव अनुसार 7 दिसम्बर तक 18 ग्रामों में तथा 2 से 25 जनवरी तक शेष 18 ग्रामों में टीकाकरण किया जाएगा।

पन्ना टाइगर रिजर्व कार्यालय से मिली जानकारी अनुसार 15 नवम्बर को ग्राम मझगवां, 16 नवम्बर को हिनौता, 17 नवम्बर को कैमासन, 18 नवम्बर को बड़ौर, 19 नवम्बर को दरेरा, 20 नवम्बर को उमरावन, 21 नवम्बर को मडै़यन, 22 एवं 23 नवम्बर को जरूआपुर, 25 नवम्बर को मनौर, 26 नवम्बर को बकचुर, 27 नवम्बर को चनेनी, 28 नवम्बर को नहरी, 29 नवम्बर को हरसा, 30 नवम्बर एवं 2 दिसम्बर को झिन्ना, 3 एवं 4 दिसम्बर को सब्दुआ, 5 दिसम्बर को भापतपुर, 6 दिसम्बर को सलैया और 7 दिसम्बर को बगौहा में टीकाकरण होगा, जबकि 9 दिसम्बर से एक जनवरी तक बूस्टर टीकाकरण की तिथि निधारित की गई है।

इसी तरह 2 जनवरी को ग्राम कटरिया, 3 जनवरी को मरहा, 4 जनवरी को खमरी, 6 जनवरी को ककरा-मुटवा, 7 जनवरी को कचनारी, 8 एवं 9 जनवरी को खजुरी कुड़ार, 10 जनवरी को माझा, 11 जनवरी को दहलान चौकी, 13 जनवरी को रानीपुर, 14 जनवरी को सरकोहा, 15, 16 एवं 17 जनवरी को अजयगढ़, 18 जनवरी को राजापुर, 20 जनवरी को बतासा, 21 जनवरी को पाठा, 22 जनवरी को रायपुर टपरियन एवं बनहरी खुर्द, 24 जनवरी को बनहरी कला तथा 25 जनवरी को ग्राम मड़ला में टीकाकरण होगा। बूस्टर टीकाकरण की तिथि 27 जनवरी से 19 फरवरी तक निर्धारित है।

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Saturday, November 9, 2024

खेती के ही उत्सव हैं ज्यादातर त्यौहार : बाबूलाल दाहिया


पहले इसी तरह दीपावली के दिन यादव समाज के कलाकार गाँव में घर - घर दिवाली जगाने आते थे। 

यदि त्यौहारों को देखा जाय तो भले ही दीपावली या होली के साथ अनेक मिथक या परम्पराएं जुड़ गई हों, पर सबके मूल में खेती और उसकी नई फसल आने की खुशी ही है। क्योकि दीपावली और होली ऐसे त्यौहार हैं कि दोनों में किसानों के घर में नई फसल आ जाती हैं। इधर होली दीवाली दोनों त्यौहारों में मौसम भी समशीतोष्ण होता है। ऐसे अवसर में हमारी खेती किसानी से जुड़े गांव के शिल्पियों तथा सभी ग्रामवासियों का खुशियां मनाना स्वाभाविक है। फिर हमारी कृषि संस्कृति में उन्हें खा पीकर खुशियां मनाने के लिए ( पियनी ) के रूप में त्यौहारी देने की भी परम्परा रही है। 

हमने अनेक शिल्पियों के रीति रिवाज परम्पराओं व उनके लोकगीतों का अध्ययन किया है। पर इसी निष्कर्ष में पहुंचे हैं कि जिन जातियों के व्यवसाय कुछ कम कष्ट साध्य थे उनके सभी के जातीय लोक गीत हैं। पर जिनके काम अधिक मेहनत वाले थे उनके कोई (जातीय लोकगीत) नही हैं। उदाहरण के लिए लौह एवं काष्ठ शिल्पी हमारी खेती के प्रमुख आधार थे पर उनके कोई अपने जातीय लोकगीत नही पाए जाते। कारण शायद यही रहा होगा कि वे काम करते - करते  इतना थक जाते रहे होंगे कि रात्रि में भोजन के पश्चात उन्हें सीधे खाट ही दिखती रही होगी।

दूसरी तरफ यादव एवं पाल ऐसा समुदाय था जिनका प्राचीन जातीय कर्म पशु चारण से जुड़ा था। अस्तु उसके पास पर्याप्त गान गम्मत के अवसर थे। जंगल में भी गाय या भेंड़ बकरी चरते रहते तब भी उनके जबाब सवाल में बिरहा गीत जंगल में गूंजते रहते। यही कारण है कि उनके जातीय गीत सर्वाधिक पाए जाते हैं। वे गीत अधिकांश राधाकृष्ण के प्रेम प्रसंगों अथवा पशुचारण जैसे परिवेश से जुड़े ही होते हैं।

प्राचीन समय में दीपावली के दिन यादव समाज के कलाकार गाँव में घर - घर दिवाली जगाने आते थे। वे एक जालीदार भेड़ के बालों से बुना गया वस्त्र पहनते और विरहा गीत गाकर नृत्य करते जिसे (डोर) कहा जाता था। पर कुछ समय से आना बन्द कर दिए थे। अब पिछले दो वर्ष से श्याम सुन्दर पाल और नगड़िया बादक बैजनाथ चौधरी पुनः आने लगे हैं। उनके उस देवारी जगाने के बदले में हर कृषक परिवार उन्हें 1 से 2 किलो धान देते हैं। एक गीत तो पिछले वर्ष का अब तक याद है कि - 

ऊमर फरी कठूमर,

         घउचन फरी खजूर।

कउन कउन फर खइहा ददऊ, 

            गउअय गईं बड़ी दूर।।

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Thursday, November 7, 2024

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत जिले के 108 ग्राम होंगे लाभांवित

  • अभियान में 500 या अधिक जनसंख्या तथा 50% जनजातीय आबादी वाले ग्राम शामिल 
  • पन्ना विकासखण्ड में 24, पवई में 16 व शाहनगर विकासखण्ड में 26 ग्रामों का हुआ चयन 

अभियान के बेहतर क्रियान्वयन हेतु कलेक्टर ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष की बैठक में अधिकारियों को दिए निर्देश 

पन्ना। भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा गत 2 अक्टूबर से धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान शुरू किया गया है। अभियान में 500 एवं अधिक जनसंख्या तथा 50 प्रतिशत जनजातीय आबादी वाले ग्रामों को लाभांवित किया जाएगा। इन ग्रामों में निवासरत जनजातीय वर्ग के लोगों को विभिन्न विभागीय योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ मिल सकेगा। साथ ही संबंधित विभागों द्वारा सर्वे उपरांत प्रस्तुत कार्यों की शासन स्तर से स्वीकृति उपरांत अन्य योजना व सुविधाओं का लाभ भी सुनिश्चित किया जाएगा। 

पन्ना जिले के पांच विकासखण्ड में अभियान अंतर्गत 108 ग्राम चयनित किए गए हैं। इनमें आकांक्षी विकासखण्ड अजयगढ़ के सर्वाधिक 33 और गुनौर के 9 ग्राम शामिल हैं, जबकि पन्ना विकासखण्ड में 24, पवई में 16 और शाहनगर विकासखण्ड में 26 ग्रामों का चयन किया गया है।

कलेक्टर सुरेश कुमार ने गुरूवार को कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर चयनित ग्रामों में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के बेहतर क्रियान्वयन के निर्देश दिए। साथ ही विभाग स्तर पर की गई तैयारियों की जानकारी लेकर संबंधितजनों को गंभीरतापूर्वक दायित्वों के निर्वहन के लिए निर्देशित किया। 

उन्होंने कहा कि भारत सरकार के इस महत्वाकांक्षी अभियान में संबंधित ग्रामों के जनजातीय वर्ग के लोगों को आयुष्मान योजना सहित 18 विभाग की योजनाओं का लाभ प्रदान किया प्राथमिकता के साथ प्रदान किया जाना है। विभागीय अधिकारियों द्वारा आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में आवश्यक सर्वे उपरांत लोगों को अभियान की रूपरेखा से अवगत कराया जाए। साथ ही योजनाओं से वंचित लोगों का चिन्हांकन कर उन्हें लाभांवित किया जाए।

जिला कलेक्टर ने चयनित ग्रामों में मोबाइल मेडिकल यूनिट, छात्रावास, आश्रम, स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका सहित कौशल उन्नयन एवं पर्यटन ग्राम के रूप में विकास के लिए होम स्टे की संभावनाओं का आंकलन कर अविलंब प्रस्ताव प्रेषित करने के निर्देश दिए। साथ ही सभी 108 ग्राम में शत प्रतिशत घरों के विद्युतीकरण, आवश्यकतानुसार सोलर पैनल की स्थापना, एलपीजी कनेक्शन, 4जी एवं 5जी मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता सहित किसान कल्याण एवं कृषि विकास, पशुपालन एवं डेयरी विभाग तथा मत्स्य पालन विभाग की योजनाओं के माध्यम से लोगों को लाभांवित करने के लिए कहा। 

कलेक्टर ने अजयगढ़ विकासखण्ड के संपूर्णता अभियान की भांति इस अभियान में प्रारंभिक चरण के दौरान विभागीय योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के जरिए संपूर्णता व प्रगति लाने के निर्देश दिए। साथ ही जनजातीय वर्ग के लोगों के उत्थान के दृष्टिगत सभी कल्याणकारी योजनाओं के लाभ के लिए जागरूकता गतिविधियां संचालित करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि कार्ययोजना तैयार कर भविष्य की रूपरेखा के दृष्टिगत पूर्व आंकलन करें। आवश्यक एवं डोर टू डोर सर्वे उपरांत प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण, सड़क, प्रत्येक ग्रामीण का बैंक खाता खोलने सहित जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन प्रदान करने की कार्यवाही की जाए। 

बैठक में उप संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग को विभाग की बड़ी स्कीम में प्राथमिकता के साथ पात्र लोगों को लाभांवित करने के लिए कहा। इसी तरह अन्य अधिकारियों को भी विभागीय योजना की प्राथमिकता से पूर्ति के निर्देश दिए। बैठक में जिला पंचायत सीईओ संघ प्रिय सहित अतिरिक्त सीईओ अशोक चतुर्वेदी, जिला संयोजक आर.के. सतनामी एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।

इन ग्रामों का किया गया है चयन

धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के क्रियान्वयन के लिए अजयगढ़ विकासखण्ड के ग्राम मोहारी, सलैया, दुगरहो, बनहरी खुर्द, रायपुर, सिन्हाई, विश्रामगंज, भसूड़ा, मझगवां (कोड़ई), बरियारपुर भूमियान, भापतपुर कुर्मियान, झिन्ना, हनुमतपुर, बनहरी कला, देवरा भापतपुर, मझगांय, कुंवरपुर, पाठा, धवारी, बाराडंडेका, बाराकगरेका, भानपुर, बरकोला खुर्द, बड़ीरूघ, तरौनी, प्रतापपुर, भुजबई, भैरहा, जिगनी, मौकछ, नरदहा, तुलापुर एवं खोरा, पन्ना विकासखण्ड के ग्राम कोनी, कटहरी बिलहटा, दरेरा, मनौर, हरसा, रानीपुर, पाठा, खिरवा, रमखिरिया, लुहरहाई, कुदकपुर, गजना, शाहपुर, धनौजा, हातुपुर, पुखरा, मठली, कल्याणपुर, मनकी, बड़ौर, गहदरा, कुड़ार, मकरी कुठार एवं राजापुर गांव शामिल हैं। 

गुनौर विकासखण्ड के ग्राम छिजौरा, बिल्हा कंगाली, नचने, मडै़या कुलगवां, रामपुर, बरौंहा, महुआडाडा, बलगहा एवं रतनपुरा, पवई विकासखण्ड के ग्राम कढ़ना, जूही, हाड़ा, शिकारपुरा, खरमोरा, बिकौरा, बछौन, गुरजी, जूड़ा, घुटेही, बिरवाही, बिजदुहा खिलसारी, सकतरा, मुहली धरमपुरा, कल्दा एवं महुआ डोल तथा शाहनगर विकासखण्ड के ग्राम सलैया (फेरन सिंह), करौंदी, परसी, सुनपुरा, पगरी, रामपुर (खजुरी), पौसी, सतधारा, सिजहटी, मरहा, बिहरिया, जूरसिंह, मझगवां, जामदा, श्यामगिरि, पौड़ीकला, टिकुलपौड़ी, बारी, सोनमउकला, बिलपुरा, डोहली, पटना, बीरमपुरा, मुर्ता, डोभा बघनरवा एवं चुनगुवां शामिल हैं।

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Wednesday, November 6, 2024

संभागायुक्त की अध्यक्षता में हुई वन विभाग की स्थानीय सलाहकार समिति की बैठक

  • पर्यटन विकास के लिए बेहतर प्रबंधन और पर्यटक सुविधाओं के संबंध में किया गया विचार विमर्श
  • मड़ला में एसबीआई का एटीएम स्थापित करने व मुख्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरा लगवाने के निर्देश 

संभागायुक्त की अध्यक्षता में आयोजित वन विभाग की स्थानीय सलाहकार समिति की बैठक का द्रश्य। 

पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पर्यटन गांव मड़ला स्थित कर्णावती सभागार में वन विभाग की स्थानीय सलाहकार समिति की बैठक सागर संभाग के कमिश्नर डॉ. वीरेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित हुई। बैठक में जनप्रतिनिधि एवं संबंधित अधिकारियों सहित समिति के सदस्यगण, मड़ला एवं हिनौता ग्राम पंचायत सरपंच, होटल व रिसॉर्ट संचालक, जिप्सी एवं गाइड एसोसिएशन के प्रतिनिधि भी शामिल रहे। इस दौरान पर्यटन विकास के लिए बेहतर प्रबंधन तथा पर्यटक सुविधाओं के संबंध में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा के दौरान आवश्यक सुझावों से अवगत कराया गया।

कमिश्नर डॉ. रावत ने बैठक में उपस्थितजनों से चर्चा के दौरान कहा कि पन्ना नेशनल पार्क प्रबंधन द्वारा हितधारकों के साथ पर्यटन सुविधाओं में बढ़ोत्तरी और स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन के मद्देनजर सभी आवश्यक प्रबंध सुनिश्चित किया जाएगा। पर्यटकों की जरूरी सुविधाओं के दृष्टिगत निवेशकों के आर्थिक लाभ भी सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि टाइगर रिजर्व द्वारा स्वयं के स्तर पर राजस्व अर्जित करने का प्रयास भी किया जाए। छोटे-छोटे मुद्दों का त्वरित रूप से निराकरण हो। 

कमिश्नर ने विभिन्न समितियों के चुनाव में पारदर्शिता का आश्वासन दिया। साथ ही भारत सरकार द्वारा वन्य क्षेत्र एवं अभ्यारण्य में पर्यटकों की सुविधा के लिए जारी गाइडलाइन अनुरूप आवश्यक सुविधाएं विकसित करने की बात कही। होटल एवं रिसोर्ट में वॉटर हॉर्वेस्टिंग सिस्टम की स्थापना तथा पर्यावरण के अनुकूल कचरा निष्पादन के लिए स्टेकहोल्डर्स से चर्चा कर स्थल चिन्हित करने के लिए निर्देशित किया गया। उन्होंने मड़ला में भारतीय स्टेट बैंक के एटीएम स्थापित करने, चयनित मुख्य स्थानों पर सीसीटीवी कैमरा लगवाने और स्पीड सेंसर स्थापना के निर्देश भी दिए।



पन्ना नेशनल पार्क की क्षेत्र संचालक अंजना सुचिता तिर्की द्वारा समिति सदस्यों और उपस्थित जनप्रतिनिधि एवं अधिकारियों को बैठक की रूपरेखा एवं एजेंडा के बारे में अवगत कराया गया। बताया गया कि पन्ना नेशनल पार्क के तीन गेट के लिए 85 जिप्सी निर्धारित हैं। मड़ला गेट के लिए 60, हिनौता गेट के लिए 12 और अकोला गेट के लिए 13 जिप्सी पर्यटकों के लिए उपलब्ध है। भारत सरकार द्वारा जिप्सी संख्या यथावत रखकर अकोला गेट से पर्यटकों के लिए गत वर्ष प्रवेश शुरू करने की अनुमति प्रदान की गई थी। 

सलाहकार समिति की बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों द्वारा पन्ना-अमानगंज एवं पन्ना-छतरपुर मार्ग पर नेशनल पार्क क्षेत्र सीमा में स्पीड ब्रेकर, सकरिया में सीमेंट प्लांट के ट्रकों की आवाजाही के लिए बायपास निर्माण तथा मड़ला को आदर्श ग्राम बनाने के लिए आवश्यक कार्यवाही सहित अन्य महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए। बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देशानुसार बाघ एवं पारिस्थिकी तंत्र के संरक्षण के उद्देश्य के साथ आवश्यक प्रबंधन व उपायों पर विचार विमर्श किया गया।

दिसम्बर माह में शुरू होगा राजगढ़ पैलेस का संचालन

स्थानीय सलाहकार समिति की बैठक में निर्धारित शर्तों के अधीन आगामी दिसम्बर माह में राजगढ़ पैलेस के संचालन के संबंध में भी चर्चा की गई। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ एवं प्रभारी कलेक्टर संघ प्रिय ने होटल एवं रिसोर्ट द्वारा पर्यटक सुविधाओं और जैविक कचरा निष्पादन के संबंध में जिला स्तरीय समिति द्वारा लीफ एवं स्टार रेटिंग प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के बारे में जानकारी दी।

गुनौर विधायक राजेश वर्मा ने बैठक में अमानगंज बायपास की मरम्मत और अमानगंज नगर में प्रायः लगने वाले जाम का मुद्दा उठाया। साथ ही पन्ना टाइगर रिजर्व में स्थानीय लोगों को अपने उत्पादों के विक्रय सहित ज्वेलरी शॉप एवं अन्य माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कहा। ककरहटी बायपास निर्माण और नेशनल पार्क भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों को पन्ना में अन्य स्थानों पर भ्रमण के लिए मार्गदर्शिका उपलब्ध कराने की मांग रखी। राजनगर विधायक अरविन्द पटेरिया द्वारा राजगढ़ पैलेस के नजदीक स्वर्गेश्वर धाम के विकास और अन्य विकास कार्यों पर ध्यान आकृष्ट कराया गया। इसी तरह हटा विधायक उमा देवी खटीक ने मड़ियादो में पर्यटक प्रवेश द्वार प्रारंभ करने और सड़क चौड़ीकरण के बारे में अवगत कराया। 

इस दौरान वाहनों के प्रदूषण जांच के लिए पीयूसी की स्थापना, मड़ला ग्राम पंचायत को प्रत्येक बार जिप्सी आवागमन के दौरान निर्धारित शुल्क अदा करने और इसके लिए जरूरी गाइडलाइन तैयार करने की चर्चा भी की गई। ग्राम पंचायत को प्राप्त राशि से जरूरी विकास कार्य कराए जाएंगे। बैठक में केन-बेतवा लिंक परियोजना के भविष्य में पूरी तरह से अस्तित्व में आने के बाद पीटीआर के स्वरूप पर भी चर्चा हुई। समिति की बैठक में कलेक्टर छतरपुर पार्थ जैसवाल, वन मंडल अधिकारी उत्तर गर्वित गंगवार, वन मंडल अधिकारी दक्षिण अनुपम शर्मा, उप संचालक पन्ना नेशनल पार्क मोहित सूद भी उपस्थित रहे।

कमिश्नर ने मध्यान्ह भोजन की देखी गुणवत्ता



कमिश्नर डॉ. रावत ने बैठक के उपरांत शासकीय प्राथमिक शाला मड़ला का निरीक्षण किया। यहां उपस्थित बच्चों से संवाद कर अक्षर ज्ञान पूछा और पहाड़ा सुना। साथ ही मध्यान्ह भोजन व्यवस्था अंतर्गत भोजन की गुणवत्ता देखी और मीनू अनुसार प्रत्येक दिवस भोजन वितरण की जानकारी ली। स्कूल के बच्चों ने संभागायुक्त का हाथ जोड़ कर अभिवादन किया और दैनंदिन कार्यों की जानकारी भी दी। 

संभागायुक्त ने मड़ला के मतदान केन्द्र क्रमांक 226 का भ्रमण कर बीएलओ रामसनेही अहिरवार से फोटो निर्वाचक नामावली गतिविधियों की जानकारी ली। फार्म 6,7 व 8 के निराकरण के बारे में पूछकर दस्तावेजों का अवलोकन भी किया। मेधावी विद्यार्थियों व प्रबुद्धजनों के लिए मड़ला में संचालित जन पुस्तकालय भी देखा। मड़ला क्रॉफ्ट सेंटर पहुंचकर यहां स्थानीय कारीगरों द्वारा निर्मित उत्पाद व इनके विक्रय की जानकारी ली। विभिन्न उत्पादों का अवलोकन कर एवं आय के संबंध में जानकारी लेकर इस प्रयास की सराहना की।

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Monday, November 4, 2024

ब्रह्माकुमारीज़ ने जेल में कैदी भाइयों के साथ मनाया भाई दूज एवं दीपावली

  • अपराधमुक्त जीवन बनाने की ब्रम्हाकुमारी सीता बहन ने दी शिक्षा  

 

कैदी भाइयों को भाई दूज एवं दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए ब्रह्माकुमारी सीता बहन  

पन्ना। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय पन्ना द्वारा पन्ना जेल में कैदी भाइयों के साथ भाई दूज एवं दीपावली का उत्सव मनाया गया। बहन जी ने सभी को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए एवं आत्मिक स्मृति का तिलक देकर कहा कि दीपावली प्रकाश का पर्व है पर कदाचित यह भीतर के प्रकाश का प्रतीक है। 

बाहर के प्रकाश में, बाहरी जगत को तो हम प्रतिदिन ही देखते हैं। क्या 364 दिन इंतजार करने के बाद आने वाला यह महापर्व भी हमें बाहरी जगत का ही दर्शन कराएगा ? क्या इसके आगोश में ऐसी कोई कीमती चीज़ नहीं है जो इसे अन्य दिनों से पृथकता प्रदान करे ? हाँ है, इसके पास एक कल्याणकारी, अलौकिक संदेश है - अपने भीतर के दीप को जलाओ; घर-घर में हर एक का आत्म-दीप जलाओ; इस आत्म-ज्ञान की रोशनी में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और आलस्य की अमावस्या को जला दो; शुद्ध स्नेह, शांति, संतोष, आत्मिक भाव और नम्रता की पूर्णिमा अर्थात पूर्णता के युग का आह्वान करो।

मनुष्य घरों की सफाई करते हैं, वास्तव में सर्वप्रथम सफाई की जाती है मन, वचन, कर्म की। हमें दृष्टि, वृत्ति की सफाई करनी है मन के अंदर से नकारात्मक व अशुद्ध विचार को समाप्त करना है। आपने कहा कि, दीपावली में व्यापारी अपने पुराने खाते को खत्म कर नया बहीखाता आरंभ करते हैं अर्थात आज तक हमारा कइयों के साथ जो भी मनमुटाव हुआ हो, कोई बुरा व्यवहार हो गया हो – उन पुराने खातों को समाप्त करें, पुरानी बातों को समाप्त करें और आज से नए खाते का आरंभ करें अर्थात नवीनता अपने जीवन के अंदर लेकर आए इसलिए व्यापारी लोग जब नई बहीखाता आरंभ करते हैं तो उस पर शुभ-लाभ जरूर लिखते हैं। शुभ-लाभ तो तभी होगा जब लाभ का उल्टा अर्थात भला करेंगे। जब हम सबका भला चाहते हैं सबके प्रति शुभ भावनाएं और शुभ कामनाएं मन में प्रवाहित करेंगे, तभी तो शुभ-लाभ की प्राप्ति होगी।

दिवाली पर सभी मिठाई खिलाते हैं अर्थात जो बोल हमारे मुख से निकलें वह दूसरों को सुख दें। दिवाली रावण की हार का उत्सव है आइए, इस दिवाली पर अपने अंदर के रावण को खत्म करते हैं। सिर्फ चार दिन की दिवाली नहीं, जीवन ही दिवाली है मिट्टी के इस शरीर में मैं पवित्र आत्मा हूं यह दिया जब हम जलाते हैं तब अहंकार का अंधेरा खत्म हो जाता है। 

शांति का धर्म और प्यार की भाषा और एकता की संस्कृति ऐसी दुनिया हम सबको मिलकर बनानी है। इस सृष्टि पर हमें ही सच्ची दिवाली लानी है। पुरानी बातें जो दबी पड़ी है, गलतफहमी की धूल चढ़ी है, अपमान के दाग लगे हुए हैं। आइए, घर के साथ-साथ मन के कोने-कोने में सफाई करते हैं नए कपड़े, नए बर्तन– दिवाली नवीनता का समय है, जीवन को शुद्ध बनाने के लिए नई सोच, नया व्यवहार, नया संस्कार अपनाते हैं। आइए, सबको दिलखुश मिठाई खिलाते हैं। इस उपलक्ष पर आर.पी. मिश्र, जेलर, जिला जेल पन्ना ने कार्यक्रम की सराहना की तथा सभी को बहन जी के बताए हुए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

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