Saturday, November 24, 2018

गरीब की बेटी को शिवराज सिंह ने बनाया लक्ष्मी: स्मृति ईरानी



  •   पन्ना विधानसभा क्षेत्र के पहाड़ीखेरा में आयोजित हुई आमसभा
  • केन्द्रीय मंत्री ने राम वन पथ   के मामले पर कांग्रेस के ऊपर साधा निशाना


पन्ना विधानसभा क्षेत्र के पहाड़ीखेरा में आयोजित आम सभा को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी 
अरुण सिंह,पन्ना। गरीब परिवार की बेटी को लक्ष्मी के रूप में पूजने की योजना यदि किसी सरकार ने बनाई है तो वह म.प्र. की शिवराज सिंह  चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार है। पूरे देश में पहली बार गरीब की बेटी को लाड़ली लक्ष्मी बनाने का काम शिवराज सिंह  चौहान ने किया है, जिसका लाभ प्रदेश की 27 लाख बेटियों को मिला है। यह बात भाजपा की स्टार प्रचारक एवं केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने आज पन्ना विधानसभा क्षेत्र के पहाड़ीखेरा में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुये कही। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी बृजेन्द्र प्रताप सिंह को भारी मतों से जिताने के लिये जनता से आशीर्वाद भी माँगा।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से तकरीबन 3 घण्टे विलम्ब से पहाड़ीखेरा पहुँची केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राम वन पथ गमन मार्ग के निर्माण की बात पर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने कोर्ट में एफिडेबिड देकर राम के अस्तित्व को ही नकार दिया, आज चुनाव के समय वह राम वन पथ गमन मार्ग के निर्माण की बात करती है। उन्होंने कहा कि मैं आपसे यह कहना चाहती हूँ कि राम का नाम इन्हें तब याद आता है जब पराजय सामने दिखती है। केन्द्रीय मंत्री ने उपस्थित जन समुदाय की ओर मुखातिब होकर कहा कि ऐसी पार्टी को अपना आशीर्वाद न दें बल्कि उस पार्टी को अपना आशीर्वाद दें जिसने हर घर में विकास की गंगा पहुँचाकर राम राज्य की कल्पना को साकार करने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर से शिवराज सिंह  को मुख्यमंत्री बनायें और विकास के लिये समर्पित  युवा बृजेन्द्र प्रताप सिंह  को विधानसभा ले जायें। आमसभा में भाजपा प्रत्याशी सहित भाजपा कार्यकर्ता, पदाधिकारी व बड़ी संख्या में आम जन उपस्थित रहे।
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Friday, November 23, 2018

प्रदेश का विकास और जन कल्याण मेरी ड्यूटी: शिवराज


  •   मुख्यमंत्री  ने अजयगढ़  की विशाल आमसभा में कांग्रेस पर साधा निशाना  
  •   भाजपा प्रत्याशी बृजेन्द्र प्रताप सिंह को जिताने जनता से माँगा आशीर्वाद

 अजयगढ़ की आमसभा को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।

पन्ना, 23 नवम्बर 2018। म.प्र. का विकास और जनता का कल्याण करना मेरी ड्यूटी है, लेकिन मेरे ऐसा करने से कांग्रेसियों को गुस्सा आता है। बिना पानी के जैसे मछली तड़पती है, उसी तरह कांग्रेसी बिना सत्ता के तड़प रहे हैं। उक्ताशय के उदगार  प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह  चौहान ने शुक्रवार को सायं 4 बजे पन्ना विधानसभा क्षेत्र के अजयगढ़ में आयोजित विशाल  आमसभा को संबोधित करते हुये व्यक्त किये। उन्होंने उपस्थित जन समुदाय से भाजपा प्रत्याशी बृजेन्द्र प्रताप सिंह  को जिताने के लिये आशीर्वाद माँगा और कहा कि इस क्षेत्र की खुशहाली और विकास के लिए भाजपा को जितायें। आपको मैं आश्वश्त करता हूँ कि सरकार  बनते अजयगढ़ क्षेत्र की सारी समस्याओं का निराकरण किया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के 70 सालों में 54 साल कांग्रेस और 15 साल मैने सरकार चलाई है। बीते 15 सालों में भाजपा ने विकास के जितने कार्य किये हैं, क्या कांग्रेस ने किया? उन्होंने कहा कि 15 वर्ष पहले हमें म.प्र. बीमारू राज्य के रूप में मिला था, लेकिन हमने इन 15 वर्षों में म.प्र. को पहले विकासशील बनाया, फिर विकसित और अब समृद्धशाली म.प्र. बनाना है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कांग्रेस पार्टी के विज्ञापन गुस्सा आता है पर तंज कसते हुये कहा कि क्या आप लोगों को मुझ पर गुस्सा आता है? आपने कहा कि बृजेन्द्र प्रताप सिंह  ने अजयगढ़ क्षेत्र की जो समस्यायें बताई  हैं, सरकार बनते ही उनका निराकरण किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के खेतों तक पानी पहुँचाने का काम किया जा रहा है। छोटे किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से पैसा उनके खाते में डलवाया जायेगा। उन्होंने कहा कि 2022 तक जिले में कोई भी ऐसा गरीब नहीं बचेगा, जिसके पास पक्का मकान न हो। आपने यह भी कहा कि प्रदेश की बेटियों को जो 75 फीसदी से अधिक अंक १२वीं में लायेंगी, उन्हें स्कूटी प्रदान की जायेगी। मुख्यमंत्री से पहले आम सभा को भाजपा प्रत्याशी बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने भी संबोधित किया। इस मौके पर दूसरे दलों के कई नेताओं व पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री के हाँथों भाजपा की सदस्यता भी गृहण की।
अजयगढ़ की आम सभा में उमड़ी भीड़ का दृश्य 

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पन्ना का चहुँमुखी विकास ही हमारा लक्ष्य: बृजेन्द्र प्रताप सिंह


अजयगढ़ में समर्थकों के साथ जन सम्पर्क करते हुये भाजपा प्रत्याशी बृजेन्द्र प्रताप सिंह 

अरुण सिंह,पन्ना। रत्नगर्भा धरती पन्ना का चहुँमुखी विकास  ही हमारा लक्ष्य है इसी लक्ष्य को पाने के लिये मुझे पन्ना विधानसभा क्षेत्र से पार्टी द्वारा प्रत्याशी बनाया गया है. यह बात पन्ना विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी बृजेन्द्र प्रताप सिंह  ने  अजयगढ़ नगर के समस्त वार्डों में जन सम्पर्क के दौरान कही। मतदाताओं से मिल रहे व्यापक समर्थन और स्नेह से उत्साहित भाजपा प्रत्याशी ने लोगों को आश्वस्त किया कि वे उनकी उम्मीदों पर खरा उतरेंगे तथा उन्हें निराश नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं का उत्साह हमारा आत्मविश्वास और समाज के सभी वर्गों के लिये हमारी सरकार द्वारा किये गये कार्य इस बात का प्रमाण है कि हम 2018 के विधानसभा चुनाव में भारी विजय की ओर बढ़ चले है। पार्टी का प्रत्येक कार्यकर्ता सेनापति है और यह सेनापति हमारी सामुहिक ताकत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं को वर्षो तक सेवा का मौका मिला, लेकिन उन्होंने जनता की सेवा नहीं की यही कारण है कि प्रदेश में विकास रूका रहा। लेकिन भाजपा सरकार और मेरा संकल्प है कि विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिये सदैव काम करूंगा। जन सम्पर्क के दौरान भाजपा प्रत्याशी ने बुजुर्गो का आशीर्वाद लिया और महिलाओं ने तिलक लगाकर विजय का आशीर्वाद दिया।विकास के लिए समर्पित उच्च शिक्षित और ऊर्जावान युवा प्रत्यासी  पाकर विधानसभा क्षेत्र के युवाओं में भी गजब का उत्साह नजर आ रहा है।

विकास पुरुष की बन चुकी है छवि 

राज्य मंत्री के रूप में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जी से मिलते हुए बृजेन्द्र प्रताप सिंह 
प्रदेश शासन के पूर्व मंत्री और पवई क्षेत्र के विधायक रह चुके बृजेन्द्र प्रताप सिंह की छवि उनके द्वारा कराये गये विकास कार्यों के कारण विकास पुरुष के रूप में निर्मित हो चुकी है। इस चुनाव में पार्टी द्वारा उन्हें पन्ना विधान सभा क्षेत्र से प्रत्यासी बनाया गया है जिससे क्षेत्र के मतदाताओं में भारी उत्साह है। लोगों में उम्मीद जागी है कि  हमेशा से उपेक्षित रहे इस इलाके में भी अब विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। यही वजह है कि चुनाव में लोग जातिवाद और संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठकर विकास के लिए वोट करने का मन बना रहे हैं। जनसम्पर्क और चुनाव प्रचार के दौरान समूचे विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह से भाजपा प्रत्यासी बृजेन्द्र प्रताप सिंह को अभूतपूर्व समर्थन और जनता का स्नेह मिल रहा है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि क्षेत्र के आम मतदाता विकास चाहते हैं।  
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Tuesday, November 20, 2018

गरीबी,बेरोजगारी और कुपोषण पन्ना जिले की बड़ी समस्या

  •  ज्यादातर इलाकों में बुनियादी और मूलभूत सुबिधाओं का अभाव
  •  चुनाव  प्रचार में गायब हैं विकास व जनता से जुड़े अहम मुद्दे



जिला मुख्यालय पन्ना स्थित महेंद्र भवन जहाँ कलेक्टर कार्यालय सहित अन्य शासकीय दफ्तर हैं। 


।। अरुण सिंह।।

पन्ना। बहुमूल्य हीरों की खान और बाघों की धरती के नाम से प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र का पन्ना जिला विकास की विपुल संभावनाओं के बावजूद पिछड़ा और उपेक्षित है। वन और खनिज सम्पदा से समृद्ध इस जिले के ग्रामीण अंचलों में आज भी बुनियादी और मूलभुत सुविधाओं का अभाव है। गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण और पलायन की समस्या से पन्ना जिले की एक बड़ी आबादी जूझ रही है।, जिन्हें आत्म निर्भर और स्वाबलंबी बनाने की दिशा में कोई ठोस पहल व प्रयास नहीं हुये। 

पन्ना जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं, इनमें पन्ना व गुनौर से भाजपा के विधायक हैं, जबकि पवई सीट से कांग्रेस विधायक हैं। जिले की तीनों विधानसभा में कुल 891 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं। जहां जिले के 6 लाख 98 हजार 551 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।



पन्ना विधानसभा क्षेत्र


जिले की पन्ना विधानसभा सीट से वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा की सुश्री कुसुम सिंह महदेले लगभग 29 हजार मतों के अन्तर से चुनाव जीती थीं, जिन्हें शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। लेकिन अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने ऐसी कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर सकीं जिसका उल्लेख किया जा सके। यही वजह है कि जन असंतोष को देखते हुये उनकी टिकिट काटकर पवई क्षेत्र के पूर्व विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह को पन्ना से भाजपा ने उतारा है। इनके मुकाबले में कांग्रेस ने साफ-सुथरी छवि वाले नये और युवा प्रत्याशी शिवजीत ङ्क्षसह को मौका दिया है। इस बार के चुनाव में भी परम्परागत रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होने के आसार दिख रहे हैं, लेकिन बसपा प्रत्याशी अनुुपमा चरण सिंह यादव जातिगत समीकरण व बसपा के परम्परागत वोट बैंक के सहारे मुकाबले को रोमांचक बनाने का प्रयास कर रही हैं। पन्ना सीट से सर्वाधिक 19 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

पवई विधानसभा क्षेत्र

हमेशा सुॢखयों में रहने वाली जिले की पवई विधानसभा सीट में भी त्रिकोणीय मुकाबला होने के पूरे आसार हैं पर कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मुकेश नायक को ही जहां प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर पिछड़ा वर्ग से प्रहलाद लोधी को टिकिट दिया है। पवई क्षेत्र के चुनाव में रोमांच पैदा कर दोनों ही प्रमुख दलों को चिन्ता में डालने वाला प्रत्याशी भुवन विक्रम सिंह है, जिसे सपा ने प्रत्याशी बनाया है। लंदन में उच्च शिक्षा हासिल करने वाला 28 वर्षीय इय युवा प्रत्याशी को राजनीतिक जमीन विरासत में मिली है। इनके पिता कुँवर अशोक वीर विक्रम ङ्क्षसह पवई क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं। बसपा प्रत्याशी सीताराम पटेल जातिगत वोट बैंक के सहारे मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने के प्रयास में जुटे हैं। पवई विधानसभा सीट से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं।

गुनौर विधानसभा क्षेत्र

जिले की एकमात्र सुरक्षित विधानसभा सीट का इतिहास रहा है कि यहां से कोई भी व्यक्ति दूसरी बार विधायक नहीं बन पाया है। इस सीट पर बसपा का भी अच्छा खास प्रभाव है। इसलिये परम्परागत रूप से कांग्रेस, भाजपा व बसपा प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा। कांग्रेस ने जहां शिवदयाल बागरी को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने इस क्षेत्र के पूर्व विधायक राजेश वर्मा को एक बार फिर मौका दिया है। जबकि बसपा ने अपने पुराने प्रत्याशी जीवन लाल सिद्धार्थ पर ही विश्वास जताया है। वर्ष 2013 के चुनाव में शिवदयाल बागरी कांग्रेस मामूली अन्तर से चुनाव हारे थे, जो इस बार पूरे दम खम के साथ मैदान में हैं। भाजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा चूंकि विधायक रह चुके हैं, इसलिये उन्हें अपने कार्यकाल का असंतोष झेलना पड़ रहा है। इस सीट में ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिस पार्टी को इस वर्ग का समर्थन मिल जाता है जीत उसी की होती है। गुनौर सीट से इस चुनाव में कुल 4 प्रत्याशी हैं।


पन्ना जिले के प्रमुख मुद्दे

  •   बेरोजगारी और पलायन कई दशकों से प्रमुख मुद्दा है।
  •   स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, उच्च शिक्षण संस्थाओं की कमी भी बड़ा मुद्दा।
  •   हीरा, मन्दिर व ऐतिहासिक महत्व के अनेकों स्थलों के बावजूद पर्यटन स्थल के रूप में पन्ना का विकास नहीं हो सका।
  •   रेत व पत्थर खदानों में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन तथा पर्यावरण को नुकसान बड़ा मुद्दा।
  •   वन व राजस्व सीमा का दशकों से चल रहा विवाद।
  •   केन-बेलवा लिंक परियोजना से पन्ना टाईगर रिजर्व को हो रहा नुकसान।

वायदे जो नहीं हो सके पूरे

  •   डायमण्ड पार्क की स्थापना की वर्षों पुरानी माँग आज भी पूरी नहीं हो सकी।
  •   पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोलने का वायदा मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले ने किया था जो पूरा नहीं हुआ।
  •   पन्ना में फारेस्ट ट्रेनिंग  सेन्टर व फूड प्रोसेसिंग  प्लांट स्थापित करने का वायदा भी अधूरा है।
  •   मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी, जिसे पूरा नहीं किया गया।
  •   पन्ना के निकट स्थित पुराने बन्द हो चुके सकरिया हवाई पट्टी को चालू करने का वायदा भी अधूरा है।

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मंत्री सुश्री महदेले ने ट्वीट कर फिर उठाये सवाल

    • स्टार प्रचारक उमा भारती की राजनैतिक हैसियत पर कसा तंज
    • आक्रामक बयानों बुन्देलखण्ड क्षेत्र का गरमाया राजनितिक माहौल 
    • अरुण सिंह, पन्ना। प्रदेश सरकार  की कैबिनेट मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले के आक्रामक तेवरों और उनके द्वारा लगातार  किए जा रहे ट्वीट से बुंदेलखंड क्षेत्र का राजनितिक माहौल गर्मा गया है। भाजपा की स्टार प्रचारक केंद्रीय मंत्री उमा भारती की राजनैतिक हैसियत पर सवाल उठाते हुए आपने तंज कसा है कि अब वे राष्ट्रीय नेता नहीं बची हैं। उनका उपयोग अब पार्टी द्वारा सिर्फ लोधी समाज को ठिकाने लगाने के लिए किया जा रहा है। सुश्री महदेले के इस ताजे ट्वीट से भाजपा में हड़कंप मचा है। मालुम हो कि भाजपा की स्टार प्रचारक उमा भारती  ने सोमवार 19 नवम्बर को पन्ना जिले की तीनो विधान सभा सीटों के लोधी बहुल इलाकों में चुनावी सभाओं को संबोधित कर भाजपा प्रत्याशियों को जिताने की अपील की थी। उमा भारती की चुनावी सभाओं के तुरन्त बाद शाम लगभग 7 बजे सुश्री महदेले ने ट्वीट करके भाजपा प्रत्याशियों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। उनका यह ट्वीट सोसल मीडिया में वायरल हो चूका है, जिस पर तरह - तरह की प्रतिक्रियाऐं व् कमेन्ट आ रहे हैं। 



उल्लेखनीय है कि भाजपा की फायर ब्रांड नेत्री उमा भारती ने 19 नवम्बर को पन्ना जिले की तीनो विधान सभा सीटों पवई, गुनौर  पन्ना में चुनावी सभाओं को सम्बोधित कर भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार किया था। मालूम हो कि पन्ना जिले की कद्दावर नेता कुसुम सिंह महदेले को पार्टी ने इस बार टिकिट नहीं दिया, जिससे वे नाखुश हैं। उनकी सीट से भाजपा ने पवई क्षेत्र के पूर्व विधायक  मंत्री रहे ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह को प्रत्यासी बनाया है। सोमवार को उमा भारती जब पन्ना सीट से भाजपा प्रत्यासी बृजेन्द्र प्रताप सिंह के पक्ष में लोधी बहुल इलाके खोरा में चुनावी सभा को सम्बोधित करने पहुंची तो मंत्री महदेले भड़क गईं और उमा भारती पर निशाना साधते हुए उनकी राजनैतिक हैसियत पर तीखे अंदाज में सवाल उठा दिये। विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच मंत्री कुसुम महदेले के चुभते सवालों और आक्रामक तेवरों से जहाँ भाजपा में हड़कंप मच गया है वहीँ चुनाव मैदान में उतरे पार्टी प्रत्याशियों की मुश्किलें भी बढ़ गईं हैं। मंत्री महदेले के स्वभाव और मिज़ाज से वाकिफ़ लोगों का मानना है कि वे टिकिट वितरण में अपनी हुई उपेक्षा को सहजता से स्वीकार करके शांत बैठने वाली नहीं हैं। इस बुजुर्ग भाजपा नेत्री के आक्रामक बयानों और लगातार किए गए कई ट्वीटों से उन्होंने अपने इरादों को जाहिर कर दिया है की इस चुनाव में उनकी क्या भूमिका रहेगी। सुश्री महदेले के तीखे बयानों से  न सिर्फ पन्ना जिला अपितु समूचे बुंदेलखंड के राजनीतिक समीकरणों व चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ सकता है।
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Monday, November 19, 2018

जनधन खाते खाली, नहीं आये 15 लाख: अखिलेश यादव

  • मध्यप्रदेश में इस बार नहीं बनेगी भाजपा  सरकार 
  • सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बिसानी की आम सभा में किया दावा 



 पवई विधान सभा क्षेत्र के बिसानी में आयोजित आमसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश सिंह यादव


।। अरुण  सिंह ।।

पन्ना। म.प्र. की भाजपा सरकार ने आम जनता को हर कदम पर धोखा दिया है, इसलिये इस बार यहां भाजपा की सरकार नहीं बनने वाली। यह बात सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश सिंह यादव ने पन्ना जिले की पवई विधान सभाक्षेत्र के बिसानी में आयोजित आमसभा को संबोधित करते हुये कही। उन्होने कहा कि बीते 15 साल में न तो किसानों की आय दोगुनी हुई और न ही युवाओं को रोजगार मिला। जनधन खाते खुलवाने वाले गरीबों के खाते में 15 लाख रू. भी नहीं आये। नोटबंदी से गरीब किसान और छोटे व्यापारी बर्बाद हो गये हैं।
अपने 40  मिनट से भी अधिक लंबे भाषण में कहा कि मैं एक उच्च शिक्षित युवा के लिये मदद मांगने आया हूॅ। जिसने वहां शिक्षा हासिल की है, जिन्होने पूरी दुनिया में राज किया हैं। श्री यादव ने पवई क्षेत्र के सपा प्रत्यासी भुवन विक्रम सिंह की ओर इशारा करते हुये कहा कि इतना पढ़ा लिखा और अपनी जन्म भूमि के लोगों को खुशहाल बनाने की सोच वाला प्रत्यासी किसी अन्य दल में नहीं मिलेगा।

बिसानी की विशाल  आम सभा में उपस्थित जन समुदाय।

विशाल आम सभा को सम्बोधित करते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस इलाके में विकास की अच्छी संभावनायें हैं, यहां की जमीन उर्बर हैं तथा किसान मेहनती हैं। फिर भी यह क्षेत्र सबसे ज्यादा पिछडा हैं। कुपोषण और शिशु व मातृ मृत्यु दर के मामले में म.प्र. सबसे आगे हैं। किसान आत्म हत्या करने को मजबूर हो रहे हैं और प्रधानमंत्री विदेश घूम रहे हैं। उन्होने कहा कि यह इलाका टाईगर का हैं और टाईगर के इलाके में रहने वाले लोग कमजोर नहीं हो सकते। आपने अपील करते हुये कहा कि पवई क्षेत्र के विकास व खुशहाली के लिये सपा प्रत्यासी भुवन विक्रम सिंह जैसे पढ़े लिखे नौजवान को जितायें।ताकि इस पिछड़े इलाके में विकास और बदलाव की बयार बहे तथा लोगो की जिंदगी में खुशहाली आये.अखिलेश यादव ने कहा की यह अजब संयोग है कि इनके पिता स्वर्गीय अशोक वीर विक्रम सिंह जी को मेरे पिता मुलायम सिंह ने टिकिट देकर पवई से चुनाव लड़ाया था ,और वे यहाँ से चुनाव जीतकर विधायक बने थे.अब मुझे मौका मिला है इसलिए पिता की राजनीतिक विरासत को सँभालने तथा उसे सजाने और सँवारने के लिए मैंने भुवन विक्रम जैसे उच्च शिक्षित और होनहार युवक को टिकिट दी है।   सभा में उमड़ी भारी भीड़ को  देख अखिलेश सिंह यादव काफी  उत्साहित दिखे,और जनता की ओर मुखातिब होकर अनुरोध किया कि आप लोग भुवन विक्रम को जिताएं यह आप लोगों को निराश नहीं करेगा।

पवई  का विकास मेरा लक्ष्य - भुवन विक्रम



आमसभा को सपा प्रत्याशी भुवन विक्रम सिंह ने  संबोधित करते हुए कहा कि मेरे पिता की यह कर्मभूमि है,इस क्षेत्र के विकास हेतु वे जो नहीं कर पाए उसे पूरा करने का काम मैं करूँगा। आपने कहा कि मौजूदा समय पवई  क्षेत्र
हर मामले में पीछे है.शिक्षा ,स्वस्थ्य की स्थिति बदहाल है। ज्यादातर ग्रामो में कोई चिकित्सा सुविधा नहीं है। जहां अस्पताल हैं भी तो वहां डाक्टर नहीं हैं। किसानो की यह हालत है की बारिश में बाढ़ की चिंता और बारिश के बाद सूखे की चिंता सताती है। किसानो को उनकी उपज का सही दाम नहीं मिल रहा ,अराजकता और भ्रष्टाचार से आम जन व किसान त्रस्त हैं। सपा प्रत्यासी ने कहा कि यदि आप लोगों ने मुझ पर विश्वास जताया तो मैं आपके
विश्वास को टूटने नहीं दूंगा। पवई विधान सभा क्षेत्र के बिसानी में आयोजित इस विशाल आमसभा में पूर्व विधायक आशारानी सिंह, यशवंत कुमारी,सुप्रसिद्ध लोकगीत गायक देशराज पटेरिया सहित सपा के नेता, पदाधिकारी व  भारी भीड़ मौजूद रही।  
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Saturday, November 17, 2018

चुनाव प्रचार में आखिर क्यों गायब हैं असल मुद्दे?

  •  जनता से जुड़े मुद्दों पर हावी है पैसा और जातीय समीकरण  
  • मंहगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार अहम मुद्दे
  •   जनता की समस्याओं से प्रत्याशियों को नहीं है कोई सरोकार



अरुण सिंह, पन्ना। बेशकीमती हीरों की खान और बुन्देल-   केशरी महाराज छत्रसाल की वीर गाथाओं के लिये प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के पन्ना जिले की तीनों विधानसभा सीटों में चुनाव प्रचार अब जोर पकडऩे लगा है। चुनाव के लिये जिले की तीनों विधानसभाओं में कुल 891 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं, जहां जिले के 6 लाख 98 हजार 551 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। चुनाव चिह्न आवंटन के साथ ही चुनाव के मैदान में उतरे महारथियों व उनके बीच होने वाले मुकाबले की तस्वीर स्पष्ट हो गई है। जिले के पन्ना विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक 19 प्रत्याशी चुनाव के मैदान में हैं, जबकि सबसे कम गुनौर विधानसभा क्षेत्र में महज 4 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। हमेशा सुॢखयों में रहने वाली जिले की पवई विधानसभा सीट से 14 प्रत्याशी चुनाव अखाड़े में उतरकर ताल ठोंक रहे हैं।

विधानसभा के इस चुनाव में प्रत्याशियों की तस्वीर साफ हो जाने तथा प्रमुख राजनीतिक दलों के चुनाव प्रचार अभियान पर यदि नजर डाली जाये तो साफ दिखाई देता है कि हर प्रत्याशी की लालसा येन केन प्रकारेण चुनाव जीतना है, इसके लिये उसे चाहे जो हथकण्डे अपनाना  पड़े, इससे उसे कोई गुरेज नहीं है। चुनाव प्रचार के प्रारंभिक दौर में आम जनता की समस्याओं व विकास से जुड़े मुद्दे गायब हैं। जनता से जुड़े यहां के असल मुद्दों पर पैसे की खनक और जातीय समीकरण हावी हैं। चुनाव में पैसे के प्रभाव व असर का यह आलम है कि कल तक क्षेत्र के मतदाता जिसे जानते व पहचानते तक नहीं थे, अचानक सैकड़ों किमी. दूर दूसरे जिला ही नहीं अपितु दूसरे प्रान्त के प्रत्याशी ने एक राजनीतिक दल का टिकिट हासिल करके पन्ना विधानसभा क्षेत्र के चुनावी अखाड़े में हलचल पैदा कर दी है। इस धना ढ्य बाहुबली प्रत्याशी के आने से जातिवाद की हवा जहां तेज होने लगी है, वहीं सामाजिक समरसता और भाईचारे का माहौल भी दूषित हो रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिले के अहम व असल मुद्दों तथा आम जनता की समस्याओं और तकलीफों से प्रत्याशियों को दूर-दूर तक कहीं कोई सरोकार नहीं है। उनका एक मात्र लक्ष्य चुनाव में फतह हासिल करना है, इसके लिये उन्हें चाहे जैसा जोड़-तोड़ करना पड़े उसके लिये वे तत्पर नजर आ रहे हैं।

मालुम हो कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र का यह जिला प्राकृतिक व खनिज सम्पदा से समृद्ध है, बावजूद इसके यहां का अपेक्षित विकास नहीं हुआ। जिले में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति जहां बदहाल है, वहीं गरीबी, बेरोजगारी  और भ्रष्टाचार से आम जन त्रस्त हैं। जिले के शिक्षित युवा मतदाताओं की सबसे बड़ी चिन्ता जहां रोजगार को लेकर है वहीं गृहणियां व बुजुर्ग महिलायें चाहती हैं कि सुरसा की तरह मुँह फैलाकर बढऩे वाली मंहगाई पर लगाम लगे। लेकिन विचारणीय और चिन्ता की बात यह है कि किसी भी प्रत्याशी के पास युवा मतदाताओं व गृहणियों का समर्थन हासिल करने के लिये कोई स्पष्ट नीति व विजन नहीं है। जिससे जिले का मतदाता भ्रमित और ऊहा पोह की स्थिति में है। चुनाव में यदि जनता से जुड़े अहम मुद्दों को राजनीतिक दलों व प्रत्याशियों द्वारा अनदेखा किया गया तो हमेशा की तरह इस बार भी जाति और विचारधारा के आधार पर वोट पड़ सकते हैं। नतीजतन इस साँचे में फिट बैठने वाला कोई भी प्रत्याशी योग्यता और काबलियत को दरकिनार करते हुये चुनाव जीत सकता है। जाहिर है कि इन हालातों में विकास और बदलाव के सपने साकार नहीं होंगे।
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Thursday, November 15, 2018

शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण बने सुनहरे भविष्य का आधार

  •  रेत के अवैध उत्खनन से संकट में है केन नदी का वजूद
  •  अनियंत्रित और अवैध उत्खनन से हो रही पर्यावरण को अपूर्णीय क्षति 



 प्रकृति की अनुपम सौगात पन्ना का खूबसूरत जंगल।


।। अरुण सिंह, पन्ना ।।

बुन्देलखण्ड क्षेत्र के पन्ना जिले को प्रकृति ने अनमोल सौगातों से नवाजा है। लेकिन प्रकृति प्रदत्त इन सौगातों का जनहित व जिले के विकास में रचनात्मक उपयोग करने के बजाय निहित स्वार्थों के वशीभूत होकर हमने यहां की खनिज व वन सम्पदा का बेरहमी के साथ सिर्फ दोहन किया है। बड़े पैमाने पर रेत के हो रहे अवैध उत्खनन से केन नदी का सीना जहां छलनी हो रहा है, वहीं जिले का खूबसूरत समृद्ध वन क्षेत्र भी तेजी के साथ उजड़ रहा है। इन हालातों के चलते केन किनारे के ग्रामों में जल का स्तर जहां नीचे खिसकने लगा है वहीं पर्यावरण बिगडऩे से कई तरह की समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं। इस जिले की भौगोलिक स्थिति को देखते हुये समृद्धि और खुशहाली का रास्ता अवैध उत्खनन से नहीं अपितु शिक्षा के विकास व पर्यावरण संरक्षण से ही निकल सकता है। शिक्षा के आलोक से ही इस पिछड़े जिले के नौनिहालों का भविष्य संवारा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले की प्राकृतिक खूबियां जो इस जिले के लिये वरदान साबित हो सकती थीं, अपने निहित स्वार्थों के चलते खनन माफियाओं ने इन खूबियों को अभिशाप में तब्दील कर दिया है। सक्षम और योग्य नेतृत्व के अभाव में इस क्षेत्र के हितों को हमेशा नजरअंदाज किया गया है। मालुम हो कि पन्ना जिले की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि, यहां के समृद्ध जंगल व बेहतर पर्यावरण को दृष्टिगत रखते हुये जिले के विचारशील लोगों द्वारा यह माँग रखी गई थी कि पन्ना को कोटा की तर्ज पर शिक्षा का हब बनाया जाये तथा पर्यटन के विकास हेतु प्रभावी और कारगर पहल की जाये। ऐसा करने से जहां रोजगार के नये अवसरों का सृजन होगा वहीं पर्यावरण की भी सुरक्षा होगी।

पन्ना की जीवन रेखा है केन नदी

 

पन्ना जिले से प्रवाहित होने वाली केन नदी।


 पन्ना की जीवनरेखा है केन नदी सात पहाडों का सीना चीरकर प्रवाहित होने वाली केन नदी को पन्ना जिले की जीवन रेखा कहा जाता है। तमाम तरह की विशिष्टताओं व रहस्यों से परिपूर्ण केन नदी म.प्र. की एक मात्र ऐसी नदी है जो प्रदूषण से मुक्त है। यह अनूठी नदी अपने प्रवाह क्षेत्र में पत्थरों पर चित्रकारी करते हुये बहती है। चित्रकारी वाले इन पत्थरों को बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लोग शजर कहते हैं। उल्लेखनीय है कि शजर एक अनोखा पत्थर होता है, ऊपर से बदरंग दिखने वाले इस पत्थर को जब मशीन में तराशते हैं तो इसमें झाडिय़ों, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, मानव और जलधारा के विभिन्न रंगीन चित्र देखने को मिलते हैं। आकर्षक चित्रकारी वाला यह पत्थर पन्ना जिले के अजयगढ़ कस्बे से लेकर उ.प्र. में बांदा जिले के कनवारा गांव तक पाया जाता है। पन्ना जिले में पण्डवन नामक स्थान में केन नदी का अद्भुत नजारा देखते ही बनता है। इस जगह पर पतने, व्यारमा व मिढ़ासन सहित पांच नदियां केन में मिलती हैं। नदियों के इस संगम में पत्थरों की विस्मय बिमुग्ध कर देने वाली आकृतियां नजर आती हैं।

 बदल रहा है केन का नैसर्गिक  स्वभाव


 केन नदी के कंचन जल में मगर व घडियाल जैसे सरीसृप व विभिन्न प्रजाति की मछलियां पाई जाती हैं, वहीं जंगल में विचरण करने वाले शाकाहारी व मांसाहारी वन्य प्रांणियों की जिन्दगी का भी यह नदी आधार है। केन नदी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह घने जंगलों व पहाडों से होकर प्रवाहित होती है, फलस्वरूप यह नदी प्रदूषण से मुक्त है। इसकी वजह यह है कि केन नदी का प्रवाह क्षेत्र मानव आबादी से दूर है। लेकिन अब बढ़ती आबादी के साथ-साथ इस नदी पर भी खतरा मंडराने लगा है। बालू के अवैध व अनियंत्रित उत्खनन से नदी के नैसर्गिक स्वभाव में बदलाव आना शुरू हो गया है। बालू की अत्यधिक निकासी से जल स्तर तेजी से जहां गिर रहा है वहीं नदी किनारे के ग्रामों में भी जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि केन नदी से बड़े पैमाने पर हो रहे रेत के उत्खनन से घडिय़ालों का वजूद जहां संकट में पड़ सकता है, वहीं केन नदी की खूबी भी तिरोहित हो सकती है। इसलिये समय रहते अवैध उत्खनन व पर्यावरण के साथ होने वाले खिलवाड़ पर प्रभावी रोक लगाया जाना चाहिये ताकि केन अपने प्राकृतिक स्वरूप में प्रवाहित होती रहे।

Monday, November 5, 2018

मूर्तरूप ले रही जन समर्थन से बाघ संरक्षण की सोच

  •  पन्ना टाईगर रिजर्व में अब तक आयोजित हो चुके 157 नेचर कैम्प
  •   स्कूली बच्चे इन कैम्पों के जरिये जंगल की निराली दुनिया से हो रहे रूबरू
  •   प्रकृति की पाठशाला में जाकर अब तक 4847 बच्चे बन चुके हैं पर्यावरण प्रेमी


संवाद सम्मेलन में पन्ना नेचर कैम्पस पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन करते अतिथिगण।  फोटो - अरुण सिंह 


अरुण सिंह,पन्ना। अपने अभिनव प्रयोगों और अनूठी गतिविधियों के लिये देश और दुनिया में ख्याति अॢजत कर चुके म.प्र. के पन्ना टाईगर रिजर्व में जन समर्थन से बाघ संरक्षण की सोच अब धीरे-धीरे मूर्त रूप ले रही है। विगत 8 वर्ष पूर्व तक जो लोग पन्ना टाईगर रिजर्व व बाघों सहित वन्य जीवों के संरक्षण का मुखर विरोध करते हुये टाईगर रिजर्व को विकास में सबसे बड़ी बाधा मान रहे थे, वे भी अब पन्ना टाईगर रिजर्व को एक अनमोल धरोहर के रूप में मान्यता देने लगे हैं। पन्नावासियों विशेषकर युवा पीढ़ी की सोच में आ रहे इस सकारात्मक बदलाव के पीछे बाघ पुनस्र्थापना योजना को मिली चमत्कारिक सफलता व बीते 8 वर्षों के दौरान लगातार आयोजित किये गये नेचर कैम्प हैं, जिनमें भाग लेकर हजारों स्कूली बच्चों तथा नागरिकों ने जंगल की निराली दुनिया से रूबरू होकर मानव जीवन में प्रकृति और पर्यावरण की महत्ता का पाठ पढ़ा। प्रकृति के बीच जाकर बच्चों ने यह जाना कि सह अस्तित्व में ही सबकी भलाई है, प्रकृति से लड़कर हम अपने वजूद को भी सुरक्षित नहीं रख पायेंगे।
जन समर्थन से बाघ संरक्षण की सोच को गति प्रदान करने वाली गतिविधि पन्ना नेचर कैम्प के सफलतम 8 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में रविवार 4 नवम्बर को डाईट सभागार में संवाद कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अनूठे कार्यक्रम में उन सभी प्रतिभागी बच्चों को आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने नेचर कैम्प में भाग लिया है। इस मौके पर पन्ना टाईगर रिजर्व के पूर्व क्षेत्र संचालक जिनकी अथक मेहनत, टीम वर्क व जुनून के बलबूते बाघ पुनस्र्थापना योजना को कामयाबी मिली, वे भी मौजूद रहे। टाईगर मैन के रूप में चॢचत हो चुके आर. श्रीनिवास मूर्ति सदस्य सचिव म.प्र. जैव विविधता बोर्ड भोपाल ने नेचर कैम्प के अनुभवों को बच्चों के साथ साझा किया। कार्यक्रम में श्रीमती संगीता सक्सेना राज्य निर्देशक विश्व प्रकृति निधि भारत, क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के.एस. भदौरिया, उप संचालक वासु कनौजिया तथा हमारे बाघों की वापसी पुस्तक के लेख पियूष शेखसरिया की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

नेचर कैम्प की 8 वर्ष पूर्व हुई थी शुरूआत


 कार्यक्रम में मौजूद नेचर कैम्प के प्रतिभागी बच्चे व नागरिक।

प्रकृति और पर्यावरण तथा जैव विविधता के संबंध में आम जन मानस में जागरूकता पैदा हो, इस मंशा को लेकर पन्ना टाईगर रिजर्व में म.प्र. स्थापना दिवस 1 नवम्बर 2010 को नेचर कैम्प की शुरूआत हुई थी। पहले नेचर कैम्प में वन्य प्राणी संरक्षण सप्ताह के विजेता प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। शुरूआती सभी नेचर कैम्पों में तत्कालीन क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति स्वयं शामिल होकर प्रतिभागी बच्चों को अपने रोचक व निराले अंदाज में जंगल की निराली और रोमांचक दुनिया से रूबरू कराया। आपकी ही पहल पर नेचर कैम्प से दो बुजुर्ग शिक्षक अम्बिका प्रसाद खरे व देवीदत्त चतुर्वेदी भी जुड़े। इनकी विशेष अभिरूचि व सक्रियता से नेचर कैम्प बच्चों में बेहद लोकप्रिय हुआ और उसकी निरन्तरता बनी रही। अब तक कुल 157 कैम्प आयोजित हो चुके हैं, जिनमें विभिन्न स्कूलों के 4847 बच्चों ने भाग लिया है।

समारोह में पुस्तक का हुआ विमोचन


पन्ना टाईगर रिजर्व व विश्व प्रकृति निधि भारत के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित संवाद सम्मेलन में पन्ना नेचर कैम्प के 8 वर्ष पुस्तक का विमोचन भी हुआ। पन्ना नेचर कैम्प की शुरूआत व सफलतम 8 वर्ष पूरे होने की गाथा को समेटे यह लघु पुस्तिका काफी रोचक व आकर्षक है, जिसका विमोचन संवाद सम्मेलन में मौजूद दो बच्चों से कराया गया। इस मौके पर बच्चों से संवाद करते हुये श्री मूर्ति ने कहा कि जब तक हम किसी चीज को देखते व समझते नहीं तब तक उससे लगाव व नफरत नहीं हो सकता। आपने कहा कि हवा, पानी व भोजन यह सब हमें जंगल से मिलता है, इसकी समझ नई पीढ़ी में आनी चाहिये ताकि वे जंगल को धरोहर की तरह संरक्षित करने के लिये प्रेरित हो सकें। आपने बताया कि जैव विविधता के लिये पूरे प्रदेश में रणनीति बन रही है, इस दिशा में पन्ना का नेचर कैम्प एक बहुत बड़ा आयाम है।
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Saturday, November 3, 2018

नदी जो पत्थरों में करती है रंगीन चित्रकारी

  • सात पहाडों का सीना चीरकर बहती है केन नदी 
  • पन्ना टाइगर रिजर्व की जीवन रेखा है केन 


पन्ना टाइगर रिज़र्व से होकर गुजरने वाली केन नदी का मनोरम द्रश्य। 


अरुण सिंह, पन्ना। सात पहाडों का सीना चीरकर प्रवाहित होने वाली केन नदी को पन्ना टाइगर रिजर्व की जीवन रेखा कहा जाता है. तमाम तरह की विशिष्टताओं व रहस्यों से परिपूर्ण केन नदी म.प्र. की एक मात्र ऐसी नदी है जो प्रदूषण से मुक्त है. यह अनूठी नदी अपने प्रवाह क्षेत्र में पत्थरों पर चित्रकारी करते हुए बहती है, चित्रकारी वाले इन पत्थरों को बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लोग शजर कहते हैं.
उल्लेखनीय है कि शजर एक अनोखा पत्थर होता है, ऊपर से बदरंग दिखने वाले इस पत्थर को जब मशीन में तराशते हैं तो इसमें झाडिय़ों, पेड़ - पौधों, पशु - पक्षियों, मानव और जलधारा के विभिन्न रंगीन चित्र देखने को मिलते हैं. आकर्षक चित्रकारी वाला यह पन्ना जिले के अजयगढ़ कस्बे से लेकर उ.प्र. में बांदा जिले के कनवारा गांव तक पाया जाता है. पन्ना जिले में पण्डवन नामक स्थान में केन नदी का अद्भुत नजारा देखते ही बनता है. इस जगह पर पतने, व्यारमा व मिढ़ासन सहित पांच नदियां केन में मिलती हैं. नदियों के इस संगम में पत्थरों की विस्मय बिमुग्ध कर देने वाली आकृतियां नजर आती हैं. पण्डवन से होते हुए केन पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच से तकरीबन 55 किमी. तक प्रवाहित होती है, इस नदी को पन्ना टाइगर रिजर्व की जीवन रेखा भी कहा जाता है. केन नदी के कंचन जल में मगर व घडियाल जैसे सरीसृप व विभिन्न प्रजाति की मछलियां पाई जाती हैं, वहीं जंगल में विचरण करने वाले शाकाहारी व मांसाहारी वन्य प्रांणियों की जिन्दगी का भी यह नदी आधार है.

केन नदी की धार से रेत निकालती पोकलेन मशीन। 

केन नदी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह घने जंगलों व पहाडों से होकर प्रवाहित होती है, फलस्वरूप यह नदी प्रदूषण से मुक्त है. इसकी वजह यह है कि केन नदी का प्रवाह क्षेत्र मानव आबादी से दूर है. लेकिन अब बढ़ती आबादी के साथ - साथ इस नदी पर भी खतरा मंडराने लगा है. बालू के अवैध व अनियंत्रित उत्खनन से भी नदी के नैसर्गिक स्वभाव में बदलाव आना शुरू हो गया है. बालू की अत्यधिक निकासी से जल स्तर तेजी से जेहां गिर रहा है वहीं नदी किनारे के ग्रामों में भी जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है. पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि केन नदी से बड़े पैमाने पर हो रहे रेत के उत्खनन से घडियालों का वजूद जहां संकट में पड़ सकता है, वहीं केन नदी की खूबी भी तिरोहित हो सकती है. इसलिए समय रहते अवैध उत्खनन व पर्यावरण के साथ होने वाले खिलवाड़ पर प्रभावी रोक लगाया जाना चाहिए ताकि केन  अपने प्राकृतिक स्वरूप में प्रवाहित होती रहे.