- ज्यादातर इलाकों में बुनियादी और मूलभूत सुबिधाओं का अभाव
- चुनाव प्रचार में गायब हैं विकास व जनता से जुड़े अहम मुद्दे
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जिला मुख्यालय पन्ना स्थित महेंद्र भवन जहाँ कलेक्टर कार्यालय सहित अन्य शासकीय दफ्तर हैं। |
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अरुण सिंह।।
पन्ना। बहुमूल्य हीरों की खान और बाघों की धरती के नाम से प्रसिद्ध मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र का पन्ना जिला विकास की विपुल संभावनाओं के बावजूद पिछड़ा और उपेक्षित है। वन और खनिज सम्पदा से समृद्ध इस जिले के ग्रामीण अंचलों में आज भी बुनियादी और मूलभुत सुविधाओं का अभाव है। गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण और पलायन की समस्या से पन्ना जिले की एक बड़ी आबादी जूझ रही है।, जिन्हें आत्म निर्भर और स्वाबलंबी बनाने की दिशा में कोई ठोस पहल व प्रयास नहीं हुये।
पन्ना जिले में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं, इनमें पन्ना व गुनौर से भाजपा के विधायक हैं, जबकि पवई सीट से कांग्रेस विधायक हैं। जिले की तीनों विधानसभा में कुल 891 मतदान केन्द्र बनाये गये हैं। जहां जिले के 6 लाख 98 हजार 551 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।
पन्ना विधानसभा क्षेत्र
जिले की पन्ना विधानसभा सीट से वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा की सुश्री कुसुम सिंह महदेले लगभग 29 हजार मतों के अन्तर से चुनाव जीती थीं, जिन्हें शिवराज कैबिनेट में मंत्री बनाया गया। लेकिन अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने ऐसी कोई उपलब्धि हासिल नहीं कर सकीं जिसका उल्लेख किया जा सके। यही वजह है कि जन असंतोष को देखते हुये उनकी टिकिट काटकर पवई क्षेत्र के पूर्व विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह को पन्ना से भाजपा ने उतारा है। इनके मुकाबले में कांग्रेस ने साफ-सुथरी छवि वाले नये और युवा प्रत्याशी शिवजीत ङ्क्षसह को मौका दिया है। इस बार के चुनाव में भी परम्परागत रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होने के आसार दिख रहे हैं, लेकिन बसपा प्रत्याशी अनुुपमा चरण सिंह यादव जातिगत समीकरण व बसपा के परम्परागत वोट बैंक के सहारे मुकाबले को रोमांचक बनाने का प्रयास कर रही हैं। पन्ना सीट से सर्वाधिक 19 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
पवई विधानसभा क्षेत्र
हमेशा सुॢखयों में रहने वाली जिले की पवई विधानसभा सीट में भी त्रिकोणीय मुकाबला होने के पूरे आसार हैं पर कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मुकेश नायक को ही जहां प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर पिछड़ा वर्ग से प्रहलाद लोधी को टिकिट दिया है। पवई क्षेत्र के चुनाव में रोमांच पैदा कर दोनों ही प्रमुख दलों को चिन्ता में डालने वाला प्रत्याशी भुवन विक्रम सिंह है, जिसे सपा ने प्रत्याशी बनाया है। लंदन में उच्च शिक्षा हासिल करने वाला 28 वर्षीय इय युवा प्रत्याशी को राजनीतिक जमीन विरासत में मिली है। इनके पिता कुँवर अशोक वीर विक्रम ङ्क्षसह पवई क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं। बसपा प्रत्याशी सीताराम पटेल जातिगत वोट बैंक के सहारे मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने के प्रयास में जुटे हैं। पवई विधानसभा सीट से कुल 14 प्रत्याशी मैदान में हैं।
गुनौर विधानसभा क्षेत्र
जिले की एकमात्र सुरक्षित विधानसभा सीट का इतिहास रहा है कि यहां से कोई भी व्यक्ति दूसरी बार विधायक नहीं बन पाया है। इस सीट पर बसपा का भी अच्छा खास प्रभाव है। इसलिये परम्परागत रूप से कांग्रेस, भाजपा व बसपा प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा। कांग्रेस ने जहां शिवदयाल बागरी को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं भाजपा ने इस क्षेत्र के पूर्व विधायक राजेश वर्मा को एक बार फिर मौका दिया है। जबकि बसपा ने अपने पुराने प्रत्याशी जीवन लाल सिद्धार्थ पर ही विश्वास जताया है। वर्ष 2013 के चुनाव में शिवदयाल बागरी कांग्रेस मामूली अन्तर से चुनाव हारे थे, जो इस बार पूरे दम खम के साथ मैदान में हैं। भाजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा चूंकि विधायक रह चुके हैं, इसलिये उन्हें अपने कार्यकाल का असंतोष झेलना पड़ रहा है। इस सीट में ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिस पार्टी को इस वर्ग का समर्थन मिल जाता है जीत उसी की होती है। गुनौर सीट से इस चुनाव में कुल 4 प्रत्याशी हैं।
पन्ना जिले के प्रमुख मुद्दे
- बेरोजगारी और पलायन कई दशकों से प्रमुख मुद्दा है।
- स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव, उच्च शिक्षण संस्थाओं की कमी भी बड़ा मुद्दा।
- हीरा, मन्दिर व ऐतिहासिक महत्व के अनेकों स्थलों के बावजूद पर्यटन स्थल के रूप में पन्ना का विकास नहीं हो सका।
- रेत व पत्थर खदानों में बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन तथा पर्यावरण को नुकसान बड़ा मुद्दा।
- वन व राजस्व सीमा का दशकों से चल रहा विवाद।
- केन-बेलवा लिंक परियोजना से पन्ना टाईगर रिजर्व को हो रहा नुकसान।
वायदे जो नहीं हो सके पूरे
- डायमण्ड पार्क की स्थापना की वर्षों पुरानी माँग आज भी पूरी नहीं हो सकी।
- पशु चिकित्सा महाविद्यालय खोलने का वायदा मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले ने किया था जो पूरा नहीं हुआ।
- पन्ना में फारेस्ट ट्रेनिंग सेन्टर व फूड प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने का वायदा भी अधूरा है।
- मानसून पर्यटन को बढ़ावा देने मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी, जिसे पूरा नहीं किया गया।
- पन्ना के निकट स्थित पुराने बन्द हो चुके सकरिया हवाई पट्टी को चालू करने का वायदा भी अधूरा है।
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