Thursday, November 2, 2017

टाईगर मैन जिसने बढ़ाया पन्ना का गौरव

  •   उत्कृष्ट कार्य करने के लिये आर.श्रीनिवास मूर्ति को मिल चुके हैं कई  पुरूस्कार
  •   दुनिया में अब तक जो कहीं नहीं हुआ उसे इन्होंने पन्ना में किया है साकार


 आर. श्रीनिवास मूर्ति जिनके प्रयासों से पन्ना में आबाद हुये बाघ।
अरुण सिंह,पन्ना। टाईगर मैन के रूप में प्रसिद्ध हो चुके आर.श्रीनिवास मूर्ति को आज म.प्र. स्थापना दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस जुनूनी और कर्तव्यनिष्ठ वन अधिकारी को पन्ना बाघ पुनर्स्थापना  योजना की चमत्कारिक सफलता में अहम भूमिका निभाने के लिये यह पुरूस्कार प्रदान किया है, जिसमें प्रशस्ति पत्र के साथ 1 लाख रू. नगद राशि शामिल है। मौजूदा समय पन्ना बाघ पुनर्स्थापना के मामले में समूची दुनिया के लिये एक मिशाल बन चुका है। अब तक जो कहीं नहीं हुआ वह पन्ना में साकार हुआ है। पन्ना में घटित सफलता की इस कहानी को देखने, समझने और सीखने के लिये दुनियाभर से लोग यहां आ रहे हैं। वन्यजीव प्रेमियों के लिये तो पन्ना टाईगर रिजर्व एक विश्व विद्यालय बन चुका है।
उल्लेखनीय है कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र का यह इलाका प्रकृति के अनगिनत सौगातों से समृद्ध रहा है। आजादी से पूर्व राजाशाही जमाने में बुन्देलखण्ड क्षेत्र के घने जंगलों में 5 सौ से भी अधिक बाघ स्वच्छन्द रूप से विचरण करते रहे हैं, यही वजह है कि इस इलाके को बाघों की धरती भी कहा जाता रहा है। लेकिन आजादी के बाद तेजी के साथ मानव आबादी बढ़ी और जंगल सिकुड़ते चले गये। नतीजतन बाघों के प्राकृतिक रहवास उजडऩे लगे और इस शानदार वन्यजीव की संख्या भी घटने लगी। हमेशा बाघों से आबाद रहे बुन्देलखण्ड क्षेत्र के इस इलाके को वर्ष 2009 में तब गहरा झटका लगा जब इस तथ्य का खुलासा हुआ कि पन्ना बाघ अभ्यारण्य में अब एक भी बाघ नहीं बचा। इस खुलासे के बाद पूरे देश में हड़कम्प मच गया। तब आनन-फानन सरकार द्वारा पन्ना में बाघ पुनस्र्थापना योजना शुरू करने का निर्णय लिया गया। इसी के साथ ऐसे वन अधिकारी की खोजबीन भी शुरू हुई जिसमें वह काबिलियत और क्षमता हो जो पन्ना की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस ला सके। ऐसी विपरीत और विकट परिस्थितियों में आर. श्रीनिवास मूर्ति को पन्ना बाघ पुनर्स्थापना योजना को मूर्त रूप देने की जवाबदारी सौंपी गई।

किसी को नहीं थी सफलता की उम्मीद

बाघ पुनर्स्थापना योजना के शुरू होने पर किसी को भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि बाहर से बाघों को यहां लाकर उनके कुनवे को बढ़ाने में सफलता मिलेगी। हर तरफ आक्रोश और विरोध का माहौल था, ऐसे विपरीत माहौल में कान्हा, बांधवगढ़ और पेंच से बाघों को पन्ना लाया गया। बेहद साधारण से दिखने वाले आर. श्रीनिवास मूर्ति ने बाघों को पन्ना में फिर से बसाने के लिये खुद भी जंगल को अपना बसेरा बना लिया और जुनून की हद तक बाघों को आबाद करने के काम में जुट गये। बाघों के लिये अनुकूल और सुरक्षित वातावरण बनाने के लिये उन्होंने कड़े कदम भी उठाये और कई प्रभावशाली लोगों को जेल तक पहुँचा दिया। बाघों के प्रति उनका सम्मान तथा लगन और मेहनत को देख कुछ लोग मूर्ति जी से प्रभावित हुये तथा उनके कार्य में सहभागी भी बने। धीरे-धीरे समर्थन और सहयोग करने वालों का कारवां बढऩे लगा नतीजतन पन्ना में यह नारा दिया गया जन समर्थन से बाघ संरक्षण, जिसका चमत्कारिक असर हुआ।

मूर्ति को मिलने लगा जनता का समर्थन

जन समर्थन से बाघ संरक्षण का नारा इतना प्रभावी और कारगर हुआ कि छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी बाघ संरक्षण की मुहिम से जुडऩे लगे। इस बीच कान्हा और बान्धवगढ़ से आई बाघिनों ने नन्हे शावकों को जन्म देकर वीरान से पड़े पन्ना टाईगर रिजर्व को फिर से गुलजार कर दिया। फिर तो सफलता की नित नई ऊँचाईयों को बाघ पुनर्स्थापना योजना छूने लगी। इस योजना के तहत यहां पर अनाथ और पालतू बाघिनों को जंगली बनाने का करिश्मा भी घटित हुआ, जिससे पन्ना पार्क विश्व स्तर पर चर्चित हो गया। बीते 7 वर्षों में पन्ना टाईगर रिजर्व में 55 से भी अधिक बाघ शावकों का जन्म हो चुका है। पन्ना में जन्मे बाघ अब बुन्देलखण्ड और बघेलखण्ड के अलावा अन्य इलाकों में भी विचरण कर रहे हैं। पन्ना का गौरव पुन: वापस लौटाने में चमत्कारिक भूमिका निभाने वाले वन अधिकारी आर. श्रीनिवास मूर्ति ने जो विलक्षण और अविस्मरणीय कार्य किया है, उसे आगे बढ़ाने तथा बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अब वर्तमान प्रबन्धन व पन्नावासियों की है। पन्ना के बाघ अब सिर्फ पन्ना के नहीं अपितु समूचे बुन्देलखण्ड व म.प्र. के गौरव बन चुके हैं। मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरूस्कार मिलने के उपरान्त आर. श्रीनिवास मूर्ति ने यह पुरूस्कार पन्ना की जनता व बाघों को समर्पित किया है।
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